बच्चों को कहानियां सुनना बहुत पसंद होता है, खासकर वो कहानियां जो मजेदार होती हैं और कुछ सीख देती हैं! हम में से ज्यादातर लोग राजा अकबर और उनके खास नवरत्न, बीरबल की कई प्रसिद्ध कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं, जो अपनी बुद्धिमत्ता, चतुराई और हाजिर–जवाबी के लिए जाने जाते है। उनकी कहानियां न केवल सुनने में मजेदार है बल्कि हमें उनसे शिक्षा भी मिलती है। यदि आप अपने बच्चे को खेल–खेल में कहानी के माध्यम से उन्हें अच्छी बातें और अच्छे संस्कारों को सिखाना चाहती हैं, तो आप उन्हें अकबर–बीरबल की कुछ कहानियां सुना सकती हैं।
यहाँ अकबर और बीरबल की कुछ फेमस और मजेदार कहानियां दी गई हैं जिसे बच्चों को सुनकर बहुत मजा आएगा:
एक दिन अच्छी धूप में अकबर और बीरबल महल के बगीचे में आराम से टहल रहे थे। बीरबल की बुद्धिमानी का परीक्षा लेने के लिए अकबर ने सोचा क्यों न बीरबल से कोई मुश्किल सवाल पूछा जाए। बादशाह ने बीरबल से पूछा, “हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं?” बीरबल, राजा के सवाल के पीछे छिपे मजाक को समझ चुके थे और कुछ ही मिनटों में बीरबल ने जवाब देते हुए कहा, “महाराज! हमारे यहाँ अस्सी हजार नौ सौ इकहत्तर कौवे हैं।” जवाब सुनकर राजा अकबर हैरान और आश्चर्यचकित रह गए, और फिर उन्होंने पूछा “अगर इससे ज्यादा हुए तो?” बीरबल ने जवाब दिया “तब हो सकता है वे दूसरे राज्यों से आए होंगे।” राजा अकबर ने पूछा “अगर कम हुए तो?” बीरबल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया “वे दूसरे राज्यों में चले गए होंगे!” यह सुनकर अकबर, बीरबल की मजाकियापन, चतुराई और वाक्पटुता पर खुश हुए।
शांति से सोचने से, जीवन में हर चीज का समाधान मिल सकता है।
एक बार सर्दी के दिनों में, अकबर और बीरबल एक तालाब के किनारे टहल रहे थे। अकबर रुके और तालाब के ठंडे पानी में अपनी अंगुली डालकर तुरंत निकालते हुए कहें, “मुझे नहीं लगता कि इस ठंडे पानी में कोई एक रात भी इसमें रह सकता है“। बीरबल ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और कहा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को खोजकर लाएंगे जो यह कर सकता है। अकबर ने कहा यदि कोई झील के इस ठंडे पानी में एक रात बिता पाएगा तो मैं उसे 1000 सोने के सिक्के इनाम के तौर पर दूंगा। जल्द ही, बीरबल को एक ऐसा गरीब आदमी मिला जो 1000 सोने के सिक्कों के लिए इस चुनौती के लिए तैयार हो गया। वह गरीब आदमी पूरी रात उस ठंडे पानी में खड़ा रहा और दो शाही रक्षकों ने वहाँ पहरा दिया गया। सुबह इनाम के लिए उस आदमी को दरबार ले जाया गया। राजा ने उस आदमी से पूछा कि वो इस बर्फीले पानी में रातभर कैसे खड़ा रहा, तो उसने जवाब दिया, “महाराज! मैंने कुछ दूर पर एक दीपक रख दिया था और मैं पूरी रात उसे देखता रहा।” यह जानने पर, बादशाह ने कहा, “यह आदमी इनाम के योग्य नहीं है क्योंकि वह जलते हुए दिए से गर्माहट ले रहा था” वह गरीब आदमी निराश हो गया और बीरबल के पास मदद के लिए पहुँचा। बीरबल अगले दिन दरबार में नहीं गए। अकबर इसका कारण जानने के लिए बीरबल के पास पहुचें। राजा ने देखा कि बीरबल लगभग 6 फीट ऊपर रखे एक बर्तन के साथ आग के पास बैठे हुए हैं। अबकर के पूछताछ करने पर, बीरबल ने कहा, “मैं खिचड़ी बना रहा हूँ महाराज!” अकबर हँसने लगे और कहा कि ये असंभव है। बीरबल ने कहा, “यह संभव है महाराज।” यदि कोई आदमी दूर में रखें जलते हुए दीपक को देखकर गर्म रह सकता है, तो मैं भी इस खिचड़ी को उसी तरह से पका सकता हूँ।” अकबर को बीरबल की बात समझ आ गई और फिर उन्होंने उस गरीब आदमी को चुनौती पूरी करने के लिए पुरस्कृत किया।
एक उम्मीद की किरण भी लोगों को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
एक बार, राजा अकबर के राज्य में एक अमीर व्यापारी को लूट लिया गया। दुखी व्यापारी मदद मांगने अकबर की अदालत में जा पहुँचा। अकबर ने डाकू को खोजने के लिए बीरबल से व्यापारी की मदद करने के लिए कहा। व्यापारी ने बीरबल को बताया कि उसे अपने एक नौकर पर शक है। व्यापारी से संकेत मिलने पर, बीरबल ने सभी नौकरों को बुलाया और उन्हें एक सीधी कतार में खड़े होने के लिए कहा। जब उनसे डकैती के बारे में पूछा गया, तो सभी ने उम्मीद के मुताबिक उससे इनकार कर दिया। बीरबल ने सभी को एक–एक छड़ी पकड़ाई और कहा कि “जिसनें भी डकैती की है उसकी छड़ी कल तक दो इंच बढ़ जाएगी और इस प्रकार डकैत का पता चल जाएगा।” अगले दिन जब बीरबल ने सभी को बुलाया और उनकी छड़ी का निरीक्षण किया, तो एक नौकर की छड़ी दो इंच छोटी थी। व्यापारी ने बीरबल से पूछा कि आपको कैसे पता की चोर कौन है तो बीरबल ने कहा यह बहुत ही आसान है, छड़ी के दो इंच बढ़ने वाली बात से चोर डर गया और उसने अपनी छड़ी को दो इंच काट दिया ताकि वो पकड़ा न जाए और इस प्रकार अपने ही जाल में फंस गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।
एक बार की बात है, राजा अकबर की एक बहुत अंगूठी खो गई। यह अंगूठी उनके पिता ने उनको भेंट में दी थी, राजा इस अंगूठी के खो जाने की वजह से बहुत दुखी हुए। अकबर ने बीरबल को बुलवाया और उनसे अंगूठी खोजने का अनुरोध किया। दरबार दरबारियों से भरा था। बीरबल ने घोषणा की, “महाराज! आपकी अंगूठी इसी दरबार में है, और जिसके पास भी है, वो उसकी दाढ़ी में एक तिनका फंसा हुआ है।” हर कोई एक दूसरे को देखने लगा लेकिन उनमें से एक आदमी अपनी दाढ़ी को छूने लगा। बीरबल ने सिपाहियों को बुलाया और उस व्यक्ति की ठीक से तलाश करने को कहा, इस प्रकार राजा की अंगूठी मिल गई। अकबर इस बात से हैरान थे कि बीरबल अंगूठी खोजने में कैसे कामयाब हुए। बीरबल ने कहा, महाराज, जो दोषी होगा वह हमेशा डरा हुआ रहेगा।
दोषी व्यक्ति हमेशा डरा हुआ रहता है।
एक बार की बात है, एक किसान को अपने खेत सींचने के लिए पानी की जरुरत थी। वह बहुत परेशान था और अपने जमीन के आसपास एक कुएं की तलाश कर रहा था। कुछ दूर चलने पर उसे एक कुआँ दिखाई देता है और वह उस कुएं से पानी निकालना चाहता है परन्तु तुरंत वहां उस कुएं का मालिक पहुंच जाता है और बोलता है, अगर तुम्हे इस कुएं से पानी चाहिए तो इसे खरीदना होगा। किसान मान जाता है और वह कुऑं खरीद लेता है। अब अगले दिन जब वह सिंचाई के लिए पानी लेने जाता है तब वह व्यापारी उसे रोकता है और बोलता है कि उसने किसान को केवल कुआँ बेचा है, न कि उसका पानी। किसान को समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए, वो दुखी मन से राजा अकबर के दरबार में गया। बीरबल को कहा गया कि वे इस मामले को देखें। अगले दिन, उस व्यापारी को दरबार में बुलाया गया। उस चतुर आदमी ने एक ही बयान दिया – कि उसने अपना कुआँ बेचा है, उसका पानी नहीं। इस पर, बीरबल ने कहा, “अगर तुमने कुआँ बेच दिया है तो तुम्हारा पानी वहाँ क्या कर रहा है? फौरन अपना पानी बाहर निकालो! क्योंकि यह अब किसान का कुआँ है।” इस तरह से उस आदमी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माफी मांगी।
यदि आप किसी को धोखा देते हैं, तो आपको उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
एक बार की बात है, बादशाह अकबर बीरबल से किसी बात पर नाराज हो गए थे और गुस्से में उन्होंने बीरबल को राज्य छोड़कर चले जाने को कह दिया। बीरबल ने राज्य छोड़ दिया और पास के एक गाँव में एक किसान के घर में शरण ले ली। बीरबल अपना दिन का समय खेत में काम करके बिताया करते थे। कुछ समय बाद, राजा अकबर को अपने पसंदीदा दरबारी की याद आने लगी। एक दिन, अकबर ने बीरबल को खोजने के लिए अपने शाही सिपाहियों को भेजने का फैसला किया। सिपाहियों ने सभी दिशाओं में बीरबल की तलाश की, लेकिन वो नाकाम रहें। अकबर ने बीरबल को खोजने के लिए एक तरकीब सोची – उन्होंने एक घोषणा करवाई कि जो कोई भी उन्हें बुद्धिमत्ता से भरा घड़ा लाकर देगा तो उस व्यक्ति को हीरे से भरा घड़ा दिया जाएगा। यह खबर आसपास के सभी गाँव और बीरबल तक भी पहुँची। राजा के रहस्य को कैसे सुलझाया जाए, यह तय करने के लिए ग्रामीणों ने एक बैठक की। बीरबल ने इस मामले में मदद करने का फैसला किया और एक महीने के समय की मांग की। बीरबल ने एक घड़ा लिया और उसमें एक छोटा–सा तरबूज डाला जो उसकी बेल समेत था। एक महीने के बाद, तरबूज बर्तन के आकार तक बढ़ गया और बीरबल ने उस घड़े को राजा के पास भिजवाया और उनसे कहा गया कि एक बद्धिमान व्यक्ति ही घड़े को तोड़े बिना तरबूज बाहर निकाल सकता है। अकबर जान गए यह कोई और नहीं बल्कि बीरबल ही हो सकता है और फिर क्या था, राजा ने अपने प्रिय बीरबल को अपने पास वापस बुला लिया।
जल्दबाजी में काम खराब हो सकता है, सोच–समझकर फैसला लेने से हर समस्या का समाधान मिलता है।
बीरबल बुद्धिमत्ता के किस्से दूर तक पहुँच गए थे। एक बार एक विद्वान ने बीरबल की बुद्धिमत्ता को चुनौती देने के विचार से अकबर के दरबार में आया। विद्वान ने राजा के सामने खुद को चतुर बताते हुए कहा कि उसके सवालों का जवाब बीरबल भी नहीं दे पाएंगे। अकबर ने बीरबल को दरबार में बुलाया और उसे बताया कि विद्वान तुम्हे चुनौती देना चाहते हैं। बीरबल ने उस चुनौती को स्वीकार कर लिया जो विद्वान ने उनको दी थी। विद्वान ने बीरबल से पूछा, “आप सौ आसान प्रश्नों के उत्तर देना चाहेंगे या एक कठिन प्रश्न का उत्तर देंगे?” बीरबल ने कहा कि वह कठिन उत्तर देना चाहते है। विद्वान ने कहा, “मुझे बताएं कि, पहले क्या आया, मुर्गी या अंडा?” बीरबल ने कुछ देर सोचा और कहा, “मुर्गी पहले आई“। विद्वान ने बीरबल का मजाक उड़ाया और कहा, “आप इतने यकीन के साथ यह कैसे सकते हैं?” बीरबल ने कहा, “मैंने केवल एक प्रश्न का ही उत्तर देने का वादा किया था, इस दूसरे प्रश्न का उत्तर मैं नहीं दूंगा।” विद्वान अपने दावे पर शर्मसार हो गया और दरबार से लौट गया।
बुद्धि का सही इस्तेमाल आपको मुश्किल से मुश्किल समस्याओं को भी हल करने में मदद करती है।
एक बार राजा अकबर ने बीरबल के साथ एक चाल चलने की सोची। उन्होंने अपने दरबार के सभी मंत्रियों को एक–एक अंडा दिया और कहा कि कल सभी इस अंडे के साथ आए लेकिन अंडे को अपने वस्त्र में छिपाकर। अगले दिन, अकबर ने सभा में कहा कि मैंने कल रात एक सपना देखा, जो कोई शाही तालाब से अंडा लेकर आएगा उसकी वफादारी साबित हो जाएगी अन्यथा नहीं। इसके बाद, अकबर ने अपने सभी मंत्रियों को ऐसा ही करने और अपनी वफादारी साबित करने के लिए कहा। जैसा कि योजना बनाई गई थी, सभी मंत्रियों ने अंडे की तलाश करने का नाटक किया और कुछ ही समय में उन सभी को एक–एक अंडा मिला जो उन्होंने पहले से ही अंदर छुपा रखा था। फिर जब बीरबल अंडे की तलाश में गए तो उन्हें अंडा नहीं मिला। जब बीरबल खाली हाथ पहुँचे, तो सभी उनकी ओर देख कर मुस्कुराने लगे। बीरबल को पूरे परिदृश्य का अभास हो गया और वो बादशाह के पास गए और जोर से मुर्गे की आवाज निकालने लगे। राजा सोच में पड़ गए और पूछे कि यह क्या है, जिसपर बीरबल ने जवाब दिया कि महाराज! मैं मुर्गी नहीं मुर्गा हूँ, इसलिए मैं अंडा नहीं ला सका। यह सुनकर दरबार में मौजूद सभी लोग जोर से हसने लगे। राजा अकबर को एहसास हुआ कि बीरबल को बेवकूफ बनाना इतना आसान नहीं।
आत्मविश्वास आपको मुश्किल परिस्थितियों से निपटने में मदद करता है।
एक बार बीरबल को दूसरे राज्य में राजदूत के रूप में भेजा गया। उस राज्य के राजा ने भी बीरबल की चतुराई और बुद्धि के बारे में कई कहानियां सुनी थीं और वे बीरबल की परीक्षा लेना चाहते थे। राजा ने अपने सभी मंत्रियों को उनके जैसे कपड़े पहनाए और वे सभी बीरबल की परीक्षा लेने के लिए एक साथ कतार में बैठ गए। जब बीरबल ने राजदरबार में प्रवेश किया, तो वह सभी को एक जैसे कपड़े पहने और एक ही तरह के सिंहासन पर बैठा देखकर चकित रह गए। हैरान बीरबल ने सभी को थोड़ी देर देखा, फिर उनमें से एक के पास गए और उनके सामने आदर से झुक गए। यह देख कर स्वयं राजा भी आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने खड़े होकर बीरबल को गले लगाया और उनसे पूछा कि उन्होंने यह अनुमान कैसे लगाया। बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, महाराज जिस तरह का विश्वास मैंने आप में देखा वो मुझे किसी और में नहीं दिखाई दिया और ये सभी आपकी ओर अनुमोदन के लिए देख रहे थे। राजा यह देखकर बहुत खुश हुए और बीरबल की प्रशंसा की।
एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने अवलोकन यानि ऑब्जरवेशन के माध्यम से भी चीजों को समझने का प्रयास करते हैं।
राजा अकबर के हमेशा की तरह अपने दरबार में बीरबल से एक सवाल पूछा, कि बीरबल अगर मैं तुम्हें न्याय और एक सोने के सिक्के के बीच चयन करने के लिए कहूं, तो तुम क्या चुनोगे? बीरबल ने उत्तर देते हुए कहा कि बिना किसी संदेह के मैं एक सोने का सिक्का चुनूंगा। इस बार बीरबल बोलते समय थोड़ा लड़खड़ाए, राजा अकबर सहित सभी लोग बीरबल के इस उत्तर पर हैरान रह गए। राजा अकबर ने कहा, मैं तुमसे बहुत निराश हूँ। तुमने इंसाफ के आगे कम मूल्यवान चीज सोने के सिक्के को क्यों चुना? बीरबल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि महाराज, इस राज्य में न्याय की कोई कमी नहीं है, क्योंकि आप यहाँ के राजा हैं। मैंने वो चीज चुनी जिसकी मुझे जरूरत हो सकती है और मुझे सोने के सिक्के की जरूरत हैं। बीरबल का यह जवाब सुनकर अकबर हैरान रह गए और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उन्होंने जवाब से खुश हो कर 100 सोने के सिक्कों के साथ बीरबल को पुरस्कृत किया।
हर व्यक्ति को बुद्धिमानी से अपने शब्दों को चुनना चाहिए।
एक बार दो भाई, राम और श्याम, एक आम के पेड़ के लिए लड़ रहे थे। राम ने कहा कि आम का पेड़ उसका है और श्याम ने कहा कि उसका। कोई भी इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहा था, उन्होंने बीरबल से मदद मांगने का फैसला किया। बीरबल ने स्थिति का विश्लेषण किया और दोनों भाइयों से कहा कि वे पूरे आम को दोनों भाइयों के बीच बराबर में बाँट लें, फिर पेड़ को दो बराबर हिस्सों में काट लें। बीरबल की बात सुनकर राम ने हामी भरी, जबकि श्याम ने पेड़ को न काटने की बात कही, क्योंकि उसने पूरे तीन साल तक पेड़ की देखभाल की थी । बीरबल समझ गए पेड़ का असली मालिक कौन है। उन्होंने कहा, पेड़ श्याम का है क्योंकि पेड़ काटने के नाम से श्याम परेशान हो गया था। सालों तक इसकी देखभाल करने वाला व्यक्ति इसे तुरंत काटने के लिए राजी नहीं हो सकता।
असली मालिक वो है जो अपनी जिम्मेदारियों को निभाता है।
हमें यकीन है कि आपको ऊपर लिखी गई सभी कहानियां पसंद आई होंगी, क्योंकि वे न केवल हास्य से भरे हैं, बल्कि हर कहानी से हमें कुछ न कुछ सीख भी मिलती है। अपने बच्चों के सुलाते समय उन्हें बेडटाइम स्टोरी हिंदी में सुनाना एक अच्छी आदत है, कहानियां सिर्फ परिवार के एक बंधन में बाँध के रखने में मदद नहीं करती हैं बल्कि बच्चों को एक अलग दृष्टिकोण भी हासिल करने में भी मदद करती हैं।
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