बच्चे को साइकिल सिखाने के आसान टिप्स

बच्चे को साइकिल सिखाने के आसान टिप्स

जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होने लगेगा, आप उसे जूते के फीते बांधने से लेकर घर के आसपास के कामों में मदद करने तक बहुत कुछ सिखाना शुरु कर देगीं। आमतौर पर माता-पिता को सबसे ज्यादा परेशानी यह समझने में होती है कि बच्चे को बाइक चलाना कैसे सिखाया जाए। इसके लिए क्या करना बेहतर है, बच्चे के पीछे दौड़ना, क्योंकि उसे संतुलन करना आता है या उसे साइकिल चलाने की ट्रेनिंग दी जाए? लेकिन ऐसी कई तकनीकें हैं जिनका उपयोग करके आप यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि वह अच्छी तरह से साइकिल या बाइक चलाना शुरु कर दे।

एक बच्चे को साइकिल सिखाने की सही उम्र क्या है? 

वैसे तो हर बच्चे के लिए सही उम्र अलग-अलग होती है। लेकिन साइकिल सीखने से जुड़ा एक इमोशनल साइड होता है। ऐसे में आप बच्चे को लगभग 4-6 साल की उम्र में साइकिल सिखा सकती हैं। यह वह उम्र होती है जब बच्चे नई चीजों को आजमाने के लिए अधिक उत्साहित होते हैं और असफलता या चोट लगने से नहीं डरते। वहीं अगर आप उन्हें कुछ साल बाद बाइक चलाना सिखाएंगी तो उन्हें इसे सीखने के दौरान गिर जाने का डर लगेगा।

बच्चे को बाइक या साइकिल सिखाने से पहले की तैयारियां 

यहां बताया गया है कि अपने बच्चे को बाइक चलाना सिखाने से पहले किन बातों का ध्यान रखें।

1. सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा भावनात्मक रूप से तैयार है

  • सभी बच्चे एक ही समय में एक नया स्किल सीखने के लिए तैयार नहीं होते हैं। हो सकता है कि आपके बच्चे के दोस्त साइकिल सीखने के लिए बहुत उत्साहित हों, लेकिन आपका बच्चा ऐसा करने में अभी भी झिझक सकता है।
  • बच्चे को अपना पर्याप्त समय लेने दें। उसे साइकिल चलाने के लिए मजबूर न करें और न ही डांटें, वर्ना इससे उसे इस गतिविधि से ही नफरत हो जाएगी। कभी-कभी, आपके बच्चे को भी साइकिल को संतुलित करने में सक्षम होने के लिए शारीरिक शक्ति की जरूरत होती है।

2. साइकिल का चयन और तैयारी

  • माता-पिता अक्सर ऐसी साइकिल लेने का विकल्प चुनते हैं जो भविष्य में भी कुछ वर्षों तक चल सके। लेकिन एक नई स्किल सीखने के लिए उपयोग की जाने वाली बड़ी साइकिल बच्चे के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है। 

साइकिल का चयन और तैयारी

  • बच्चे की उम्र के मुताबिक सही साइकिल का चुनाव करें, चाहे एक या दो साल बाद लें। जब वो साइकिल के बीच वाले डंडे के ऊपर हो तो उसके पैर जमीन को छूने चाहिए। बिना एक्स्ट्रा पहियों के साइकिल चलाने का प्रशिक्षण देना हमेशा बेहतर होता है क्योंकि इससे बच्चे को सवारी करने के बेसिक पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है, और वह साइकिल को सही ढंग से संतुलित करना सीख पाता है।

3. सुरक्षा उपकरण होने चाहिए

  • कई माता-पिता इस बात को नजरअंदाज करते हैं लेकिन साइकिल सीखते समय बच्चे के लिए सही हेलमेट और सुरक्षात्मक गियर होना बेहद जरूरी हैं। इस प्रक्रिया के दौरन बच्चा निश्चित रूप कई बार नीचे गिरेगा, जिससे उसे चोट आ सकती है। ऐसे में उसे गंभीर चोट लगने से बचाने के लिए सेफ्टी बरतना जरूरी है।
  • हेलमेट बच्चे के सिर पर अच्छी तरह से फिट होना चाहिए। आप कोहनी और घुटने के लिए गार्ड बैंड का उपयोग भी कर सकती हैं ताकि उन जगहों पर चोट लगने से बचाया जा सके। इस संबंध में साइकिलिंग ग्लव्स भी उपयोगी साबित होते हैं।

4. साइकिल सीखने के लिए सुरक्षित जगह का चुनाव

  • बच्चे को भीड़भाड़ वाली सड़क पर साइकिल चलाना न सिखाएं। इससे बार-बार वाहनों के गुजरने की वजह से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप पास के किसी लॉन या पार्क का विकल्प चुन सकती हैं, लेकिन यहां शुरू में पहियों के ठीक तरह से घूमने में परेशानी उत्पन्न हो सकती है। 
  • ऐसा रास्ता चुनें, जहां पैदल चलने वालों या वाहनों का आना-जाना बहुत कम हो। इसके अलावा दिन के समय में आपके घर के पास वाली पार्किंग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

बच्चों को साइकिल चलाना सिखाने के स्टेप्स 

बच्चे को बाइसिकिल चलाना सिखाते समय आप इन स्टेप्स का पालन कर सकती हैं।

1. संतुलन और हैंडल संभालना

  • साइकिल चलाने के लिए दो फैक्टर प्रमुख होते हैं बैलेंस और डायरेक्शन। साइकिल सिखाते समय सबसे पहले इन्हीं बातों पर फोकस होना चाहिए।
  • अब एक झुकी हुई ढलान की तलाश करें और साइकिल को उस पॉइंट से पुश करें जहां उसकी स्पीड बहुत तेज न हो। फिर, अपने बच्चे को धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने को कहें और पहियों को संतुलित करने के लिए कहें।
  • स्पीड को नियंत्रण में रखने के लिए आप साइकिल को पीछे से पकड़ सकती हैं और बच्चे को इसे संतुलित करने के लिए उसका ध्यान केंद्रित करने दें या वह गति को कम करने के लिए अपने पैरों धीरे-धीरे जमीन से छूते हुए अपनी स्पीड कम कर सकता है।
  • बच्चे को यह समझाना शुरू करें कि संतुलन सिर्फ सीट से नहीं बल्कि हैंडल को सही ढंग से चलाने से भी आता है। बच्चा इससे समझेगा कि इससे गति उसके नियंत्रण में है और अपने पैरों को जमीन से दूर रखना सीखेगा।

संतुलन और हैंडल संभालना

2. पैडल चलाना

  • एक बार जब पैर जमीन से हट जाते हैं, तो वो वापस पैडल पर पैर रखने के लिए सही स्थान ढूंढना शुरू कर देता है। आपके बच्चे के सीखने के लिए यह चीज अभी बिल्कुल नई होती है, इसलिए जब साइकिल मेन स्टैंड पर खड़ी हो या जब आप इसे पकड़े खड़ी हों, तो बच्चे से इसकी प्रैक्टिस करने के लिए कहें।
  • जब वह सहज हो जाए, तो उसे ढलान पर वापस लेकर आएं, फिर पैडल पर पैरों को रखकर साइकिल को नीचे आने दें। उसे याद दिलाएं कि वह डरे नहीं क्योंकि वह अपने पैरों को जमीन पर पहुंचाकर हमेशा साइकिल या बाइक को रोक सकता है।
  • आपका बच्चा समय के साथ पैडल को मैनेज करना सीख जाएगा,फिर वह धीरे-धीरे विपरीत दिशा में पैडलिंग करने की कोशिश भी कर सकता है, लेकिन इससे गति नहीं बढ़ेगी बल्कि उसके पैरों को हिलाते समय संतुलन बनाए रखना शुरू में एक चुनौती बन सकता है।
  • आमतौर पर जैसा सब करते हैं। आप ढलान से ऊपर की ओर बढ़ते हुए बच्चे को पूरा पैडल का उपयोग करने को कहें और उसे नीचे आने पर आधा पैडल का प्रयोग करने के बारे सलाह दे सकती हैं।

3. ब्रेक लगाना

  • आजकल लगभग सभी बाइक्स में कोस्टर ब्रेक लगे होते हैं। इन्हें पैरों से संचालित किया जाता है, इसलिए इन्हें फुट ऑपरेटेड ब्रेक भी कहा जाता है। आमतौर पर लोग जो करते हैं कि वह पहिए की आगे की गति को धीरे-धीरे पिछले पहिए पर स्थानांतरित करने पर होता है। यह दो पहियों के बीच घर्षण का कारण बनता है और पहियों को रोक देता है।
  • जब साइकिल मेन स्टैंड पर कड़ी होती है तो बच्चे को इसे आजमाने दें। जब यह हो जाए, तो इसे फिर से ढलान पर ले जाकर आजमाएं और देखें कि क्या अब वह कुछ कर पाता है।
  • अगला स्टेप यही है कि बच्चे को ब्रेक का उपयोग करना ठीक से आ जाए जो हैंडलबार पर मौजूद होता है। उसे जिन महत्वपूर्ण चीजों को सीखने की जरूरत है उनमें ब्रेक के साथ अपने डर को मैनेज करना शामिल है। आमतौर पर, बच्चे पूरी ताकत के साथ अपनी साइकिल के ब्रेक लगाते हैं, क्योंकि उन्हें स्टॉपिंग मैकेनिज्म की जानकारी नहीं होती है। जिससे यह साइकिल को तुरंत रोक देता है और गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को बदल देता है, और बच्चे के नीचे गिरने का कारण बनता है।
  • अपने बच्चे को बताएं कि लीवर को कितनी जोर से दबाया जाता है, इसके आधार पर ब्रेक की तीव्रता अलग-अलग होती है। उसे ऐसा करने की कोशिश करने दें। सबसे पहले उसे एक समतल सड़क पर साइकिल पर धीरे से पैडल मारने दें। जब वह ऐसा करना जान जाता है तब आप साइकिल को वापस ढलान पर ला सकती हैं और उसे वहां से पैदल मारने के की कोशिश करने को कह सकती हैं।
  • अंत में, जब बच्चा धीरे से ब्रेक लगा सकता है, और अपने पैरों को जमीन पर छुए बिना पैडलिंग फिर से शुरू कर सकता है, तो आपको पता चल जाएगा कि वह खुद साइकिल चलाने के लिए तैयार है।

आप अपने बच्चे के लिए एक टीचर रखने के बारे में सोच सकती हैं, जो बच्चों को साइकिल चलाना सिखाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है। क्योंकि जैसे-जैसे बच्चा साइकिल सीखना शुरू करता है, वह आप पर भी भरोसा करना सीखने लगता है। इससे उसे पता चलता है कि कितनी बार ही क्यों न हो, हम असफल हो गिरें तो हमें फिर से उठ कर जीवन में कोशिश करनी चाहिए। आपका निरंतर समर्थन और तारीफ उसकी उम्मीद को मजबूत करते हैं, जिससे उसके प्रयास लगातार जारी रहते हैं। जब उसे इस बात का अहसास हो जाता है कि आप उसके साथ हैं, तो वह अपने डर पर विजय प्राप्त कर लेता है और उनके अंदर आत्मविश्वास भी मजबूत होता है, जिससे वो जल्द ही साइकिल चलाना सीख जाता है।

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