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बुखार, सिरदर्द या अन्य दर्द को जल्द से जल्द दूर के लिए बच्चों को पेरासिटामोल की डोज देना काफी आम बात है। ज्यादातर माता-पिता यही विकल्प चुनते हैं, जब उनके बच्चे को बुखार या मामूली दर्द की शिकायत होती है। लेकिन, इससे पहले कि आप बच्चों को पेरासिटामोल की खुराक दें, आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इसकी कितनी खुराक दी जानी बच्चे के लिए सुरक्षित होती है। इसके अलावा आप बच्चे का खुद से कोई इलाज न करें। अगर बच्चे को बुखार या बदन दर्द है और आपको लगता है कि उसे पेरासिटामोल देने की जरूरत हो तो पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह ले लें।
जब पेरासिटामोल की सही डोज दी जाती है, तो यह बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। कई डॉक्टर बुखार या दर्द को कम करने के लिए इसे प्रिसक्राइब करते हैं।
अगर बच्चे को बुखार, सिर दर्द और शरीर में दर्द जैसी समस्या हो तो आप उसे पेरासिटामोल दे सकती हैं। एक शॉट के कारण होने वाले बुखार में पेरासिटामोल को एक खुराक से भी कम कर के इसे दिया जाता है।
दवा की सही डोज दिए जाने पर आप बच्चे को छह घंटे में एक बार और 24 घंटे के भीतर चार बार तक इसकी डोज दे सकती हैं। किसी भी परिस्थिति में आपको प्रिसक्राइब की गई खुराक से ज्यादा इसकी मात्रा बच्चे को नहीं देनी चाहिए। यदि आपके बच्चे को दवा असर नहीं कर रही है, तो आपको क्या करना चाहिए इसके लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
पेरासिटामोल टैबलेट, सिरप या सपोजिटरी के रूप में उपलब्ध है, इन सभी को अलग तरह से लिया जाता है।
बोतल को अच्छी तरह हिलाएं और उसके साथ आने वाले चम्मच, कप या ड्रॉपर से जितनी डोज बताई गई उतनी डोज ले लें। यदि चम्मच नहीं है, तो फार्मासिस्ट से मापने वाला चम्मच ले लें। सिरप को मापने के लिए कभी भी सामान्य चम्मच का उपयोग न करें, क्योंकि इससे आप सही डोज का अंदाजा नहीं लगा पाएंगी।
पेरासिटामोल की टैबलेट को पानी, दूध या जूस के साथ पूरा निगल लेना चाहिए। उन्हें चबाना नहीं चाहिए।
सपोसिटरी दवा के छोटे प्लग होते हैं जिन्हें एनस में डालने के हिसाब से बनाया जाता है। यह उन बच्चों के लिए आदर्श है जो टैबलेट लेने के बाद उल्टी कर देते हैं या जिन्हें गोली या कैप्सूल निगलने में कठिनाई होती है। आपको इसे लगाने के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा।
पेरासिटामोल बच्चे को बुखार और दर्द से राहत दिला सकती है, लेकिन इसकी गलत खुराक बच्चे के लिए घातक भी साबित हो सकती है। यहाँ बच्चों के लिए उम्र के अनुसार बताया गया है कि उन्हें पेरासिटामोल की कितनी डोज देनी चाहिए।
छोटे बच्चों के लिए पेरासिटामोल की खुराक उनके वजन के अनुसार सिरप या सपोसिटरी के रूप में देना सबसे अच्छा तरीका होता है, अलग -अलग उम्र के बच्चों के अनुसार स्ट्रेंथ बढ़ाई जाती है। दो से तीन महीने के भीतर बच्चों को पेरासिटामोल की अधिकतम 3-4 खुराक डॉक्टर के परामर्श से दी जा सकती है।
छह साल से अधिक उम्र के बच्चों को टैबलेट के रूप में पेरासिटामोल दिया जा सकता है। नीचे सीए गए चार्ट में पेरासिटामोल टैबलेट की डोज की लिस्ट दी गई है, ताकि आप बच्चे के लिए उसकी उम्र के अनुसार सही खुराक दे सकें।
आयु | खुराक (24 घंटे में अधिकतम 4 खुराक) |
6 से 8 वर्ष | 250 मिलीग्राम |
8 से 10 वर्ष | 375 मिलीग्राम |
10 से 12 वर्ष | 500 मिलीग्राम |
12 से16 वर्ष | 750 मिलीग्राम |
इससे पहले कि आप अपने बच्चे को एक और खुराक दें, आपको हमेशा अपने उसके लक्षणों की जांच करनी चाहिए कि क्या उसे वास्तव में दवा की आवश्यकता है। साथ ही, दूसरी खुराक देने से पहले पिछली खुराक के बाद कम से कम चार घंटे तक प्रतीक्षा करें। 24 घंटे की अवधि के भीतर बच्चे को चार से अधिक खुराक नहीं दी जानी चाहिए। आपको खुराक का समय और कितनी बार खुराक दी है उसकी संख्या को ध्यान में रखना होगा।
पेरासिटामोल का प्रभाव अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से होता है। हालांकि, आमतौर पर दवा लेने के बाद इसका असर लगभग एक से तीन घंटे के बीच होता है।
यह महत्वपूर्ण है कि आप पेरासिटामोल जैसी दवाओं को सुरक्षित रूप से और अतिरिक्त सावधानी के साथ स्टोर करें।
ये सावधानियां बच्चों को पेरासिटामोल तक पहुँचने और उन्हें गलती से भी इसका सेवन करने से रोक सकती हैं।
यदि सही खुराक दी जाती है, तो पेरासिटामोल दवा शायद ही कभी किसी साइड इफेक्ट का कारण बनती हो। कुछ मामलों में, बच्चों को दवा से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, जिसके कारण नीचे बताई गई समस्या पैदा हो सकती हैं:
दवा के अन्य साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे
डिस्क्लेमर: यदि आपके बच्चे को एलर्जिक रिएक्शन, तो उसे अपने डॉक्टर के पास ले जाएं या जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर को बुलाएं।
आपको यह सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी कि आपका बच्चा पेरासिटामोल की ओवरडोज न लें। यहाँ आपको कुछ चीजें बताई गई हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए, ताकि गलती से भी बच्चे को इसकी ओवरडोज न जाए और उसे किसी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन का सामना न करना पड़े।
दोनों दवाएं बच्चों में बुखार के इलाज में समान रूप से प्रभावी होती हैं; हालांकि, विभिन्न कारणों से पेरासिटामोल को काफी हद तक पसंद किया जाता है। चूंकि पेरासिटामोल आइबूप्रोफेन से अधिक समय से उपयोग में है, इसलिए इसकी प्रभावशीलता को दर्शाने के लिए पर्याप्त डेटा मौजूद है।
इसके अलावा, पेरासिटामोल अधिक मात्रा में लिए जाने पर लिवर और किडनी के खराब होने का खतरा बढ़ता है, लेकिन आइबूप्रोफेन के मामले में बच्चों में सही खुराक दिए जाने पर भी यह आंत और किडनी की समस्या पैदा कर सकती है। विशेष रूप से जो बच्चा डिहाइड्रेटेड हो या अन्य मेडिकल समस्या से पीड़ित हो, उसे आइबूप्रोफेन लेने पर किडनी खराब होने का खतरा ज्यादा होता है।
यदि आपके बच्चे को ओवरडोज हो गया है और मतली, दस्त, भूख न लगना, उल्टी, अत्यधिक नींद आना, त्वचा का पीला या आँखों का पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर को बुलाना चाहिए।
पेरासिटामोल एक जानी मानी दवा है और शायद ही इसके साइड इफेक्ट्स कभी लंबे समय तक बने रहते हैं। हालांकि, गलती से दिए जाने वाला ओवरडोज बच्चे के लिए घातक हो सकता है। आपके बच्चे को दवा देने से पहले हमेशा डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
डिस्क्लेमर: बच्चों को पेरासिटामोल जैसी दवाएं डॉक्टर से उचित परामर्श के बाद ही दी जानी चाहिए।
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