शिशु का निर्माण कैसे होता है – जानें मूल बातें

भ्रूण का निर्माण कैसे होता है - जानें मूल बातें

शिशुओं के निर्माण होने की जादुई यात्रा में दो महत्वपूर्ण चीजें होती हैं एक डिंब और एक शुक्राणु। एक डिंब मादा या महिला द्वारा प्रदान किया जाता है जबकि शुक्राणु, नर या पुरुष द्वारा प्रदान किया जाता है। किसी शिशु का जन्म (नवजीवन), एक चमत्कारिक घटना होती है, और इस प्रक्रिया का एकएक भाग अद्भुत है।

शिशु के निर्माण की प्रक्रिया की कुछ मूल बातें निम्नलिखित हैं।

महिलाओं में होने वाली डिंब विकास प्रक्रिया क्या होती है?

मातापिता बनना एक महत्वपूर्ण निर्णय है और यह सब एक डिंब से शुरू होता है। एक महिला के अंडाशय में सैकड़ों डिंब होते हैं जो, डिंबवाही नलिका के माध्यम से गर्भाशय में जाने की प्रतीक्षा में रहते हैं। प्रारंभ में, जब एक बच्ची का जन्म होता है, तो उसके अंडाशय में लाखों डिंब होते हैं, लेकिन बच्ची के वयस्क होने और यौन परिपक्व होने तक, ये डिंब घट कर कुछ सौ ही रह जाते हैं। एक महिला अपने माहवारी शुरू होने से लेकर रजोनिवृत्ति तक, अपने प्रजनन काल में लगभग 400 अंडे मुक्त करती है और रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) की आयु 45-55 वर्ष के बीच होती है।

अंडाशय में ही ये सभी डिंब उत्पादित होते हैं। अंडों के लिए यह अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है कि वे डिंबवाही नलिका के माध्यम से गर्भाशय में पहुँचे जहाँ निषेचन की प्रक्रिया हो सके। हर महीने महिला के अंडाशय से डिंबवाही नलिका के द्वारा गर्भाशय में एक या दो डिंब पहुँचते हैं। मासिक धर्म चक्र के 9वें और 28वें दिन के बीच में डिंब अंडाशय से निकलता है। डिंबवाही नलिका जो लगभग 4 इंच लंबी होती है, इस डिंब को गर्भाशय तक पहुँचाती हैं। इस पूरी प्रक्रिया को डिंबोत्सर्जन कहते हैं और इससे गर्भधारण की संभावना का मुख्य समय अनुमानित किया जा सकता है। डिंबोत्सर्जन के बाद डिंब का जीवनकाल केवल 24 घंटे का होता है। इस दौरान यदि डिंब एक शुक्राणु से मिलता है, तो नवजीवन निर्माण के लिए निषेचन हो सकता है। अन्यथा, डिंब गर्भाशय में मर जाता है और शरीर में वापस विघटित या अवशोषित हो जाता है।

पुरुषों में शुक्राणु बनने की प्रक्रिया क्या होती है?

महिलाओं की तरह, पुरुषों में भी जीवन का निर्माण करने के लिए शुक्राणु नामक एक महत्वपूर्ण भाग होता है। तथापि एक महिला के विपरीत, एक आदमी के शरीर में हर दिन तकरीबन लाखों शुक्राणु बनते हैं। अतः एक पुरुष का शरीर लगातार शुक्राणु पैदा करने की प्रक्रिया में इस एकमात्र इरादे से लगा रहता है कि उसे डिंब का निषेचन करना है। जबकि महिलाओं के अंडाशय में जन्म से ही डिंब मौजूद होते हैं जिनका वे अपने जीवनकाल में उपयोग करती हैं, पुरुष अपने जीवनकाल में ही शुक्राणुओं का उत्पादन करते हैं, और यह जन्म से ही तैयार नहीं होते । नई शुक्राणु कोशिकाओं को विकसित होने में 64-72 दिनों का समय लगता है।

एक आदमी के अंडकोष में शुक्राणु विकसित होते हैं, यह दोनों ग्रंथियाँ लिंग के नीचे अंडकोशिय थैली में स्थित होती हैं। तापमान के प्रति संवेदनशीलता के कारण अंडकोष आदमी के शरीर के बाहर लटके हुए होते हैं। स्वस्थ शुक्राणु का उत्पादन करने के लिए, उन्हें लगभग 94 डिग्री फारेनहाइट में रहना होगा। वीर्य स्खलन के लिए वीर्य के साथ मिलने से पहले अंडकोष में एपिडीडिमिस नामक स्थान में शुक्राणु जमा हो जाते हैं।

क्या कामोत्तेजना से शिशु के निर्माण में मदद मिल सकती है?

कई अध्ययनों से पता चला है कि एक महिला में कामोत्तेजना (चरम सुख) गर्भाधान में सहायक होता है। पुरुषों में, चरम सुख होने पर, शुक्राणु युक्त वीर्य बढ़ता है, जो उसे डिंब तक पहुँचने के लिए आवश्यक शुरुआत देता है। एक महिला को चरम सुख के दौरान होने वाला तरंगसमान संकुचन शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा में आगे खींचने में मदद करता है।

अक्सर जोड़े पूछते हैं कि क्या गर्भाधान करने की प्रक्रिया की कोई सबसे अच्छी स्थिति होती है। हालांकि, एक बच्चा पैदा करने के लिए, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों साथी अभिभावक होने की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हों और उनके बीच एक गहरा संबंध भी हो। ऐसी स्थितियाँ होती हैं जो लिंग को गहराई तक प्रवेश कराती हैं, लेकिन इसकी पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि यह मदद करता है कि बच्चे कैसे बनते हैं।

कौन सा शुक्राणु सबसे पहले डिंब तक पहुँचता है?

जब एक जोड़ा पूछता है की बच्चा कैसे होगा तो यह बताना कठिन होता है कि कौन सा शुक्राणु पहले डिंब तक पहुंचेगा? उम्मीद रखने के अतिरिक्त किसी बहुत सारी अपेक्षाएं नहीं हो सकती हैं। संभोग के बाद, महिला के पीठ के नीचे एक तकिया लगाकर उसके पृष्ठ भाग को उठाने से गुरुत्वाकर्षण को काम करने में मदद होती है और महिला को आरामदायक स्थिति मिलती है।

जब आप और आपका साथी आपस में प्रेम करते हैं और बातचीत करते हैं, तो महिला के शरीर के अंदर बड़ी चीजें हो रही होती हैं। जारी किए गए लाखों शुक्राणुओं को डिंब को खोजने की ओर एक कठिन यात्रा करनी होती है। यहाँ एक बाधा और है, योनि में अम्ल का स्तर शुक्राणुओं के लिए घातक हो सकता है। साथ ही प्रजननक्षम दिनों के अलावा गर्भाशय ग्रीवा का श्लेम भी खतरनाक हो सकता है। केवल सबसे मजबूत शुक्राणु इसमें सफल होता है। गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर गर्भाशय के माध्यम से हुई एक शुक्राणु की कुल यात्रा की दूरी लगभग 7 इंच होती है।

अंडा निषेचित कैसे होता है?

यदि डिंब दो डिम्बवाही नलिकाओं में से एक में नहीं है, तो निषेचन नहीं होता है। केवल कुछ दर्जन शुक्राणु डिंब तक पहुँचते हैं। बाकी फँस जाते हैं, गलत डिम्बवाही नलिका से नीचे गिरते हैं और मर जाते हैं। जो भाग्यशाली होते हैं, उन्हें अभी भी डिंब के बाहरी खोल में घुसना पड़ता है और दूसरों के पहले अंदर पहुँचना होता है। जो सबसे मजबूत हो वह इसमें सफल होगा और जीवन बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। जैसे ही एक शुक्राणु अंदर जाता है, अंडा तुरंत बदल जाता है, ताकि कोई अन्य शुक्राणु अंदर ना आ सके। यह एक सुरक्षात्मक परत बनाता है और शुक्राणु को अंदर बंद करता है। इस प्रक्रिया को निषेचन कहा जाता है। यह पूरी प्रक्रिया 3-4 दिनों तक चल सकती है, लेकिन निषेचन 24 घंटों के भीतर ही होता है।

निषेचन के बाद क्या होता है?

एक बार निषेचन होने के बाद, कोशिकाएँ तेजी से विभाजित होने लगती हैं। आप वास्तव में तब तक गर्भवती नहीं होती हैं, जब तक कि भ्रूण के रूप में जानी जाने वाली कोशिकाओं का गठरी डिम्बवाही नलिकाओं से वापस नहीं निकलता, और गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है।

हालांकि, अगर भ्रूण डिम्बवाही नलिकाओं या गर्भाशय के बाहर किसी भी क्षेत्र में खुद को प्रत्यारोपित करता है, तो यह एक अस्थानिक गर्भावस्था होती है। यह खतरनाक होती है और सही घटना नहीं होती है। डिम्बवाही नलिकाओं को फटने से बचाने के लिए इसे बढ़ने से रोकने हेतु दवा देनी या शस्त्रक्रियाकरनी पड़ती है।

निषेचित डिंब की यात्रा का अंतिम भाग 3-4 दिनों का होता है, लेकिन आपको कई हफ्ते लग जाएंगे जब आपको मासिक धर्म से गुजरना नहीं पड़ेगा और आप यह जान पाएंगी कि आप माँ बनने वाली हैं। यदि आपका मासिक धर्म चूक जाए या आप गर्भावस्था के किसी अन्य लक्षण को देखें, तो घर पर एक गर्भावस्था परीक्षण जरूरी है।

निषेचन के बाद क्या होता है?

बच्चे का लिंग क्या होगा ?

बच्चे का लिंग शुक्राणु और डिंब दोनों से निर्धारित होता है। प्रत्येक शुक्राणु और प्रत्येक डिंब में सेक्स गुणसूत्र (क्रोमोसोम) होते हैं। सेक्स गुणसूत्र दो प्रकार के होते हैं, XY और XX । डिंब में केवल XX गुणसूत्र होते हैं, जबकि शुक्राणु XY को वहन करता है। यदि यह X + X है, तो शिशु एक लड़की है, और यदि यह X + Y है, तो यह एक लड़का है। विभिन्न विशेषताएं, नैननक्श, हावभाव हम सभी को हमारे मातापिता से प्राप्त होने वाले परिणाम हैं। इसलिए आपके बच्चे को आप दोनों के व्यक्तित्वों का एक संयोजन मिलेगा, जो उन्हें अद्वितीय और अलग तरह का बना देगा।

बच्चा होने के बारे में सोचते समय मानसिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तैयारी महत्वपूर्ण है। यद्यपि जोड़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात एक सुंदर बंधन साझा करना और प्यार और करुणा के साथ एक बच्चे को इस दुनिया में लाना है।