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बच्चे को दूध पिलाना कई मामलों में बहुत मुश्किल काम हो जाता है। इसके अलावा, बच्चे को बोतल से दूध पिलाना ब्रेस्टफीडिंग से भी ज्यादा मुश्किल काम हो जाता है, जब बच्चे बोतल से दूध पीने से इनकार कर देते हैं। जब बच्चे बोतल से दूध पीने से इनकार करते हैं, रोते हैं या अपना सिर दूर कर लेते हैं, दूध निगलने के बजाय मुँह से बाहर कर देते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि कुछ गड़बड़ है। यहाँ आपको बताया गया है कि बोतल से दूध पिलाने के दौरान आपको किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और उसे कैसे डील करें।
बच्चे के बोतल से दूध न पीने के संकेत
ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चे बोतल से दूध पीने के लिए इनकार कर सकते हैं और यह काफी कॉमन है और बहुत ज्यादा परेशानी वाली बात नहीं है। यहाँ आपको कुछ ऐसे संकेत बताए गए जिससे आप पहचान सकती हैं कि आपका बच्चा बोतल से दूध पीने के लिए इनकार कर रहा है।
- बच्चे के मुँह में बोतल लगाते ही उसका रोने लगना।
- बोतल मुँह में लगाने से बचने के लिए लगातार अपने सिर को इधर उधर करना।
- फीडिंग के समय सो जाना।
- ज्यादातर दूध को निगलने के बजाय मुँह से बाहर कर देना।
- बोतल का निप्पल डालने पर मुँह न बंद करना।
- मुँह में निप्पल डालने के बाद इसे न चूसना।
- खांसी और दूध बाहर थूकना।
- दूध फेंक देना।
- थोड़ा दूध पीने के बाद इसे छोड़ देना।
- बहुत जल्दी या बहुत धीरे-धीरे फीडिंग करना।
- जितनी मात्रा में दूध पीना चाहिए बच्चा उतना दूध नहीं पीता है।
बोतल से दूध पिलाने के दौरान होने वाली समस्या और उनके समाधान
बच्चे के बोतल से दूध न पीने के कई कारण हो सकते हैं; अच्छी बात यह है कि इन कारणों में से ज्यादातर बिहेवरल नेचर का हिस्सा हैं जिसे आप बच्चे पर नजर रख के समझ सकती हैं। बच्चे के बोतल फीडिंग से जुड़ी कॉमन प्रॉब्लम और उसका हल आपको नीचे दिया गया है।
1. बच्चे की भूख को समझ न पाना
सबसे कॉमन और आसानी से ठीक की जाने वाली समस्या है और वो यह कि नई माँ अभी ठीक से समझ नहीं पाती है कि बच्चे को कब भूख लगी है। बच्चे का अपना अंगूठा चूसना हर बार भूख लगने का संकेत नहीं है यह और भी कई कारणों से हो सकता है। बच्चे कभी-कभी इसलिए भी चीजों को चूसते हैं क्योंकि, उन्हें एंग्जायटी, बोरियत या फिर थकान महसूस हो रही होती है, जिसे माँ अक्सर भूख समझने की गलती है। इस तरह जब आप बच्चे को फीड कराने का प्रयास करती हैं तो बच्चा दूध पीने से इनकार कर देता है और इसकी वजह बिलकुल साफ है कि उसे भूख नहीं लगी होती है।
क्या करें
यदि बच्चा दूध पीने से मना कर रहा है, तो उसे जबरदस्ती दूध न पिलाएं, आपको समझना होगा कि शायद बच्चे को भूख लगी ही नहीं है थोडा इंतजार ताकि बच्चा खुद भूख लगने के कुछ और संकेत आपको दे सके।
2. सही मात्रा में बच्चे को दूध न देना
दूसरी सबसे कॉमन और ठीक की जाने वाली समस्याओं में से एक यह है कि जब आप बच्चे को बोतल से दूध पिलाती हैं तो आपको अंदाजा नहीं लग पाता है कि कितने अमाउंट में दूध दें या बच्चे को कितने दूध की जरूरत है। कभी-कभी पैरेंट एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार बच्चे को दूध देते हैं या खुद अपने अंदाजे से बच्चे की जरूरत के हिसाब से उसे दूध देते हैं। कभी-कभी, प्रोफेशनल बच्चे की ग्रोथ और उसकी जरूरत को ठीक तरह से कैलकुलेट नहीं कर पाते हैं। जो भी कारण हो, अगर एक बच्चे का पेट भरा हुआ है और वो भूखा नहीं है तो फीड करने से इनकार कर सकता है।
क्या करें
आमतौर पर बच्चे का फीडिंग कैलकुलेशन हर बच्चे के हिसाब से अलग अलग होता है। कुछ बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में अधिक भोजन करते हैं और वहीं कुछ बच्चे बहुत कम भोजन करते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है, जब तक बच्चा अपने भूख लगने के संकेत आपको न दे तब तक थोडा इंतजार करें।
3. बच्चे का अपने आसपास की चीजों पर ज्यादा ध्यान जाना
इंसानों के नेचर में ही बहुत जिज्ञासा होती है और बच्चे के पैदा होने के 4 महीनों बाद यह जिज्ञासा बढ़ने लगती है। इस प्रकार जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है उसका ध्यान अपने आसपास की चीजों की ओर आकर्षित होने लगता है वह हर चीज को एक्स्प्लोर करना चाहता है, यह सब उसके लिए इतना नया होता है कि उसका ध्यान खाने पर कम जाता है। इस दौरान बच्चे खेलने, पालतू जानवर की नकल करने, और यहाँ तक कि म्यूजिक और टेलीविजन में अपना इंटरेस्ट दिखाते हैं, जिसका रिजल्ट यह निकलता है कि बच्चा अपने भोजन पर कम ध्यान देता है।
क्या करें
यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा बहुत ज्यादा डिस्ट्रक्टेड है, तो फीडिंग के दौरान ऐसी सभी चीजों को उनसे दूर कर दें, जैसे टेलीविजन, म्यूजिक आदि। बेहतर रहेगा कि आप एक शांत कमरे में बच्चे को ले जाकर फीडिंग कराएं, जहाँ कोई भी न हो।
4. थका हुआ बच्चा
अक्सर बच्चे थका हुआ होने के कारण दूध पीने से इनकार कर देते हैं। जो बच्चे अपनी नींद ठीक से पूरी नहीं कर पाते हैं वो जल्दी थक जाते हैं; जबकि यह सच है कि भूखे बच्चे को कम नींद आती है और वह कम सो सकता है, लेकिन यह भी सच है कि बच्चे नींद को पूरा करने के लिए फीडिंग को नजरंदाज कर देते हैं। वह चिड़ाचिड़ापन दिखाएगा, रोएगा और फीडिंग के दौरान सो जाएगा।
क्या करें
सोने और खिलाने के शेड्यूल को ठीक से जानने के लिए एक्सपर्ट की राय लें, या एक बैलेंस शेड्यूल बनाएं जिससे सोने और खाने का टाइम एक दूसरे से टकराए नहीं। इसके अलावा, खयाल रखें कि आपके बच्चे को पर्याप्त नींद मिले और कोशिश करें कि बच्चे थकने से पहले ही उसे फीड करा दें।
5. फीडिंग पैटर्न
हर इंसान की अपनी एक पर्सनालिटी होती उसका अपना एक बिहेवियर पैटर्न होता और खाने पीने की आदत होती हैं। यही सारी चीजें बच्चे में भी पाई जाती हैं, कुछ बच्चे एक बार में ही ज्यादा मात्रा में दूध पीते हैं, वहीं कुछ बच्चे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन भर फीडिंग करते हैं। अगर आपका बच्चा बार-बार बोतल से दूध पीने के लिए से मना कर रहा है, तो ध्यान दें कि उनके खाने का पैटर्न क्या है। लगातार बच्चे को दूध पिलाने से माँ पर एक्स्ट्रा स्ट्रेस पड़ सकता है। आपको बच्चे के पैटर्न के हिसाब से ही चलना चहिए, लेकिन यदि जरूरत हो, तो धीरे-धीरे बदलाव लाने की कोशिश करें।
क्या करें
एक बच्चे को लगभग चालीस मिनट में जरूरी भोजन खिलाने के लिए प्रोत्साहित करें। हालांकि, जबरदस्ती न करें। बच्चे को खिलाना रोक दें अगर वो नहीं खाना चाह रहा है। बच्चे को लगातार खिलाने के पैटर्न में आप एक फीडिंग से दूसरी फीडिंग के बीच थोडा ज्यादा गैप रखें। इसके लिए आप उसके साथ खेलें या उसे आउटिंग के लिए ले जाएं या नैप लेने दें, इस तरह आप उसके फीडिंग इंटरवल टाइम को धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं।
6. बोतल से दूध न पीना
कुछ बच्चों को दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन से एलर्जी होती है, जिसकी वजह से बच्चे दूध और फॉर्मूला मिल्क पीने से इनकार कर सकते हैं। ऐसे कई फैक्टर हैं जिनकी वजह से बच्चे बोतल से दूध पीने से इनकार कर सकते हैं, जैसे फिजिकल या ओरल प्रॉब्लम और रिफ्लक्स। अच्छी बात यह है कि यह ज्यादातर बिहेविरल इशू के कारण होता है बजाय फिजिकल प्रॉब्लम या मेडिकल प्रॉब्लम के।
क्या करें
फीडिंग एवर्जन बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड प्रॉब्लम हैं जिसका सीधा कोई हल नहीं मिलता है। अगर आपकी सारी कोशिश नाकाम हो जाए तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और इसका कारण जानना चाहिए।
7. रात में फीडिंग करना
नवजात शिशुओं को रात में भी कई बार फीडिंग कराने की जरूरत होती है। लेकिन जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तो उसे रात में फीड कराना बंद कर दें। अगर आप 6 महीने के बाद भी बच्चे को रात में फीड कराना जारी रखती हैं तो हो सकता है बच्चा फॉर्मूला दूध पीने से इनकार कर दे। इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है, बल्कि ऐसा इसलिए हो क्योंकि बच्चा सोने के लिए आपके दूध पिलाने पर निर्भर हो। रात के समय दूध पिलाने से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर चौबीस घंटे में बच्चे को कितनी मात्रा में भोजन की जरूरत होती है।
क्या करें
एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है, तो पैरेंट धीरे-धीरे बच्चे का रात में फीडिंग कराना बंद कर देते हैं, इससे बच्चा दिन के समय ज्यादा भोजन करता है।
8. सॉलिड फूड
बच्चे के 6 महीने का हो जाने के बाद उसे सॉलिड फूड देना शुरू कर दें। कुछ बच्चों को पहले ही सॉलिड फूड की जरूरत पड़ने लगती है। सॉलिड फूड में आमतौर पर ज्यादा कैलोरी और न्यूट्रिएंट होता है। जिसकी वजह से बच्चों की भूख में कमी आ जाती है।
क्या करें
6 महीने से कम उम्र वाले बच्चों को सॉलिड फूड देने से बचें। अगर आपने पहले ही उन्हें सॉलिड फूड देना शुरू कर दिया है तो उसकी मात्रा कम कर दें और अगर संभव हो तो उसे सॉलिड फूड देना बंद ही कर दें, जब तक बच्चा 6 महीने का न हो जाए।
9. ब्रेस्टफीडिंग से बोतल-फीडिंग शुरू करने में परेशानी होना
यदि आप बच्चे को तीन महीने से भी ज्यादा समय से ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो इस बात की काफी संभावना है कि आपका बच्चा बोतल से दूध पीने के लिए इनकार कर दे। फॉर्मूला और ब्रेस्टमिल्क का टेस्ट अलग होने के कारण भी बच्चे बोतल से दूध पीने के लिए इनकार कर सकते हैं।
क्या करें
बोतल में बच्चे को दूध देने का सबसे अच्छा तरीका है कि एक्सप्रेस्ड ब्रेस्टमिल्क को बोतल में डाल कर बच्चे को दें, तब यह प्रॉब्लम सॉल्व हो सकती है और यह ट्रांजिशन बच्चे के लिए आसान हो सकता है। अगर यह ट्रिक काम नहीं करती है, तो आपको यह सुझाव दिया जाता है कि आप डिफरेंट तरह के निप्पल का उपयोग करें।
10. पूरी तरह से पेंचदार बोतल
बच्चे को फीडिंग कराने के लिए जो बोतल इस्तेमाल की जाती है उसका प्रेशर न्यूट्रल होना चाहिए ताकि इसका फ्लो ठीक रहे। बोतल के ठीक से बंद न होने के कारण उसमें हवा चली जाती है जिससे बच्चे का निप्पल से दूध पीना मुश्किल हो जाता है। कुछ बच्चे दूध पीने की कोशिश करते हैं और थक कर सो जाते हैं वहीं कुछ बच्चे कोशिश करना छोड़ ही देते हैं। तो अगर बोतल में निप्पल ठीक से लगा होगा और बोतल टाइट बंद होगी तो इसमें एक्स्ट्रा हवा नहीं जाएगी।
क्या करें
बोतल को अच्छी तरह बंद करें।
क्या करें अगर आपके कोशिश करने के बाद भी बच्चा बोतल से दूध नहीं पीता है?
यदि ऊपर बताए गए तरीकों के बावजूद भी बच्चा बोतल से दूध भी नहीं पी रहा है, तो यहाँ बताए दिए कुछ अन्य तरीकों को भी आप आजमा सकती हैं।
1. एक शांत वातावरण बनाएं
कभी-कभी एक बच्चा अज्ञात कारणों से ही परेशान हो सकता है; बच्चे चीजों को महसूस कर सकते हैं और इस प्रकार वो अपने पैरेंट के स्ट्रेस को भी महसूस कर सकते हैं। अगर माँ शांत और रिलैक्स रहेगी, तो बच्चा ज्यादा बेहतर तरीके से बोतल से फीडिंग कर सकेगा।
2. बच्चे को थोड़ी भूख लगने दें
जिस बच्चे को भूख नहीं लगी होगी वो अपने तरीकों से खाना खाने से इनकार करेगा। तेज भूख लगे से बच्चे को ज्यादा परेशानी होती है, लेकिन हलकी भूख लगने से बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा। बच्चे के फीडिंग टाइम इंटरवल को थोडा बढाएं और बच्चे को थोड़ी ज्यादा भूख लगने दें।
3. किसी और को बोतल से फीड कराने के लिए दें
ब्रेस्टफीडिंग से बोतल फीडिंग के इस ट्रांजीशन के कारण बच्चा अपनी माँ के हाथों से बोतल से फीड नहीं करेगा। इसलिए पिता या परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह जिम्मेदारी दें ताकि बच्चा बोतल से दूध पीना शुरू कर सके।
4. बोतल से दूध पिलाने के लिए सही पोजीशन में होना जरूरी है
यदि बच्चा आरामदायक पोजीशन में नहीं होगा, तो वह बोतल से दूध पीने से मना कर सकता है। इसलिए बच्चे का सिर थोड़ा ऊपर रखते हुए उसके शरीर को स्ट्रेट रखें। बच्चे को आपकी बाहों में पकड़कर रखें और उसके पैरों को भी सपोर्ट दें।
यह बहुत निराशाजनक होता है जब पैरेंट बच्चे को बोतल से दूध पीने के लिए इनकार करते हुए देखते हैं, लेकिन इस समस्या का हल भी है, तो आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर कोई भी टिप्स काम नहीं आ रही हैं तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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