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सामान्य तौर पर भारत में साल का दूसरा हिस्सा अनेकों त्योहार और सेलिब्रेशन से भरा हुआ है और इस समय हर सप्ताह कुछ न कुछ सेलिब्रेट किया ही जाता है। यह समय परिवारों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इन त्योहारों को सेलिब्रेट करने के लिए भारत के विभिन्न जगहों से लोग अपने घर आते हैं और पूरा परिवार मिलकर खुशियां मनाता है।
लगभग सभी त्योहार – नवरात्रि, दशहरा और दिवाली – बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए ही मनाए जाते हैं और यह सबसे सही समय है जब आप अपने बच्चों को भारत के इतिहास के बारे में बता सकते हैं। यदि आपके परिवार में बच्चे हैं तो उन्हें अपनी रीति-रिवाज, त्योहार और नवरात्रि के बारे में सभी जानकारी दें ताकि बच्चे भी त्योहारों की महत्ता समझें।
नवरात्रि हिन्दु धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है और देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अलग-अलग नाम भी हैं, जैसे चंद्र दर्शन, सिन्दूर तृतीया, चंडी पाठ, कुमारी पूजा, संधि पूजा, महागौरी पूजा, आयुधा पूजा और इत्यादि। भारत में विभिन्न जगहों पर इसके कुछ नियम व रिवाज भी माने जाते हैं। नवरात्रि का त्योहार हर राज्य में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है और जगहों के अनुसार इसके समय में भी काफी अंतर है।
हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग नवरात्रि मनाते हैं और इसे हर क्षेत्र में अलग कारणों से भी मनाया जाता है। 9 दिनों की इस पूजा को दुर्गा पूजा भी कहते हैं जिसमें माँ दुर्गा और उनके नौ अवतारों का पूजन होता है। नव का अर्थ है नौ और रात्रि का अर्थ रात है, इसलिए इसे नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि में नौ रंगों का भी महत्व है जिसमें हर रंग अलग-अलग दिन और देवी के अवतारों को दर्शाता है।
उत्तर भारत में नवरात्रि के बाद दशहरा भी मनाया जाता है और यह त्योहार राम-रावण युद्ध में भगवान राम के विजयी होने की खुशी में मनाया जाता है, उत्तर-पूर्व क्षेत्र में लोग इन दिनों के दौरान माँ दुर्गा और उनके 9 अवतारों की पूजा करते हैं जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था।
शारदीय नवरात्रि साल के अक्टूबर महीने में होती है। यद्यपि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार वास्तव में नवरात्रि साल में 2 से 4 बार होती है और वर्षा ऋतू के बाद आने वाली शारदा नवरात्रि सबसे ज्यादा मनाई जाती है। हिन्दू त्योहार अक्सर हिन्दू माह और तिथियों के अनुसार ही होते हैं इसलिए हर साल इसकी तारीख बदल जाती है। इस साल, यानी 2023 में नवरात्रि 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक मनाई जा रही है।
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पूर्व भारत में नवरात्रि को दुर्गा पूजा भी कहा जाता है। इस दौरान भारत के कुछ क्षेत्रों, जैसे पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, बिहार इत्यादि में बहुत बड़ी मात्रा में लोग एकत्रित होते हैं। सभी लोग एक साथ मिलकर माँ दुर्गा की वंदना करते हैं और दुष्ट महिषासुर पर विजय प्राप्ति का उत्सव मनाते हैं। इस समय पूरे शहर में बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं और भव्य स्टेज सजाए जाते हैं। नवरात्रों के 8 दिनों तक माँ दुर्गा की भव्य मूर्तियां सजाई जाती हैं और पूजा व आरती के बाद इन मूर्तियों को पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विसर्जन द्वारा माँ दुर्गा, देवी पार्वती के रूप में कैलाश में वापस लौटती हैं।
उत्तर भारत में नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि अप्रैल महीने में भी मनाई जाती है जिसमें लोग नौ दिनों का उपवास रखते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको पूरे नौ दिनों तक कुछ भी नहीं खाना है, इन दिनों में हिन्दू धर्म के अनुसार उपवास में सिर्फ कुछ चीजों का सेवन निषेध है, जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन, अल्कोहल, गेहूँ, चावल और इत्यादि। उपवास रखने से पेट की समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं।
दूसरी नवरात्रि अक्टूबर महीने में श्री राम जी के विजय होने पर मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय पाई थी और माता सीता का रक्षण किया था, उस उपलक्ष को याद करके भी नवरात्रि मनाई जाती है।
नवरात्रि की कहानियों में श्री राम की महिमा लिप्त है जिससे बच्चे भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। इस समय नौ रातों तक लोग जागते हैं व राम गुणगान करते हैं और उनकी गाथाओं का आनंद लेते हैं। अंतिम दसवें दिन में रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है।
पश्चिमी भारत और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में यह उत्सव डांडिया या गरबा खेलकर मनाया जाता है। यह एक पारंपरिक नृत्य है जिसमें महिलाएं और पुरुष एक साथ भाग लेते हैं। इसे ‘खड्ग नृत्य’ भी कहा जाता है क्योंकि यह नृत्य माँ दुर्गा व राक्षसों के बीच युद्ध को दर्शाता है।
दक्षिण भारत में नवरात्रि को आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इसमें यंत्रों की पूजा की जाती है। इस समय लोग भगवान के सामने अपने वाहन, किताबें और वाद्य यंत्रों (म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स) की पूजा करते हैं और पवित्र राख व चंदन का पेस्ट लगाते हैं। दक्षिण राज्यों के कई क्षेत्रों में लोग अपने गुड़ियों को अद्भुत तरीके से सजाकर घर में पूरे नौ दिनों तक रखते हैं।
दशहरा एक ऐसा त्योहार है जिसे पूरे उत्तर भारत में लंका पर श्री राम की विजय के लिए बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। यह नवरात्रि का सबसे अंतिम दिन माना जाता है और हर साल विजयादशमी के दिन लोग दशानन रावण के पुतले बनाकर जलाते हैं।
दशहरा अक्सर अक्टूबर माह में मनाया जाता है और यह नवरात्रि के दसवें दिन होता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था तो श्री राम ने माता सीता की रक्षा हेतु रावण से युद्ध किया और विजय भी प्राप्त की थी। इसमें दो बहुत शक्तिशाली और बड़े दलों ने युद्ध किया और श्री राम ने रावण को मारा था और माता सीता को वापिस लाए थे। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है और बच्चों के लिए यह एक बेहतरीन शिक्षा होगी।
हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह त्योहार चंद्रोदय के दसवें दिन मनाया जाता है जिसे विजयादशमी कहते हैं। यह त्योहार इतिहास में 17वीं सदी से मनाया जा रहा है जब राजा जगत सिंह ने अपने राज्य, कुल्लू में श्री रघुनाथ की मूर्ति की स्थापना की थी। उस समय भगवान रघुनाथ को पूरी घाटी का विनिर्णय ईश्वर घोषित किया गया था।
यहाँ पर बच्चों के लिए दशहरा से संबंधित कुछ फैक्ट दिए हुए हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को बता सकते हैं कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यह त्योहार कैसे सेलिब्रेट किया जाता है, आइए जानें;
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि पूर्व भारत में दशहरा को दुर्गा पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इसमें दिन व परंपराएं राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती हैं। इस दौरान महिलाएं माँ दुर्गा व अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं और साथ ही प्रार्थना भी करती हैं। यह त्योहार व पूजा नवरात्रों की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन की जाती है और अंतिम दिन में दशहरा मनाया जाता है।
उत्तर भारत में रावण के पुतले जलाने के अलावा विशेषकर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध दशहरा उत्सव मनाया जाता है जिसे कुल्लू दशहरा भी कहते हैं। यहाँ पर त्योहार दसवें दिन शुरू होता है और अगले सात दिनों तक रहता है। यह त्योहार मनाते हुए यहाँ के लोग उस दिन को याद करते हैं जिस दिन स्थानीय राजा जगत सिंह द्वारा सिंहासन पर भगवान रघुनाथ की मूर्ति स्थापित की गई थी।
गरबा गुजरात का लोक नृत्य है और नवरात्रों के नौ दिनों में गुजरात के लोग गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग लोक गीतों में गरबा खेलते हैं और माँ दुर्गा से प्रार्थना करते हैं।
मैसूर में यह उत्सव मैसूर महल को सजाकर व दिए जलाकर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। शहर में भी रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले बनाकर जलाए जाते हैं। यहाँ पर माँ दुर्गा की मूर्तियां भी हाथी पर शुशोभित करके मंडप तक ले जाए जाती हैं और रास्ते में सभी भक्त माँ का गुणगान करते हुए मूर्ति के साथ-साथ चलते हैं।
हमारे देश भारत में लोग विशेषकर नवरात्रि और दशहरा पूरी धूमधाम से मनाते हैं। हालांकि इसे मनाने के तरीके अलग-अलग हैं पर हर जगह यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए ही मनाया जाता है ताकि दुनिया में सही संतुलन बना रहे।
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