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कभी-कभी बच्चों से संबंधित कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनका कारण समझना माता-पिता के लिए कठिन हो जाता है। बच्चों के पलकें अधिक झपकाने की समस्या जिसे ‘निमिष’ कहते हैं, उन समस्याओं में से एक है। बच्चों में अत्यधिक पलकें झपकाने की समस्या के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।
अत्यधिक पलकें झपकाना क्या है
साधारणतः पलकें झपकाने से आँखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और इससे आँखें तनाव-मुक्त भी रहती हैं। एक बच्चा प्रति मिनट लगभग 3 से 18 बार पलक झपकाता है। यदि बच्चा इससे ज्यादा बार पलकें झपकाता है तो यह आँखों में एक समस्या का संकेत भी हो सकता है। बच्चों के अत्यधिक पलकें झपकाने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे चेहरे पर खिंचाव और आँखों में अधिक सूखापन।
कारण
बच्चों के अत्यधिक पलकें झपकाने की समस्या के अनेक कारण हो सकते हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं;
- चेहरे पर खिंचाव – चेहरे पर बहुत ज्यादा खिंचाव के कारण मांसपेशियों में ऐंठन होती है जो आँखों के अंदर व आस-पास की मांसपेशियों को भी प्रभावित करती हैं। मांसपेशियों में इस प्रकार की ऐंठन होने से पलकें अत्यधिक झपकती हैं। बच्चों के चेहरे की मांसपेशियों में अत्यधिक क्रोध के कारण खिंचाव बढ़ सकता है जिससे उनकी आँखें भी प्रभावित हो सकती हैं। यदि यह समस्या मनोवैज्ञानिक है तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
- पास की नजर कमजोर होना – पास की नजर कमजोर होने से भी पलकें अत्यधिक झपकती हैं, यह इसका एक आम लक्षण है। यदि आपका बच्चा अत्यधिक पलकें झपकाता है तो उसकी आँखों की जांच करवाएं, हो सकता है उसकी पास की नजर कमजोर हो।
- एलर्जी – यदि आपके बच्चे की पलकें अत्यधिक झपकती हैं, उसकी आँखों में पानी आता है या आँखों के आसपास अत्यधिक स्राव होता है तो यह एलर्जी का संकेत भी हो सकता है।
- शुष्कता – आँखों में शुष्कता के कारण भी पलकें झपकने की समस्या अत्यधिक होती है। आँखों में सूखापन होने से पलकें अधिक झपकने के साथ-साथ आँखों में जलन या खुजली की समस्या भी हो सकती है। इस बात का खयाल रखें कि यदि उसे ऐसी कोई समस्या होती है तो वह अपनी आँखों को न रगड़े। बच्चे की आँखों की जलन को कम करने में मदद के लिए डॉक्टर आमतौर पर टीयर ड्रॉप्स या हाइड्रेटिंग आई ड्रॉप्स दे सकते हैं।
- तनाव – आँखों पर जोर पड़ने, कम रोशनी में पढ़ने, ज्यादा देर तक टीवी या मोबाइल स्क्रीन देखने से और नींद पूरी न होने से भी ऐसा होता है।
- ओ.सी.डी. – ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओ.सी.डी.) एक मानसिक बीमारी है है जो बच्चों को प्रभावित करती है लेकिन अक्सर इसका पता नहीं चल पाता है। यदि आपके बच्चे को यह समस्या है तो इससे चेहरे में बहुत ज्यादा खिंचाव पड़ सकता है और आपके बच्चे की पलकें अत्यधिक झपकने लगती हैं।
- ब्लेफेराइटिस – यह संक्रमण आँखों में बैक्टीरिया या डैंड्रफ के कारण होता है। बच्चों में यह बहुत ही आम है और अत्यधिक पलक झपकाने के कारणों में से एक है।
निदान
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने की समस्या को अक्सर नियमित रूप से शारीरिक परीक्षण के माध्यम से पहचाना जा सकता है। यदि आपके बच्चे में यह शक्ति के असंतुलन के कारण यह होता है तो आप तुरंत अपने बच्चे की आँखों की जांच करवाएं और यदि यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाने की आवश्यकता हो सकती है।
उपचार
बच्चों का अधिक पलकें झपकाना एक गंभीर समस्या भी हो सकती है इसलिए निदान के बाद नियमित रूप से इसका उपचार करना आवश्यक है। निदान के आधार पर, उपचार के विभिन्न विकल्प इस प्रकार हैं:
- हाइड्रेटिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी आई ड्रॉप
- चश्मा
- मनोवैज्ञानिक चिकित्सा
- एंटीहिस्टामाइन्स (Antihistamines)
बच्चों में अत्यधिक पलकें झपकाने की समस्या के अन्य उपचारों व पूर्ण जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों के अत्यधिक पलकें झपकाने को रोकने के तरीके
बच्चों में पलकों का अधिक झपकना, आँखों में समस्या का एक बड़ा कारण बन सकता है। इस समस्या को रोकने के लिए दवा लेना व उपाय करना एक अच्छा विकल्प है। बच्चों में पलकों के अधिक झपकने की समस्या को रोकने के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;
१. आँखों को सुरक्षित रखें
चश्मे का उपयोग आँखों को धूल, धूप और अन्य प्रकार के बैक्टीरिया से बचाता है जिससे बच्चों की आँखों में जलन की समस्या नहीं होती है।
२. आँखों में सूखापन न होने दें
ओमेगा 3 फैटी एसिड से परिपूर्ण आहार अश्रु ग्रंथियों को उत्तेजित करता है और आँखों की जलन को भी कम करने में मदद करता है जिससे आँखों में सूखेपन की समस्या नहीं होती है।
३. तनाव को दूर करें
अपने बच्चे को ध्यान, विश्राम के तरीके और योग सिखाकर अपने बच्चे के तनाव को दूर करने में उसकी मदद करें।
४. स्वस्थ आहार खाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में पोषण-युक्त आहार का सेवन करने, भरपूर पानी पीने और स्वस्थ जीवनशैली का महत्वपूर्ण योगदान होता है और यह अत्यधिक पलकें झपकने जैसी समस्याओं में भी मदद करता है।
५. आँखों को साफ रखें
अपने बच्चे को बार-बार अपनी आँखें धोने के लिए और साथ ही कैप्सूल या केले व स्ट्रॉबेरी जैसे खाद्य पदार्थों के रूप में बच्चे को विटामिन ‘ए’ व जिंक का सेवन करने को दें। यह निश्चित रूप से आपके बच्चे के अत्यधिक पलकें झपकाने की समस्या में मदद कर सकता है।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने से बचाव
बच्चों के लगातार पलकें झपकाने को रोकने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं;
- बच्चे के पढ़ते, टीवी देखते या कंप्यूटर पर काम करते समय कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें।
- यह ध्यान रखें कि आपका बच्चा 8-10 घंटे सोता है।
- बच्चे के टीवी, कंप्यूटर के सामने बैठने और मोबाइल देखने के भी समय को सीमित करें।
- बच्चे को नियमित व्यायाम करने में मदद करें।
- यदि आवश्यक हो तो अपने बच्चे को विटामिन के सप्लीमेंट्स दें।
अपने बच्चे की आँखों की अधिक देखभाल व उपचार के लिए आप डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
आपको कब चिंता करनी चाहिए
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों का अत्यधिक पलकें झपकना ऐसा रोग नहीं है जो घातक हो और जिसे रोका न जा सके। यदि आप अपने बच्चे में निम्नलिखित लक्षण देखती हैं, तो डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं:
- बच्चा बार-बार अपनी आँखें रगड़ता है या आँखों को मलता है।
- सुबह उठने के बाद बच्चे को आँखें खोलने में कठिनाई होती है।
- पास में रखी किताब या कुछ भी पढ़ने के लिए बच्चा आँखें भेंगी करके देखता है या आँखों पर अधिक जोर डालता है।
- यदि बच्चे की दोनों आँखें अक्सर लाल रहती हैं।
- आपका बच्चा नियमित रूप से प्रति मिनट 18 से अधिक बार पलकें झपकाता है।
- आपके बच्चे को बहुत जल्दी गुस्सा आता है।
- यदि बच्चा अपने कमरे में अव्यवस्थित चीजों को देखकर अत्यधिक चिड़चिड़ा होता हो तो यह समस्या ओ.सी.डी. को इंगित करती है, जिसमें उसे डर, गुस्सा और चिंता के मिश्रित विचार आते हैं और उसके मस्तिष्क की मांसपेशियों में तनाव उत्पन्न होता है।
आपके बच्चे में किसी भी समस्या से संबंधित संदेह होने पर तुरंत डॉक्टर से चर्चा करें। हर 3 से 4 महीनों के अंतराल में बच्चों की आँखों की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। यदि आपका बच्चा चश्मा पहनता है तो डॉक्टर की सलाह अनुसार हर 3 महीने में उसका चश्मा बदलें। यदि आपके बच्चे को अत्यधिक पलकें झपकाने की समस्या हो रही है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। बच्चे को यह समस्या कम हो या ज्यादा, आप उचित इलाज के लिए डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। बच्चे की इस समस्या का निदान और उपचार खुद से करने का प्रयास न करें, आपको बस उसमें हो रहे बदलावों पर नजर रखने की आवश्यकता है। डॉक्टर के किसी भी अपॉइंटमेंट को न भूलें। बच्चों का अत्यधिक पलकें झपकाना घातक समस्या नहीं है, नियमित रूप से इसकी दवा का सेवन और एलर्जी व बेचैनी जैसी समस्याओं के लिए डॉक्टर से सलाह लेने से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।