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जब बच्चे चलना शुरू करते हैं, तब उनमें से कई पैर की उंगलियों पर चलने के आदी होते हैं। ज्यादातर बच्चों में बड़े होने के बाद यह आदत चली जाती है और 3 साल की उम्र के बाद यह पूरी तरह से खत्म हो जाती है। लेकिन अगर आपका बच्चा अब भी अपनी उंगलियों पर ही चल रहा है, तो आपको उसकी इस आदत के संदर्भ में डॉक्टर से परामर्श लेने की आवश्यकता हो सकती है।
जब बच्चे पैर की उंगलियों के टिप पर चलते हैं, तो उसे टो वॉकिंग कहा जाता है। जो बच्चे टो वॉकिंग करते हैं, वे चलने के दौरान अपनी एड़ियों को जमीन पर नहीं रखते हैं। यह एक ऐसी आदत है, जिसे बच्चे तब सीखते हैं जब वे फर्नीचर पकड़ पकड़ कर घर में घूमना शुरू करते हैं। दो-तीन साल की उम्र तक के बच्चों में इसे बिल्कुल सामान्य माना जाता है। लेकिन अगर इस उम्र के बाद भी यह आदत जारी रहे, तो इसका मतलब है कि आपके बच्चे को इसकी आदत हो चुकी है या उसे किसी तरह की समस्या है।
बच्चों में उंगलियों पर चलने की आदत को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है, क्योंकि यह 2 या 3 वर्ष की उम्र के बाद अपने आप चली जाती है। लेकिन अगर ऐसा न हो, तो यह किसी छिपी हुई समस्या और बीमारी से जुड़ा हो सकता है। बच्चों में अंगुलियों पर चलने की आदत होने के कुछ कारण नीचे बताए गए हैं:
जो बच्चे शॉट अकिलिस टेंडन से ग्रस्त होते हैं, उन्हें पूरी तरह से स्ट्रेच करने में कठिनाई होती है। इससे वे अपने पैर की उंगलियों पर चलने लगते हैं और अपने पैरों को फैलाकर खड़े नहीं हो पाते हैं।
कई प्रकार की सेरेब्रल पाल्सी को बच्चे को खड़े होने में और चलने में आने वाली कठिनाई से जोड़ा जाता है। स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी में पैरों की मांसपेशियां काफी सख्त हो जाती हैं, जिससे चलने में कठिनाई हो सकती है। कुछ प्रीमैच्योर बच्चों को ब्रेन हेमरेज होने से भी सेरेब्रल पाल्सी हो सकता है और चलने में परेशानी हो सकती है, जिसके कारण वे अंगुलियों पर चल सकते हैं।
कुछ मामलों में प्रीमैच्योर बच्चे नर्व डैमेज से ग्रस्त हो सकते हैं, जिसके कारण चलने में कठिनाई हो सकती है। इससे टो वॉकिंग और चलने में अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
कभी-कभी सेरेब्रल पाल्सी के कारण बच्चों में अकिलिस टेंडन काफी टाइट खींच सकता है, जिससे पैरों को समतल करके जमीन पर रखना कठिन हो सकता है और टो वॉकिंग आसान लगने लगता है।
ऑटिस्टिक बच्चे और विकास में देरी से ग्रस्त बच्चों में लंबे समय तक उंगलियों पर चलने की आदत के साथ, भाषा और सामाजिक विकास देर से होता हुआ देखा जा सकता है।
अगर आपके बच्चे में टो वॉकिंग किसी बीमारी का लक्षण नहीं है और एड़ी के जोड़ों में सामान्य मूवमेंट है, लेकिन वह उंगलियों पर चलना जारी रखता है, तो यह इडियोपेथिक टो वॉकिंग हो सकता है। इसका मतलब है कि इसके पीछे कोई खास कारण नहीं है और उंगलियों पर चलना उसकी आदत बन चुकी है।
जहां 3 साल तक की उम्र के बच्चों में टो वॉकिंग आम है, वहीं इडियोपेथिक टो वॉकिंग होने का खतरा उन बछ्कों में अधिक देखा जा सकता है, जिनके परिवार में ऐसी समस्या का इतिहास रहा हो।
लगातार उंगलियों पर चलने की आदत से बच्चे के जोड़ों और मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है और साथ ही बच्चे के गिरने और अटकने का खतरा बढ़ सकता है। बड़े होने पर उसकी उम्र के दूसरे बच्चे उसका मजाक उड़ा सकते हैं, जिससे बच्चे का आत्मविश्वास कम हो सकता है।
टो वॉकिंग की पहचान शारीरिक जांच से होती है, क्योंकि इसे आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर एक गेट एनालिसिस या ईएमजी (इलेक्ट्रोमायोग्राफी) कर सकते हैं। प्रभावित मांसपेशियों या नस में एक पतली सुई के साथ इलेक्ट्रोड को डाला जाता है और ईएमजी के दौरान इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापा जाता है। अगर टो वॉकिंग विकास में देरी, ऑटिज्म या सेरेब्रल पाल्सी का नतीजा होगा, तो इसके कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर एक न्यूरोलॉजिकल परीक्षण या डेवलपमेंटल इवैल्यूएशन रिकमेंड कर सकते हैं।
अगर आपका बच्चा 3 साल की उम्र के बाद भी पैर की उंगलियों पर चलता है, लेकिन इसके पीछे किसी तरह की बीमारी की जानकारी नहीं मिलती है, तो उसे इडियोपेथिक टो वॉकिंग की समस्या हो सकती है। इडियोपेथिक टो वॉकिंग से ग्रस्त बच्चे अपनी उंगलियों पर ही लगातार चलते हैं और चलते हुए अपने घुटने को सीधा और लॉक रखते हैं। आप यह भी देख सकते हैं, कि बच्चे अपने दोनों पैरों की उंगलियों पर चलते हैं और कभी-कभी दोनों तलवों को सीधा भी रखते हैं। बच्चों में इडियोपेथिक टो वॉकिंग, परिवार में दूसरे बच्चों के साथ टो वॉकिंग की हिस्ट्री के कारण भी हो सकती है।
अगर 3 साल की उम्र के बाद भी आपके बच्चे में अंगुलियों पर चलने की समस्या बनी रहती है और आपके लिए यह चिंता का कारण बन रही है, तो आप इसकी जांच करा सकते हैं, ताकि बच्चे में टो वॉकिंग के कारण का पता चल सके। सही इलाज और थेरेपी की मदद से जोड़ों और मांसपेशियों के नुकसान की संभावना से बचा जा सकता है। टो वॉकिंग के कारण के आधार पर डॉक्टर आपके बच्चे के लिए इलाज के निम्नलिखित विकल्पों की सलाह दे सकते हैं।
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और फिजिकल थेरेपी, शॉर्ट अकिलिस टेंडन से ग्रस्त बच्चों के इलाज में लाभकारी हो सकते हैं।
थेरेपिस्ट आपके बच्चे को एक एंकल फुट ऑर्थोसिस पहनने को कह सकते हैं। यह एक प्लास्टिक ब्रेस होती है, जो कि पैर को 90 डिग्री के एंगल पर पकड़े रखती है और पैर के पिछले हिस्से तक फैल सकती है। इस ब्रेस को पूरे दिन और पूरी रात पहना जा सकता है और एक्सरसाइज के दौरान या नहाने के दौरान इसे निकाला जा सकता है।
एक ऑर्थोपेडिस्ट टेंडन्स को स्ट्रेच होने के लिए फाइबर ग्लास या प्लास्टर कास्ट लगा सकते हैं और इससे आपके बच्चे को एड़ियों को एक बेहतर मूवमेंट मिल सकता है। इस कास्ट को हर दूसरे सप्ताह में बदला जाएगा, क्योंकि टेंडन फैलता है और टेंडन की लंबाई पर्याप्त हो जाने पर इसे बाहर निकाला जाएगा। इस कास्ट को जरूरत पड़ने पर निकाला नहीं जा सकता है।
अगर आपके बच्चे पर अन्य उपचारों का असर नहीं होता है, तो डॉक्टर टेंडन को स्ट्रेच करने के लिए सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
अगर आपके बच्चे में टो वॉकिंग की समस्या सेरेब्रल पाल्सी या ऑटिज्म जैसी बीमारियों के कारण है, तो आपके डॉक्टर डेवलपमेंटल इवैल्यूएशन करेंगे।
स्ट्रेचेस और एक्सरसाइज आपके बच्चे को टो वॉकिंग की आदत से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं, खासकर इडियोपेथिक टो वॉकिंग के मामलों में। स्ट्रेच करने से पिंडलियों की मांसपेशियां ढीली होती हैं और एड़ियों में गतिविधियों का विकास होता है। शॉर्ट अकिलिस टेंडन से ग्रस्त बच्चे भी इन नियमित एक्सरसाइज और स्ट्रेचेस का फायदा उठा सकते हैं।
इसमें बच्चे को घुटनों को सीधा रखते हुए पीठ के बल लेटना है। जब बच्चा इस पोजीशन में हो, तब उसके पैर को ऊपर की ओर मोड़ें ताकि उनका सिरा घुटनों की ओर हो। आपके बच्चे की सहनशक्ति के अनुसार जितना हो सके पैर को स्ट्रेच करें। दोनों पैरों में इसे दस बार दोहराएं।
किसी सख्त सतह पर बच्चे को पीठ के बल लेटने को कहें। आपको उसके घुटनों को मोड़ना है और सावधानी पूर्वक उनकी पैर की उंगलियों को घुटनों की ओर पॉइंट करना है। इस पोजीशन में 15 सेकंड या बच्चे को सहन होने तक रखें। इसे दस बार दोहराएं।
बच्चे को एक छोटी कुर्सी पर बिठाएं, ताकि उसके पैर जमीन को छुएं। अपने दोनों हाथों से उसके पैरों को घुटनों से ठीक नीचे पकड़ें और उन्हें जमीन की ओर फ्लैट दबाएं। इस दौरान बच्चे को खड़े होने के लिए प्रेरित करें। इस एक्सर्साइज के दौरान आप बच्चे को गाने जैसी विभिन्न एक्टिविटीज करने को कह सकते हैं। ताकि उसका ध्यान भटका रहे।
बच्चों की मांसपेशियां फ्लैक्सिबल नहीं होती हैं। स्ट्रेच करने से सख्त मांसपेशियां ढीली हो सकती हैं और उनकी एड़ियों में गतिविधियां बेहतर हो सकती हैं।
इससे आपके बच्चे के टेंडन लंबे होने में मदद मिलती है और जमीन पर पैर फैला कर चलने में मदद मिलती है। ऐसा करने से पहले हमेशा सही वजन चुनें और अपने थेरेपिस्ट से परामर्श लें।
सही एंकल सपोर्ट के साथ सही जूते पहनने से टो वॉकिंग से बचा जा सकता है। घर में आप अपने बच्चे को जूते पहनने के लिए प्रोत्साहन दे सकते हैं, ताकि वे अपने पैरों पर चल सकें।
अपने बच्चे को घास, रेत और चावल के ट्रे आदि जैसी अलग-अलग सतहों पर नंगे पांव चलने का मौका दें। इससे बच्चे को यह समझ आएगा, कि जमीन पर अपने पूरे तलवे दबाकर चलने में कैसा महसूस होता है।
अगर आप अपने बच्चे में टो वॉकिंग की समस्या देखते हैं, तो बेहतर होगा कि उचित जांच के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। देखें कि क्या आप उसमें निम्नलिखित लक्षणों को नोटिस करते हैं:
बच्चों में उंगलियों पर चलने की आदत बहुत आम होती है और अधिकतर मामलों में इसमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर बच्चे के बड़े होने के बाद भी यह आदत बानी रहती है, तो किसी गंभीर समस्या का पता लगाने के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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