बेबी स्लीप चार्ट – नए पेरेंट्स के लिए एक जरूरी जानकारी

बेबी स्लीप चार्ट - नए पेरेंट्स के लिए एक जरूरी जानकारी

ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चे की नींद की समस्याओं को हल करने को लेकर चिंतित रहते हैं। ऐसे में जो आपका सबसे कॉमन सवाल होता है वह यह है कि छोटे बच्चों को कितनी देर सोना चाहिए या नॉर्मल माना जाता है। क्या आपके बच्चे को ज्यादा देर तक सोने की जरूरत है या क्या वह दिन में बहुत बार झपकी ले रहा है? इन सवालों का जवाब एक सही बेबी स्लीप चार्ट हो सकता है। इसकी मदद से आपको आसानी से पता चल जाएगा कि आपके बच्चे को सोने के लिए कितने घंटे चाहिए और हर दिन किस समय आप बच्चे को सुलाएं। 

बच्चे की उम्र के अनुसार बेबी स्लीप चार्ट

शुरुआत में नवजात शिशु अपना ज्यादातर समय सोकर बिताते हैं और फिर समय के साथ धीरे-धीरे दुनिया से परिचित होते हैं। समय के साथ नवजात शिशु की स्लीपिंग साइकल भी बदल जाएगी, अब वह ज्यादा देर तक जागेंगे, जिससे आपको उनका स्लीप शेड्यूल सुधारने का मौका मिलेगा। लेकिन पैरेंट अक्सर इस बारे में नहीं तय कर पाते हैं कि उनके बच्चे को कितना सोना चाहिए, या उन्हें कितनी बार नैप लेनी चाहिए। बच्चे का यह स्लीपिंग चार्ट चीजों को स्पष्ट करने में मदद कर सकता है। याद रखें, ये केवल आपको एक एवरेज आइडिया बताया जा रहा है – यानी, आपके बच्चे को सोने की एक एवरेज ड्यूरेशन। यदि आपका बच्चा स्लीप चार्ट में बताए गए एवरेज टाइम से 1 या 2 घंटे कम या ज्यादा सो रहा है, तो उसकी नींद एक नॉर्मल रेंज में है। आपके बच्चे को यहाँ दिए गए स्लीपिंग टाइम शेड्यूल चार्ट की तुलना में कम या ज्यादा नींद लेने की आवश्यकता हो सकती है।


आयु

दिन (घंटे) रात (घंटे)


कुल घंटे

0 – 1 महीने 9 से 10 7 से 8 15 से 18
1 – 2 महीने 9 से 10 7 से 8 15 से 18
2 – 4 महीने 6 से 8 8 से 10 14 से 16
4 – 6 महीने 4 से 6 9 से 10 14 से 15
6 – 9 महीने 3 से 5 10 से 11 14 से 15
9 – 12 महीने 2 से 4 10 से 11 14 से 15

स्रोत: किड्सहेल्थ 

क्या होगा अगर आपका बच्चा जरूरत से ज्यादा सोता है? 

जब बच्चे छोटे होते हैं, तो बड़े होने की तुलना में उनका स्लीप पैटर्न बिलकुल अलग होता है। उनकी रैपिड-आई-मूवमेंट (आरईएम) स्लीप काफी लंबी होती है। 6 महीने का होने के बाद बच्चे का मस्तिष्क बड़ों की तरह नींद को रेगुलेट करना शुरू कर देता है। साथ ही, जैसे-जैसे वह बड़ा होगा, उसकी नींद की जरूरतें भी बदल जाएंगी। समय के साथ, बच्चे अपने शरीर की घड़ी या सर्कैडियन रिदम के अनुसार सोने के पैटर्न को डेवलप  करते हैं। अब हो सकता है कि आप अपने बच्चे को दिन में कम नैप लेते हुए देखे और रात में लंबी नींद लेते हुए नोटिस करें।

ऐसे कोई स्टडी मौजूद नहीं है जो यह बता सके कि बच्चे के लिए आदर्श स्लीपिंग कितनी होनी चाहिए। हाँ लेकिन आप चार्ट की मदद से एक अंदाजा लगा सकती हैं। इसके अलावा आप बच्चे के बिहेवियर से यह पता लगा सकती हैं कि क्या वो ठीक तरह से अपनी नींद ले रहे हैं या नहीं। यदि वह पूरे दिन टैंट्रम दिखाता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उसे थोड़ा और सोने की जरूरत है। अलग-अलग बच्चों की अलग-अलग जरूरतें होती हैं, इसलिए आपके बच्चे को सोने के लिए जितने घंटे चाहिए, वह दूसरे बच्चों की तुलना में बहुत भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, स्टडीज से पता चलता है कि ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों को फॉर्मूला मिल्क पिलाने वाले बच्चों की तुलना में कम सोने की संभावना होती है।

यदि आपका बच्चा एवरेज से ज्यादा सो रहा है, तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तक कि वह अच्छी तरह से भोजन कर रहा है और उसकी ग्रोथ ठीक से हो रही है, तब तक आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर वह एवरेज से कम सो रहा है, तो आपको इसकी वजह जानना चाहिए। अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई सवाल या चिंता है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या होगा अगर आपका बच्चा जरूरत से ज्यादा सोता है? 

बच्चे को रात में कैसे सुलाएं ताकि वह बार-बार न उठे?

यहाँ आपको कुछ उपयोगी टिप्स बताई गई हैं, जो आपके बच्चे को रात में सुलाने में मदद कर सकती हैं:

  • अपने बच्चे के लिए सोने के लिए एक सही बेडटाइम रूटीन सेट करना फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि यह उसे सेफ और सिक्योर फील कराता है। अगर रूटीन सही हो तो बच्चे जल्दी सो जाते हैं और रात में बार-बार उठते भी नहीं हैं। आप उसे सुलाने से पहले गुनगुने पानी से स्नान कराएं और सोने के कपड़े पहनाकर स्लीप टाइम रूटीन की शुरुआत करें। आप बच्चे को रात में सुलाते समय लोरी गाकर सुलाएं, बच्चे से धीरे धीरे बातें करें या उन्हें स्टोरी सुनाएं, साथ ही उन्हें प्यार दुलार भी करें।
  • हर दिन के लिए एक ही पैटर्न फॉलो करने से बच्चा इसका आदि हो जाएगा और आपके बिना कहे ही खुद समझ जाएगा कि ये उसके सोने का समय है। हो सकता है कि शुरुआत में कुछ रातों तक वो रूटीन को फॉलो न कर सके या इसे समझ न पाए, लेकिन फिर भी आप रूटीन को लगातार जारी रखें। कोशिश करें और अपने बच्चे को हर सुबह एक निश्चित समय पर जगाएं और उसे एक ही समय पर सुलाएं ताकि एक पैटर्न के हिसाब से ही पूरे दिन की शुरूआत और अंत करे ।
  • बच्चे आमतौर पर दिन और रात के दौरान होने वाले चेंजेस को नहीं समझ पाते हैं। हालांकि, आप बच्चे के जन्म के बाद से भी रूटीन सेट करना शुरू कर सकती हैं। सभी गैजेट्स को बंद करके, रोशनी कम करके और बच्चे के सोने के लिए कम्फर्टेबल एनवायरमेंट बनाएं और इसे रोजाना फॉलो करें।
  • दिन के दौरान, बच्चे को प्लेफुल एक्टिविटी में बिजी रखें और उन्हें जगाएं रखें, ताकि वो रात आराम से सो सके।
  • ऐज के हिसाब से बच्चे का नैप टाइम लेने  पर ध्यान दें। कोशिश करें कि बच्चा सोने के दौरान कम से कम बार बीच में उठे।

बच्चे को रात में कैसे सुलाएं ताकि वह बार-बार न उठे?

  • अपने बच्चे को सोने से पहले लोशन या तेल से धीरे-धीरे मालिश करें, इससे उसे आराम करने में मदद मिलती है, और बच्चा लंबी नींद लेता है।
  • बच्चे गर्भ में शोर सुनने के आदी होते हैं, जैसे कि माँ के दिल की धड़कन और साँस लेना और फ्लूइड का सेवन  करने की आवाज सुनाई देती है। जब बच्चे की बाहरी दुनिया में प्रवेश करते हैं, तो नए एनवायरमेंट की आवाजें उनके लिए चौंका देने वाली हो सकती है। वाइट नॉइज के प्रयोग से आप इन नई साउंड को ब्लॉक कर सकती हैं जैसे दरवाजा बंद करना, चलने की आवाज, अनफैमिलियर आवाज, जो बच्चे को डरा सकता है और उसकी नींद खराब कर सकता है। रेडियो स्टैटिक जैसी वाइट नॉइज या रात भर पंखे से चलने वाली आवाज का उपयोग करने से भी आपके बच्चे को अच्छी नींद आने में मदद मिल सकती है।
  • बच्चे लगातार अपने विभिन्न विकास के पड़ावों पार कर रहे होते हैं जैसे लुढ़कना, अपनी गर्दन को सीधा रखना, रेंगना, चलना, इससे बच्चे का स्लीपिंग पैटर्न प्रभावित हो सकता है। कभी-कभी, बच्चे अपने डेवलपमेंटल स्टेज के आसपास स्लीप रिग्रेशन का अनुभव कर सकते हैं।  आप बच्चे का पहला रिग्रेशन लगभग उसके 4 महीने का होने के बाद नोटिस कर सकती हैं और फिर दोबारा आप उसके एक साल का हो जाने के बाद नोटिस कर सकती हैं। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप बेबी स्लीप रिग्रेशन चार्ट देख सकती हैं। रिग्रेशन के दौरान आपको धैर्य रखना चाहिए। याद रखें यह सब चीजें बस कुछ वक्त के लिए ही हैं जल्दी ही यह समय बीत जाएगा।
  • इस बात की संभावना हो सकती है कि यदि आपके बच्चे के पास खुद से सोने की स्किल नहीं है तो उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आप चाहे तो अपने बच्चे को स्लीप ट्रेनिंग देना शुरू कर सकती हैं। इससे बच्चा अपने आप सोना सीख सकता है, जो आपके लिए भी मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा, उसके बेडटाइम तो थोड़ा पहले ही शिफ्ट करने की कोशिश करें, जैसे आप बच्चे को लगभग शाम के 7 बजे ही सुलाने का प्रयास करें, क्योंकि इससे बच्चे को अपनी नींद पूरी करने का पर्याप्त समय मिलेगा।
  • सॉलिड फूड देने से चीजें और बेहतर हो सकती हैं, क्योंकि कुछ खाने ऐसे होते हैं जो बच्चों में जल्दी नींद आने को प्रेरित करते हैं । आप बच्चे को रात के खाने के समय, सब्जियां या अनाज की लगभग 1 या 2 सर्विंग खिला सकती हैं, जिससे उसका पेट अच्छी तरह से भर जाए। उसे कुछ देर तक खेलने दें,जब तक कि वह नींद में और बिस्तर पर जाने के लिए तैयार न हो जाए। आप उसके स्लीप रूटीन को हर हाल में फॉलो करें।
  • अगर कोई भी तरीका काम नहीं करता है और आपने हर कोशिश कर ली है, तो अपने बच्चे की नींद की समस्याओं को हल करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें। एक्सपर्ट या डॉक्टर आपके बच्चे की नींद से जुड़ी समस्या का कारण और हल बेहतर रूप से बता सकेंगे और फिर इसे लागू करने के लिए अपने परिवार का सपोर्ट ले सकती हैं।

बच्चे को रात में कैसे सुलाएं ताकि वह बार-बार न उठे?

बच्चे की नींद को ट्रैक पर रखने के लिए एक बेबी स्लीप चार्ट आपको काफी गाइड कर सकता है। यह पैरेंट को अपने बच्चे की नींद की समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सकता है और यहाँ तक आने वाली समस्या को हल करने में भी मदद कर सकता है। पैरेंट होने के नाते आप अपने बच्चे से जुड़ी सभी चीजों को लेकर रहते हैं, लेकिन आप चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है समय के साथ सब धीरे-धीरे सेटल होता जाएगा और बच्चा अपने नॉर्मल रूटीन एडजस्ट हो जाएगा। 

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