In this Article
- अपने बच्चे को ठोस आहार से कब से परिचित करवाएं
- आपका बच्चा ठोस आहार के लिए तैयार होने के संकेत
- बच्चे को पहले आहार से कैसे परिचित कराएं
- बच्चे को देने के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार की सूची
- यदि आपका बच्चा अपना पहला ठोस आहार लेने से इनकार करता है
- गले में खाना अटकने से रोकने के लिए सावधानियां
- बच्चे को कितना खाना देना पर्याप्त होगा
- ध्यान रखने योग्य बातें
- भोजन से होने वाली एलर्जी पर ध्यान रखें
जब आपका बच्चा थोड़ा बड़ा होने लगता है तो आप उसे ठोस आहार देने के बारे सोचने लगती हैं। स्वाभाविक है कि आप बच्चे को हमेशा स्तनपान तो नहीं करा सकतीं इसलिए उसे खिलाने के लिए तरह-तरह के खाद्य पदार्थों के बारे में आपको पता होना चाहिए। ठोस आहार की शुरुआत करते हुए अपने शिशु को किन खाद्य पदार्थों से परिचय कराना चाहिए इससे जुड़ी सभी जानकरी आपको इस लेख में मिल जाएगी।
अपने बच्चे को ठोस आहार से कब से परिचित करवाएं
ठोस खाद्य पदार्थों की शुरूआत करने का सही समय काफी हद तक आपके बच्चे के विकास की गति पर निर्भर करता है। हालांकि, जब बच्चे 4-6 महीने के होते हैं, तब उन्हें ठोस आहार देने का सही समय माना जाता है । बच्चे को ठोस आहार देने की जल्दी उनकी आंतों को नुकसान पहुँचा सकती है, क्योंकि अभी वो ठीक तरह से विकसित नहीं हुई होती हैं। यदि आप इसे देने में बहुत लंबे समय तक प्रतीक्षा करती हैं, तो हो सकता है कि आपका बच्चा ठोस आहार दिए जाने पर, इसे खाने से इंकार कर दे क्योंकि उसे स्तनपान करने की आदत लग चुकी होती है।
आपका बच्चा ठोस आहार के लिए तैयार होने के संकेत
अपने बच्चे का निरीक्षण करना अद्भुत होता है और ऐसा करते समय आप जरूर कुछ संकेतों को देखेंगी:
- जब वह बिना किसी की सहायता के खुद सीधा बैठ सकता हो, तब उसे ठोस आहार देना शुरू करें। यह बहुत जरूरी है कि जब बच्चे को ठोस आहार दिया जाए तो, वह बैठने की स्थिति में हो, वरना खाना उसके गले में अटक जाने की संभावना है।
- शिशु को ठोस आहार देने पर हो सकता है वह उसे बाहर थूंक दे या उगल दे, इसलिए शुरुआत में ठोस आहार को माँ के दूध के साथ मिलाकर दें । यदि आप देखती हैं कि आपका शिशु बिना भोजन उगले इसे ठीक से खा रहा है तो आप बच्चे को आराम से ठोस आहार दे सकती हैं।
- संभव है कि जब आप कुछ खा रही हों तो आपको खाते देख कर आपका बच्चा खाने में रूचि दिखाए। इसका मतलब है कि आपको कुछ खाते देख आपका बच्चा आपको टकटकी लगाकर देखने लगेगा या फिर अपना हाथ मारकर उसे छीनने का प्रयास करेगा और उसे खाने की इच्छा जताएगा।
- आप ये ध्यान दें कि आपके बच्चे के मोटर स्किल ठीक से काम रहे हैं या नहीं, वह खुद से अपने शरीर को पलट सकता है या नहीं।
- और ये भी ध्यान दें कि आपका शिशु ठोस भोजन के लिए अपना मुँह पर्याप्त रूप से खोल सकता है या नहीं।
बच्चे को पहले आहार से कैसे परिचित कराएं
- आप ठोस भोजन के साथ माँ का दूध मिलाकर बच्चे को खिला सकती हैं ताकि वह आसानी से ठोस आहार ले सके।
- शिशु ठोस भोजन की थोड़ी मात्रा दें और एक बार में एक चम्मच से अधिक न दें।
- एक बार जब वह आराम से खाने लग जाए तो आप दही और सेब जैसी चीजों को मिलाकर देना शुरू कर सकती हैं।
बच्चे को देने के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार की सूची
आसानी से पचने वाली चीजों से शुरुआत करना आपके बच्चे के पाचन तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसका पाचन तंत्र अभी भी विकास कर रहा है।बच्चों को खाना देने के लिए इन खाद्य पदार्थों को ध्यान में रखें:
१. सेब
बच्चे के खाने की शुरुआत करने के लिए सेब एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि बच्चों को इसका मीठा और खट्टा स्वाद पसंद आता है। भरपूर फाइबर और कम वसा वाला यह फल बच्चे के लिए एक स्वस्थ खाद्य पदार्थ है। जब आप शिशु को सेब दें तो ख्याल रखें कि इसे बिना छिलके के एक गाढ़े गूदे यानि प्यूरी के रूप में दें।
२. चुकन्दर
कई शिशु इसको काफी पसंद करते हैं, इसलिए सुनिश्चित कर लें कि चुकंदर को इतना उबाला गया हो कि वह उनके मुँह में आराम से घुल जाए। चुकंदर में उच्च मात्रा में पोषक तत्व होते हैं, क्योंकि यह फोलिक एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो मस्तिष्क के विकास में मदद करता है।
३. नाशपाती
नाशपाती आपके बच्चे के पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है। इसमें फास्फोरस और कैल्शियम की भी अच्छी मात्रा होती है जो हड्डी के निर्माण की प्रक्रिया में सहायता करते हैं। इन्हें बीज और छिलका निकाल कर बच्चे को प्यूरी के रूप में दें ।
४. मांस
मछली और चिकन आपके बच्चे को देने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि यह प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत है और साथ ही यह बच्चों में खून की कमी को दूर करता है। मछली देते वक्त उसके कांटों को अच्छी तरह से निकाल दें अन्यथा यह उसके गले को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
५. दही
7-8 माह की उम्र के शिशुओं को दही दिया जा सकता है। कई बाल रोग विशेषज्ञ इसकी नर्म प्रकृति के कारण इसे पहले भोजन के रूप में परिचित कराने की सलाह देते हैं। यह कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत होता है और आपके बच्चे के पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद करता है।
6. केला
इसका मीठा स्वाद और नरम प्रकृति इसे शिशु को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में सर्वप्रथम बनाते हैं। इसमें उपस्थित उच्च विटामिन ‘बी’ तत्व मस्तिष्क के संचालन को ठीक रखता है ।
7. शकरकंद
बच्चे को पहले आहार के लिए शकरकंद देना एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसका नरम मिठास वाला गूदा शिशुओं द्वारा पसंद किया जाता है। इसमें बीटा-कैरोटीन भी शामिल है जो उनकी दृष्टि में सुधार और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
यदि आपका बच्चा अपना पहला ठोस आहार लेने से इनकार करता है
बच्चे पर दबाव डालकर उसे कोई भी चीज खाने को न दें। आप अलग-अलग खाने की चीजें बच्चे को देकर उनकी पसंद का अंदाजा लगा सकती हैं।
गले में खाना अटकने से रोकने के लिए सावधानियां
- सुनिश्चित करें कि खाना खिलाते समय शिशु को सीधा बैठाएं ताकि भोजन गलत नली में जाकर अटकने का खतरा न रहे।
- मूंगफली देने से बचें क्योंकि यह श्वांस नली में फंस सकती है।
- सभी ठोस खाद्य पदार्थों को गूदे या प्यूरी के रूप में खिलाएं या उन्हें खिलाने से पहले अच्छी तरह से मसल लें।
- अंगूर, मटर और पॉपकॉर्न जैसी चीजों को बच्चों को देने से बचें, क्योंकि ये उनके गले में अटकने का खतरा रहता है।
- सुनिश्चित करें कि जब आप बच्चे को खाना खिला रहीं हो तो वह उस समय सतर्क और सक्रिय हो।
- आप शिशु को एक मजबूत आधार वाली ऊंची कुर्सी पर बिठाएं। यह बच्चे के गले में खाना अटकने की समस्या को कम करता है।
बच्चे को कितना खाना देना पर्याप्त होगा
एक बच्चा कितना खाएगा यह उसकी भूख और स्वभाव पर निर्भर करता है। यदि वह अपना सिर घुमा लेता है या रोना शुरू कर देता है, तो उसे और अधिक न खिलाएं।
ध्यान रखने योग्य बातें
- आम तौर पर खाने के साथ खेलना सही नहीं माना जाता, लेकिन जब आपको अपने बच्चे को खाना खिलाना होता है तो आपको ऐसा करना पड़ता है। शिशु जिज्ञासु होते हैं और वह बिना निरीक्षण किए कोई भी चीज नहीं खाते हैं।
- बच्चे को कटोरी और चम्मच का उपयोग करके माँ का दूध या बच्चों को दिए जाने वाला फार्मूला भोजन खिलाने की कोशिश करें। यह आपके शिशु को ठोस खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित करने में मदद करता है क्योंकि यह उन्हें बर्तनों का उपयोग करने से परिचित कराता है।
- बच्चे के किसी भी भोजन में चीनी और नमक डालने से बचें।क्योंकि नमक आपके बच्चे के गुर्दे को नुकसान पहुँचा सकता है। चीनी मधुमेह और मोटापे की संभावना को बढ़ाने के लिए जानी जाती है।
- शिशु अपने भोजन के तापमान के बारे में थोड़ा सख्त हो सकते हैं। इसलिए उन्हें भोजन देने से पहले आप इसे खुद चखकर या अपने हाथों का उपयोग करके यह जांच लें कि खाना बच्चे के अनुसार कितना गर्म या ठंडा है।
- एक बार जब बच्चे के दूध के दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं, तो उन्हें थोड़ा कुरकुरे या चबाने वाले खाद्य पदार्थ देना शुरू करें ताकि वे अपनी चबाने की क्षमता में सुधार कर सकें।
- कभी भी किसी नए ठोस खाद्य पदार्थ को उस भोजन के साथ ना मिलाएं जो आप अपने बच्चे को पहले से दे रही हों, क्योंकि अगर बच्चे को किस चीज से एलर्जी हुई तो उसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है। आप हर चौथे दिन उसे नए ठोस आहार से परिचित करा सकती हैं ।
- शिशुओं को गाय का दूध देने से बचना चाहिए क्योंकि उन्हें इसे पचाने में मुश्किल होती है और हो सकता है कि इससे उनकी दूध पीने के प्रति रूचि भी कम हो जाए।
- जब वे बीमार हों या बुरे मनोभाव में हों, तो उन्हें ठोस खाद्य पदार्थ देने से बचें क्योंकि वे इसे एक बुरे अनुभव से जोड़ सकते हैं।
- यदि आपका बच्चा बहुत सक्रिय है और बहुत घूमता है, तो आप उसे एक पट्टी की मदद से एक कुर्सी से हल्का सा बांध सकती हैं। हालांकि, अगर ऐसा करने से बच्चे को असहज महसूस होता है तो उसके साथ जबरदस्ती न करें, क्योंकि यह उसे परेशान कर सकता है और जिस कारण वह खाने में रुचि नहीं दिखाएगा।
- उसको शहद देने से बचें क्योंकि यह इन्फेंट बोटुलिज्म का कारण बन सकता है जो शिशुओं के लिए घातक हो सकता है।
भोजन से होने वाली एलर्जी पर ध्यान रखें
अपने बच्चे को ठोस आहार देने के लिए उन खाद्य पदार्थों को पहले देने से बचें जिनसे उसे एलर्जी होने का खतरा अधिक हो। जब शिशु थोड़ा बड़ा हो जाए, जैसे 8 माह तक का, तो थोड़ी मात्रा में अंडे, शेलफिश और मूंगफली आदि जैसी चीजों को उसके भोजन में शामिल करके एक बार दिया जा सकता है। यह जानने के लिए कि आपके बच्चे को किसी खाद्य पदार्थ से कोई एलर्जी तो नहीं हो रही है इसके लिए उसे सुबह खाना खिलाने के बाद एलर्जी के संकेतों की जांच करें।
शिशुओं में आदतें तेजी से विकसित होती हैं और उनके स्तनपान / फॉर्मूला दूध को एक चरणबद्ध तरीके से छुड़ाने की आवश्यकता होती है। शुरुआती कुछ सप्ताह मुश्किल साबित होते हैं क्योंकि शिशु प्रतिरोधी हो सकते हैं। हालांकि, थोड़े से धैर्य और निरंतरता के साथ आपका बच्चा कुछ ही समय में ठोस आहार खाने लगेगा।