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यदि आपका बच्चा रात को हर घंटे जागता है और बार-बार आपको ढूंढ़ता है तो शायद उसे बार-बार जागने की समस्या हो सकती है। हो सकता है कि बच्चा नींद में भी आपको ढूंढ़ रहा हो और यह समय है कि आप उसपर ध्यान दें। यद्यपि 6 महीने के बच्चों का बार-बार जागना एक आम बात है और यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। इस लेख में बच्चों के बार-बार जागने के बारे में बहुत कुछ बताया गया है, आइए जानते हैं।
6 महीने और उससे छोटे शिशुओं का थोड़ी-थोड़ी देर के लिए सोना सामान्य है। बच्चों की नींद बहुत हल्की होती है, इतनी कि वास्तव में वे सिर्फ 50 मिनट तक सोने के बाद जाग जाते हैं और दोबारा से सो जाते हैं। आपका बच्चा धीरे-धीरे सीखेगा कि वह लंबे समय के लिए कैसे सो सकता है और सोने के लिए खुद को कैसे सूद कर सकता है।
कई मामलों में बच्चे जब एक बार जाग जाते हैं तो दोबारा नहीं सोते हैं और यह कई कारणों से हो सकता है, यह स्वास्थ्य या न्यूट्रिशन से संबंधित भी हो सकता है। इस बारे में जानने के लिए नीचे पढ़ें।
कुछ बच्चे ज्यादा देर तक नहीं सो पाते हैं इसके कुछ निम्नलिखित कारण हैं, आइए जानते हैं;
क्या आपके बच्चे को पर्याप्त पोषण मिल रहा है? क्या आप उसे ठीक से भोजन खिला रही हैं? यदि आपके बच्चे को पर्याप्त न्यूट्रिशन या भोजन नहीं मिल रहा है तो यह भूख एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से वह बार-बार जागता है। आप धीरे-धीरे उसका भोजन बढ़ाने का प्रयास कर सकती हैं या स्तनपान बढ़ा सकती हैं और देख सकती हैं कि भोजन बढ़ाने की वजह से आपके बच्चे की नींद में क्या अंतर आया है।
बच्चे की अभी उतनी उम्र नहीं हुई है कि वह बोल सके। उसके इन लक्षणों को देखें कि वह सहज और शांत महसूस कर रहा है या नहीं। दिनभर जब बच्चा अपनी विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रहता है तो उसे पता नहीं चलता कि वह कहाँ टकरा रहा या चोट लग रही, लेकिन वही रात को परेशानी का कारण बन सकता है। यह छोटी-छोटी चीजें उसे परेशान कर सकती हैं और उसकी नींद खराब कर सकती हैं।
दूध पीते-पीते अक्सर बच्चों के पेट में हवा भी चली जाती है, जो गैस बन जाता है। ज्यादातर बच्चों में इस हवा के कारण पेट में दर्द होता है जिसकी वजह से उसकी नींद खराब होती है या वह बार-बार जाग सकता है। इसके लिए बच्चे को डकार दिलवाना एक सही उपाय है।
दूध पीने के बाद यदि बच्चे को लगातार हिचकी, लगातार डकार या चोकिंग होती है तो यह साइलेंट रिफ्लक्स के लक्षण भी हो सकते हैं। रिफ्लक्स के यह लक्षण अक्सर बच्चों को रात में ठीक से सोने नहीं देते हैं। अपने बच्चे में साइलेंट रिफ्लक्स के लक्षणों पर ध्यान दें और इसके उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह अनुसार ही उसे दवा दें।
दिनभर घर में बहुत ज्यादा आवाज या शोर होने से अक्सर बच्चे असहज हो जाते हैं और उन्हें रात को आराम मिलने में कठिनाई होती है। हर बच्चे को एक अच्छी नींद में सोने के लिए थोड़े शांत समय की जरूरत होती है।
दाँत निकलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जो बच्चे की नींद के पैटर्न को खराब कर सकती है। बच्चों में दाँत लगभग 6 महीने की उम्र से निकलना शुरू हो जाते हैं और कभी-कभी बच्चा टॉडलर होने तक दाँत निकलने के कारण बार-बार जाग सकता है।
यदि आपका बच्चा अनियमित पैटर्न में सोता है तो यह उसकी आदत भी बन सकती है। आपको उसकी नींद के पैटर्न को सही कर सकती हैं पर इसमें थोड़े धैर्य और समय की आवश्यकता है। समय के साथ बच्चों की आदतों को बदलना कठिन हो जाता है और उस समय आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आपको बच्चे का रूटीन पूरी तरह से बदलना है।
उदाहरण के लिए आप बच्चे को रात में सुलाने के लिए उसे दिन में सुलाना कम कर सकती हैं। यह एक प्रभावी तरीका है पर शुरूआत में बच्चे इससे अक्सर खुश नहीं रहते हैं।
इस समय बच्चे का इम्यून सिस्टम विकसित हो रहा होता है जिस वजह से वे बहुत जल्दी बीमार हो जाते हैं, उनमें इन्फेक्शन हो सकता है और हम बच्चों में सर्दी जुकाम की समस्या हो कैसे भूल सकते हैं।
चूंकि इस समय आपका बच्चा चीजों को उठा सकता है और हिला सकता है जिससे वह ज्यादा से ज्यादा कीटाणुओं के संपर्क में आता है। यदि बच्चा अपने मुंह में चीजें डालता है तो इससे उसमें अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है और यदि उसे पहले से ही जुकाम है तो वह कंजेशन और खांसी से ग्रसित हो सकता है।
बच्चों के बार-बार जागने का कारण उनमें डायरिया, पाचन संबंधी समस्याएं और बुखार भी हो सकता है। बच्चों में इन्फेक्शन संबंधी जांच के लिए उसे डॉक्टर को दिखाएं और डॉक्टर से पूछे कि बच्चे को कौन सी दवाएं या सप्लीमेंट्स देने की आवश्यकता है। अपने बच्चे को उन लोगों से दूर रखें जिन्हें इन्फेक्शन है और घर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सभी सावधानियां बरतें।
बच्चे की अच्छी नींद के लिए यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानते हैं;
सुनिश्चित करें कि आप उसकी दिन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसे पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क और फॉर्म्यूला मिल्क दे रही हैं। बच्चों को फल, सब्जियां, लीन मीट और डेयरी प्रोडक्ट भी ऐसे ही देना चाहिए। यदि आपके बच्चे की भूख में कम सुधार हो रहा है तो उसे बार-बार थोड़ा खिलाएं। हमेशा खरीदने से पहले फॉर्म्युला लेबल चेक करें और देखें कि सब्जियों से कोई एलर्जी तो नहीं होती है। बच्चे को सुलाने के लिए पैसिफायर का उपयोग करें और यदि आप बच्चे में किसी न्यूट्रिशनल डेफिशियेंसी को लेकर चिंतित हैं तो इसकी दवाओं या सप्लीमेंट के बारे में डॉक्टर से पूछें।
बच्चे के सोने का समय निर्धारित करें और उसके सोने से लगभग एक घंटे पहले उसे कहानियां या लोरी सुनाएं। आप उसे लोरी सुनाकर सहज कर सकती हैं और उसे पूरे दिन की अच्छी नींद देने पर केंद्रित हो सकती हैं।
शोर दो प्रकार के हो सकते हैं एक जो कानों को बहुत अच्छा लगता है और दूसरा जो अशांत कर देता है। वाइट नॉइज वह नॉइज है जो बच्चों को गहरी नींद में सुलाने के लिए बहुत उपयोगी भी है। कमरे चल रहे पंखे की आवाज भी बच्चे को सोने में मदद करती है।
अपने बच्चे को यह सीखने में मदद करें कि वह सोते समय कैसे अपने आप को सूद कर सकता है। जब वह नींद से जागे तो उससे धीरे से प्यार से बात करें और उसे अचानक से न पकड़ें या उठाएं नहीं। आपका बच्चा धीरे-धीरे सीख जाएगा कि उसे खुद कैसे सोना है यहाँ तक कि यदि आप नहीं हैं तब भी।
हो सकता है बच्चा दिनभर में कई बार या बहुत ज्यादा सोता है इसलिए वह रात में नहीं सोता है। धीरे-धीरे उसके सोने के समय को बदलें और सुनिश्चित करें कि दिन में उसके सोने का समय ज्यादा देर तक न हो।
बच्चे के सोने के समय में उसका वातावरण बदलने से उसकी नींद पर प्रभाव डालता है। सोने का माहौल बनाने का प्रयास करें, जैसे पीछे पंखे का हल्का शोर रखें और पर्दा लगाकर थोड़ा सा अंधेरा कर दें। बच्चे को सुलाते समय उससे बहुत प्यार से बात करें और जितना संभव हो सके इन सभी चीजों का पालन करें। आपका बच्चा धीरे-धीरे इन चीजों का पहचाना शुरू कर देगा और सोने लगेगा।
यदि आवश्यकता हो तो टीवी बंद कर दें जिससे शोर कम होगा, लाइट बंद कर दें कोई लोरी हलकी आवाज में चला दें। बच्चों को ऐसा एम्बिएंस पसंद होता है।
यदि बच्चे को फ्लैट सतह पर जैसे क्रिब या मैट्रेस पर सोने में कठिनाई होती है तो आप उसके लिए एक क्रिब वेड्ज का उपयोग कर सकती हैं। यह मैट्रेस को एक सिरे से ऊपर उठाने में मदद कर सकती है और आप बच्चे को सुविधाजनक सुलाने के लिए क्रिब वेड्ज को उसके सोने के एंगल में एडजस्ट कर सकती हैं।
नहीं, हम आपसे बच्चे को उसी समय अकेला छोड़ने के लिए नहीं कह रहे हैं। आई कॉन्टैक्ट करने से बच्चे का दिमाग उत्तेजित होता है और वह अत्यधिक उत्साहित हो सकता है। यह बच्चे को सोने से डिस्टर्ब सकता है इसलिए थोड़ी देर के लिए अपने बच्चे को देखना बंद करें और बच्चे के सोने के बाद धीरे से कमरे से बाहर जाना बच्चे को सोने में मदद कर सकता है।
यदि बच्चा नींद के बीच में ही उठ जाता है तो उसे न पकड़ें। क्योंकि वह पूरी तरह से जाग सकता है, बच्चे को फिर से सोने के लिए थोड़ा समय दें।
नियमित रूप से बच्चे का डायपर बदलने से उसे कोज़ी महसूस होता है और वह टेंशन फ्री रहता है। बच्चे को रात का खाना खिलाने से पहले उसका डायपर बदलना सुनिश्चित करें क्योंकि खिलाने के बाद बच्चे का डायपर बदलने से उसे सोने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि नया डायपर पहनने के बाद थोड़ा उत्साहित हो जाता है। बच्चे के जागते ही उसका डायपर बदलें और यह स्वच्छ भी माना जाता है।
आप एक ही दिन में बच्चे की अनियमित दिनचर्या को नहीं बदल सकती हैं। यह इस तरह से कार्य नहीं करेगा, आपको अपने बच्चे को बहुत सारा प्यार और समय देने की जरूरत है और उन्हें सेफ व कम्फर्टेबल महसूस करवाने के लिए थोड़ा धैर्य भी रखें।
बच्चे को दिन में ज्यादा देर तक सोने न दें और सुनिश्चित करें कि वह जागने के बाद दोबारा सोने में समय ले। यह बच्चे को दिन में जगाकर रखने का एक तरीका है। खुद से एक सवाल करें – क्या आपका बच्चा नॉर्मली जागता है या किसी और चीज की वजह से जाग जाता है? एक बार जब आप यह पता कर लेंगी तो इसे ठीक होने के लिए समय देने के साथ-साथ जो कर सकती हैं वह करें। कहा जाता है कि बच्चे को नई आदत लगने में लगभग 2 सप्ताह लगते हैं और बेड टाइम रूटीन के लिए भी इतना ही समय लग सकता है।
यदि ऊपर दिए हुए तरीकों को आजमाने के बाद भी आपको लगता है कि कुछ गलत है तो तुरंत डॉक्टर से बच्चे की जांच करवाएं।
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