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स्तनपान एक प्राकृतिक क्रिया है, जो बच्चे के लिए अत्यंत आवश्यक।लेकिन इस क्रिया को सही ढंग से पूरा करने के लिए सही जानकारी होना बहुत जरूरी है और इस प्रक्रिया को सीखना माँ और बच्चे दोनों के लिए आवश्यक है । स्तनपान शिशुओं को बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में वृद्धि करता है। इसके अलावा यह माँ और बच्चे के बीच के संबंध को बेहतर करने में मदद करता है।
माँ का दूध निश्चित रूप से नवजात शिशु के लिए सबसे स्वास्थ्यप्रद भोजन होता है। यह आपके बच्चे को मिलने वाला सबसे अच्छा और सबसे सुरक्षित आहार है। शिशुओं को पहले 6 महीनों तक विशेष रूप से केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जाती जिसके पीछे के कारण निम्नलिखित हैं:
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद आपको स्तनपान कराना शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि शिशु को जन्म देने के बाद पहले घंटे में, जब आप बच्चे को पहली बार स्तनपान कराती हैं, तो उस समय आपके शरीर में जो दूध या कोलोस्ट्रम उत्पन्न होता है, वह पोषक तत्वों से भरपूर होता है।बच्चा पहली बार दूध पिलाए जाने पर स्वाभाविक रूप से दूध पीने में सक्षम होता है और इसलिए जन्म के बाद पहली बार स्तनपान का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह माँ और बच्चे के बीच बंधन को मजबूत करता है।जन्म के बाद जितना ज्यादा संभव हो, बच्चे को अपनी नजदीक रखें । जब बच्चों को स्तन के करीब लिटाया जाता है, तो वे स्तनाग्र (निप्पल) को चूसने, पकड़ने और खोजने जैसी क्रियाएं करते हैं। बच्चे को एक दो बार दूध पिलाए जाने के बाद वह खुद से दूध की मांग करना सीख जाएगा। सामान्य रूप से सक्रिय शिशुओं को लगभग प्रति घंटा दूध पिलाया जाना चाहिए, शाम को भी और रात में भी। एक बार जब बच्चे की भूख शांत हो जाएगी, तो वह कम रोएगा और अच्छी तरह से सोएगा भी ।
दूध पिलाना शुरू करने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि आप और बच्चा दोनों आरामदायक स्थिति में हों। आप बच्चे को दूध पिलाने के लिए सही मुद्रा में बैठें और इसके लिए आप अपनी नर्स या आपकी देखभाल करने वाली दाई की मदद ले सकती हैं, जो आपको बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका बताएंगी । दूध पिलाने की आरामदायक स्थिति वह होती है, जिसमें आप कुछ देर बैठ कर बच्चे को दूध पिला सकें।
स्तनपान कराने की कुछ सामान्य मुद्राएं नीचे दी गई हैं:
दूध पिलाते समय बच्चे पर नजर रखना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वह जितना संभव हो, एरोला टिश्यू (निप्पल के आस-पास के हिस्सा) को ज्यादा चूसें।
शिशु को अच्छे से स्तनपान कराने के बारे में जानकारी होना आपके इस कार्य को बहुत आसान कर देता है।
बच्चे को अपने करीब रखें, ताकि वह आपके स्तनों के सामने हो। उसके ऊपरी होंठ पर अपने निप्पल को स्पर्श कराएं और जैसे ही वह मुँह खोले, उसे स्तन को अपनी ओर खींचने दें। सुनिश्चित करें कि बच्चा एरोला के अधिकतम भाग को मुँह के भीतर ले।
एक बार दूध पिलाना शुरु करने के बाद, यह सुनिश्चित करें कि इस प्रक्रिया में आपको ज्यादा परेशानी तो नहीं हो रही है। अगर आपने बच्चे को ठीक से पकड़ा है, तो एरोला का अधिकतम हिस्सा बच्चे के मुँह में होगा और आपको बच्चे के दूध पीने का एहसास होगा।
यदि बच्चे की पकड़ से आपको अपने स्तन में दर्द महसूस होता है, तो बच्चे को थोड़ा अलग करके उसके मुँह और स्तन के बीच अंगुली डालकर दूध पिलाने की प्रक्रिया को जारी करें। एक बार आरामदायक और उचित स्थिति में आने के बाद, आप बच्चे को फिर से दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं।
आप अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप स्तनपान की विभिन्न मुद्राओं को आजमा सकती हैं। यहाँ दी गई मुद्राएं कुछ इस प्रकार हैं:
यह एक सामान्य स्थिति है, जो उन बच्चों के लिए आरामदायक है, जिनका गर्दन पर नियंत्रण अच्छा है।
आरामदायक स्तनपान, एक ऐसा प्रकार है, जिसमें माँ अधलेटी अवस्था में अपने बच्चे को स्तन के सामने धड़ पर लिटाती है। बच्चे को स्तनपान सीखने और स्तन पर पकड़ बनाने में कुछ समय लग सकता है।
इसे क्रॉसओवर होल्ड भी कहा जाता है, जिसमें माँ अपने एक हाथ से बच्चे को सहारा देती है।
यह उन मांओं के लिए उचित है, जिनका बच्चा सी-सेक्शन से हुआ है या जिनके स्तन बड़े होते हैं। समय से पहले पैदा हुए बच्चों को स्तनपान करने के लिए भी इस मुद्रा में दूध पिलाने की सलाह दी जाती है।
जुड़वां बच्चों की माँ उन्हें अलग-अलग या एक ही समय में स्तनपान करा सकती है, आप दोनों बच्चों को एक-एक स्तन पर पकड़ बनाने देने के लिए इस मुद्रा को अपना सकती हैं।
यह मुद्रा नवजात शिशु को दूध पिलाते समय माँ के लिए बहुत आरामदायक होती है। इसके लिए सही कौशल की आवश्यकता होती है, लेकिन एक बार इसको सीखने और अभ्यास करने के बाद, अधिकांश माएं इस मुद्रा में बच्चे को दूध पिलाना पसंद करती हैं। यह उन माताओं के लिए भी उपयुक्त है, जिनका सी-सेक्शन हुआ है।
विभिन्न अध्ययनों की मानें तो बच्चे को उसके शुरुआती छह महीनों तक बिना किसी पूरक भोजन, फलों के रस, डेयरी, या ठोस भोजन दिए केवल माँ का दूध ही देने की सलाह दी जाती है। बच्चे को कम से कम एक साल का होने तक स्तनपान कराना चाहिए ।
जन्म के बाद पहले स्तनपान में आमतौर पर दूध के बजाय कोलोस्ट्रम होता है, जो एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है, यह बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाने वाले एंटीबॉडी से भरपूर होता है। नियमित रूप से कुछ दिन स्तनपान कराने के बाद ठीक से दूध उत्पन्न होने लगता है। आपके लिए एक आम चिंता की बात यह हो सकती है कि आपके बच्चे को पर्याप्त रूप से आहार मिल रहा है या नहीं। यदि आप उसके मांगने पर दूध पिला रही हैं और अगर वह समय पर मल व मूत्र त्याग कर रहा है, जो पीला और अर्ध ठोस है, तो आश्वस्त रहें कि उसे अच्छी तरह से आहार मिल रहा है।
हालांकि, यदि शिशु में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए:
नवजात शिशु को स्तनपान कराने की कोई निश्चित समय सारणी नहीं होती, लेकिन आमतौर पर एक स्वस्थ शिशु दिन में आठ या उससे अधिक बार दूध पीता है। आपका बच्चा जब भी दूध की मांग करे तो उसे तुरंत दूध पिलाएं । बहुत अधिक दूध देना बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है और इससे बचना चाहिए।
भूख लगने के कारण बच्चे बेचैन होने लगते हैं, रोना शुरू कर देते हैं और अपनी अंगुली या अंगूठा चूसते हैं । वास्तव में ये एक नवजात शिशु को स्तनपान कराने के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं, जो आपको यह जानने में मदद कर सकते हैं कि आपके बच्चे को आहार की आवश्यकता कब है।
सी-सेक्शन प्रसव होने पर स्तनपान प्रभावित नहीं होना चाहिए। यद्यपि सिजेरियन (सर्जरी) के तनाव और दवाओं के प्रभाव से आपको स्तनपान कराने में बाधा आ सकती है, लेकिन यह सलाह दी जाती है कि आप जन्म के कुछ घंटों के बाद, लगभग छह से बारह घंटे के बाद से लगातार दूध पिलाना शुरू कर दें। एक बार स्तनपान शुरु करने के बाद, दूध निकलना आसान हो जाएगा और फिर दूध पिलाने में समस्या नहीं होनी चाहिए। आप अपने शिशु को सही स्थिति में लाने के लिए अपने साथी की मदद ले सकती हैं। आराम से दूध पिलाने के लिए आप बच्चे को गोद वाली मुद्रा में पकड़े इसके अलावा बताई गई अन्य मुद्राओं का भी प्रयोग कर सकती हैं ।
स्तनपान कराने वाली माँ को एक संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है, जिसमें शामिल हैं:
सभी परिस्थितियों में, स्तनपान कराने वाली माँ को धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए।
स्तनपान कराने के लिए विशेष रूप से बनी ब्रा खरीदने की सलाह दी जाती हैं, क्योंकि वे आपके स्तनों को अच्छी तरह से सहारा देती हैं। चूंकि इस तरह की ब्रा में जिप और हुक होते हैं, यह बार-बार स्तनपान कराने के लिए आरामदायक होती है। सुनिश्चित करें कि आप पूरी तरह से खुलने वाले फ्लैप के साथ उपयुक्त ब्रा का उपयोग करें। यदि स्तन अपर्याप्त रूप से उजागर होते हैं या पैड स्तन पर दबाव डाल रहे हैं, तो इससे मास्टाइटिस (स्तन के ऊतकों की सूजन) के कारण नलिकाएं अवरुद्ध हो सकती हैं।
हार्मोन ऑक्सीटोसिन प्रतिक्रिया के कारण आपके स्तनों से रिसाव हो सकता है। यात्रा के दौरान अपने आप को सूखा और आरामदायक रखने के लिए पुन: प्रयोग में लाए जा सकने वाले स्तन पैड ले जाएं। रात में पहनने वाली हल्की ब्रा भी आसानी से उपलब्ध होती हैं। जहाँ बच्चे को अलग से दूध निकालकर देने की आवश्यकता होती है, वहाँ एक ब्रेस्ट पंप खरीदना उचित होता है ।
स्तनपान निम्नलिखित परिस्थितियों में मुश्किल हो सकता है:
पहली बार माँ बनने वाली महिला के लिए स्तनपान कराना सीखना बहुत जरूरी है । धैर्य, अभ्यास और जागरूकता के साथ, बच्चे को बिना परेशानी के दूध पिलाया जा सकता है। एक बार जब आपको इसकी आदत हो जाएगी तो यह काम इतना मुश्किल नहीं लगेगा । स्तनपान बच्चे के बेहतर विकास में मदद करता है, इसलिए यह उसे जरूर मिलना चाहिए।
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