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बच्चों के लिए दही: फायदे और सावधानियां

दही उन कुछ खाद्य पदार्थों में से एक है जो बच्चों को आसानी से दिया जा सकता है। हालांकि ज्यादातर दही गाय के दूध से बनाया जाता है, लेकिन यह भैंस, बकरी या ऊंट के दूध से भी बनाया जा सकता है। यह आपके बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यहाँ हम चर्चा करेंगे कि आप अपने बच्चे के आहार में इस सुपरफूड को कैसे शामिल कर सकती हैं और इससे अधिकतम स्वास्थ्य लाभ कैसे उठा सकती हैं।

बच्चे दही कब खाना शुरू कर सकते हैं?

कई बाल रोग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि लगभग सात से आठ महीने के बच्चे को दही दिया जा सकता है। दूसरी ओर, कुछ बाल रोग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि दही बच्चे के लिए उसके पहले ठोस आहार के तौर पर दिया जाने वाला एक बेहतरीन भोजन है और इसे बच्चे को छह महीने का हो जाने के बाद देना शुरू कर सकते हैं । यह अनुशंसा की जाती है कि आप बच्चे को फुल फैट वाला दही दें, क्योंकि एक बच्चे की वृद्धि और बेहतर विकास के लिए उनके शरीर में फैट का होना बहुत जरूरी है।

बच्चों के लिए दही के फायदे

हो सकता आप बच्चे को दही देने को लेकर सोच में पड़ जाए, कि क्या बच्चों को देना उनके लिए अच्छा है? दही से प्राप्त होने वाले फायदे आपको नीचे बताए गए हैं:

  1. इम्यून सिस्टम को बेहतर करता है: दही में मौजूद लैक्टिक एसिड बच्चों के इम्यून सिस्टम को बेहतर करने में मदद करता है। दही का नियमित रूप से सेवन, पेट संबंधी समस्या पैदा करने वाले बैक्टीरिया (दस्त, पेचिश आदि) से बच्चे को दूर रखता है।
  2. गैस्ट्रिक संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद है: दही में मौजूद लैक्टिक एसिड शरीर में एसिड-एल्कली को संतुलित करता है। जिसकी वजह से यह गैस्ट्रिक और पेट संबंधी समस्याओं को बच्चे से दूर रखने में मदद करता है।
  3. बच्चों की अनिद्रा का इलाज करता है: बच्चे को नियमित रूप से दही देने से उनको अच्छी नींद लेने में मदद  मिलती है। इसके अलावा, आप बच्चे की नींद प्रेरित करने के लिए उनको दही से मसाज भी दे सकती हैं।
  4. डायरिया के इलाज करता है: दही न केवल डायरिया की समस्या को दूर करता है, बल्कि इसका इलाज करने के लिए भी जाना जाता है। स्टडी में यह साबित हुआ है कि जिन बच्चों को डायरिया का इलाज करने के लिए दही खिलाया गया है वो बच्चे केवल दवा लेने वाले बच्चों के मुकाबले ज्यादा तेजी से ठीक हुए हैं ।
  5. पोषक तत्वों से भरपूर: दही बढ़ते हुए बच्चे के लिए एक आदर्श भोजन माना जाता है। इसमें विटामिन ए, सी, बी6, डी, ई, के, राइबोफ्लेविन, फोलेट और नियासिन मौजूद होता है। कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक, सोडियम व अन्य मिनरल्स आपके बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए बहुत फायदेमंद है।
  6. यूटीआई के इलाज में मदद करता है: दही बच्चों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज करने में मदद करता है। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करते हैं और पेशाब के समय होने वाली जलन को कम करते हैं।
  7. हेपेटाइटिस और पीलिया के लिए बेहतरीन भोजन: पीलिया और हेपेटाइटिस दोनों लिवर से संबंधित बीमारियां हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में अमोनिया बनने लगता है। बहुत सारे पुराने और ट्रेडिशनल आयुर्वेद स्कूल, ऐसी बीमारियों के दौरान बच्चों को दही देने के लिए कहते हैं।

दही की न्यूट्रिशनल वैल्यू

नीचे दिए हुए चार्ट में दही की न्यूट्रिशनल वैल्यू बताई गई है जो इस प्रकार है:

पोषण प्रति 100 ग्राम मात्रा पोषण प्रति 100 ग्राम मात्रा
एनर्जी 60 कैलोरी फाइबर 0 ग्राम
पानी 88 ग्राम कुल लिपिड 3.20 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट्स 4 ग्राम कैल्शियम 120 मिलीग्राम
प्रोटीन 3.5 ग्राम मैग्नीशियम 12 मिलीग्राम
शुगर 4.5 ग्राम जिंक 0.50 मिलीग्राम
सोडियम 40 मिलीग्राम पोटैशियम 150 मिलीग्राम
आयरन 0.05 मिलीग्राम थियामिन 0.030 मिलीग्राम
फॉस्फोरस 94 मिलीग्राम फोलेट 7 माइक्रोग्राम
विटामिन सी 0.5 मिलीग्राम विटामिन ए 98 माइक्रोग्राम
राइबोफ्लेविन 0.140 मिलीग्राम विटामिन डी 0.1 माइक्रोग्राम
विटामिन बी 6 0.030 मिलीग्राम नियासिन 0.070 मिलीग्राम
विटामिन बी 12 0.35 मिलीग्राम
विटामिन ई 0.05 मिलीग्राम
विटामिन के 0.2 माइक्रोग्राम

बताई गई न्यूट्रिशनल वैल्यू 100 ग्राम दही के हिसाब से उसमें मौजूद विभिन्न विटामिन और मिनरल के अनुसार एक अनुमानित वैल्यू है।

क्यों बगैर मीठा या सादा दही बच्चों के लिए ज्यादा अच्छा होता है?

आमतौर पर बाजार में उपलब्ध दही फ्लेवर्ड होते हैं या उनमें स्वीटनर मिली होती हैं। बढ़ते बच्चे के लिए चीनी का ज्यादा सेवन करना अच्छा नहीं होता है, क्योंकि इससे बच्चों के दाँतों में सड़न और वजन बढ़ने की समस्या पैदा हो सकती है। हो सकता है कि आप यह सोच रही हों कि दही में मौजूद चीनी की जाँच कैसे करें क्योंकि वो खुद भी प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। इसलिए, जब आप दही खरीदेंगे तो आपको इस पर लगे लेबल को पढ़कर इससे मिलने वाले सभी पोषण का अंदाजा हो जाएगा। आपको जाँच करते समय चीनी या इसके अन्य विकल्प जैसे गन्ने से प्राप्त चीनी, सूक्रोज, फ्रुक्टोज आदि तत्व की मात्रा देखनी चाहिए। फुल फैट वाले दूध से बना दही बच्चों को दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए आवश्यक होता है।

सादे दही का स्वाद कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?

वैसे तो, सादा दही बहुत अच्छा है, लेकिन अगर आप इसमें अलग से कोई स्वाद जोड़ना चाहती हैं, तो आप इसके साथ फल या सब्जी की प्यूरी मिला सकती हैं। यदि आपका बच्चा अपना भोजन चबा सकता है, तो आप दही में फल या सब्जियों के छोटे टुकड़े डालकर बच्चों को दे सकती हैं। दही का स्वाद बढ़ाने के लिए आप दही में सेब, केला, स्ट्रॉबेरी, एवोकैडो, वीट जर्म या ओटमील शामिल कर सकती हैं। हालांकि, बेहतर होगा अगर आप बच्चे को सादा दही दें और उसमें किसी प्रकार का स्वाद जोड़ने से बचें।

प्रोबायोटिक्स क्या है और यह बच्चों के लिए क्यों अच्छा होता है?

दही में प्रोबायोटिक्स मौजूद होता है, जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लाइव कल्चर या प्रोबायोटिक्स, जो दूध से दही बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, आपके बच्चे के पेट में अच्छे बैक्टीरिया को विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, दही की सभी किस्मों में प्रोबायोटिक्स नहीं होता है। फिर सवाल उठता है कि आप कैसे पता लगाएंगी कि किस ब्रांड के की दही में अच्छे बैक्टीरिया हैं और किसमें नहीं। हालांकि यह जानने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, आप दही के डिब्बे पर लगे लेबल से जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।

यदि आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है या लैक्टोज इनटॉलेरेंस है तो क्या करें?

यदि आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है या लैक्टोज असहिष्णुता है, तो यह अनुशंसा की जाती है कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना अपने बच्चे को दही न दें। हालांकि, अगर आपको पूरी तरह से नहीं पता हैं कि आपके बच्चे को होने वाला एलर्जी दही या किसी भी मिल्क प्रोडक्ट से हो रही है या नहीं तो, आपको इसे दोबारा देने से पहले कम से कम तीन दिन तक इंतजार करना चाहिए। इस तरह से आप बेहतर जान पाएंगी कि बच्चे को होने वाली एलर्जी दही देने के कारण हो रही है या किसी अन्य खाद्य पदार्थ के कारण ऐसा है।

एलर्जी होने वाले रिएक्शन के कारण बच्चे को खुजलीदार लाल धब्बे पड़ सकते हैं, मुँह के आसपास सूजन हो सकती है या उल्टी भी हो सकती है। यह लक्षण इस खाने के दो से तीन घंटे के भीतर दिखाई दे सकते हैं।

हालांकि लैक्टोज इनटॉलेरेंस बच्चों में आम नहीं है और अगर है भी, तब भी आप उन्हें दही दे सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दही बनाने की प्रक्रिया में दूध में मौजूद लैक्टोज के कण काफी हद तक टूट जाते हैं जिससे बच्चे असानी से पचा सकते हैं ।

शिशुओं के लिए गाय का दूध क्यों अनुशंसित नहीं है, लेकिन दही है?

आपने कई लोगों को गाय के दूध से बने दही देने की सलाह दी होगी, लेकिन एक साल की उम्र तक अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाया होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि माँ के दूध या फॉर्मूला दूध की तुलना में शिशुओं के लिए गाय का दूध पचाना मुश्किल होता है। इसके अलावा, गाय के दूध में आवश्यक पोषक तत्व और फैट की कमी होती है जो एक बच्चे को ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला से प्राप्त होता है।

बच्चों को दही देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

बच्चों को दही देने से पहले आप निम्नलिखित उपाय कर सकती हैं:

  • घर का बना दही देने की कोशिश करें: अपने बच्चे को घर का बना दही देना सबसे अच्छा है। इसे बनाना बहुत ही आसान है। बस आपको चाहिए फुल फैट युक्त दूध और एक छोटा चम्मच दही फरमेंट करने के लिए।
  • फुल फैट दही दें: जब आपके डॉक्टर मना न करें तब तक आप बच्चे को फुल-फैट दही दे सकती हैं, यदि डॉक्टर इसके लिए मना करते हैं आप अपने बच्चे को स्किम्ड मिल्क दही दे सकती हैं।
  • दही को स्टोर करना: दही जल्दी खट्ठा हो जाता है। इसलिए इसे ठंडी जगह यानि फ्रिज में स्टोर करना सबसे अच्छा होता है।
  • बच्चे को मीठा दही न दें: बच्चे को दही देते समय उसमें चीनी या शहद न डालें। आप इसमें स्वाद के लिए फल या सब्जियां डाल सकती हैं।
  • अनुकूलतम तापमान: दही को गर्मियों में जमाना आसान होता है, लेकिन सर्दियों के समय में इसे जमाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसे फरमेंट करने से पहले दूध को 50-55 डिग्री तक गर्म कर सकती हैं।
  • सादा दही दें: बच्चों को दही के साथ बेरीज न दें, क्योंकि इससे उनको एलर्जी हो सकती है। इसके बजाय, सादे दही का विकल्प चुनें।
  • स्वाद के लिए फल शामिल करें: आप दही का स्वाद बढ़ाने के लिए केले या आम की प्यूरी दही के साथ मिलाकर बच्चे को खाने दे सकती हैं।

घर पर दही बनाने की विधि

बच्चों को घर का बना दही देना सबसे अच्छा होता है, यहाँ आपको बताया गया है कि 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए आप घर पर दही कैसे बना सकती हैं:

सामग्री

  • आधा लीटर दूध
  • ¼ कप सादा दही

विधि

  • एक पैन में दूध लें और इसे उबाल लें।
  • दूध में उबाल आने के बाद, इसे आँच से उतार लें और एक बड़े कटोरे में इसे शिफ्ट कर दें।
  • जब दूध का तापमान रूम टेम्प्रेचर तक पहुँच जाए तो इसमें पहले से मौजूद थोड़ा सा सादा दही मिलाएं ।
  • इसे 7-8 घंटे के लिए बिना ढंके छोड़ दें।
  • एक बार जब यह ठीक से सेट हो जाए, तो इसे फ्रिज में रख दें।

बच्चे को गाय का दूध नहीं दिया जा सकता है, इसलिए आप उन्हें दही के रूप में खिलाने पर विचार कर सकती हैं। बस इस बात का ध्यान रखें किसी भी दंत संबंधी समस्याओं से बचने के लिए आप बच्चे को हमेशा सादा दही खिलाएं।

यह भी पढ़ें:

बच्चों को पनीर देना – फायदे और रेसिपी
शिशुओं के लिए घर का बना सेरेलेक

समर नक़वी

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