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मां का दूध आपके शिशु का सबसे पहला आहार होता है। इसमें पोषक तत्व, एंटीबॉडीज और विभिन्न प्रकार के अन्य तत्व होते हैं, जो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करते हैं। लेकिन देर-सवेर इसे बंद करना ही पड़ता है और ठोस आहार की शुरुआत करनी पड़ती है। क्या बच्चों के लिए दूध पीना जरूरी है? क्या उन्हें इस उम्र में भी दूध की जरूरत होती है? दूध के फायदे क्या हैं और बढ़ते बच्चे के भोजन में दूध की मौजूदगी जरूरी क्यों है? यह सब जानने के लिए आगे पढ़ें।
बच्चों को दूध क्यों पीना चाहिए?
क्या बच्चों को दूध पीने की जरूरत है? जीवन के शुरुआती 12 महीनों के लिए आपके बच्चे के लिए दूध बेहद जरूरी है। ऐसे में उसे सबसे अधिक फायदा ब्रेस्ट मिल्क से होता है। साथ ही, जब आपका बच्चा ठोस आहार लेना शुरू करता है, तब अन्य प्रकार के दूध को बंद करने की कोई जरूरत नहीं होती है। जो बच्चे दूध पीते हैं, उन्हें हर प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक फायदे मिलते हैं। उदाहरण के लिए, दूध में मौजूद फैट और कार्बोहाइड्रेट एनर्जी देते हैं, प्रोटीन विकास के लिए जरूरी है, कैल्शियम और फास्फोरस दांतों और हड्डियों के विकास में मदद करते हैं, विटामिन इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं, आदि।
लेकिन दूध के मामले में सावधानी बरतनी जरूरी है, जिसका कारण है – लैक्टोज की प्रचुरता, जो कि एक प्रकार का मिल्क शुगर होता है। इससे बच्चों में डायरिया और पेट में गैस की समस्या हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर शिशु इसकी अधिक मात्रा को पचाने में अक्षम होते हैं। साथ ही, कुछ अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की है, कि दूध पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है (जैसा कि ऊपर बताया गया है), लेकिन विकास के दौरान दूध नहीं पीने वाले बच्चों की तुलना में, दूध पीने वाले बच्चे अधिक स्वस्थ होते हैं, यह बात पूरी तरह से साबित नहीं हुई है।
बच्चों को कितना दूध पीना चाहिए?
12 महीने से कम उम्र के शिशु को हर कीमत पर जानवरों के दूध से बचना चाहिए। लेकिन इस पड़ाव के बाद उसे फुल फैट गाय का दूध दिया जा सकता है, क्योंकि न्यूरल डेवलपमेंट में फैट बेहद जरूरी होता है। जब आपका बच्चा 2 साल का हो जाता है, तब वास्तविक सवाल उठता है – आपको अपने बच्चे को कितना दूध देना चाहिए?
2 से 3 वर्ष
इस उम्र के बच्चों को हर दिन दो कप से अधिक दूध नहीं देना चाहिए। क्योंकि दूध की मात्रा अधिक होने से आपके बच्चे का छोटा सा पेट भर जाता है और वह अन्य पौष्टिक भोजन नहीं ले पाता है।
4 से 8 वर्ष
4 से 8 वर्ष तक के बच्चों को एक दिन में चार कप से अधिक दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि बहुत अधिक दूध देने से उन्हें गैस की समस्या हो सकती है और भूख खत्म हो सकती है। इसके अलावा डायरिया की समस्या पर विचार करना भी जरूरी है, जो कि अत्यधिक दूध के सेवन से हो सकता है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे लेक्टोज इनटोलरेंस से थोड़े बहुत प्रभावित हो सकते हैं।
दूध के विभिन्न प्रकार जो आप बच्चों को दे सकते हैं
दूध के कई प्रकार उपलब्ध होते हैं, जिनमें से आप किसी को भी चुन सकती हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. अल्ट्रा हाई टेंपरेचर पाश्चुरीकृत दूध
इसे एक्स्टेंडेड शेल्फ लाइफ या लॉन्ग-लास्टिंग दूध के रूप में भी जाना जाता है और यह आपके बच्चे के लिए सुरक्षित होता है। इस फैंसी नाम का केवल ये अर्थ है, कि दूध को कुछ इस तरह से स्टरलाइज किया गया है, कि इसे खराब होने में अधिक समय लगता है। पर इस बात का ध्यान रखें, कि जब आप दूध का पैकेट या डिब्बा खोलती हैं, तो यह किसी भी रेगुलर दूध की तरह ही खराब हो सकता है।
2. चावल का दूध
राइस मिल्क यानी जो दूध चावल के दानों से निकाला जाता है और इसे कभी-कभी बच्चे को दिया जा सकता है। लेकिन नियमित रूप से बच्चे को चावल का दूध देने की आदत न बनाएं, क्योंकि इसमें आपके बच्चे के लिए जरूरी प्रोटीन और फैट की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है।
3. सोया दूध
सोया दूध को सोयाबीन से निकाला जाता है और यह गाय के दूध का एक बेहतरीन वीगन विकल्प है। इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे को केवल फुल फैट दूध दें, जो कैल्शियम युक्त हो।
4. बकरी या भेड़ का दूध
बकरी या भेड़ का दूध गाय के दूध की तरह ही होता है और इसे एक साल से अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। लेकिन आप अपने बच्चे को विटामिन ‘बी9’ से फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थ ही देना चाहेंगे, जो कि बकरी या भेड़ के दूध में उपलब्ध नहीं होता है।
5. बादाम या काजू का दूध
वीगन आहार के लिए काजू या बादाम का दूध भी एक अच्छा विकल्प होता है।
दूध में मौजूद पोषक तत्व
एनिमल मिल्क (गाय का दूध) को संपूर्ण आहार माना जाता है, क्योंकि इसमें आपके बढ़ते बच्चे के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे:
1. फास्फोरस
हड्डियों की मजबूती को बनाए रखने के लिए, मस्तिष्क के फंक्शन को सहयोग करने के लिए और मेटाबॉलिक रिएक्शन के लिए एनर्जी उपलब्ध कराने के लिए यह बहुत जरूरी होता है। डाइजेशन और एक्स्क्रीशन में भी यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. विटामिन ‘डी’
विटामिन ‘डी’ को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। यह बोन डेंसिटी को बेहतर बनाता है। यह प्रभावी ब्लड सरकुलेशन के लिए भी जरूरी है।
3. विटामिन ‘ए’
आंखों की रोशनी के विकास में मदद करता है। अच्छी त्वचा बनाए रखता है। साथ ही इंफेक्शन से लड़ने के लिए शरीर को मजबूती भी देता है।
4. विटामिन ‘बी2’
यह कंपलेक्स भोजन को ग्लूकोस में बदलने में मदद करता है, जिसे एनर्जी प्रोवाइड करने के लिए आसानी से ब्रेकडाउन किया जा सकता है।
5. कायानोकोबालामिन
इसे माइलिन शैथ के उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि न्यूरोनल डेवलपमेंट के लिए जरूरी होता है। यह रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है।
6. नियासिन
यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करता है और साथ ही जोड़ों की मोबिलिटी को बेहतर बना कर आर्थराइटिस जैसी समस्याओं से बचाता है।
7. कैल्शियम
दांतों और हड्डियों के निर्माण के लिए यह मिनरल जरूरी होता है। सर्कुलेटरी सिस्टम और नर्वस सिस्टम की उचित फंक्शनिंग के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। यह मस्तिष्क, मांसपेशियों और कार्डियोवैस्कुलर फंक्शनिंग के लिए भी आवश्यक होता है।
दूध के बेहतरीन फायदे
बच्चों के लिए दूध कई तरह से फायदेमंद होता है, इनमें से कुछ फायदे यहां पर दिए गए हैं:
1. संपूर्ण पौष्टिक प्रोफाइल
दूध में कार्बोहाइड्रेट और फैट मौजूद होते हैं, जो कि एनर्जी देते हैं। दूध में मौजूद प्रोटीन विकास और मरम्मत के लिए जरूरी होता है। साथ ही इसमें कई विटामिन और मिनरल भी होते हैं, जो कि आपके बच्चे के आहार में होने चाहिए।
2. हड्डियों और दांतों का विकास
दूध में मौजूद कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन ‘डी’ बच्चों में हड्डियों और दांतों के स्वस्थ विकास में सहयोग करते हैं। कैल्शियम और फास्फोरस दांतों की परत यानी इनेमल के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं, जो दांतों को खाने में मौजूद एसिड से सुरक्षित रखता है। साथ ही कैसीन नामक एक मिल्क प्रोटीन इनेमल परत बना सकता है, जिससे कैल्शियम और फास्फोरस की क्षति से बचाव होता है। ये तीनों पोषक तत्व रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस और ओस्टियोमलेसिया जैसी बीमारियों से बचने में मदद करते हैं, जो कि कमजोर या नाजुक हड्डियों के कारण होते हैं।
3. ब्लड प्रेशर मेंटेन करना
दूध में मौजूद पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने के लिए जाने जाते हैं। दूध में स्पेशल प्रोटीन भी होते हैं, जिन्हें बायोएक्टिव पेप्टाइड कहा जाता है, ये हाइपरटेंशन को कम करते हैं। आपके बच्चे को हाई ब्लड प्रेशर से बचाने के लिए उसके खाने में नमक का स्तर नियंत्रित होना भी जरूरी है।
4. हाइड्रेशन
दूध में 87% पानी होता है और आपके बच्चे को पूरे दिन हाइड्रेटेड रखने का यह एक स्मार्ट तरीका है, खासकर शारीरिक गतिविधियों या एक्सरसाइज के बाद।
5. कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को बेहतर बनाना
मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे मिनरल्स, वेसोडाइलेटर की तरह व्यवहार करते हैं, जो कि अंगों की ओर खून के प्रवाह को बेहतर बनाते हैं। ये एथेरोसिलेरोसिस जैसी बीमारियों और दिल की अन्य बीमारियों के खतरे को भी कम करते हैं। दूध में मौजूद कैल्शियम, ब्लड क्लॉटिंग और साथ ही ब्लड सेल्स की फंक्शनिंग को भी बेहतर बनाते हैं।
6. डायबिटीज और मोटापे से बचाव में मदद
दूध में मौजूद विटामिन और मिनरल आपके बच्चे के मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाए रखते हैं। इससे उनके शरीर को शक्कर के ब्रेकडाउन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे डायबिटीज और साथ ही मोटापे की संभावना भी कम हो जाती है।
7. इम्यूनिटी को बेहतर बनाना
रिसर्च से यह पता चलता है, कि दूध के नियमित सेवन से कोलोन कैंसर और दिल की बीमारियों के विकास के खतरे में कमी आती है। सेलेनियम, जिंक और विटामिन ‘ई’ जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स आपके बच्चे की इम्यूनिटी को बेहतर बनाते हैं, जिससे वे इंफेक्शन्स से बच पाते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व इन्फ्लेमेशन को नियंत्रित कर सकते हैं।
बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन दूध
आप दूध के किस प्रकार का सेवन करते हैं, यह आपकी उम्र पर निर्भर करता है। एक साल से कम उम्र के शिशुओं को केवल मां का दूध पीना चाहिए। हालांकि चीज (प्रोसेस्ड चीज से बचें) और दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स बच्चों को 6 महीने की उम्र के बाद देना शुरू किया जा सकता है। एक साल की उम्र के बाद बढ़ते बच्चे के लिए होल मिल्क अच्छा होता है। अगर आपको हृदय की कोई अनुवांशिक समस्या है, तो आपको अपने फैमिली डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। जब आपका बच्चा 2 साल का हो जाता है, तब होल मिल्क या नॉन-फैटी मिल्क पर विचार किया जा सकता है, क्योंकि इन दोनों में ही प्रोटीन, विटामिन और मिनरल समान मात्रा में मौजूद होते हैं।
बच्चे के भोजन में दूध शामिल करने के विभिन्न तरीके
दूध के स्वाद के कारण बहुत सारे बच्चों को दूध पीना पसंद नहीं होता है। यहां पर कुछ खास तरीके दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे के भोजन में दूध को शामिल कर सकती हैं:
1. नाश्ते में सीरियल
दूध को फ्लेवर युक्त सीरियल या ओटमील के साथ मिलाया जा सकता है। यह आपके बच्चे की इच्छा के अनुसार ठंडा या गर्म हो सकता है, पर ध्यान रखें कि इसका सेवन सीरियल के मुलायम होने से पहले कर लेना चाहिए। आप उसमें एक मुट्ठी नट्स और किशमिश भी डाल सकती हैं, इससे यह और भी पौष्टिक हो जाएगा और इसका स्वाद भी बेहतर हो जाएगा।
2. खाना पकाने में दूध का इस्तेमाल
आप पास्ता सॉस बनाने के लिए या क्रीम के बजाय दूध का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे इसका स्वाद बदल जाएगा, पर यह स्वादिष्ट लगता है। दूध को स्क्रैंबल्ड एग्स जैसी डिशेज में भी डाला जा सकता है। अगर आपको जरूरी लगे, तो आप इसमें थोड़ा बटर भी डाल सकती हैं। पास्ता में बहुत सारी सब्जियां डालना ना भूलें।
3. आइस्ड मिल्क
आप अपने बच्चे के लिए आइस्ड मिल्क भी बना सकती हैं। दूध में शक्कर और वैनिला जैसे फ्लेवर डालकर इन्हें एक साथ तब तक फेंटे, जब तक यह झागदार ना हो जाए और इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें।
4. फ्लेवर्ड दूध
आप दूध के स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें कई तरह के फ्लेवर डाल सकती हैं। अधिकतर बच्चे चॉकलेट को ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन आप वैरायटी जोड़ने के लिए दालचीनी, स्ट्रॉबेरी, अदरक, पिस्ता, केला, वैनिला, इलायची, हल्दी, शहद आदि जैसे स्वाद को भी आजमा सकती हैं।
5. स्वादिष्ट स्मूदी
दूध में फल, आइसक्रीम, दही, क्रीम या कोई भी स्वादिष्ट चीज मिलाकर इनसे स्वादिष्ट स्मूदी बनाई जा सकती हैं।
6. डंकिंग
अपने बच्चों को जबरदस्ती दूध पिलाने के बजाय आप उन्हें कुकीज या बिस्किट जैसे कुछ स्नैक्स दे सकती हैं। इसे वे दूध में डुबोकर खा सकते हैं और आनंद ले सकते हैं।
अधिकतर पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों को दूध पीने के लिए राजी करना बहुत कठिन होता है। इन टिप्स को आजमाने से आपको थोड़ी मदद मिल सकती है। दूध बहुत ही हेल्दी होता है, पर यह ठोस आहार के साथ केवल एक सप्लीमेंट जैसा होता है और इसे ठोस आहार के बदले में नहीं दिया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखें, कि आपके बच्चे को भोजन में कई तरह के पदार्थ मिलने चाहिए, जैसे साबुत अनाज, सीरियल, मछली, लीन मीट, हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल। साथ ही अगर आप अपने बच्चे के लिए नॉन डेयरी दूध का चुनाव करना चाहती हैं, तो आपके लिए बादाम का दूध और चावल का दूध अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
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