बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं – डेवलपमेंटल माइलस्टोन

बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं - डेवलपमेंटल माइलस्टोन

पेरेंट्स को अक्सर अपने बच्चे का पहला शब्द सुनने का बेसब्री से इंतजार रहता है और इस समय वे गंदे डायपर, अनिद्रा और समस्याएं भूल कर सिर्फ उसे बोलना सिखाने पर ही ध्यान देते हैं। पर आपका बच्चा अपना पहला शब्द कब बोलेगा और आपसे बातें करना शुरू करेगा? 

बच्चों में बदलाव अपने समय से ही होते हैं और बड़बड़ाने पर ही उसका पहला शब्द निकलता है। यह चरण बहुत जरूरी है क्योंकि इस समय बच्चा कम्यूनिकेट करना और बोलना सीखता है। बड़बड़ाने की आवाज वास्तव में कहीं न कहीं प्रोडक्टिव होती है और आपको ‘माँ’ और ‘पापा’ सुनाई देना शुरू हो जाता है। 

बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं? 

पहले 6 महीने तक बच्चा सीधे आपसे रोकर कम्यूनिकेट करने की कोशिश करेगा। पर साढ़े चार महीनों में उसमें कुछ आवाजों व कुछ चीजों से संबंधित विकास होने लगेगा। बच्चा किसी जानवर की आवाज को समझकर उसे नकल करने की कोशिश करेगा। शुरुआत में बच्चा कुछ भी बड़बड़ाएगा पर धीरे-धीरे वह कुछ शब्द, जैसे ‘म’ या ‘ब’ बोलना शुरू कर देगा। इस दौरान वह अपना नाम पहचानने लगेगा या इस बात को समझने लगेगा कि आप उसे बुला रहे हैं। 

बच्चे साफ और पूरा कब बोलने लगते हैं?

6 से 7 महीनों में बच्चा कुछ आवाजों को शब्दों में बोलना सीख जाएगा, जैसे यह आवाज आपको बड़बड़ाने जैसी लगेगी पर इसमें भी समझ पाने की टोन होगी। इसका मतलब क्या है? बच्चा बड़बड़ाते हुए शब्दों का अर्थ और भावनाओं को व्यक्त करना शुरू कर देगा। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा अपने दिमाग से बहुत अच्छी तरह से विकसित हो रहा है और बच्चे के आस-पास आपके कुछ करने के साथ उसके न्यूरॉन्स बन रहे हैं। 

आप सोच रही होंगी कि बच्चा किस उम्र में बोलना शुरू करते हैं। सब चीजों की तरह ही जब बच्चा पूरी तरह से तैयार होता है लगभग 9 महीने की आयु में वह इशारों में आवाज निकालना शुरू कर देता है। जैसे;

‘किसी चीज को पाने के लिए इशारा करना।’ 

‘खाने से मना करना, होंठ दबाना, खाना गिराना। ‘

अगले महीने से बच्चा अलग-अलग आवाजों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना सीखेगा। यह 12वें महीने तक चलेगा जो हर बच्चे की ‘पहला शब्द बोलने’ की उम्र होती है और वह लगभग आवाजें निकालना शुरू कर देता व पहला शब्द बोलने का प्रयास करने लगता है। एक बार फिर कहेंगे कि यदि बच्चा नहीं बोलता है तो आप परेशान न हों। बच्चे का अपना समय लेना पूरी तरह से स्वभाविक है। बच्चे का पहला शब्द उसका माता-पिता से संबंधित ही होता है या फिर उसकी कोई पसंदीदा चीज का नाम होता है, जैसे कूकीज। बच्चे को पूरा वाक्य बोलने में थोड़ा समय लगेगा। 

यह बच्चे के लिए नया और उत्सुकता से भरा होगा और जब उसके पेरेंट्स को यह अच्छा लगेगा तो वह स्पष्ट बोलने की कोशिश क्यों नहीं करेगा? बच्चे का एक शब्द पूरे वाक्य का अर्थ बता देगा। इसलिए यदि बच्चे को कूकीज चाहिए होगी तो वह सिर्फ ‘कूकीज’ ही बोलेगा। टॉडलर की आयु के दौरान बच्चे में सिंटेक्स, व्याकरण और शिष्टता की समझ विकसित होगी। 19वें महीने के बाद बच्चा भाषा बोलना शुरू कर देगा। आखिर बच्चे को अब बोलने और कम्यूनिकेट करने की जरूरत है। 

बच्चे बोलना कैसे सीखते हैं?

बच्चा अपनी माँ की आवाज को लगातार सुनते हुए ही बोलना सीखता है। यह उसकी जीवन भर चलता है यदि आपको दो भाषाएं आती हैं तो बच्चे को भी दो भाषाओं का अनुभव एक समान ही होगा। 

आप और केयर गीवर्स ही बच्चे से सबसे पहले कम्यूनिकेट करते हैं। वह आपसे नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन सीखता है और पहले इसमें ही उसकी स्किल डेवलप होती है। बच्चा 6वें महीने में अपना पहला शब्द कहता है और 3 साल की उम्र तक वह अच्छी तरह से बोलना शुरू कर देता है। 

बोलने में बच्चे की मदद कैसे करें?

निम्नलिखित कुछ तरीकों से बच्चे को बोलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, आइए जानें;

1. उससे बातें करें 

बच्चे के लिए सिर्फ गाना गाने या बातें करने से ही वह बोलना नहीं सीखेगा। आप उसके कम्युनिकेशन का एक मात्र स्रोत हैं जिससे वह स्पष्ट बोलना सीखेगा। आप साफ और सरल बोलें। आसपास की चीजों और यहाँ तक कि खाने की ओर इशारा करते हुए बच्चे को बताएं। चिंता न करें यह आपको लगातार नहीं करना होगा। 

2. उसे कहानियां पढ़कर सुनाएं 

बच्चे से भावनाएं और अनुभव शेयर करने का यह एक बेहतरीन तरीका है। बच्चा इस कहानी को सुनने में इंट्रेस्ट भी लेगा इसलिए आप उसे रात को सोते समय यह सुनाएं। 

3. गाना गाएं 

माँ की आवाज को बच्चा बहुत जल्दी सुनता है व उसे यह आवाज अच्छी लगती है और एक माँ के दिल की बात हमेशा सही होती है। आपकी टोन भाषा को समझने में मदद करती है और आपकी आवाज सिर्फ बच्चे को मीठी ही नहीं लगती है बल्कि उसका मनोरंजन भी होता है। 

4. उसे दोहराने के लिए प्रेरित करें 

आप जो भी  कर रही हैं उसके बारे में बच्चे को बताएं और बिना दबाव डाले उसे दोहराने के लिए करें। आप इसे एक मनोरंजन की तरह करें और खेलते-खेलते बच्चे से कुछ शब्द तब तक बोलने के लिए कहें जब तक वह पूरा वाक्य बोलने का प्रयास न करने लगे। यदि आप बच्चे से कह रही हैं कि ‘लूसी अंडे खा रही है’ तो आप बच्चे के लिए कटोरे की तरफ इशारा करते हुए अंडे कहें ताकि वह इसका मतलब समझ सके। बच्चा इस वाक्य में बोले हुए शब्द, जैसे अंडे के स्वाद का अनुभव करेगा और वह भविष्य में खाने के लिए अंडे मांग सकता है। 

5. टीवी न देखने दें 

बच्चा प्राकृतिक रूप से आपकी बातों से ही सीखता है। टीवी से बच्चा कुछ नहीं सीख पाएगा और यह सिर्फ 2डी शोर है जिसमें उसका मनोरंजन हो सकता है। आप उसकी बातों को एन्जॉय करती हैं और उसे शब्दों को बोलने के लिए प्रेरित करती हैं जो एक एजुकेशनल प्रोग्राम नहीं कर सकता है। 

ध्यान देने योग्य कुछ बातें

यदि आप अपने बच्चे को बोलने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें;

  • आप उसके सामने बिलकुल भी शोर न करें। 
  • बच्चे को टीवी के सामने अकेला न छोड़ें। 
  • बच्चे को उसके स्तर से आगे जाने की जबरदस्ती न करें। 
  • यदि बच्चा बात नहीं करता है तो उसके सामने नाखुश और एंग्जायटी का रिएक्शन न दें। 
  • यदि बच्चा टॉकिंग माइलस्टोन को पूरा नहीं करता है तो परेशान न हों। 

यदि बच्चा नहीं बोलता है तो क्या करें?

यदि बच्चे ने अब तक बोलना शुरू नहीं किया है तो आप उसकी मदद के लिए निम्नलिखित आसान टिप्स का उपयोग कर सकती हैं, आइए जानें;

  • आप बच्चे के साथ खेलें और उसके हर शोर को एन्जॉय करें। आखिर हर बच्चा अपने केयर गिवर या पेरेंट्स को इम्प्रेस करना चाहता है और उनका स्नेह प्राप्त करना चाहता है। 
  • जैसे जैसे बच्चा टॉडलर के रूप में बढ़ेगा बड़े भाई बहन उसके सोशल और कॉग्निटिव विकास में काफी मदद कर सकते हैं। आपका बच्चा भी हर बच्चे की तरह खुद ही सीख जाएगा। 
  • धैर्य रखें। आप देखेंगी कि आपकी सिखाई हुई हर चीज अपने समय पर होगी और बच्चा जल्दी ही बोलने लगेगा। 

चिंता कब करें?

यदि बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो आप डॉक्टर से सलाह लें; 

  • यदि 14 महीनों तक बच्चा पहला शब्द भी नहीं बोलता है। 
  • यदि दूसरे साल में बच्चा 50 शब्दों को नहीं समझ पाता है या 10 शब्द भी नहीं बोल पाता है। 

इन चीजों से आप घबराएं नहीं पर इस पर ध्यान जरूर दें। कोई भी निर्णय लेने और इसे ऑटिज्म समझने से पहले बच्चे का हियरिंग टेस्ट, स्पीच इवैल्यूएशन और डेवलपमेंटल स्क्रीनिंग कराएं। 

आप एक गहरी सांस लें और बच्चे की इस नए सफर में उसका साथ दें। यह अभी शुरूआत है और प्राकृतिक रूप से आप इसे पूरा करने की क्षमता रखती हैं। ऊपर बताई हुई बातों और विशेषकर बच्चे के संकेत व अपने दिल की बात को फॉलो करें। बच्चे से बातें करने के लिए आपका उसके साथ रहना बहुत जरूरी है और फिर आप उसके डेवलपमेंट के अगले चरण को पूरा कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आप एक छोटे बच्चे के साथ हैं जो आपके साथ अपने पलों को शेयर करने के लिए अपना समय लेगा। 

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