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मेडिटेशन या ध्यान, एक ऐसा प्राकृतिक इलाज है, जो बच्चों में होने वाले तनाव और चिंता को कम करता है, जो वे रोजाना घर और स्कूल में महसूस करते हैं। मेडिटेशन बच्चों को किसी विषय पर केंद्रित होने में और उनकी भावनाओं को समझने या ठीक करने में मदद करता है। कुल मिलाकर, मेडिटेशन बच्चों में भावनाओं को संतुलित करने और फोकस बढ़ाने में मदद करता है।
यदि आप अपने बच्चों को सांस रोकना, सही तरीके से सांस लेना और ध्यान केंद्रित करना सिखाना चाहते हैं, तो मेडिटेशन ही इसका उपाय है। जानिए, कि कैसे आप बच्चों को मेडिटेशन की तकनीक सिखाने की शुरुआत कर सकते हैं।
बच्चों का मन साफ होता है, और उनके अंदर कोई अहंकार नहीं होता। इसलिए बच्चों के पास तीव्र आध्यात्मिक भावनाएं होती हैं। इसी के जरिए वे आसानी से ध्यान यानी मेडिटेशन से जुड़ सकते हैं। बच्चों को ध्यान सिखाना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप अपने बच्चे को पास के किसी मेडिटेशन सेंटर में एडमिशन दिला सकते हैं। वहीं आजकल स्कूलों में भी मेडिटेशन क्लास दी जाने लगी हैं। यह भी बच्चों को मेडिटेशन सिखाने का एक शानदार तरीका है।
मेडिटेशन करते समय मन स्थिर रहे इसके लिए कई तरह की तकनीक हैं। नीचे बताए गए मेडिटेशन के प्रकार बच्चों को रोजाना ध्यान करने में मदद कर सकते हैं।
यह ध्यान की ऐसी प्रक्रिया है जो ब्रीदिंग एक्सरसाइज को सही तरीके से सिखाती है। यह बच्चों के दिमाग को ध्यान के दौरान भटकने से रोकती है।
इस तकनीक में बच्चों को गुब्बारे की तरह अपने पेट की कल्पना करने के लिए सिखाना शामिल है। हर बार जब बच्चा सांस लेता है, तो वह अपने पेट को गुब्बारे की तरह फैलने की कल्पना करता है, और जब वह सांस छोड़ता है, तो गुब्बारे से बाहर निकलने वाली हवा की कल्पना करता है। यह उन बच्चों के लिए कठिन हो सकता है जो बहुत छोटे हैं क्योंकि वे लंबे समय तक एक जगह पर बैठना पसंद नहीं करेंगे। ऐसे में कुछ एक्स्ट्रा प्रयास करें, जैसे कि बच्चे से कहें कि वह काल्पनिक गुब्बारे को फैलाने के लिए हाथों को सिर के सामने या ऊपर खींचे।
बच्चों को मेडिटेशन सीखने के लिए गाइडेंस की जरुरत होती है। यदि बच्चे का कोई बड़ा भाई या घर का ऐसा सदस्य है जिससे बच्चा काफी प्रभावित रहता है तो आप उसकी मदद ले सकते हैं। जैसे कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लिए वह गिनती कर सकते हैं कि बच्चा कितनी बार सांस ले रहा है और सांस छोड़ रहा है। इस प्रक्रिया को बच्चा खुद भी कर सकता है।
यह एक ऐसी तकनीक है, जिसे सभी उम्र के लोग कर सकते हैं। अगर किसी को कोई तनाव है या फिर नींद नहीं आती है तो यह बेहद कारगर होती है। इस प्रक्रिया में धीमी और गहरी सांस ली जाती है। इससे शरीर को आराम मिलता है, इसको कुछ इस तरह से करें, आराम से लेट जाएं और कुछ समय के लिए गहरी सांस ले। पैरों पर ध्यान केंद्रित करें, मन शांत करें। गहरी सांस ले कर छोड़ें, अपने पैरों को तुरंत आराम दें। धीरे-धीरे सांस छोड़ते समय मन को शांत रखें। दूसरे पैर के साथ भी इस प्रक्रिया को दोहराएं, अपने शरीर के सभी अंगों को आराम दें। मेडिटेशन की यह प्रक्रिया मन और दिमाग को शांत रखती है।
गणित जैसे विषय में छात्रों को बेहतर सीखने और उच्च ग्रेड स्कोर करने में यह मेडिटेशन काफी मदद
कर सकता है। पढ़ाई शुरू होने से पहले क्लास रूम में छात्रों को डेस्क पर अपने हाथ रखकर अपनी जगह पर आराम से बैठने को कहें। फर्श पर पैर सपाट और पीठ सीधी होनी चाहिए। अब एक शांत धुन या मंत्र लगाकर बच्चों को आंखे बंद करके उस पर ध्यान केंद्रित करने को कहें
अलग-अलग उम्र के बच्चे इस तकनीक को अलग-अलग तरह से सीखते हैं। उनसे यह अपेक्षा करना कि वे लंबे समय तक इस प्रक्रिया को करते हुए बैठेंगे, संभव नहीं है। ऐसे में उन्हें सांस लेने की तकनीक के साथ शरीर के मूवमेंट और मन के साथ कल्पना करने को कहना एक अच्छा और आसान तरीका है।
इस उम्र वर्ग के बच्चों के लिए लोटस ब्रीथ मेडिटेशन का प्रयास करें। यह तकनीक सांस और भावनाओं के साथ मन को शांत रखती है। एक मजेदार एक्टिविटी के साथ इसकी शुरुआत करें। बच्चे को मन में यह ध्यान करने को कहें, कि एक कमल का फूल है और उस पर अपना ध्यान केंद्रित करे। मन के विचारों को शांत करते हुए वह यह महसूस करे कि वह कमल के फूल की सुगंध ले सकता है। उससे पूछें कि इस सेशन के दौरान उसे कैसा लगा, उसका दिन कैसा रहा इस प्रक्रिया के बाद, और उनके मन में किस तरह के इमोशन आए हैं। बच्चों से प्रतिक्रिया लें, क्योंकि उनकी राय जानना जरूरी है।
ध्यान व सांस लेने की तकनीक 8 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को सिखाई जा सकती है। एक बार जब बच्चे जब बैलून ब्रीदिंग एक्सरसाइज में कुशल हो जाते हैं तो वे आसानी से बीयर ब्रीदिंग एक्सरसाइज सीख सकते हैं। यह एक्सरसाइज सांस लेने की तकनीक के साथ तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाती है। जब भी कोई स्ट्रेस में हो तो मन को शांत करने के लिए इसे दिन के दौरान किसी भी समय किया जा सकता है। इस एक्सरसाइज या तकनीक में 4 बार गिनती करें और नाक के जरिए सांस लें। 4 तक गिनते हुए सांस को रोक कर रखें और फिर सांस बाहर निकालें।
मेडिटेशन के ऊपर कई स्टडीज की जा चुकी हैं। एक रिसर्च के मुताबिक मेडिटेशन सबसे ज्यादा इमोशन को कंट्रोल करने में सहायक होता है, दिमाग को शांति देता है। मेडिटेशन के अन्य लाभ नीचे दिए गए हैं।
ध्यान और मन केंद्रित करने से बच्चों के दिमाग को बेहतर तरीके से तेज किया जा सकता है। इससे उनकी याददाश्त में भी सुधार होता है, जिससे स्कूल में वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह चिंता को भी कम करता है। बच्चों को पढ़ाई से ब्रेक लेने के समय का इस्तेमाल मेडिटेशन के लिए कराएं। इससे बच्चों में अच्छी आदतों का विकास होता है। साथ ही टीनएज ग्रुप के बच्चों में यह नशे की लत लगने से रोकता है।
ध्यान करने से मन में पॉजिटिव विचार आते हैं, और हम नेगेटिव विचारों पर कंट्रोल कर सकते हैं। बच्चे अपने आसपास के परिवेश या वातावरण की सराहना करना सीखते है। उनके पास जो है उसे देखकर जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोणआता है। वे दूसरों के प्रति अधिक दयालु और स्नेही भी बन जाते हैं। सभी के प्रति प्यार और आदर की भावना का विकास बच्चों में होने लगता है। बच्चों की उच्च भावनात्मक बुद्धि उन्हें बढ़े हुए आत्मविश्वास और खुशी की ओर ले जाती है।
मेडिटेशन करने के बाद दिमाग शांत होता है, इससे अच्छी तरह से सोने में मदद मिलती है। जिसकी वजह से अच्छी एकाग्रता, एक मजबूत इम्युनिटी सिस्टम और एक स्वस्थ रूप से काम करने वाले शरीर का निर्माण होता है।
मन सांस का अनुसरण करता है। बिना सांस लिए ध्यान नहीं हो सकता है। इसलिए सबसे पहले ब्रीदिंग एक्सरसाइज सिखाएं। क्योंकि मेडिटेशन के लिए सही तरीके से श्वसन जरूरी है। जो बच्चे सही तरीके से ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं उनके लिए मेडिटेशन करना आसान है।
सभी बच्चे निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं कर सकते हैं। वे हमेशा उस तरह से जवाब नहीं देते हैं जिस तरह से हम उनसे उम्मीद करते हैं। इसलिए, उनके व्यक्तित्व को बेहतर ढंग से निखारने के लिए ध्यान की प्रक्रिया को सही तरीके से सिखाएं। उदाहरण के लिए कुछ बच्चे अपनी आँखें बंद नहीं करना चाहते हैं, और उन्हें ऐसा करने के लिए आप मजबूर न करें। बल्कि उन्हें ऐसा कुछ दें जिससे वे अपनी ध्यान की मुद्रा में आराम से बैठें।
मेडिटेशन करने के लिए मन में यह सोचें कि सब कुछ अच्छा है। बच्चों को यह निर्देश दें, कि वह अपने मन में अच्छी और सकारात्मक बातें लाएं। क्योंकि बच्चों की कल्पना में काफी मजेदार चीजें भी होती हैं। सकारात्मक कल्पना शक्ति बच्चों को ध्यान के दौरान मानसिक तौर से काफी शांत रखती है।
कुछ बच्चे शुरुआत में काफी बेचैन हो जाते हैं। मेडिटेशन की आदत होने से पहले उन्हें कुछ समय लगता है। जाने दें और उनकी एनर्जी को अपना संतुलन खोजने दें। माइंडफुलनेस और मेडिटेशन के बहुत सारे तरीके हैं, इसलिए किसी भी बात पर जोर न दें।
अपने बच्चों के साथ आप भी ध्यान करें क्योंकि आप उन्हें सिखाते हैं तो यह बेहतर काम करता है। अगर यह दोनों तरफ से हो तो बच्चों और पेरेंट्स दोनों के लिए काफी मूल्यवान साबित होता है।
मेडिटेशन, जब छोटी उम्र में ही सिखाया जाता है, तो बच्चों को तनाव से निपटने, अपनी भावनाओं को संतुलित करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए मदद मिलती है। सरल ध्यान तकनीकों के जरिए बच्चों को सिखाएं और आप देखेंगे कि बच्चा जब बड़ा होगा तो उसमें काफी कुछ सकारात्मक देखने को मिलेगा।
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