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बच्चों के दांत टूटे होना या दांत का थोड़ा हिस्सा टूटना होना आम बात है। लेकिन माता-पिता के रूप में, यह सीखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों के दांत क्यों टूटते हैं, उन्हें कैसे ठीक करें और उन्हें मजबूत और स्वस्थ कैसे रखें।बच्चे के खेलते समय उस पर नजर रखकर, माउथगार्ड इस्तेमाल करके, साफ-सफाई से दांतों के सड़ने की संभावना को कम करके दांतों को टूटने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा अगर चोट लगने के बाद उचित देखभाल की जाए तो टूटे हुए दांतों को डेंटिस्ट द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है।
टूटा हुआ दांत कई अलग-अलग तरीकों का नजर आता है। सबसे पहले, अगर दांत में लंबी दरार (स्प्लिट टूथ) आ जाए, तो यह दरार जड़ से शुरू होकर मसूड़े तक पहुंच सकती है। गंभीर मामलों में दांत दो हिस्सों में भी बंट जाता है। इसके अलावा, कई बार दांत के किनारों (कस्प फ्रैक्चर) में, खासकर जहां फिलिंग होती है, दरारें पड़ जाती हैं। यह सिर्फ ऊपरी सतह (इनेमल) को नुकसान पहुंचाती है, इसलिए ज्यादा दर्द नहीं होता क्योंकि दरार दांत के अंदरूनी हिस्से (पल्प) तक नहीं जाती।
क्रेज लाइन दांत की ऊपरी सतह पर बहुत छोटी-छोटी दरारें होती हैं। ये सिर्फ दांत की बाहरी परत पर होती हैं और इनमें कोई दर्द नहीं होता। इसलिए आमतौर पर इनका इलाज करने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं रूट फ्रैक्चर (जड़ में दरार) की समस्या तब होती है जब दरार दांत की जड़ तक पहुंचने लगती है। ज्यादातर मामलों में इससे कोई दर्द महसूस नहीं होता, लेकिन कभी-कभी दांत निकालना पड़ सकता है अगर दरार बहुत गहरी हो जाती है।
बच्चों को अलग-अलग चीजों के साथ खेलना और नई जगहों को टटोलना बहुत पसंद होता है। लेकिन उनकी यही उत्सुकता कभी-कभी उन्हें परेशानी में डाल देती है। खेलते समय गिरने से उन्हें छोटी-मोटी चोटें लग जाती हैं और अगर वे मुंह के बल गिरते हैं, तो उनके दांत टूट सकते हैं। आइए जानें और कौन-कौन से कारण हैं जिनसे बच्चों के दांत टूट सकते हैं।
जो बच्चे दो साल से छोटे होते हैं, उनके मोटर स्किल्स (चलने-फिरने की क्षमता) अभी विकसित हो रही होते हैं। चलने और इधर-उधर घूमने की कोशिश में वे अक्सर गिर जाते हैं, जिससे उनके दूध के दांत टूट सकते हैं।
फुटबॉल, बॉक्सिंग, हॉकी, रेसलिंग, बास्केटबॉल, स्केटबोर्डिंग जैसे खेलों में चोट लगने का खतरा रहता है। इन खेलों में खिलाड़ी एक-दूसरे से टकरा सकते हैं, जिससे दांत टूटने जैसी चोटें लग सकती हैं।
अगर किसी बच्चे के आगे के दांत बाहर की तरफ निकले हुए हैं या उनके जबड़े में गड़बड़ी है (जैसे क्लास सेकंड के मलोक्लूजन), तो ऐसे में दांतों के टूटने का खतरा ज्यादा होता है।
बच्चों का पार्क में खेलते वक्त, चढ़ाई करते समय या दौड़ते वक्त गिरना, अक्सर दांत टूटने की वजह बन जाता है।
जो बच्चे ज्यादा सक्रिय और उछल-कूद करते हैं, उनके दांत टूटने की संभावना ज्यादा होती है, जबकि जो बच्चे शांत या घर में रहना पसंद करते हैं, उनमें ऐसा कम होता है।
थोड़े बड़े बच्चे जल्दबाजी में फैसले लेते हैं और रोमांच की तलाश में रहते हैं। इस उम्र में मोटर दुर्घटनाएं, शारीरिक झगड़ों आदि के कारण दांतों में चोट लग सकती है।
कुछ न्यूरोमोटर समस्याएं जैसे सेरेब्रल पाल्सी या मिर्गी की वजह से गिरने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे दांत टूट सकते हैं। यदि आपके बच्चे को ये स्वास्थ्य समस्या है, तो उसके दांत भी टूट सकते हैं।
अगर आपका बच्चा गिर जाए और उसका आगे का दांत टूट जाए, तो सबसे पहले सबकुछ भूलकर अपने बच्चे को शांत करें। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके लिए कई तरह के इलाज मौजूद हैं। इस समस्या को मेडिकल से लेकर घरेलू उपायों से सही किया जा सकता है।
बच्चे के आधे टूटे हुए दांतों का चिकित्सा उपचार करने के तरीकों को नीचे बताया गया है।
अगर बच्चे का दांत टूट जाए, तो आप ये कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं:
आप अपने बच्चे को लगने वाली हर चोट से नहीं बचा सकते, लेकिन कुछ उपायों से आप उन्हें होने वाली बड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं।
बच्चों के दांत टूटने का सबसे आम कारण है उन पर सही से ध्यान न देना। छोटे बच्चों पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत होती है, खासकर जब वे खेलते या दौड़ते हैं। अगर बच्चों को सुरक्षित माहौल में खेलने दिया जाए, तो हादसों से बचा जा सकता है।
खेलों से जुड़ी दांतों की चोट से बचने के लिए सुरक्षा उपकरण जरूरी हैं। जैसे, फुटबॉल, मार्शल आर्ट्स या बॉक्सिंग जैसे संपर्क खेलों में मुंह की सुरक्षा के लिए माउथगार्ड का इस्तेमाल करना चाहिए। ये प्लास्टिक के स्प्लिंट होते हैं जो दांतों पर फिट हो जाते हैं और उन्हें बाहर से सुरक्षा देते हैं।
घर को बच्चों के अनुकूल बनाएं, खासकर जब वे चलना या खेलना सीख रहे हों। इसके लिए कोनों पर गार्ड लगाएं ताकि बच्चे को टकराकर चोट न लगे, सीढ़ियों पर गेट लगाएं ताकि वे गिर न जाएं और फर्श पर कारपेट बिछाएं ताकि अगर गिरें तो चोट कम लगे। साथ ही खिड़कियों और दरवाजों पर भी गार्ड लगाएं ताकि कोई बड़ा हादसा न हो।
आपको बच्चे को डेंटिस्ट के पास ले जाने की जरूरत हो सकती है अगर:
हां, बच्चों के दूध के दांत टूटना सामान्य है। दूध के दांत स्थाई दांतों की तरह मजबूत नहीं होते और उनके टूटने की संभावना अधिक होती है।
बच्चे जैसे ही खेल गतिविधियों में भाग लेना शुरू करते हैं, जिसमें मुंह में चोट लगने का जोखिम होता है, उन्हें दांतों की सुरक्षा के लिए माउथगार्ड पहनना शुरू कर देना चाहिए। माउथगार्ड विभिन्न आकार और प्रकार में उपलब्ध होता है, जिनमें सबसे अच्छे फिट और सुरक्षा प्रदान करने वाले कस्टम-मेड माउथगार्ड भी शामिल हैं।
हां, बच्चों के टूटे हुए दांत बाद में भी दांतों की समस्या का कारण बन सकते हैं, अगर उनका इलाज न किया जाए। संक्रमण, सड़न और आसपास के दांतों का संरेखण ठीक से न होना जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इन समस्याओं को रोकने और मौखिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए टूटे हुए दांतों का तुरंत इलाज करना जरूरी है।
यह सलाह दी जाती है कि बच्चे को नियमित जांच और सफाई के लिए हर छह महीने में दंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। इससे नियमित रूप से दंत चिकित्सक बच्चे के दांतों के विकास की निगरानी करने, संभावित समस्याओं की जल्द पहचान करने और जरूरी मौखिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए बेहतर उपचार और सुझाव दे सकते हैं।
अगर आप इस लेख में बताए गए सुझावों का सही तरीके से पालन करते हैं, तो आपको बच्चे के टूटे हुए दांत को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। इसके बजाय, आप इस मौके को बच्चे को सुरक्षा और जिम्मेदारी की अहमियत समझाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इससे न केवल उनकी सेहत का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि वे भविष्य में और भी सतर्क रहना सीखेंगे। इस तरह, दांत टूटने जैसी घटनाओं से बचने के साथ-साथ बच्चे में समझदारी और खुद की देखभाल की आदतें भी विकसित की जा सकती हैं।
References/Resources:
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