बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए वायु प्रदूषण से जुड़े कुछ तथ्य और जानकारियां

क्या आपका बच्चा वायु प्रदूषण और उससे बचने के उपाय के बारे में पूछता रहता है? अगर हाँ, तो आइए जानते हैं वायु प्रदूषण से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जिसे जानकर आपके बच्चे को इस विषय में और भी ज्यादा इंटरेस्ट पैदा होगा।

वायु प्रदूषण क्या है?

वायु प्रदूषण टॉक्सिक सब्सटेंस (जहरीले पदार्थ) के लिए एक अंब्रेला टर्म के रूप में उपयोग किया जाता है, ये टॉक्सिक सब्सटेंस हवा में मिल जाते हैं और इससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आसान भाषा में इसे समझाया जाए तो:

  • हानिकारक गैसों का निकलना जैसे धुआं, धुंध-कोहरा और हवा में मौजूद अन्य जहरीले पदार्थों के वजह से वातावरण का दूषित होना।
  • हानिकारक पार्टिकुलेट दो आकार में आते है – बड़े और छोटे। एस्बेस्टस फाइबर, लेड और धूल हवा में पाए जाने वाले बड़े कणों के उदाहरण हैं, जबकि नाइट्रेट और सल्फेट छोटे कणों के उदाहरण हैं, जो हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) बनाने के लिए हवा में मौजूद नमी के साथ मिल जाते हैं। मर्करी और पेस्टीसाइड के कण भी हवा के साथ मिल जाते हैं, जिससे सांस लेना खतरनाक हो जाता है।
  • वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और हाइड्रोजन सल्फाइड गैसीय प्रदूषकों के अंतर्गत आते हैं।

भीतरी वायु प्रदूषण क्या है?

भीतरी वायु प्रदूषण या इनडोर एयर पॉल्यूशन को कुछ इस प्रकार बताया गया है:

  • एयर कंडीशनर, घरेलू सामान और दीवार पे लगाए जाने वाले पेंट आदि के उपयोग से भीतरी या अंदरूनी वायु प्रदूषण होता है।
  • एयर-कंडीशनर के डक्ट्स में स्पोर्स (बीजाणु) पनपते हैं जिसकी वजह से घरों में वायु प्रदूषण होता है।
  • जब रेडॉन गैस किसी बंद जगह में जमा हो जाती हैं तो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा होता है।
  • कीट संक्रमणों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामान जैसे कि डिटर्जेंट और फर्नीचर स्प्रे में वीओसी होता हैं जो इनडोर वायु प्रदूषण का करण होता है।

वायु प्रदूषण का कारण क्या है?

वैसे तो वायु प्रदूषण होने के बहुत से कारण होते हैं, मगर बच्चो के लिए वायु प्रदूषण के कुछ कारण निम्लिखित है:

  1. औद्योगिक उत्सर्जन: कुछ भी बनाते समय फैक्ट्रियों से हवा में बहुत से हानिकारक केमिकल्स निकलते हैं जिनकी वजह से हवा प्रदूषित हो जाती है। इनमें स्मोक और स्मॉग के साथ साथ बड़े और छोटे पार्टिकुलेट्स भी हवा में छोड़े जाते हैं जिनकी वजह से वायु दूषित हो जाती है।
  2. फॉसिल फ्यूल: पेट्रोलियम और कोयले जैसे फॉसिल फ्यूल कार, बाइक और बस जैसे वाहनों के इस्तेमाल के दौरान जलते है। इन चीजों से धुआं उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है।
  3. प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी के फटने से लेकर आंधी और यहां तक कि पॉलेन के फैलने के दौरान जब प्रकृति का कहर बरसाता है, तो हवा में पार्टिकुलेट मैटर आ जाते हैं, जिससे हवा दूषित हो जाता है।
  4. पेंट और केमिकल आधारित सामान: दीवार का पेंट सूखने के बाद वातावरण में कुछ समय के बाद केमिकल छोड़ता है जिसकी वजह से हवा दूषित होती है। इस काम में घर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सर्फ, क्लीनर और स्प्रे भी शामिल हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण का बच्चों, बड़ों और पर्यावरण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-

  • एसिड रेन: यह हानिकारक पदार्थ जैसे की सल्फ्यूरिक एसिड को वातावरण में मौजूद नमी के साथ मिलाता है और उसे बादल बना कर वायु को प्रदूषित करता है। जब ये बादल बरसते हैं तो इनकी बूंदे एसिडिक होती है जिनसे फल, फूल, सब्जी, आदि को नुकसान पहुंचता है।
  • वीओसी: वीओसी जब नाइट्रोजन ऑक्साइड से मिलते हैं तो ग्राउंड लेवल ओजोन बनाते हैं। इससे पेड़-पौधों, जानवरों और इंसानों को नुकसान पहुंच सकता है और अस्थमा, सांस की बीमारी या फेफड़ों से जुड़ी जानलेवा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड: जब कोई इंसान बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड को सांस के जरिए अपने शरीर के अंदर ले लेता है, तो दिमाग और कान में खून के सर्कुलेशन में दिक्कत होती है और शरीर के अंदर ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जो बहुत ही घातक होता है।
  • लेड: लेड नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और कई हेल्थ प्रॉब्लम पैदा करता है। लेड के अत्यधिक संपर्क की वजह से लोगों में सुनने से संबंधित समस्या, व्यवहार संबंधी विकार और गुर्दे, रिप्रोडक्टिव ऑर्गन और इम्यून सिस्टम को नुकसान भी पहुंच सकता है। वायु प्रदूषण के कारण लेड मिट्टी और पानी को दूषित करता है, जिसके कारण पौधों और पशुओं को भी नुकसान पहुंचता है।
  • पार्टिकुलेट मैटर: पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) को सांस में लेने से श्वसन संबंधी दिक्कत, हृदय के विकार और फेफड़ों से जुड़ी परेशानियां पैदा होती हैं। इसकी वजह से वातावरण में धुंध या कोहरा फैल सकता है, जिससे सब धुंधला दिखाई पड़ता है और सड़कों पर एक्सीडेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, जब पार्टिकुलेट मैटर पानी में जाता है, तो वह पानी के साथ-साथ आस पास की मिट्टी को भी प्रदूषित कर देता है जिससे वहां उगी फसल और बाकी पेड़-पौधे भी खराब हो जाते हैं। यहाँ तक कि पत्थर से बने मॉन्यूमेंट्स भी पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के संपर्क में आते ही खराब होने लगते हैं।

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स एक ऐसा अंक है जिससे ये पता किया जा सकता है की एक शहर कितना प्रदूषित है। आमतौर पर, सरकारी एजेंसियां एक एयर मॉनिटर के जरिए एक निश्चित जगह और समय में हवा में मौजूद प्रदूषक की गणना करती हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स को रंगों के माध्यम से भी वर्णित किया गया है जो निम्नलिखित हैं –

  • हरा – अच्छी क्वालिटी
  • पीला – मध्यम क्वालिटी
  • नारंगी – सेंसिटिव और फेफड़ों के रोगियों के लिए सुरक्षित नहीं है
  • लाल – खराब
  • बैंगनी – बहुत खराब
  • मैरून – बहुत ज्यादा खतरनाक

वायु प्रदूषण से बचने के टिप्स

पर्यावरण में वायु प्रदूषण को कम करने के कुछ तरीके:

  • फॉसिल फ्यूल से रहित वाहनों का इस्तेमाल करें। डीजल बेस्ड साधनों के बजाय साइकिल, स्केटबोर्ड और यूनीसाइकिल का उपयोग करें। ऑफिस जाते वक्त कार की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट या सौर-ऊर्जा आधारित वाहनों का इस्तेमाल करें। और कम दूरी की यात्रा करते वक्त पैदल चलने का प्रयास करना चाहिए।
  • चीजों को रिसाइकल करने का प्रयास करें और कचरे को उसके गीले या सूखे होने के आधार पर अलग अलग रखें। इससे कचरा भी कम होता है और वायु प्रदूषण को भी दूर करने में मदद मिलती है।
  • केमिकल बेस्ड सामान, साबुन, फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल न करें। इसके बजाय ऑर्गेनिक, वेगन और केमिकल रहित चीजों को चुनें और प्रकृति को बचाएं।
  • दीवारों को नुकसान से बचाने और हानिकारक गैसों को निकलने से रोकने के लिए घरों को हवादार रखें और एसी के डक्ट्स को नियमित रूप से साफ करें और साथ ही घर के अंदर की चीजों और कार्पेट वगैरह को भी साफ रखें।
  • तंबाकू का सेवन या धूम्रपान न करें और बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सावधानी से इस्तेमाल करना सिखाएं।

बच्चों के लिए वायु प्रदूषण से जुड़े कुछ अन्य तथ्य

यहाँ बच्चों के लिए वायु प्रदूषण से जुड़े कुछ अन्य तथ्य इस प्रकार दिए गए हैं:

  • लंदन ‘स्मॉग’ शब्द का इस्तेमाल करने वाला पहला शहर था। स्मॉग को एक ऐसे वायु प्रदूषण के तरह परिभाषित किया गया है जिसमें स्मोक (धुआं) और फॉग (कोहरा) शामिल है।
  • इंसान एक दिन में 3000 गैलन हवा तक सांस लेता है।
  • इनडोर वायु प्रदूषण वाहनों के अंदर भी होता है, और यह वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक होने के लिए यह सबसे दिलचस्प तथ्यों में से एक है।
  • वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान सड़क पर चलने वाले वाहनों का है।
  • गाजियाबाद को भारत में सबसे अधिक वायु-प्रदूषित शहर का दर्जा दिया गया है।

सावधानी बरतना इलाज करने से हमेशा बेहतर होता है, और अपने बच्चों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए उन्हें सबसे पहले इससे जुड़े खतरों के बारे में बताएं। इस आर्टिकल को शेयर करें और लोगों को बताएं कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कैसे उन्हें इको फ्रेंडली लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।

यह भी पढ़ें:

बच्चों के लिए हैरान कर देने वाले 50 साइंस फैक्ट्स
बच्चों के लिए 10 अद्भुत फन फैक्ट्स जानवरों के बारे में
बच्चों के लिए पेड़-पौधों से संबंधित 50 इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

2 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

2 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

2 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

4 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

4 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

4 days ago