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खजूर ऊर्जा से भरपूर होता है और जब आपका बच्चा ठोस पदार्थ खाना शुरू कर देता है तो उसके आहार के साथ इसे शामिल करने से, यह लौह तत्व, कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक आदि जैसे खनिजों को अच्छी मात्रा में प्रदान करते हैं । इनमें थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलेट, विटामिन ‘ए’,’ बी 6 और विटामिन ‘के’ जैसे विटामिन पाए जाते हैं।
खजूर शर्करा और फाइबर के भी अच्छे स्रोत माने जाते हैं । पके हुए खजूर में मौजूद फ्रुक्टोज और डेक्सट्रोज तत्काल ऊर्जा प्रदान करने मदद करता है।
ये पोषक तत्व बढ़ते बच्चे के आहार को संतुलित करते हैं और माँ के दूध से मिलने वाले पोषण के पूरक होते हैं। यहाँ पर कुछ खजूर से जुडी कुछ बातें बताई गई हैं जो आपको उसे अपने बच्चे को देने के लिए पता होनी चाहिए।
आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के अलावा, खजूर में चिकित्सीय गुण भी पाए जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि खजूर में मौजूद सेलेनियम कैंसर जैसी बीमारी को रोकते है और प्रतिरक्षा को बढ़ाने का कार्य करते हैं। इसके अलावा, इसमें कम से कम 15 खनिज मौजूद होते हैं। खजूर में 23 प्रकार के अमीनो एसिड और असंतृप्त फैटी एसिड पाए जाते हैं और उनमें कोलेस्ट्रॉल एवं संतृप्त वसा की मात्रा बहुत कम होती हैं, इनमें अनुत्तेजक गुण होते हैं और ये एंटी-ऑक्सीडेंट से भी भरपूर होते हैं।
पोषण मूल्य के संदर्भ में, 100 ग्राम पके खजूर में निम्नलिखित पोषक तत्व, खनिज और विटामिन मौजूद होते हैं:
फोलेट | 1.5 माइक्रोग्राम |
नियासिन | 1.6 मि.ग्रा. |
पैंटोथैनिक एसिड | 0.8 मि.ग्रा. |
पायरीडॉक्सन | 0.24 मि.ग्रा. |
राइबोफ्लेविन | 0.06 मि.ग्रा. |
थायमिन | 0.05 मि.ग्रा. |
विटामिन ‘ए’ | 149 आई.यू. |
विटामिन ‘के’ | 2.80 माइक्रोग्राम |
लोहा | 0.90 मि.ग्रा. |
मैगनीशियम | 54 मि.ग्रा. |
फास्फोरस | 62 मि.ग्रा |
जस्ता | 0.44 मि.ग्रा. |
बीटा कैरोटीन | 89 माइक्रोग्राम |
ल्यूटिन ज़ेक्सैंथिन | 23 माइक्रोग्राम |
डिब्बाबंद खजूर और अन्य मेवों की उपयोग अवधि बढ़ाने के लिए या फफूंदी पड़ने से रोकने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में सल्फेट मिलाया जाता है। हालांकि, जिन शिशुओं को अस्थमा है या सल्फेट की एलर्जी उन्हें सल्फेट युक्त खजूर का सेवन करना चाहिए। यदि आपके बच्चे को अस्थमा है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें कि आपके बच्चे को खजूर खिलाना कितना सुरक्षित है।
क्या बच्चों को खजूर दिया जाना चाहिए है, यह एक ऐसा सवाल है जो ज्यादातर माएं पूछती हैं। खजूर ‘दिल के लिए स्वस्थ’ और काफी पौष्टिक होते हैं जिसके कारण उन्हें शिशु के आहार में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि ये पोषक तत्व बच्चे की वृद्धि में मदद करते हैं। एक बच्चे के विकास के लिए, खजूर आवश्यक पोषक तत्वों को जोड़ता है जो अकेले दूध प्रदान करने में शायद सक्षम न हो ।
सही मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करना और आहार में संतुलन बनाना आपके बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए, जब आपका बच्चा बड़ा होने लगे तो,उसके आहार में आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए खजूर जैसे पदार्थ शामिल करने चाहिए।
जब बच्चे लगभग 6 महीने के हो जाएं या वे ठोस या अर्ध-ठोस भोजन खाने लगें, तब आप उन्हें खजूर दे सकती हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपके बच्चे नें अभी ठोस खाद्य पदार्थ खाने शुरू ही किए है तो उन्हें तुरंत खजूर खाने के लिए न दें। बच्चे को पहले थोड़ा थोड़ा खजूर खाने को दें और देखे की वह उसे खाने के बाद कैसी प्रतिक्रिया देता है । इसी तरह उन्हें अन्य फलों से भी ऐसे ही परिचित कराएं है।
बच्चे को आसानी से चबाने के लिए सूखे नहीं, बल्कि भाप में पके खजूर का उपयोग करें। आप पचाने में आसानी के लिए खजूर का गाढ़ा गूदा बनाकर या मसल कर दे सकते हैं।
खजूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और खनिज तथा विटामिन्स की अच्छी मात्रा प्रदान करते हैं, जो आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक है। खजूर आपके बच्चे के विकास में निम्नलिखित तरीकों से मदद करते हैं:
कैल्शियम और मैग्नीशियम हड्डियों के विकास के लिए जरूरी होते है । खजूर में मैग्नीशियम और कैल्शियम की उच्च मात्र पाई जाती है । इसलिए, वे शिशुओं में हड्डी के विकास में मदद करते हैं।
पोटेशियम मस्तिष्क के विकास में मदद करता है, खजूर में ये पोषक तत्व उचित मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे बच्चे का संपूर्ण संज्ञानात्मक विकास होता है।
खजूर परजीवी जीवों को खत्म करने में मदद करते हैं और आंतों में अच्छे जीवाणु को बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह आंतों की समस्याओं को होने से रोकते हैं – जो कि शिशुओं में एक आम चिंता का विषय है।
शिशुओं को विशाणु और जीवाणु संक्रमण होने का काफी खतरा रहता है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे के यकृत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसके वजह से अक्सर शिशु को पीलिया, टाइफाइड और यकृत शोथ जैसे यकृत के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि यह देखा गया है कि खजूर में यकृत की रक्षा करने वाले गुण पाए जाते हैं और इसलिए यह आपके बच्चे की व्यंजन सूची में शामिल करने लायक एक बेहतरीन आहार है।
कुछ बच्चे अम्लता और अल्सर जैसी बीमारी से भी पीड़ित हो सकते है। खजूर में इनके लक्षणों को कम करने के गुण होते हैं और हो सकता है कि खजूर को आपके चिकित्सक द्वारा इसका इलाज करने के लिए अनुशंसित किया भी जाए । हालांकि, आमाशय अल्सर के इलाज के लिए खजूर का उपयोग करने से पहले, अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।
बेहतर दंत विकास के लिए, जिन शिशुओं के दांत निकल रहे हो उन्हें आप पके हुए खजूर दे सकती हैं। खजूर मसूड़ों को मजबूत बनाने, दांतों को मजबूत करने और उनके जल्दी निकलने में मदद करता है। पके हुए खजूर को चबाने से दांतों के लिए एक अच्छा दंत व्यायाम हो सकता है जो ऐसे शिशुओं के लिए बेहद फायदेमंद है जिनके दांत निकलना शुरू हुए हैं ।
यदि आपका बच्चा बुखार या चेचक से उबर रहा है तो खजूर उसे तेजी से ठीक करने में सहायता करता है। यह खजूर में मौजूद भरपूर पोषक तत्वों के कारण होता है। आप खजूर को दूध के साथ भी मिला कर बच्चे को दे सकती हैं।
बड़ी आंत में जीवाणु के संक्रमण के कारण शिशुओं में पेचिश की समस्या जन्म ले सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप बच्चे को खजूर का गूदा खिलाकर इसे नियंत्रित कर सकती हैं ।
खजूर में मौजूद रेशे की उच्च मात्रा, मलोत्सर्ग में बेहद सहायक होते हैं और साथ ही यह अच्छी तरह से जल को अवशोषित करने में मदद करते हैं । यह शिशुओं के मलोत्सर्ग को आसान बनाने में सहायता करते है।
बच्चों को बुखार आना एक सामान्य बात है। खजूर शरीर के बढ़ते तापमान को कम करने के साथ अम्लता और दस्त जैसी बीमारी को भी खत्म करने में मदद करता है। पीसकर दूध में मिलाया गया खजूर बेहद पौष्टिक होता है और बुखार से जल्द ठीक होने में मदद करता है।
खजूर में लौह तत्व की मात्रा अधिक होती है। यह आपके बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में मदद करताहै। यह स्वस्थ बालों के विकास को बढ़ावा देते है और त्वचा को पोषण भी प्रदान करता है।
अन्य फलों के साथ एक खजूर को देने से शुरुआत करें, ताकि आपका बच्चा खजूर के स्वाद से परिचित हो जाए । इसे अन्य फलों के साथ मसल कर या भाप में पका कर भी दिया जा सकता है। आप बच्चे को दिन में एक खजूर देने से शुरू कर सकती हैं और धीरे-धीरे प्रतिदिन 2 से 3तक बढ़ सकती हैं।
शिशुओं के पाचन तंत्र नाजुक होते है इसलिए उन्हें किसी भी खाद्य पदार्थों को एकदम से देने से बचना चाहिए। शिशुओं को, सख्त खजूर का टुकड़ा देकर उन्हें इसके चबा कर खाने की उम्मीद नही की जा सकती है । यह उनके गले में भी फंस सकता है इसलिए उन्हें भाप में पकाए हुए या मसले हुए ही खजूर दें।
मसले हुए या भाप में पकाए हुए खजूर के साथ इसे देना शुरू करें और उबले हुए खजूर का उपयोग करने से बचें क्योंकि उबालने से सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। कच्ची खजूर तभी दें जब आपका बच्चा उसे ठीक से चबा सकने लायक हो ।
आप उसे प्यूरी के रूप में भी खजूर खिला सकती हैं। नीचे खजूर की प्यूरी बनाने की विधि दी गई है:
शिशुओं के लिए खजूर का रस बनाने की विधि :
एक छोटे कटोरे में खजूर डालें और उन्हें डूबने तक गर्म पानी डालें, इसे 30 मिनट तक भींगने दें।
आप निम्न तरीकों से अपने बच्चे के आहार में खजूर को शामिल कर सकती हैं:
खजूर पोषक तत्वों से भरे होते हैं, जो शिशु के संपूर्ण विकास में मदद करते हैं। यह बुखार के दौरान होने वाली बेचैनी को कम करने में भी मदद करते हैं । आप खजूर को प्यूरी शेक या रस के रूप में बच्चे को दे सकती हैं। अपने चिकित्सक से परामर्श करें और अपने बच्चे को इस पोषक तथा स्वादिष्ट आहार से जरूर परिचित कराएं ।
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