बेबी साइन लैंग्वेज – छोटे बच्चों से बात करने का तरीका

बेबी साइन लैंग्वेज - छोटे बच्चों से बात करने का तरीका

एक पेरेंट के लिए उनके बच्चे से बात करना संभवतः सबसे सुखद अनुभवों में से एक होता है। इस अनुभव की शुरुआत होने में लगभग दो वर्षों का समय लगता है। बच्चों में मोटर स्किल की तुलना में बोलने और सुनने की क्षमता का विकास बहुत देर से होता है। खास बात यह है, कि शुरुआती बचपन के विकास के क्षेत्र में विशेषज्ञों द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन दिखाते हैं, कि आपके बच्चे से जल्दी बात करने का एक नया तरीका हो सकता है और वह है – साइन लैंग्वेज। 

जाने-माने बाल विकास विशेषज्ञ डॉक्टर जोसेफ गार्सिया द्वारा खोजा गया बात करने का यह नया तरीका, आपको अपने केवल 4 महीने के बच्चे से बात करने में मदद कर सकता है। बच्चा जब तक 8-9 महीनों का नहीं हो जाता, तब तक वह प्रतिक्रिया नहीं कर सकता है। लेकिन अगर सिखाया जाए, तो एक 4 महीने का बच्चा अपने पेरेंट्स या देखरेख करने वाले अन्य लोगों को समझ सकता है। केवल वर्बल कम्युनिकेशन पर निर्भर रहने की तुलना में, इसके माध्यम से माता-पिता बहुत जल्द ही अपने बच्चे के साथ बातचीत करने के लिए एक नया रास्ता अपना सकते हैं। 

बेबी साइन लैंग्वेज क्या होता है? 

बच्चों के साइन लैंग्वेज में बच्चे के विकसित हो रहे मोटर स्किल्स का इस्तेमाल करके, बातचीत का एक माध्यम तैयार किया जाता है। इसे एक्शन द्वारा किया जा सकता है, जैसे – शब्दों से जुड़ी हाथ की मूवमेंट। यह खोज तब की गई थी, जब डॉक्टर गार्सिया ने एक बच्चे को अपने बहरे माता-पिता से बहुत ही छोटी उम्र में बड़ी आसानी से कम्युनिकेट करता देखा। इससे शोधकर्ता अपने रिसर्च में विस्तार कर पाए और उन्होंने सुन सकने वाले बच्चों और माता-पिता के आपसी संवाद को अपने शोधों में शामिल किया। नतीजों से पता चला, कि बच्चे ‘माँ’ जैसे शब्द को बोलने की तुलना में, हाथों की मदद से काफी पहले ही प्रयोग कर सकते हैं। 

इस तकनीक के इस्तेमाल को बच्चों के बोलने की शुरुआत करने से काफी पहले, संवाद का एक माध्यम तैयार करने के लिए जाना जाता है। इससे उनके गुस्से, आवेग और रोने को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन इससे कम से कम आपको उनसे संवाद स्थापित करने में मदद मिलती है और आप बहुत ही कम उम्र से ही उन्हें शांत कर पाने में सक्षम हो पाते हैं। जिन बच्चों ने अब तक बोलना शुरू नहीं किया है, वैसे बच्चे भी चोट लगने या किसी तरह की परेशानी की स्थिति में, अपने माता-पिता से बिना किसी परेशानी के बातचीत कर सकते हैं। 

एक बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाना कब शुरू करें? 

बच्चों में 4 महीने की आयु से मोटर स्किल का विकास शुरू हो जाता है। इसका अर्थ है, कि इस उम्र से आप उन्हें साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल सिखाना शुरू कर सकते हैं। 8 महीने की आयु तक एक बच्चा, संवाद के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल या इस पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं होता है। लेकिन, इसे सिखाने की शुरुआत करने के एक महीने के अंदर ही, बच्चे इसे समझने लगते हैं और जानकारी को प्रोसेस करने में सक्षम हो जाते हैं। 

बच्चों के लिए आसान साइन लैंग्वेज शब्द, 4 महीने की आयु से बच्चे को सिखाए जा सकते हैं। इसे सिखाने की शुरुआत करने के एक या दो हफ्तों के अंदर ही बच्चा जानकारी को प्रोसेस करने में, समझने में और उसका अर्थ जानने में सक्षम होगा। 

एक बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाना कब शुरू करें? 

बेबी साइन लैंग्वेज कैसे काम करता है? 

संचार के किसी भी अन्य माध्यम की तरह ही, बेबी साइन लैंग्वेज भी आपके और आपके बच्चे के बीच समझ के एक संपर्क को स्थापित करता है। आपका बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, उसमें हाथों की मूवमेंट को समझने और नकल करने की काबिलियत का विकास होता जाता है। आपके मूवमेंट्स का इस्तेमाल करके और उन मूवमेंट से जुड़े शब्दों को सुदृढ़ करके, आप बच्चे को, इन मूवमेंट को समझने और उन पर प्रतिक्रिया देना सीखना शुरु कर सकते हैं। 

साइन लैंग्वेज के मूल सिद्धांत में एक के बाद एक किए जाने वाले संकेतों का संग्रह शामिल होता है, जो एक शब्द, शब्दों के एक समूह या एक आसान वाक्य को दर्शाता है। चूंकि, एक बच्चे के पास बोलने से पहले चलने फिरने की काबिलियत होती है, ऐसे में साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल मूल संवाद के प्रभावी तरीके के रूप में किया जा सकता है। समय के साथ यह संवाद का एक सरल तरीका भी बन सकता है और जो बच्चे सुन नहीं सकते हैं, उन्हें उनके माता-पिता के साथ बातचीत करने में मदद के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 

बेबी साइन लैंग्वेज के फायदे

जैसा कि ऊपर बताया गया है, बच्चों के साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल केवल बधिर बच्चों के लिए नहीं होता है, बल्कि सुन सकने वाले बच्चों के लिए भी इसके बहुत सारे फायदे होते हैं: 

  1. शिशु को साइन लैंग्वेज सिखाने से उनके दिमागी विकास को काफी बढ़ावा मिलता है। 
  2. साइन लैंग्वेज सोच और गतिविधियों के बीच एक पुल बनाता है। 
  3. शिशु को साइन लैंग्वेज सिखाने से, वे बधिर बच्चों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं। इससे समाज के नए दरवाजे उनके लिए खुल जाते हैं। 
  4. जो बच्चे शैशव अवस्था में ही साइन लैंग्वेज सीख लेते हैं, वे संवाद स्थापित करने में बेहतर होते हैं। क्योंकि, वे काफी छोटी उम्र से ही बात करना सीख जाते हैं। हाव-भाव भी संपर्क स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और आपका बच्चा काफी छोटी उम्र से ही इनका इस्तेमाल आराम से कर पाता है। 
  5. साइन लैंग्वेज के माध्यम से आपका बच्चा सहानुभूति की भावना सीख पाता है। 
  6. बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाने से लोगों के बीच उन्हें बोलने और भाषण देने की क्षमता का विकास होता है। 
  7. साइन लैंग्वेज, शब्दों के इस्तेमाल के बिना कॉन्फिडेंस से बात करने में बच्चों की मदद कर सकता है, जिससे उन्हें मौखिक कॉन्फिडेंस बनाने में मदद मिल सकती है। 
  8. अगर कम उम्र में बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाया जाए, तो वे भाषा को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। 

बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाना

किसी भी दूसरी भाषा की तरह ही, बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाते समय कई चुनौतियां और बाधाएं सामने आती हैं। जो सबसे जरूरी चीज हमेशा याद रखनी चाहिए, वह है – दृढ़ता, सब्र और प्रैक्टिस। चाहे मोटर हो या मौखिक, बच्चे को कुछ भी सिखाने में ये तीनों बिंदु हमेशा मददगार साबित होते हैं। यहां पर कुछ संकेत दिए गए हैं, जिन्हें आपको बच्चे को पहले सिखाना चाहिए: 

1. ज्यादा

जब आपका बच्चा इसके इस्तेमाल को सीखना शुरू कर देता है, तो यह बहुत ज्यादा मददगार साबित होता है, क्योंकि यह जरूरत को दर्शाता है। 

कैसे सिखाएं

दोनों हाथों पर उंगलियों को फैलाएं। एक पॉइंट को बनाने के लिए दोनों हाथों की पांचों उंगलियों को साथ लाएं। दोनों बिंदुओं को एक साथ लें और कहें ‘ज्यादा’। इससे आपके बच्चे को इसका अर्थ समझ आएगा। आप इस संकेत के अर्थ पर जोर डालने के लिए, इस शब्द को अपनी स्थानीय भाषा और इंग्लिश में भी बोल सकते हैं। 

2. हो गया

यह संकेत बहुत उपयोगी है और यह किसी काम के पूरा होने के बारे में बताने में मदद कर सकता है, या बच्चे के किसी काम के समाप्त होने को दर्शा सकता है। कोई चीज उपलब्ध ना होने की स्थिति में, इस संकेत के माध्यम से आप बच्चे को बता भी सकते हैं।  

कैसे सिखाएं

अपनी सभी उंगलियों को फैलाएं, अपनी हथेली के पीछे के हिस्से को बच्चे को दिखाएं, फिर अपनी हथेली को इस तरह से घुमाएँ, कि आपकी हथेली का सामने का हिस्सा बच्चे को दिखे और शब्द कहें ‘हो गया’। यह एक्शन करते समय बच्चे को यह एक्शन समझने में मदद करें। इस बात का ध्यान रखें, कि शब्द आपको धीरे और साफ बोलना है, ताकि उसके प्रभाव को ठीक से दर्शाया जा सके और शब्द और एक्शन के बीच के संबंध को दर्शाया जा सके। 

3. खाना

खाना खाने के दौरान यह संकेत बहुत ही उपयोगी है। जब बच्चा इस एक्शन को समझने लगे या नकल करने लगे, तो भूख लगने पर वह आपको बता सकता है। 

कैसे सिखाएं

अपनी सभी उंगलियों को फैलाएं और उन्हें एक बिंदु पर एक साथ लाएं। उंगलियों को अपने होठों के पास लाएं और इसे दोहराएं। यह एक्शन करते समय कहें ‘खाना’। इससे उन्हें शब्द और एक्शन के बीच के संबंध को समझने में मदद मिलेगी। 

4. दूध

यह सबसे आसान संकेतों में से एक है, जो आप बच्चे को सिखा सकते हैं और संभवत यह सबसे ज्यादा उपयोगी भी है। बच्चे के साथ फीडिंग के समय बात करने में इस संकेत का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर बच्चा इसका इस्तेमाल करना सीख ले, तो जब बच्चे को दूध चाहिए हो, तो इसके माध्यम से वह आपको बता सकता है। 

कैसे सिखाएं

पहले अपने बच्चे को एक खुली हथेली दिखाएं, फिर उंगलियों को मोड़ कर मुट्ठी बना लें और नीचे खींचे। यह एक्शन गाय के दूध निकालने के जैसा है। इस एक्शन को करते समय दूध शब्द धीरे-धीरे और साफ साफ कई बार दोहराएं।  ताकि मौखिक बातचीत के द्वारा शब्द पर जोर दिया जा सके। 

5. डायपर बदलना 

बच्चे डायपर बदलने से हमेशा कतराते हैं, क्योंकि उन्हें यह समझ नहीं आता है, कि डायपर चेंज करने के बाद वे फिर से खेल सकते हैं और उन्हें ऐसा लगता है, कि डायपर का बदलना उन्हें उनके खिलौनों से दूर करने का एक संकेत है। इस संकेत की मदद से उन्हें यह समझाने में मदद मिलती है, कि चेंज टेंपरेरी है और ‘हो गया’ के संकेत का इस्तेमाल करके आप डायपर चेंज करने के काम के पूरा होने को दर्शा सकते हैं। 

कैसे सिखाएं

दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करें, कलाइयों और उंगलियों के जोड़ों को एक साथ मिलाएं और मुट्ठियों को क्लॉक वाइज डायरेक्शन में घुमाएँ। डायपर बदलने का काम हो जाने पर, ‘हो गया’ का संकेत दिखाएं। ‘चेंज’ शब्द को धीरे से और जोर देते हुए दोहराएं, ताकि आपका बच्चा उसे समझ पाए। काम पूरा हो जाने पर ‘हो गया’ शब्द को दोहराएं। 

6. मदद (हेल्प)

यह बच्चे को सिखाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है। जब बच्चे को मदद की जरूरत हो या कुछ गलत हो रहा हो, तो यह संकेत बहुत काम आ सकता है। यह संकेत सिखाने से बातचीत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और शैतानियों में कमी आती है। 

कैसे सिखाएं

बच्चे को दोनों हथेलियां दिखाते हुए, एक हथेली को फ्लैट और छत की तरफ रखें। दूसरे हाथ से एक मुट्ठी बनाएं और अपने अंगूठे को छत की ओर दबाएं। मुट्ठी को हथेली पर रखें, हथेली को उठाएं और मुट्ठी पर दबाव डालें। अंगूठे को मोड़ें और सीधा करें। यह मदद का संकेत देता है। इस एक्शन को करते समय ‘मदद’ शब्द को दोहराएं। 

7. खेलना

यह संकेत ज्यादातर बच्चों को बहुत पसंद होता है। यह जरूरी भी है, क्योंकि इसके माध्यम से बच्चे को जब खेलने की इच्छा हो तो वह आपको बता सकता है। 

कैसे सिखाएं

दोनों हथेलियों में बीच की तीनों उंगलियों को मोड़े और अंगूठे और छोटी उंगली को फैलाएं। मुड़ी हुई उंगलियों को दूसरे हाथ के उंगलियों के जोड़ों पर लगाएं। इससे हाथों के इस्तेमाल से एक ‘Y’ बन जाता है। इसे अपनी छाती के पास लाएं और दूर ले जाएं और इस दौरान ‘खेलना’ शब्द को दोहराएं। 

8. पानी

यह जीवन का एक जरूरी हिस्सा है और यह संकेत सिखाने से आपके बच्चे को प्यास लगने पर आपको अच्छे से समझ आ जाता है। प्यास लगने पर वह इस संकेत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। 

कैसे सिखाएं

एक हाथ की एक हथेली पर सभी उंगलियों को फैलाएं। अंगूठे और छोटी उंगली के पोरों को जोड़ें। इससे एक ‘W’  बन जाएगा। इसे अपने होठों के पास लाएं और दूर ले जाएं। इस दौरान ‘पानी’ शब्द दोहराते रहें, जिससे उन्हें यह समझ आएगा कि यह एक्शन और यह शब्द आपस में जुड़े हुए हैं। 

9. किताब

एक बच्चे के विकास का सबसे जरूरी हिस्सा होता है, कि या तो वे खुद पढ़ें या कोई उन्हें पढ़कर सुनाए। इस संकेत से आपके बच्चे को पता चलता है, कि यह एक किताब पढ़ने का समय है। 

कैसे सिखाएं

अपनी दोनों हथेलियों को खोलें। छोटी उंगली के पास दोनों हथेलियों को जोड़ें। अंगूठे को पास और दूर करते हुए अपने दोनों हाथों के इस्तेमाल से एक किताब के खोलने और बंद करने की नकल करें। इस एक्शन को करते समय ‘किताब’ शब्द को जोर से धीमी गति से दोहराएँ। 

10. चिड़िया

बच्चे को चिड़िया के लिए एक एक्शन सिखा कर आप पशु-पक्षियों की दुनिया से उसका परिचय मजेदार तरीके से करवा सकते हैं। जानवरों के बारे में एक किताब पढ़ते समय, इस संकेत का इस्तेमाल करें और उन्हें दिखाएं कि एक चिड़िया कैसी लगती है। 

कैसे सिखाएं

यह संकेत सिखाना बहुत ही आसान है। अपनी हथेलियों को एक दूसरे पर क्रॉस करते हुए रखें। अपने अंगूठे को आपस में लॉक करें। इससे आपकी दोनों हथेलियां एक पक्षी की पंखों की तरह दोनों तरफ फैल जाएंगी। यह संकेत धूप में चिड़िया की परछाई बनाने के लिए भी उपयुक्त होती है। 

चिड़िया

11. शेयर

इस संकेत के द्वारा आप बच्चे में एक जरूरी गुण डालते हैं। याद रखें ‘बांटना’ जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है और यह संकेत एक बहुत ही छोटी उम्र से बच्चे को यह सिखाने में आपकी मदद कर सकता है। 

कैसे सिखाएं

दोनों हथेलियों को खुला रखें। एक हथेली की छोटी उंगली को दूसरी हथेली की तर्जनी के साथ लगाएं। अपने अंगूठे को आकाश की ओर दिखाएं और ऊपर वाली हथेली को अंगूठे और तर्जनी के पोरों की ओर वापस ले जाएं। यह एक्शन करते समय ‘शेयर’ शब्द को दोहराएं। 

12. प्लीज

शेयर की तरह ही यह एक्शन भी आपके बच्चे के जीवन में जरूरी शब्दों को डालता है। यह उन्हें सभ्यता सिखाता है और कुछ मांगने में मदद करता है। 

कैसे सिखाएं

यह बच्चे को सिखाए जाने वाले संभवत सबसे ज्यादा आसान और सबसे ज्यादा जरूरी संकेतों में से एक है। इसके लिए ‘प्लीज’ शब्द को दोहराते हुए, अपनी हथेली को छाती तक लाएं और उसे घड़ी की दिशा में घुमाएं। 

13. थैंक यू

पिछले दो संकेतों की तरह ही, थैंक्यू भी बच्चे को सिखाने वाले सबसे जरूरी संकेतों में से एक है। 

कैसे सिखाएं

यह एक और संकेत है, जिसे सिखाना बहुत आसान है। अपनी खुली हथेली को अपने होठों तक लाएं और दूर ले जाएं। यह कुछ-कुछ फ्लाइंग किस की तरह लगता है। ऐसा करते हुए ‘थैंक्यू’ शब्द को दोहराएं। 

14. एप्पल

साइन लैंग्वेज में एप्पल शब्द के इस्तेमाल से यह दिखाया जा सकता है, कि एप्पल क्या होता है और खाने के दौरान इस संकेत के इस्तेमाल से यह बताया जा सकता है, कि उन्हें खाने के लिए एक सेब मिलने वाला है। 

कैसे सिखाएं

एक मुट्ठी बनाएं और तर्जनी के जोड़ को थोड़ा सा बाहर निकालें। इस जोड़ को गालों को छूने दें और घड़ी की दिशा में घुमाएं। यह एक्शन करते समय ‘एप्पल’ शब्द को दोहराएं। 

15. ब्रेड

खाने के दौरान एक और उपयोगी संकेत है। एप्पल की तरह इसे भी सिखाना बहुत आसान है और इससे आप बच्चों को बता सकते हैं, कि उन्हें खाने को क्या मिलने वाला है। 

कैसे सिखाएं

एक खुली हथेली को अपनी छाती पर रखें। दूसरी हाथ की हथेली को पहली हथेली के आगे ऊपर-नीचे दोहराएं। यह एक्शन करते हुए ‘ब्रेड’ शब्द को दोहराएं। यह एक्शन देखने में ब्रेड की स्लाइस काटने जैसा दिखता है। 

बच्चे को सिखाते समय याद रखने के लिए कुछ बातें

यहां पर ऐसे कुछ बिंदु दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाते समय आपको याद रखना चाहिए: 

  • सब्र करें, उन्हें साइन लैंग्वेज सिखाने में समय लगता है, यह झुंझलाहट भरा हो सकता है। हर बच्चे की सीखने की गति अलग होती है। 
  • उन पर दबाव ना डालें। अगर बच्चा इसे ठीक से ना कर पाए, तो उनके साथ जबरदस्ती ना करें। बच्चे को एक्शन समझने और उसके नकल करने की जरूरत होती है, इसमें समय लग सकता है। 
  • शांत और एक समान आवाज में बोलें। इससे आपके बच्चे को आराम मिलेगा और उसे एक्शन से संबंधित हर शब्द को समझने में आसानी होगी। 
  • बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाने में समय लगता है। ऐसे में झुंझलाहट होना सामान्य है। जब तक उनकी मोटर स्किल का विकास नहीं हो जाता, तब तक वे कोई भी एक्शन करने में सक्षम नहीं होते हैं। शांत बने रहने के लिए बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें। 

बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाते समय याद रखने वाली कुछ और बातें और अधिक टिप्स के लिए अपने चाइल्ड केयर विशेषज्ञ से बात करें। 

सीखने को आसान बनाने के लिए कुछ उपकरण

किताबें, सेमिनार और इंस्ट्रक्शनल वीडियो, जैसे अनगिनत उपकरण हैं, जिनके इस्तेमाल से आपको बच्चे को साइन लैंग्वेज कैसे सिखाना है, इसके बारे में समझने में मदद मिलती है। कुछ साइकोलॉजिस्ट और फिजिशियन बच्चे के साथ साइन लैंग्वेज की प्रैक्टिस करते हैं। उनसे बात करके आपको यह पता चल पाएगा, कि इस काम के लिए किन उपकरणों की जरूरत हो सकती है। सिखाते समय तस्वीरों के इस्तेमाल से एक्शन और शब्द के साथ विजुअल मदद भी मिल सकती है और सीखना आसान हो जाता है। एक बच्चे को साइन लैंग्वेज सिखाने के लिए जरूरी लॉजिक, तकनीक और तरीके को अच्छी तरह से समझने के लिए चिल्ड्रन कम्युनिकेशन और बेबी साइन लैंग्वेज के विशेषज्ञ से बात करें। 

आपके बच्चे का विकास ताउम्र चलने वाली एक प्रक्रिया है और यह इस बात पर निर्भर करता है, कि वे क्या सीखते हैं, इससे उनकी जिंदगी आसान हो जाती है। बच्चों के लिए साइन लैंग्वेज, कम्युनिकेशन को बढ़ावा दे सकता है। लेकिन, यह उनके गुस्से पर रोक लगाने की गारंटी नहीं देता है। अगर वह गलत या असामान्य बर्ताव कर रहा है, तो बाल मनोवैज्ञानिक से बात करें। अलग-अलग तकनीकों को समझने के लिए बाल मनोवैज्ञानिक की मदद लेने से आपको यह पता चल पाएगा, कि अपने बच्चे को कौन से साइन लैंग्वेज सिखाएं और कैसे सिखाएं। यदि संभव हो, तो विभिन्न संकेतों की तस्वीरों के साथ साइन लैंग्वेज की एक गाइड बुक की मांग करें। 

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