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एक भारतीय के रूप में, हम भाग्यशाली हैं कि हमने विविध संस्कृतियों वाली भूमि पर जन्म लिया। भारत जैसे देश में रहने का हमें यह फायदा हुआ कि हम सालों भर विभिन्न राज्यों के विभिन्न त्यौहारों को बिना किसी भेदभाव के मनाते हैं और इन त्यौहारों का महत्व समझते हैं। लोहड़ी भी इन्हीं त्यौहारों का एक अहम हिस्सा है, जिसे हर साल जनवरी को खासतौर पर भारतीय राज्य पंजाब में मनाया जाता है, लेकिन जैसा की आपको बताया कोई भी त्यौहार किसी राज्य विशेष तक सीमित नहीं है अब हर जगह हर त्यौहार मनाया जाता है और यह एक प्रकार भारतीय निवासियों का एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान जताने का एक तरीका है। जब हम पंजाब राज्य की बात करते हैं तो हमारी कल्पना में हरियाली, किसान की खेती, फसल और रंग–बिरंगी खुशनुमा महौल की तस्वीर सामने आ जाती है। तो जरा सोचिए जो राज्य ऐसा हो उस राज्य के त्यौहार कितने खूबसूरत होंगे! जहां आपको जश्न, खुशियां, नृत्य और संगीत का प्रर्दशन देखने को मिलता है।
हमारे भारत की विविध संस्कृतियों को अब हमें हमारे बच्चों तक पहुंचाना है जिसमें स्कूल के साथ माता–पिता का कर्तव्य है की बच्चों को शिक्षित करें और इनकी इस विषय में रूचि बढ़ाएं। तो आइए जानते हैं कि किस प्रकार से आपका लोहड़ी पर निबंध लिख सकता है या अगर वो इस विषय में आपसे मदद मांगे तो आप किस प्रकार से बच्चे सही तरह से निबंध लिखने में सहायता करें।
यदि स्कूल में आपके बच्चे को 200-300 शब्दों में लोहड़ी के पर्व पर हिंदी में निबंध लिखने को कहा गया है, तो उनके लिए लोहड़ी पर यह शार्ट पैराग्राफ या छोटा निबंध बहुत सहायक हो सकता है।
पंजाब में लोग सर्दियों के मौसम का अंतिम पड़ाव पर आना और फसलों के मौसम के आगमन का स्वागत करने की खुशी में लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार नई शुरुआत को दर्शाता है। लोहड़ी का त्यौहार को अलाव के साथ मनाया जाता है। परंपरागत रूप से इसकी तैयारी लगभग एक या दो सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है जहां किशोर लड़के और लड़कियां अलाव के लिए उपले बनाने के लिए गाय का गोबर और टहनियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं, लोहड़ी वाले दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अलाव जलाने के लिए उसके चारों ओर इकट्ठा होते हैं। लोग अलाव के सामने प्रार्थना करते हैं और उसमे तिल, मूंगफली और चूरा डालते हैं क्योंकि इन सभी खाद्य पदार्थों को लोहड़ी का प्रसाद माना जाता है। इस दिन पुरुष और महिलाएं खूब नाचते गाते हैं जिसमें पारंपरिक गीत और भांगड़ा और गिद्दा कर के लोग अपनी खुशी जाहिर करते हैं। लोग एक–दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हैं। इसके आलावा लोहड़ी के दिन, स्वादिष्ट भोजन पकाया जाता है जिसमें मुख्य रूप लोहड़ी विशेष भोजन ‘सरसों का साग‘ और ‘मक्की की रोटी‘ और खीर, आटे के लड्डू के साथ–साथ कई अन्य व्यंजन बनाए और खिलाए जाते हैं। यह त्यौहार उन लोगों के लिए बहुत अहमियत रखता है जो नवविवाहित हों या घर परिवार में जिस बच्चे की यह पहली लोहड़ी होती है। इस दिन लोग अपने परिवार और करीबियों को खाने के लिए आमंत्रित करते हैं और एक दूसरे को उपहार देते हैं। लोहड़ी पर, लोग सूखे मेवे, रेवड़ी, चीनी, तिल और भुनी हुई मूंगफली से बनी मिठाई का भोग लगाते हैं। तिल के लड्डू और अन्य खाद्य पदार्थों को सब बारी–बारी आग में डालने के बाद एक साथ इकट्ठा होते हैं और त्यौहार का जश्न मनाते हैं। लोहड़ी का त्यौहार पंजाब के ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शहरों, यहां तक की बहुत सारे राज्यों में भी यह मनाया जाने लगा है। और शहरवासी भी पूरी परंपरा के साथ त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार ही तो हैं जो हमें समय समय पर अपनों के होने की अहमियत बताते हैं। भारत को एक महान देश इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह अनेकता में भी एकता का प्रतीक है। इसलिए यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम उस देश के नागरिक हैं विविध संस्कृतियों का धनी है।
अगर आपको अपने बच्चे को लोहड़ी के लिए बड़ा और स्पष्ट निबंध लिखवाना है तो आप नीचे निबंध के साथ दिए गए पॉइंट्स भी जोड़ सकते हैं जिसमें आप लोहड़ी के बारे में विस्तार से बता सकते हैं।
भारत में हर त्यौहार का अपना महत्व होता है और सभी को एक समान खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे ही पंजाब के प्रसिद्ध त्यौहार लोहड़ी को भी पूरे देश में धूम से मनाते हैं। यह सर्दियों के खत्म होने के साथ 13 जनवरी को हर साल मनाते हैं। इस त्यौहार का महत्व नई फसलों और किसानों से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग अलाव जलाते, नए कपड़े पहनते और आग के चारों तरफ नाचते–गाते चक्कर लगाते और भगवान से प्रार्थना करते है। साथ में तिल, रेवड़ी आदि अलाव में डालते भी हैं। पंजाब और हरियाणा में इस त्यौहार की अलग रौनक देखने को मिलती है।
भारत का हर त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, वैसे ही लोहड़ी को भी खुशी और धूम के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी पर परिवार के सभी सदस्य, रिश्तेदार और दोस्त एक साथ मिलते और मनाते है। लोहड़ी के दिन सभी लोग एक–दूसरे को गले लगाकर लोहड़ी की शुभकामनाएं देते और मिठाई बांटकर त्योहार का मजा लेते है। यह सबसे प्रसिद्ध फसल कटाई का त्योहार है जो किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। लोग इस दिन आलाव जलाते, नए कपड़े पहनते, गाना गाते और उसके चारो ओर नाचते है। आलाव के चारो ओर गाते और नाचते समय आग मे कुछ टॉफी, तिल के बीज, गुड अन्य चीजें आग में डालते हैं। इसके बाद सभी लोग स्वादिष्ट खाने का भी आनंद उठाते हैं।
लोहड़ी प्रमुख रूप से सिख और पंजाबियों का त्यौहार है जो सर्दियों के मौसम के खत्म होने और फसलों की कटाई की खुशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किसान रबी की फसलों की कटाई कर के अपने घर पर लाते हैं, जिसकी खुशी किसानों के बीच देखी जाती है। यह त्यौहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले बहुत धूमधाम मनाया जाता है। हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई धार्मिक कथाएं होती है ठीक वैसे ही लोहड़ी को लेकर अनेक कथाएं हैं जिनमें से कृष्ण भगवान और लोहिता राक्षसी की कथा और संत कबीर और उनकी पत्नी लोई की कथा काफी मशहूर है। लोहड़ी की रात को अग्नि की परिक्रमा करते हुए लोग आग में खील, मक्के के दाने, रेवड़ी डालते और खूब नाचते गाते हैं। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटा जाता है जिसमें खील, मक्के के दाने, रेवड़ी, गज्जक, गुड़ आदि दिया जाता है। यह त्यौहार नवजात बच्चे और नई दुल्हन के लिए बहुत खास माना जाता है क्योंकि यह त्यौहार नई शुरूआत का खास प्रतीक है।
लोहड़ी से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं लेकिन उनमे से एक ऐसी कथा है जो कि काफी मान्य और लोकप्रिय है। यह कथा माता सती से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ किया था तब भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया गया था। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की बेटी सती के आग में समर्पित होने के कारण भी इस त्यौहार को मनाया जाता है।
लोहड़ी पर्व भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। एक बार द्वापरयुग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा था। सभी लोग उसमें पूरे व्यस्त थे। तभी, हमारे नन्हें बाल गोपाल को मारने के लिए कंस ने एक राक्षसी को भेजा, जिसका नाम था ‘लोहिता’, लेकिन श्रीकृष्ण ने खुद ही खेल खेल में उस राक्षसी का वध कर दिया। इसलिए मान्यता है कि लोहिता के वध के उपलक्ष्य में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।
बदलते समय में सभी धर्म और जाति के लोग हर त्यौहार को प्रेम और सम्मान के साथ मनाते हैं। लेकिन कुछ राज्यों में विशेष रूप से यह रौनक ज्यादा देखने को मिलती है। इसी प्रकार लोहड़ी के त्यौहार कई राज्यों में अपने–अपने तरीके से मनाया जाता है, खासकर उत्तर राज्य के बहुत सारे राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब और दिल्ली आदि में अधिक देखने को मिलता है। आइए जानते हैं किन किन राज्यों में कैसे मनाई जाती है लोहड़ी।
यहाँ लोहड़ी पंजाबी किसानों के लिए नए साल का प्रतीक है। इस दिन सभी किसान प्रार्थना करते हैं और अपनी अच्छी फसल के लिए प्रभु का शुक्रिया करते हैं।
यहाँ यह त्यौहार फसलों के उपजाऊ होने की खुशी में मनाया जाता है, जिसमें अलग–अलग समुदाय और गांव के लोग एक साथ मिलकर त्यौहार का जश्न मनाते हैं। इस दिन अपनी पारंपरिक पोशाक पहनते हैं। आग जलाई जाती है जिसमें लावा, चावल और मिठाई डाली जाती है ताकि भगवान उनमें अच्छी फसल दें।
दिल्ली में लोहड़ी वाले दिन बच्चे अपने पड़ोसियों के घर जाते हैं और गाने गाते हैं, जहां बड़े उन्हें पैसे और तोहफे देकर आशीर्वाद देते हैं। शाम को आग के सामने अच्छे अच्छे पकवान खाए जाते हैं।
यहाँ पर लोहड़ी की शुरूआत लोहड़ी के गाने से की जाती है जिस पर लोग डांस करते हैं। इस दिन लोग रंग–बिरंगे कपड़े पहनते हैं और ढोल की ताल पर नाच कर अपनी खुशी जाहिर करते हैं। इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं।
भारत विभिन्न संस्कृतियों और परम्पराओं से भरपूर है, लेकिन इसके बावजूद इसकी धरती पर हर धर्म और जाति के लोग हर त्यौहार को उसी प्रेम और सम्मान के साथ मिल जुलकर मनाते हैं। लोहड़ी भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार लोगों में मौजूद आपसी एकता, प्यार और सम्मान को दर्शाता है। साथ ही देश के लोगों का सभी धर्मों के त्यौहार के प्रति एक समान प्यार इसे एक बेहद मजबूत और खुशहाल देश बनाता है।
सिंधी समुदाय में लोहड़ी को लाल लोई के नाम से मनाते हैं।
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था, जो तिल और गुड़ की रोड़ी से मिलकर बना था।
लोहड़ी से जुड़े पारंपरिक खाद्य पदार्थों में गजक, तिल के लड्डू, पॉपकॉर्न और रेवाड़ी शामिल हैं।
त्यौहार घरों में खुशियां लेकर आते हैं और हर त्यौहार हमें प्यार और अच्छे कर्मों के साथ जीवन जीने का महत्व बताता है। वैसे लोहड़ी एक लोकप्रिय त्योहार है और इसके निबंध के माध्यम से हमें और बच्चों को साथ मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करने का अनुभव होगा और साथ देश के विभिन्न त्यौहार की संस्कृति और परंपरा की जानकारी भी हासिल होगी।
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