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बच्चों के पेशाब में खून आना आपके लिए चिंताजनक हो सकता है। पेशाब में खून आने को ‘हेमाट्यूरिया’ भी कहा जाता है। यह बच्चों में बहुत सामान्य है और ज्यादातर मामलों में यह गंभीर समस्या नहीं है व अपने आप ठीक हो सकती है। लेकिन कभी-कभी यह एक गंभीर समस्या भी हो सकती है।
किडनी खून से सभी अपशिष्ट पदार्थों और तरल को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालती है। यह युरेटर (मूत्रवाहिनी) से होते हुए किडनी को ब्लैडर से जोड़ने वाली ट्यूब में जाता है जहाँ पेशाब स्टोर होता है और बाहर निकलता है। यदि पेशाब में खून भी दिखाई देता है तो इसे हेमाट्यूरिया कहते हैं।
हेमाट्यूरिया के दो प्रकार होते हैं:
बच्चों में हेमाट्यूरिया होने के कई कारण हैं, जिनमें अत्यधिक व्यायाम, ट्रॉमा, मासिक धर्म और वायरल बीमारियां शामिल हैं। यहाँ तक कि अत्यधिक पिग्मेंटेड आहार, जैसे चुकंदर और अन्य लाल रंग से भरपूर आहार जो बच्चों की पेशाब का रंग भी लाल कर सकते हैं और यह 3 वर्षीय तक के टॉडलर की पेशाब में यह खून जैसा लग सकता है।
बहुत कम ऐसा होता है कि हेमाट्यूरिया के अपने कोई लक्षण दिखाई देते हैं, बजाय इसके कि पेशाब में अत्यधिक खून होता है। इसमें ब्लड क्लॉट्स बन सकते हैं और यह ब्लड क्लॉट्स पेशाब के बहाव को भी रोक सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप पेल्विक के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। आमतौर पर हेमाट्यूरिया अन्य समस्याओं का लक्षण होता है।
जिन बच्चों को माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया होता है उन्हें किडनी के फंक्शन में कोई समस्या नहीं होती है और कई महीनों तक जिनका ब्लड प्रेशर नॉर्मल होता है, उनकी पेशाब की जांच कई महीनों तक होनी चाहिए। यदि पेशाब में अब भी खून आता है तो पेशाब में प्रोटीन, कैल्शियम और क्रिएटिनिन की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। इसमें किडनी का अल्ट्रासाउंड भी किया जाना चाहिए।
जिन बच्चों का ब्लड प्रेशर अधिक होता है, उनके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो सकती है, परिवार में पहले किसी को किडनी से संबंधित समस्या हो सकती है या ब्लड टेस्ट खराब हो सकता है। जिसके परिणामस्वरूप किडनी की बायोप्सी करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
हेमाट्यूरिया में सबसे बड़ी कॉम्प्लिकेशन यही है कि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। हेमाट्यूरिया को रोग नहीं एक लक्षण माना जाता है। इसका मतलब यह है कि हर समस्या के लिए अलग-अलग उपचार होते हैं क्योंकि यह समस्या कई चीजों से हो सकती हैं।
इसके परिणामस्वरूप ब्लीडिंग होने के कारणों का पता लगाने के लिए बच्चे की कई जांच की जा सकती हैं। कुछ मामलों में यह निदान करने में मदद करता है और ब्लीडिंग डिसऑर्डर व यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन जैसी समस्याओं को ठीक करता है। पर कई मामलों में इसमें कोई भी समस्या नहीं होती हैं और बच्चा बिना किसी चिकित्सा के नॉर्मल तरीके से ठीक हो जाता है।
जैसा कि इस समस्या का कोई भी निश्चित इलाज नहीं है, बच्चों में हेमाट्यूरिया का उपचार डॉक्टर द्वारा इसके कारण पता करने पर ही किया जा सकता है। जिसमें से कुछ इस प्रकार हैं;
पेशाब में खून आने और साथ ही इसमें अत्यधिक प्रोटीन होने पर अपने बच्चे की जांच नेफ्रोलॉजिस्ट से करवाएं। यदि बच्चों में माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया कई महीनों तक रहती है या इसमें हाई ब्लड प्रेशर होता है और अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो यह एक चिंताजनक समस्या है।
जिनमें हेमाट्यूरिया किडनी स्टोन या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण होता है, दवा लेने या एक्सरसाइज करने से उनके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना होती है। यदि बच्चों में ग्लोमेरुलोंफ्राइटिस (जो स्ट्रेप इंफेक्शन के बाद होता है) के परिणामस्वरूप हेमाट्यूरिया होता है या बच्चा हल्का बीमार पड़ जाता है तो इसकी रिकवरी होना संभव है। जिनमें यह समस्या अत्यधिक गंभीर होती है, उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है।
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