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अगर आप एक छोटे बच्चे की माँ हैं, तो आप जिन चुनौतियों का सामना करती हैं, उनमें से एक सबसे बड़ी चुनौती होती है, बच्चे को खाना चबाना सिखाना। यह एक ऐसा काम है, जो हमारे लिए तो सामान्य लगता है, लेकिन जो बच्चे सॉलिड फूड खाना सीख रहे हैं, उनके लिए यह एक सामान्य नहीं होता। कई बार ऐसा भी हो सकता है, कि बच्चे को खाना खिलाने की कोशिश करते समय और उन पर खाना चबाने के लिए दबाव डालते समय आप अपना धैर्य खो सकती हैं। पर आप यह अच्छी तरह से जानती हैं, कि दबाव डालने (या गुस्सा दिखाने) से आपके बच्चे आपकी नहीं सुनेंगे। बच्चे खाने को चबाकर खाएं, इसके लिए आपको सही प्रयास करने पड़ेंगे।
साधारण शब्दों में, डाइजेस्टिव प्रक्रिया को स्टिमुलेट करने के लिए, मुँह में खाने को पीसकर या कुचलकर छोटे टुकड़ों में बदलने की प्रक्रिया को चबाना कहते हैं।
बच्चे अपनी उंगलियों और दूसरे खिलौनों का इस्तेमाल करके अपने मुँह के साथ एक्सपेरिमेंट की शुरुआत कर देते हैं। एक साल की उम्र तक पहुँचने तक, बच्चे चबाना शुरू कर देते हैं। इसी कारण से अधिकतर पेरेंट्स को इस दौरान बेबी को खाने की नई चीजों से परिचय करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि चबाने की उनकी एक्टिविटी को प्रोत्साहित किया जा सके। जीभ और जबड़ों का तालमेल और निगलना, खाने को अच्छी तरह से चबाने की प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा है।
चबाने की अधिकतर एक्टिविटी, जबड़े में स्थित दाढ़ के दाँतों द्वारा होती है। भले ही आपके बच्चे को डेढ़ साल की उम्र तक दाढ़ के दाँत नहीं आते हैं, लेकिन उनके मसूड़े इतने मजबूत होते हैं, कि चबाने का थोड़ा-बहुत काम उनसे किया जा सके। इसके बाद केवल चबाने की एक्टिविटी और टेक्निक को सीखना ही शेष रह जाता है।
शुरुआत में कोई भी बच्चा खाने को सही तरह से चबा नहीं पाता है। हर बच्चा अपनी गति से सीखता है और ज्यादातर बच्चे 2 से 3 साल की उम्र तक पहुँचने तक खाने को चबाना सीख जाते हैं। कभी-कभी कुछ बच्चों को इसमें कई समस्याएं भी आ सकती हैं, जो कि कुछ खास कारणों से हो सकता है।
कुछ बच्चों का मील प्लान कुछ ऐसा होता है, जिसमें एक जैसा खाना ही बार-बार दोहराया जाता है। कभी-कभी बच्चों को भी आसानी से चबाई जाने वाली खाने की चीजें ही पसंद आने लगती हैं। जिसके कारण वे अलग-अलग स्वाद और टेक्सचर वाले नए-नए तरह के खाने को आजमाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।
बच्चे के लगभग एक साल की उम्र तक पहुँचने तक, उसे अलग-अलग स्वाद और टेक्सचर का खाना खिलाने की सलाह दी जाती है। इस उम्र तक जो बच्चा पूरी तरह से ब्रेस्ट मिल्क पर निर्भर होता है, उसके लिए आगे चलकर खाने को चबाना एक मुश्किल काम हो सकता है।
चबाना एक ऐसा गुण है, जिसका विकास जीवन के काफी शुरुआत में ही हो जाना चाहिए। अगर आप केवल उसके बड़े होने के बाद ही उसे सॉलिड फूड देने की शुरुआत करती हैं, तो उसे ऐसे खाद्य पदार्थों को अपनाने में कठिनाई होगी और वह हर समय केवल दूध ही पीना चाहेगा।
जब बच्चा खाने को चबाना सीखता है, तो शुरुआत में उसे थोड़ी दिक्कतें आ सकती हैं और यह बिल्कुल सामान्य है। थोड़ी टिप्स के साथ आप इस प्रक्रिया को बच्चे के लिए आरामदायक और अपने लिए शांतिपूर्ण बना सकती हैं।
आप बच्चे को खाना चबाना सिखाने का प्रयास करें, इसके पहले वातावरण का शांत होना जरूरी है। अगर बच्चा अभी इसे सीखने के मूड में नहीं है, तो आपके लिए भी उसे सिखाना आसान नहीं होगा और इसके नतीजे के रूप में आप अपना धैर्य खो सकती हैं। आपका खुद का तनाव बच्चे की भूख को खत्म कर सकता है और वह खाना चबाने का प्रयास नहीं करता है। इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि बच्चे को खिलाने और चबाना सिखाने के दौरान आप शांति बनाए रखें और खाना खाने के समय को एक मजेदार एक्टिविटी बनाएं।
जहाँ बच्चे की न्यूट्रिशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे अलग-अलग तरह का खाना खिलाने की जरूरत है, वहीं आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए, कि आप उसे जो भी खिला रही हैं, वह उसे चबाने में सक्षम हो। अगर वह अंगूर या पॉपकॉर्न को चबा नहीं सकता है, तो इन्हें खिलाना ठीक नहीं है। इससे खाना उसके गले में अटक सकता है और उसे चोक हो सकता है।
बच्चों को खाना चबाना एक फिजूल चीज लगती है और इससे बचने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। अगर बच्चे का पेट भरा हुआ हो, तो वह कभी भी ऐसा कोई खाना नहीं छुएगा, जिसमें चबाने की जरूरत हो। इसलिए जब बच्चे को बहुत तेज भूख लगी हो, तब उसे चबाने वाले खाद्य पदार्थ खाने को दें। शुरू में वह इसके लिए मना करेगा, लेकिन तेज भूख लगी होने के कारण उसे खाने को चबाकर खाना ही पड़ेगा।
जो बच्चे खाने को चबाने से मना करते हैं, वे आमतौर पर चीजों को अपनी तरह से इस्तेमाल करना चाहते हैं। उनके इस गुण का इस्तेमाल आप अपने फायदे के लिए भी कर सकती हैं। उसके खाने का समय होने पर, एक बाउल में खाना डाल दें और उसे एक छोटा सा चम्मच दे दें। चम्मच का सही इस्तेमाल करने के लिए वह हर संभव प्रयास करेगा, चाहे इसमें खाने को चबाकर ही खाने की जरूरत क्यों न हो। अगर वह केवल कुछ ही निवाले खाकर छोड़ दे, तो भी परेशान न हों। अपने आप शुरू करने के लिए यह एक अच्छी शुरुआत है।
छोटे बच्चों के लिए फल जरूरी होते हैं। पर ज्यादातर बच्चों के लिए इन्हें चबाना मुश्किल होता है। कुछ बच्चे फलों का स्वाद लेने के लिए उन्हें चूस कर छोड़ देते हैं और वहीं कुछ बच्चे फल खाने से मना कर देते हैं। अगर आपका बच्चा फल नहीं खाना चाहता है, तो आप एक फ्रूट फीडर का इस्तेमाल कर सकती हैं। ये मेश बैग होते हैं, जो फलों के टुकड़ों को एक साथ रखते हैं। चूंकि ये एफडीए अप्रूव्ड होते हैं, इसलिए बच्चे फलों को चाटने और उनका स्वाद लेने के साथ-साथ, आराम से एक बाइट लेने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
आपका बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, वह एक ऐसे पड़ाव पर पहुँच जाता है, जब वह अलग-अलग तरह के स्वाद और टेक्सचर वाले खाने को खा सकता है और चबा सकता है। पर जब वह छोटा होता है, तो आपको उसका खास ध्यान रखना पड़ता है और धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी पड़ती है। आप अपने बेबी के लिए हेल्दी और टेस्टी फिंगर फूड बना सकती हैं, जिन्हें वह आसानी से चबा सके। कुछ ऐसा खाना तैयार करें, जिसे चबाना आसान हो और जल्दी ही मुँह में घुल जाए।
खाना चबाने के अलावा, खाना खाने के लिए हाथों का इस्तेमाल सीखने में भी बच्चों को समय लगता है। जब आप बच्चे को अलग-अलग टेक्सचर की चीजें खिलाएंगे, तो कई बार ऐसे मौके आएंगे, जब आपका बच्चा प्लेट से कोई फल नहीं उठा पाएगा या वह उसके हाथों से गिर जाएगा। ग्रैबर टॉय की मदद से वह इसे सीख सकता है। इससे उसके मोटर सेंसेज स्टिमुलेट होंगे और चबाने के लिए उसे कॉन्फिडेंस भी मिलेगा।
अगर बच्चा तेज गति से विकास कर रहा है, तो भी, जब तक वह चबाना अच्छी तरह से सीख नहीं जाता, तब तक चॉकलेट और सलाद जैसे कठोर खाद्य पदार्थों को उससे अलग रखना जरूरी है। इनसे मसूड़ों को नुकसान हो सकता है या फिर उन्हें बच्चे को उनके साथ अकेला छोड़ देने से खाना उसके गले में भी अटक सकता है।
बच्चे को खाना चबाना कैसे सिखाना है, जब आप एक बार यह जान जाते हैं, तो बच्चे को खाना खिलाने का समय कठिन नहीं रह जाता है और आपको पता भी नहीं चल पाता है, कि कब आपका बेबी आपकी प्लेट में से भी खाना उठाकर उसके मजे लेने लगा है।
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