बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के पेशाब में खून आना (हेमाट्यूरिया)

बच्चों के पेशाब में खून आना आपके लिए चिंताजनक हो सकता है। पेशाब में खून आने को ‘हेमाट्यूरिया’ भी कहा जाता है। यह बच्चों में बहुत सामान्य है और ज्यादातर मामलों में यह गंभीर समस्या नहीं है व अपने आप ठीक हो सकती है। लेकिन कभी-कभी यह एक गंभीर समस्या भी हो सकती है। 

पेशाब में खून आना (हेमाट्यूरिया) क्या है?

किडनी खून से सभी अपशिष्ट पदार्थों और तरल को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालती है। यह युरेटर (मूत्रवाहिनी) से होते हुए किडनी को ब्लैडर से जोड़ने वाली ट्यूब में जाता है जहाँ पेशाब स्टोर होता है और बाहर निकलता है। यदि पेशाब में खून भी दिखाई देता है तो इसे हेमाट्यूरिया कहते हैं। 

हेमाट्यूरिया के प्रकार

हेमाट्यूरिया के दो प्रकार होते हैं:

  1. माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया: इस प्रकार के हेमाट्यूरिया को साधारण आँखों से देखना मुमकिन नहीं है। क्योंकि इसमें पेशाब का रंग नहीं बदलता है, इसे सिर्फ पेशाब की जांच के माध्यम से ही देखा जा सकता है। माइक्रोकोपिक हेमाट्यूरिया से शरीर में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है और यह ज्यादातर अपने आप ही ठीक हो जाता है।
  2. ग्रॉस हेमाट्यूरिया: इसमें खून में रेड ब्लड सेल बहुत मात्रा में होती हैं जिससे पेशाब का रंग भी लाल दिखता है। ग्रॉस हेमाट्यूरिया भी बिना किसी समस्या के अपने आप ही ठीक हो सकती है। हालांकि कभी-कभी यह किसी गंभीर समस्या का संकेत होने की संभावना हो सकती है।

बच्चों में हेमाट्यूरिया होने के क्या कारण हैं?

बच्चों में हेमाट्यूरिया होने के कई कारण हैं, जिनमें अत्यधिक व्यायाम, ट्रॉमा, मासिक धर्म और वायरल बीमारियां शामिल हैं। यहाँ तक कि अत्यधिक पिग्मेंटेड आहार, जैसे चुकंदर और अन्य लाल रंग से भरपूर आहार जो बच्चों की पेशाब का रंग भी लाल कर सकते हैं और यह 3 वर्षीय तक के टॉडलर की पेशाब में यह खून जैसा लग सकता है। 

  • किडनी का ब्लॉक होना या उसमें सिस्ट होना: यदि किडनी ब्लॉक है या उसमें द्रव की सैक मौजूद है जिसे सिस्ट कहा जाता है तो इससे हेमाट्यूरिया भी हो सकता है। इस समस्या का पता करने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने की आवश्यकता होती है।
  • जेनेटिक रोग: अगर कोई बीमारी परिवार के किसी सदस्य से बच्चे को होती है तो यह जेनेटिक रोग कहा जाता है, इसके कारण भी यह समस्या हो सकती है। इसमें कुछ रोग शामिल हैं पॉलिसिस्टिक किडनी रोग, इन्हेरीटिड नेफ्राइटिस, ऐलपोर्ट’स सिंड्रोम और सिकल सेल रोग।
  • अत्यधिक कैल्शियम होना: हेमाट्यूरिया की समस्या पेशाब में कैल्शियम की अत्यधिक मात्रा होने से भी हो सकती है। जिन बच्चों में यह समस्या होती है उन्हें किडनी स्टोन होने का खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है।
  • ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस: यह एक गंभीर बीमारी है जो किडनी के सही फंक्शन में बाधा डाल सकती है। कुछ मामलों में ग्लोमेरूनेफ्राइटिस का पता खून की जांच से लगाया जा सकता है बल्कि अन्य के लिए किडनी की बायोप्सी करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • इडियोपैथिक हेमाट्यूरिया: कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें परीक्षण के अनुसार हेमाट्यूरिया होने के कोई भी ज्ञात कारण नहीं है और न परिवार में पहले कभी किसी को किडनी की समस्या हुई है, फिर भी यह समस्या हो सकती है।

बच्चों में हेमाट्यूरिया होने के लक्षण और संकेत

बहुत कम ऐसा होता है कि हेमाट्यूरिया के अपने कोई लक्षण दिखाई देते हैं, बजाय इसके कि पेशाब में अत्यधिक खून होता है। इसमें ब्लड क्लॉट्स बन सकते हैं और यह ब्लड क्लॉट्स पेशाब के बहाव को भी रोक सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप पेल्विक के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। आमतौर पर हेमाट्यूरिया अन्य समस्याओं का लक्षण होता है। 

  • ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस: पेट के निचले हिस्से में सूजन, पेशाब कम होना और ब्लड प्रेशर में वृद्धि इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं जिससे यदि पेशाब में खून आता है या हेमाट्यूरिया होता है तो यह ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस समस्या का कारण है।
  • किडनी और ब्लैडर में इंफेक्शन: यह इस पर निर्भर करता है कि कहाँ पर इंफेक्शन हुआ है जिसमें कुछ लक्षण शामिल हो सकते हैं, जैसे पीठ के मध्य में एक तरफ दर्द होना, कंपकंपी होना, बुखार, मतली व उल्टी, ऊसन्धि या ब्लैडर में दर्द होना, पेशाब करते समय दर्द या असुविधा होना और पेशाब में अत्यधिक दुर्गंध आना।
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर: ब्लीडिंग डिसऑर्डर या रक्तस्राव में विकार होने के कारण सिर्फ पेशाब से ही नहीं बल्कि शरीर में कहीं भी चोट लगने या कट जाने से भी अत्यधिक खून बहता है।
  • ट्रॉमा: शरीर में ज्यादातर चोट के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे चोट, सूजन, कट जाना और खुले हुए घाव होना।

हेमाट्यूरिया का निदान कैसे किया जा सकता है?

जिन बच्चों को माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया होता है उन्हें किडनी के फंक्शन में कोई समस्या नहीं होती है और कई महीनों तक जिनका ब्लड प्रेशर नॉर्मल होता है, उनकी पेशाब की जांच कई महीनों तक होनी चाहिए। यदि पेशाब में अब भी खून आता है तो पेशाब में प्रोटीन, कैल्शियम और क्रिएटिनिन की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। इसमें किडनी का अल्ट्रासाउंड भी किया जाना चाहिए। 

जिन बच्चों का ब्लड प्रेशर अधिक होता है, उनके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो सकती है, परिवार में पहले किसी को किडनी से संबंधित समस्या हो सकती है या ब्लड टेस्ट खराब हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप किडनी की बायोप्सी करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। 

बच्चों के पेशाब में खून आने पर कॉम्प्लीकेशन्स

हेमाट्यूरिया में सबसे बड़ी कॉम्प्लिकेशन यही है कि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। हेमाट्यूरिया को रोग नहीं एक लक्षण माना जाता है। इसका मतलब यह है कि हर समस्या के लिए अलग-अलग उपचार होते हैं क्योंकि यह समस्या कई चीजों से हो सकती हैं। 

इसके परिणामस्वरूप ब्लीडिंग होने के कारणों का पता लगाने के लिए बच्चे की कई जांच की जा सकती हैं। कुछ मामलों में यह निदान करने में मदद करता है और ब्लीडिंग डिसऑर्डर व यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जैसी समस्याओं को ठीक करता है। पर कई मामलों में इसमें कोई भी समस्या नहीं होती हैं और बच्चा बिना किसी चिकित्सा के नॉर्मल तरीके से ठीक हो जाता है। 

बच्चों में हेमाट्यूरिया का इलाज कैसे करें?

जैसा कि इस समस्या का कोई भी निश्चित इलाज नहीं है, बच्चों में हेमाट्यूरिया का उपचार डॉक्टर द्वारा इसके कारण पता करने पर ही किया जा सकता है। जिसमें से कुछ इस प्रकार हैं;

  • मूत्रमार्ग में इंफेक्शन (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन): इस इंफेक्शन के लक्षणों को खत्म करने के लिए दवा की आवश्यकता पड़ती है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए एंटी-बायोटिक्स की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • किडनी स्टोन: यदि यह समस्या अधिक गंभीर नहीं है तो ज्यादा मात्रा में पानी पीने और एक्टिव रहने से स्टोन आमतौर पर शरीर से बाहर जा सकते हैं। यद्यपि यदि यह समस्या अत्यधिक गंभीर है तो डॉक्टर द्वारा आपको एक्सट्राकपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (जिस प्रक्रिया में शॉक वेव की मदद से स्टोन को टुकड़ों में तोड़ा जाता है) देने की संभावना है। कभी-कभी डॉक्टर सर्जरी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
  • किडनी रोग: किडनी की समस्या बहुत गंभीर हो सकती है और इसे उपचार की आवश्यकता होती है। किडनी में सूजन और इसमें अन्य क्षति की वजह से हो रही है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है पर इस समस्या से राहत पाने और इसे रोकने की आवश्यकता है।
  • जेनेटिक रोग: किडनी की अनुवांशिक बीमारियों का उपचार बहुत अधिक होता है। उदाहरण के लिए, फैमिलियल हेमाट्यूरिया के लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है पर ऐलपोर्ट सिंड्रोम में अत्यधिक उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती है।

डॉक्टर से मदद कब लें?

पेशाब में खून आने और साथ ही इसमें अत्यधिक प्रोटीन होने पर अपने बच्चे की जांच नेफ्रोलॉजिस्ट से करवाएं। यदि बच्चों में माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया कई महीनों तक रहती है या इसमें हाई ब्लड प्रेशर होता है और अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो यह एक चिंताजनक समस्या है। 

जिनमें हेमाट्यूरिया किडनी स्टोन या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण होता है, दवा लेने या एक्सरसाइज करने से उनके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना होती है। यदि बच्चों में ग्लोमेरुलोंफ्राइटिस (जो स्ट्रेप इंफेक्शन के बाद होता है) के परिणामस्वरूप हेमाट्यूरिया होता है या बच्चा हल्का बीमार पड़ जाता है तो इसकी रिकवरी होना संभव है। जिनमें यह समस्या अत्यधिक गंभीर होती है, उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों के मल में रक्त – कारण व उपचार
बच्चों में यू.टी.आई. के 20 प्रभावी घरेलू उपचार

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

200+ ईसाई लड़कों के नाम अर्थ के साथ

नामों की पसंद सबकी अलग-अलग हो सकती है जिसका कोई अंत नहीं है। आपको अपनी…

1 day ago

लड़कियों के लिए 200+ सबसे नए और यूनिक हिन्दू नाम, अर्थ के साथ

मोक्ष प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म होने…

1 day ago

मुस्लिम लड़कियों के 250+ इस्लामी नाम अर्थ के साथ

भारतीय मुस्लिम बच्चियों के नाम रखने की जब बात आती है, तो हो सकता है…

2 days ago

मुस्लिम लड़कों के लिए 200+ इस्लामी नाम अर्थ के साथ

एक बच्चे का नाम जितना सुनने में अच्छा होना चाहिए उतना ही उसका अर्थ भी…

2 days ago

लड़कों के लिए 200+ अद्वितीय हिन्दू नाम अर्थ के साथ

हिंदू धर्म एक धर्म से बढ़कर एक जीवन पद्धति है और इसका पालन भारत, नेपाल,…

2 days ago

200+ ईसाई लड़कियों के नाम अर्थ के साथ

आखिरकार वो दिन आ ही गया जब आपकी नन्ही परी ने इस दुनिया में कदम…

3 days ago