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योग शरीर की मुद्राओं या आसनों का एक सीक्वेंस है, जो हमारे शरीर को न केवल एक्टिव रखती है बल्कि बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा दिलाती है। योग से हमें मानसिक शांति भी मिलती है। योग एक तरह का विज्ञान है। ऐसे में कई प्रकार के योगासन ऐसे होते हैं जिनसे बच्चों को भी काफी फायदा मिलता है। बच्चों के लिए योगासनों का उद्देश्य मुख्य रूप से उन्हें अपने शरीर को स्वीकार करना सीखना, अपने कार्यों में अधिक अनुशासित होना और बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने के लिए शांत होना है। लंबी अवधि तक योग करने से उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत मिलती है और उनकी पूरी सेहत में सुधार होता है।
योग क्या है और यह क्यों है आज के बच्चों के लिए जरूरी
योग एक तरह का प्राचीन विज्ञान है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जाओं के कॉम्बिनेशन और उपयोग का मिला हुआ रूप है। योग करने से हमारे अंदर शारीरिक और मानसिक शक्ति का विकास होता है। योग करने से हमें हमारे शरीर की पूरी ताकत का पता चलता है। आज के तनाव भरे जीवन में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक इफेक्टिव तकनीक के रूप में योग ने विश्व में काफी लोकप्रियता हासिल की है। कई देशों में लाखों-करोड़ों लोगों की जिंदगी में योग उनके डेली रूटीन का अहम हिस्सा बन चुका है। करोड़ों लोगों को योग से तरह-तरह के फायदे हुए हैं। अब तो योग को लोग कैरियर के तौर पर भी देखने लगे हैं।
आज कल बच्चों के हाथ में हर समय मोबाइल फोन होता है। वह दिनभर ऑनलाइन गेम खेलते हैं जिससे उनकी शारीरिक सक्रियता लगातार कम हो रही है। इस तरह से बच्चों में एकाग्रता या फोकस करने में कमी भी नजर आने लगी है। बच्चे फास्ट फूड खा रहे हैं जो उनके शरीर के लिए सही नहीं है। दूसरी तरफ लगातार प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। इन सबसे बच्चों की इम्युनिटी लगातार कमजोर हो रही है। वे जल्दी बीमार पड़ रहे हैं जो कि पेरेंट्स के लिए काफी चिंता का विषय है।
बच्चों के लिए योग किस हद तक लाभदायक है इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। बच्चों में सीखने की अद्भुत क्षमता होती है। वे चीजों को जल्दी सीख लेते हैं। अगर पेरेंट्स बच्चों को शुरू से ही योग करने की आदत डाल दें तो उन्हें आगे जाकर इसके काफी फायदे मिलेंगे। भविष्य में भी योग उनकी जिंदगी का हिस्सा होगा और उनका शरीर स्वस्थ बना रहेगा।
बच्चों के लिए योग के फायदे
हर रोज योग का अभ्यास करने से बच्चों को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। यहाँ उनमें से कुछ के बारे में बताया गया है:
- योग बच्चों को मानसिक शांति देने में मदद कर सकता है। बच्चों के सांस लेने के तरीके में सुधार होता है। श्वसन यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज के सरल अभ्यास से ही बच्चों का फोकस बढ़ सकता है और वे ज्यादा शांत हो सकते हैं।
- योग से बच्चों के शरीर में लचीलापन आता है। इससे एक बच्चा अपने शरीर को अच्छे से समझता है और उसके आत्मविश्वास में भी इजाफा होता है।
- सूर्यनमस्कार जैसे आसन उनके शरीर को संतुलित करने की उनकी क्षमता में सुधार करते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से उनके लिए एक ध्यान मुद्रा के रूप में कार्य करता है।
- एक निश्चित मुद्रा में रहने के लिए ध्यान केंद्रित करना बच्चों के लिए विशेष रूप से अच्छा है क्योंकि इससे उन्हें सेल्फ कंट्रोल यानी आत्मनियंत्रण में मदद मिलती है।
- प्राणायाम की मुद्राओं में बताए गए सांस लेने के तरीकों से बच्चों की इम्युनिटी बेहतर होती है। प्राणायाम से बच्चों को ऊर्जा भी मिलती है। ये बच्चों को अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी सांस लेने संबंधी समस्याओं से भी बचाती हैं, जो आज के समय में आम हो गई है।
- कुछ योग क्रियाओं से बच्चों के पोस्चर में आ रही दिक्कतें भी दूर होती है।
- कुछ योग मुद्राएं ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का सामना कर रहे बच्चों के लिए खासतौर पर मददगार साबित होती है।
आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में, स्कूल जाने वाले बच्चे भी तनाव का शिकार हो रहे हैं। बच्चों पर लगातार पढ़ाई और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में अच्छा करने का दबाव होता है। इस वजह से कई बच्चे चिंता से जुड़े मुद्दों से पीड़ित होते हैं। योगासन, न केवल उन्हें आराम करने में मदद करते हैं बल्कि उन्हें शांत करने और अपने आसपास की चीजों के प्रति एक नजरिया हासिल करने के लिए समय और धैर्य भी देते हैं। बचपन में एक नया कौशल सीखना आसान होता है और कम उम्र में किए गए न्यूरोनल कनेक्शन उनके दिमाग में एक स्थायी छाप छोड़ते हैं।
बच्चों के लिए 8 प्रभावी योग मुद्राएं
ऐसे कुछ योगासन हैं जिन्हें वैज्ञानिक रूप बच्चे के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना गया है। यहाँ आपको बच्चों के लिए कुछ बेहतरीन आसन बताए गए हैं।
1. अधोमुखश्वानासन – डॉग पोज
यह आसान शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। इसमें शरीर को अंग्रेजी के अक्षर ‘यू’ के उल्टे आकार में लाया जाता है। डॉग पोज में पैरों और हाथों पर शरीर का पूरा वजन डाला जाता है। इस मुद्रा को करने के लिए बच्चे को पैर की उंगलियों को अंदर की ओर रखना है, कूल्हों को जितना हो सके ऊपर उठाना है और छाती को अच्छी तरह से अंदर की ओर धकेलना है। नीचे लटका हुआ सिर अंदर की ओर फैला हुआ होता है।
यह आसन बच्चों के पूरे शरीर में खून का संचार बनाए रखता है। इसके अलावा शरीर में संतुलन आता है और शरीर लचीला होता है। कई लोग इस योग का इस्तेमाल स्ट्रेचिंग के तौर पर करते हैं ताकि मुश्किल योग करने में आसानी हो।
2. वृक्षासन – ट्री पोज
ट्री पोज को हिंदी में वृक्षासन कहते हैं। आप इस आसन का अंदाजा इसके नाम से लगा सकते हैं। यह योग मुद्रा एक पेड़ के समान होती है। इसमें बच्चे को एक पैर पर खड़ा कर दिया जाता है। फिर उसके दूसरे पैर के घुटने को मोड़ कर, जिस पैर पर बच्चा खड़ा होता है उस पैर की जांघ के ऊपर रखा जाता है और फिर शरीर को संतुलित करने की कोशिश की जाती है। इसके बाद दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में लाया जाता है। यही प्रक्रिया दूसरे पैर के लिए भी दोहराई जाती है।
यह आसन अभ्यास से ही आता है। बच्चा इस आसन का जितना प्रैक्टिस करेगा, वह उतनी अच्छी तरह से इसे कर पाएगा। इस आसन से ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है। इसकी खास बात यह है कि बच्चों को इस आसन को करते हुए मजा भी आता है।
3. वीरभद्रासन 1 – वॉरियर पोज 1
वीरभद्रासन या वॉरियर पोज, बच्चों के शरीर को संतुलित करता है। इसी के साथ वह शरीर की मूल शक्ति को बढ़ाता है। इस योग से बच्चों के अंदर अपने शरीर के लिए सकारात्मक छवि भी बनती है जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। यह योगासन सीने, टखने, घुटने और हाथों के दर्द को भी कम करने में मदद करता है।
इस आसन में सबसे पहले बच्चे को पैरों को फैलाकर खड़ा होने के लिए कहें। इसके बाद हाथ, कंधे की लंबाई में फैलाने के लिए कहें। फिर, दाहिने पैर को बाहर की ओर मोड़ते हुए, दाहिना घुटना धीरे से आगे की दिशा में मुड़ा हुआ रखना है। सुनिश्चित करें कि बायां घुटना सीधा हो और नॉर्मल सांस लेते हुए लगभग एक मिनट तक यह स्थिति बनी रहे।
4. ताड़ासन – माउंटेन पोज
ताड़ासन काफी सरल योग मुद्रा होती है। इसमें सबसे पहले बच्चे को दोनों पैरों को एक-दूसरे के पास रख कर खड़ा किया जाता है। फिर अपने दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाने के लिए सिर से ऊपर उठाया जाता है। इस आसन से बच्चे की सहनशक्ति बढ़ती है। उसमें ऊर्जा का संचार होता है जिससे स्टेमिना भी बढ़ता है। बच्चे के शरीर की संतुलन क्षमता का भी इस आसन से पता चल सकता है।
यह आसन बच्चों के शरीर को सीधा करने में काफी मदद करता है। स्कूल में बच्चे खेलते हुए या पढ़ते हुए झुकते हैं जिसकी वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी पर काफी दबाव पड़ जाता है। अब अगर बच्चे के शरीर का पोस्चर सही नहीं होगा तो उसे आगे जाकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यह आसन शरीर की मुद्रा अर्थात पोस्चर को सही करने में मदद करता है।
5. उत्तानासन – रैग डॉल पोज
यह आसन सूर्य नमस्कार का एक हिस्सा है। बच्चों के लिए यह आसन सरल भी है और सूर्य नमस्कार सीखने के शुरुआती चरण के हिसाब से सही भी है। इस आसन में सबसे पहले बच्चा अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाता है और फिर अपने सिर से अपने हाथों को नीचे लाते हुए पैरों को छूने की कोशिश करता है। इसके लिए वह जितना हो सके उतना झुकता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि पैरों को छूने की कोशिश करते समय बच्चे के घुटने मुड़े नहीं। अगर बच्चा अपने पैरों को पूरी तरह से नहीं छू पा रहा है तो जहां तक उसके हाथ पहुंच रहे हैं सिर्फ वहीं छूना चाहिए।
हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करने के लिए यह योग मुद्रा बहुत लाभकारी होती है। हैमस्ट्रिंग पैर की काफी अहम मांसपेशी होती है जिसका लचीला होना बहुत जरूरी होता है। इस योगासन से मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिससे चोट लगने की संभावना काफी कम हो जाती है।
6. बद्ध कोणासन – बटरफ्लाई पोज
इस आसन का नाम बच्चों को काफी पसंद आता है। यह आसन तितली के एक्शन की नकल करता है। इसमें बच्चों को पैरों को सामने की तरफ लाकर बिठाया जाता है। फिर घुटनों को अंदर की तरफ मोड़ा जाता है। यहां यह ध्यान रखा जाता है कि बच्चा जहां बैठा हो वह जमीन समतल हो। फिर दोनों पैरों के तलवे आपस में टच करवाए जाते हैं। फिर तलवों को हाथों से कसकर पकड़ लिया जाता है और घुटनों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे किया जाता है।
जांघ की अंदरूनी मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाने में यह आसन बहुत मददगार होता है। लंबे समय तक इसे करने जांघ की मांसपेशियों को आकार मिलता है और पोस्चर सीधा होता है।
7. सेतु बंधासन – ब्रिज पोज
जैसा कि नाम से पता चल रहा है इस आसन के दौरान शरीर उल्टे ‘यू’ जैसा दिखता है। इसे करते हुए ऊपर के शरीर का भाग एक पुल की तरह हो जाता है। शरीर का यह ऊपरी भाग मुड़ जाता है। इस आसन को करने के लिए बच्चे को सबसे पहले किसी समतल जमीन पर लिटाया जाता है। फिर दोनों घुटनों को उल्टे यू की तरह मोड़ा जाता है। हाथों को उल्टी दिशा में मोड़कर सिर के पास रखा जाता है। इसके बाद कूल्हों को जितना हो सके जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश की जाती है।
यह योग क्रिया करना इतना आसान नहीं है। इस मुद्रा को लगातार अभ्यास के बाद ही किया जा सकता है। इसे बार-बार करने से शरीर के लचीलेपन में सुधार होता है। इससे धड़ और सिर को पूरी मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। इस आसन से बच्चे की इम्युनिटी बढ़ती है और शरीर में खून का संचार सही तरीक से होता है।
8. प्राणायाम – ब्रीदिंग एक्सरसाइज
प्राणायाम योगासन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है और इससे शरीर को बहुत महत्वपूर्ण लाभ होते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, ये व्यायाम जो सांस लेने के पैटर्न को नियंत्रित करते हैं, शरीर पर शांत प्रभाव डालते हैं और आत्म-जागरूकता के स्तर में सुधार करते हैं। कई बार, जीवन के दौरान सांस लेने के तरीके बदल जाते हैं और सही तरह की एनर्जी देने वाली सांस लेने की तकनीक खो जाती है। सांस लेने की इन तकनीकों का अभ्यास बच्चों को बेहतर शांति, स्पष्टता और ध्यान के साथ दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करता है। प्राणायाम में सांस लेने की कई तकनीकें हैं और बच्चों को नियमित रूप से अभ्यास करने के लिए बुनियादी बातें सिखाई जा सकती हैं। यह शरीर के एलर्जिक रिएक्शन को कम करके, अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को भी दूर रखता है।
बच्चों को योगासन बहुत ही क्रिएटिव और मजेदार तरीके से सिखाए जाने चाहिए। वयस्कों के विपरीत, बच्चों को जब कुछ सिखाया जाता है तो उसमें बहुत सारे कल्पनाशील भाव शामिल होते हैं। झुकने और उनके पैरों को छूने की सरल मुद्रा को रोचक तरीके से सिखाया जा सकता है, जैसे इन्हें कहें कि, सितारों तक पहुँचने के लिए अपने हाथों को फैलाओ। इस तरह न केवल उन्हें इसे से सीखने में मदद मिलेगी बल्कि वे रोजाना ऐसा करने के लिए प्रेरित होंगे, जब तक कि यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा नहीं बन जाता।
बच्चों को योगाभ्यास सिखाने के लिए एक और दिलचस्प बात यह ध्यान रखें कि उन्हें ग्रुप में सीखने में मजा आता है। यह उन्हें एक टीम के रूप में खेलने और सीखने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा। बच्चों को योग सिखाने के लिए यह एक शानदार तरीका हो सकता है। वीकेंड में उन्हें उनके दोस्तों और परिवार के बड़ों के साथ मस्ती करते समय योग की मुद्राएं सिखानी चाहिए। इस तरह से बच्चे पूरे हफ्ते के मानसिक दबाव से भी मुक्त होंगे।
लोगों में योग के लिए बढ़ती जागरूकता की वजह से आज पारिवारिक योग कार्यक्रम बढ़ रहे हैं। दुनिया का भविष्य बनाने जा रही नई पीढ़ी के सामने अब कई तरह के संकट हैं जिनमें से एक तकनीक का संकट भी है जिनसे उन्हें बचाने की जरूरत है। नई पीढ़ी के सामने आ रही इन दिक्कतों से मुक्ति पाने के लिए अपनी संस्कृति की जड़ों की तरफ लौटना ही होगा। यही आने वाली समस्याओं से बचने का रास्ता है। योग हमारी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत है और हमारे सामने योग से बेहतर कोई उपाय नहीं है।
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