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पेरेंट्स सबसे पहले अपने बच्चे का नाम खोजना शुरू करते हैं और जन्म के बाद से ही वे यह सोचकर बच्चे को उसके नाम से ही बुलाना शुरू कर देते हैं कि वह रिस्पॉन्ड करेगा। पेरेंट्स के लिए उस पल का बेसब्री से इंतजार करना नेचुरल है जब उनका बच्चा अपना नाम को जानना व इस पर प्रतिक्रिया देना शुरू करेगा।
बच्चा अक्सर 6-7 महीने की उम्र से ही अपना नाम पहचानना शुरू कर देता है। हालांकि यह कुछ महीने आगे पीछे भी हो सकता है। वैसे अक्सर अपने बच्चे को कोई प्यारा घर का नाम देते हैं और उससे ही पुकारते हैं और नियमित उसका असली नाम पुकारना आपको अच्छा नहीं लगता होगा पर ऐसा करने से वह अपने नाम से जल्दी परिचित होगा।
किस उम्र में बच्चे अपना नाम पहचानना शुरू कर देते हैं?
हाल ही में बनी मांएं यह जानना चाहती हैं कि बच्चे अपना नाम कब पहचानने लगते हैं। आपने नोटिस किया होगा कि कुछ सप्ताह तक नाम लेने पर बच्चा उसे सुनकर मुड़ने लगता है। पर यह रिस्पॉन्स बच्चा नाम पहचानने की वजह से नहीं देता है बल्कि वह यह रिस्पॉन्स आपकी आवाज से परिचित होने की वजह से देता है।
रिसर्च के अनुसार 6 से 7 महीने की उम्र से ही बच्चा अपना नाम समझने लगता है। 6 महीने के बच्चे परिचित लोगों व चीजों की आवाज को समझना शुरू कर देते हैं। जैसे, यदि आप बॉल कहते हुए उसकी तरफ इशारा करें तो बच्चे को नाम और उस चीज के बीच संबंध समझ आएगा। अब भले ही वह इस बात को 10 से 12 महीने की आयु तक कह न पाए।
हालांकि पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों में लगातार विकास होता है। हर बच्चा अलग-अलग समय में डेवलपमेंटल माइलस्टोन को पूरा करता है। यह बात बिलकुल नॉर्मल है कि कोई बच्चा अन्य बच्चों से जल्दी अपना नाम पहचानना शुरू कर देता है और कुछ बच्चों में देरी से यह विकास होता है। पेरेंट्स को ज्यादातर अपने बच्चे को उसके नाम से पुकारकर बातें करना चाहिए ताकि वह उस नाम से खुद को जोड़ सकेगा और अपना नाम जल्दी पहचानने लगेगा।
बच्चे अपना नाम पहचानना कैसे शुरू करते हैं?
स्टडीज के अनुसार शब्दों को बार-बार बोलने से बच्चों में भाषा का विकास होता है। बच्चे शब्दों को अपने अनुसार ही क्यूट तरीके से बोलना शुरू करते हैं, जैसे माँ या बार-बार नाम लेने से बच्चा इसे पहचानने लगता है और इसपर प्रतिक्रिया भी देता है।
गर्भ से ही बच्चा अपनी माँ की आवाज सुनता है। इसलिए वह सिर्फ आपकी आवाज से ही परिचित नहीं होगा बल्कि वह आपकी बोली को भी समझने लगेगा और आपकी भावनाओं को महसूस कर सकेगा, जैसे प्यार, खुशी, गुस्सा, एंग्जायटी, दुःख। गर्भ से ही बच्चे और माँ का भावनात्मक रिश्ता बनने लगता है और न्यूरोलॉजिकल वृद्धि के कारण बाद में बच्चे को बोलकर कम्युनिकेट करने में मदद मिलती है।
बच्चे को उसके नाम पर प्रतिक्रिया देना कैसे सिखाएं
बच्चों को उनका नाम पहचानने में मदद के लिए यहाँ कुछ आसान टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें;
- शुरूआत महीनों से ही आप बच्चे को उसके नाम से बुलाना शुरू करें।
- बच्चे को उसके घर के नाम से न बुलाएं।
- आप बच्चे से रोजाना ज्यादा से ज्यादा बात करें और उसका नाम बार-बार बोल ताकि वह अपने नाम से परिचित हो सके।
- परिवार के अन्य लोगों से भी कहें कि वे बच्चे को उसके नाम से ही पुकारें।
- बच्चा अपने नाम को अच्छी तरह से पहचानने लगे इसलिए आप इससे संबंधित छोटे-छोटे सेशन रखें जिसमें उसका नाम बार-बार पुकारा जाए और कई सेशन के बीच में छोटे ब्रेक्स भी रखें।
- शुरू-शुरू में थोड़ी बहुत डिस्ट्रैक्शन के साथ आप बच्चे को नाम से पुकारना शुरू करें।
- बाकि बचे हुए समय में आप अन्य लोगों को भी कहें कि वे बच्चे को डिस्ट्रैक्शन के साथ उसके नाम से तब तक पुकारें जब तक वह पीछे मुड़कर न देख ले।
- यदि बच्चा अपने नाम पर प्रतिक्रिया देता है तो आप उसे कुछ रिवॉर्ड दें ताकि वह से एक सकारात्मक सफलता के रूप में ले।
यदि पेरेंट्स को लगता है कि उनके बच्चे के विकास में देरी हो रही है तो भी उन्हें इससे संबंधित किसी भी चीज में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। आप बस बच्चे के साथ अपनी बातों को एन्जॉय करें, उसे बोलने में ही व्यस्त रखें और उचित प्रतिक्रिया देने पर रिवॉर्ड दें। इसके अलावा यदि बच्चा 9 महीने तक अपने नाम पर रिस्पॉन्ड नहीं करता है तो डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।
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