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दही उन कुछ खाद्य पदार्थों में से एक है जो बच्चों को आसानी से दिया जा सकता है। हालांकि ज्यादातर दही गाय के दूध से बनाया जाता है, लेकिन यह भैंस, बकरी या ऊंट के दूध से भी बनाया जा सकता है। यह आपके बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यहाँ हम चर्चा करेंगे कि आप अपने बच्चे के आहार में इस सुपरफूड को कैसे शामिल कर सकती हैं और इससे अधिकतम स्वास्थ्य लाभ कैसे उठा सकती हैं।
कई बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग सात से आठ महीने के बच्चे को दही दिया जा सकता है। दूसरी ओर, कुछ बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि दही बच्चे के लिए उसके पहले ठोस आहार के तौर पर दिया जाने वाला एक बेहतरीन भोजन है और इसे बच्चे को छह महीने का हो जाने के बाद देना शुरू कर सकते हैं । यह अनुशंसा की जाती है कि आप बच्चे को फुल फैट वाला दही दें, क्योंकि एक बच्चे की वृद्धि और बेहतर विकास के लिए उनके शरीर में फैट का होना बहुत जरूरी है।
हो सकता आप बच्चे को दही देने को लेकर सोच में पड़ जाए, कि क्या बच्चों को देना उनके लिए अच्छा है? दही से प्राप्त होने वाले फायदे आपको नीचे बताए गए हैं:
नीचे दिए हुए चार्ट में दही की न्यूट्रिशनल वैल्यू बताई गई है जो इस प्रकार है:
पोषण | प्रति 100 ग्राम मात्रा | पोषण | प्रति 100 ग्राम मात्रा |
एनर्जी | 60 कैलोरी | फाइबर | 0 ग्राम |
पानी | 88 ग्राम | कुल लिपिड | 3.20 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट्स | 4 ग्राम | कैल्शियम | 120 मिलीग्राम |
प्रोटीन | 3.5 ग्राम | मैग्नीशियम | 12 मिलीग्राम |
शुगर | 4.5 ग्राम | जिंक | 0.50 मिलीग्राम |
सोडियम | 40 मिलीग्राम | पोटैशियम | 150 मिलीग्राम |
आयरन | 0.05 मिलीग्राम | थियामिन | 0.030 मिलीग्राम |
फॉस्फोरस | 94 मिलीग्राम | फोलेट | 7 माइक्रोग्राम |
विटामिन सी | 0.5 मिलीग्राम | विटामिन ए | 98 माइक्रोग्राम |
राइबोफ्लेविन | 0.140 मिलीग्राम | विटामिन डी | 0.1 माइक्रोग्राम |
विटामिन बी 6 | 0.030 मिलीग्राम | नियासिन | 0.070 मिलीग्राम |
विटामिन बी 12 | 0.35 मिलीग्राम | ||
विटामिन ई | 0.05 मिलीग्राम | ||
विटामिन के | 0.2 माइक्रोग्राम |
बताई गई न्यूट्रिशनल वैल्यू 100 ग्राम दही के हिसाब से उसमें मौजूद विभिन्न विटामिन और मिनरल के अनुसार एक अनुमानित वैल्यू है।
आमतौर पर बाजार में उपलब्ध दही फ्लेवर्ड होते हैं या उनमें स्वीटनर मिली होती हैं। बढ़ते बच्चे के लिए चीनी का ज्यादा सेवन करना अच्छा नहीं होता है, क्योंकि इससे बच्चों के दाँतों में सड़न और वजन बढ़ने की समस्या पैदा हो सकती है। हो सकता है कि आप यह सोच रही हों कि दही में मौजूद चीनी की जाँच कैसे करें क्योंकि वो खुद भी प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। इसलिए, जब आप दही खरीदेंगे तो आपको इस पर लगे लेबल को पढ़कर इससे मिलने वाले सभी पोषण का अंदाजा हो जाएगा। आपको जाँच करते समय चीनी या इसके अन्य विकल्प जैसे गन्ने से प्राप्त चीनी, सूक्रोज, फ्रुक्टोज आदि तत्व की मात्रा देखनी चाहिए। फुल फैट वाले दूध से बना दही बच्चों को दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए आवश्यक होता है।
वैसे तो, सादा दही बहुत अच्छा है, लेकिन अगर आप इसमें अलग से कोई स्वाद जोड़ना चाहती हैं, तो आप इसके साथ फल या सब्जी की प्यूरी मिला सकती हैं। यदि आपका बच्चा अपना भोजन चबा सकता है, तो आप दही में फल या सब्जियों के छोटे टुकड़े डालकर बच्चों को दे सकती हैं। दही का स्वाद बढ़ाने के लिए आप दही में सेब, केला, स्ट्रॉबेरी, एवोकैडो, वीट जर्म या ओटमील शामिल कर सकती हैं। हालांकि, बेहतर होगा अगर आप बच्चे को सादा दही दें और उसमें किसी प्रकार का स्वाद जोड़ने से बचें।
दही में प्रोबायोटिक्स मौजूद होता है, जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लाइव कल्चर या प्रोबायोटिक्स, जो दूध से दही बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, आपके बच्चे के पेट में अच्छे बैक्टीरिया को विकसित करने में मदद करता है। हालांकि, दही की सभी किस्मों में प्रोबायोटिक्स नहीं होता है। फिर सवाल उठता है कि आप कैसे पता लगाएंगी कि किस ब्रांड के की दही में अच्छे बैक्टीरिया हैं और किसमें नहीं। हालांकि यह जानने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, आप दही के डिब्बे पर लगे लेबल से जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।
यदि आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है या लैक्टोज असहिष्णुता है, तो यह अनुशंसा की जाती है कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना अपने बच्चे को दही न दें। हालांकि, अगर आपको पूरी तरह से नहीं पता हैं कि आपके बच्चे को होने वाला एलर्जी दही या किसी भी मिल्क प्रोडक्ट से हो रही है या नहीं तो, आपको इसे दोबारा देने से पहले कम से कम तीन दिन तक इंतजार करना चाहिए। इस तरह से आप बेहतर जान पाएंगी कि बच्चे को होने वाली एलर्जी दही देने के कारण हो रही है या किसी अन्य खाद्य पदार्थ के कारण ऐसा है।
एलर्जी होने वाले रिएक्शन के कारण बच्चे को खुजलीदार लाल धब्बे पड़ सकते हैं, मुँह के आसपास सूजन हो सकती है या उल्टी भी हो सकती है। यह लक्षण इस खाने के दो से तीन घंटे के भीतर दिखाई दे सकते हैं।
हालांकि लैक्टोज इनटॉलेरेंस बच्चों में आम नहीं है और अगर है भी, तब भी आप उन्हें दही दे सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दही बनाने की प्रक्रिया में दूध में मौजूद लैक्टोज के कण काफी हद तक टूट जाते हैं जिससे बच्चे असानी से पचा सकते हैं ।
आपने कई लोगों को गाय के दूध से बने दही देने की सलाह दी होगी, लेकिन एक साल की उम्र तक अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाया होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि माँ के दूध या फॉर्मूला दूध की तुलना में शिशुओं के लिए गाय का दूध पचाना मुश्किल होता है। इसके अलावा, गाय के दूध में आवश्यक पोषक तत्व और फैट की कमी होती है जो एक बच्चे को ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला से प्राप्त होता है।
बच्चों को दही देने से पहले आप निम्नलिखित उपाय कर सकती हैं:
बच्चों को घर का बना दही देना सबसे अच्छा होता है, यहाँ आपको बताया गया है कि 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए आप घर पर दही कैसे बना सकती हैं:
सामग्री
विधि
बच्चे को गाय का दूध नहीं दिया जा सकता है, इसलिए आप उन्हें दही के रूप में खिलाने पर विचार कर सकती हैं। बस इस बात का ध्यान रखें किसी भी दंत संबंधी समस्याओं से बचने के लिए आप बच्चे को हमेशा सादा दही खिलाएं।
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