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सभी नए पेरेंट्स अपने बच्चे की खूबसूरत आँखों को घंटों अपलक निहार सकते हैं। पर क्या आप जानते हैं, कि आपके बच्चे की आँखों का खूबसूरत भूरा रंग हमेशा ऐसा ही नहीं रहेगा। जब वह 3 महीने, 6 महीने या फिर 12 महीने का हो जाएगा, तो उसकी आँखें अलग दिख सकती हैं। इसलिए उसकी भूरी आँखों को जी भर कर देख लें, क्योंकि वे जल्दी ही बदलने वाली हैं। बच्चों की आँखों का रंग एक वर्ष की उम्र तक बदल सकता है, वहीं कुछ बच्चों में आँखों का रंग 3 वर्ष की उम्र के बाद बदलता है।
आपके बच्चे की आँखों के रंग के लिए आपको अपने और अपने साथी के जींस का शुक्रिया अदा करना चाहिए। बच्चे की आँखों का रंग उसके माता-पिता की आँखों के रंग के मेल से तय होता है। हालांकि, जींस का यह मेल एक से अधिक तरीकों से होता है और जहाँ आपकी बच्चे की आँखें वंशानुगत कारणों पर निर्भर करती हैं, वहीं इसके लिए केवल जींस का धन्यवाद करने से बात नहीं बनेगी, क्योंकि बच्चे की आँखों का रंग तय करने में मेलानिन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आपके बच्चे की आँखों के रंग में महत्वपूर्ण बदलाव 6 से 9 महीने की उम्र के बीच देखा जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस समय तक आयरिस में पर्याप्त मात्रा में पिगमेंट इकट्ठे हो जाते हैं। आप अपने बच्चे की आँखों के स्थाई रंग को देखने में भी सक्षम हो जाते हैं। लेकिन अगर यह रंग 3 वर्ष की आयु तक बदलता रहे, तो आश्चर्यचकित न हों, हालांकि आँखों का गहरा रंग हो तो वह गहरा ही रहता है और यह बदलता नहीं है। लगभग 10% मामलों में आँखों का रंग वयस्क होने के बाद भी बदलता रहता है।
बच्चे की आँखों का रंग तय करने में निम्नलिखित तथ्य जिम्मेवार होते हैं:
एक बच्चे की आँखों का रंग तय करने में मेलानिन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऊपर दिए गए तथ्य, कुछ संभावनाओं को दर्शाते हैं, जो आप अपने नवजात शिशु में देख सकते हैं। लेकिन केवल ऐसा ही होना जरूरी नहीं है, आपके बच्चे की आँखें किसी अन्य रंग की भी हो सकती हैं।
ऐसा अक्सर देखा जाता है, कि अगर माता-पिता की आँखों का रंग गहरा हो, तो बच्चे की आँखों का रंग भी गहरा होता है। इसी तरह, अगर माँ और पिता दोनों की आँखें नीली या हरी हों, तो बच्चे की आँखें भी नीली या हरी होती हैं। अगर माँ और पिता में से एक की आँखों का रंग गहरा और दूसरे का हल्का हो, तो बच्चे की आँखें भी या तो गहरी या तो हल्की रंगत की हो सकती हैं। बच्चे की आँखों का वास्तविक रंग, उसके 9 महीने के हो जाने के बाद दिख सकता है। लेकिन कुछ बच्चों में उनकी आँखों का रंग 3 साल की उम्र के बाद बदलता है।
अगर बच्चे में दुर्लभ वंशानुगत बीमारी हो, तो उसकी दोनों आँखों का रंग अलग-अलग हो सकता है। अगर आप अपने बच्चे की आँखों के रंग में किसी तरह का बदलाव देखते हैं, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कभी-कभी बच्चे की दोनों आँखें अलग-अलग रंगों की हो सकती हैं, ऐसा निम्नलिखित परिस्थितियों में हो सकता है:
ऊपर दी गई स्थितियों का इलाज, स्थिति के लक्षणों के आधार पर भिन्न हो सकता है। अगर आपका बच्चा हेटेरोक्रोमिया से ग्रसित पाया गया है, तो चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह स्थिति नुकसानदायक नहीं होती है और इसमें किसी तरह के इलाज की जरूरत भी नहीं होती है। लेकिन अगर इस स्थिति के साथ किसी तरह की सूजन है, तो इस सूजन को दूर करना और इसके बाद हेटेरोक्रोमिया का इलाज करना जरूरी हो जाता है।
अगर बच्चे को देखने में दिक्कत आ रही है या बच्चा एक आँख से देख पाने में सक्षम नहीं है, तो आई स्पेशलिस्ट टिंटेड कॉन्टैक्ट लैंसेज की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब किए गए ये कॉन्टैक्ट लैंस आँख के गहरे रंग को हल्का या हल्के रंग को गहरा करने में मदद करते हैं। अगर एक सिंगल कॉन्टैक्ट लेंस पहनने में दिक्कत आ रही हो, तो दोनों आँखों के लिए लेंस प्रिसक्राइब किए जा सकते हैं।
हालांकि, अगर आपने बच्चे की इस स्थिति का इलाज न करवाने का निश्चय किया है, तो आप ऐसा भी कर सकते हैं। ऐसे कई लोग हैं, जो आँखों की इस स्थिति के साथ स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। लेकिन अगर आप या आपका बच्चा टिंटेड लेंस की जरूरत महसूस करते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।
एक बच्चे की आँखों का रंग एक साल के अंदर या फिर उसके बाद भी कई बदलावों से गुजर सकता है। अगर आप कुछ असामान्य महसूस करते हैं, तो आप अपने संदेहों से निजात पाने के लिए पेडिअट्रिशन से परामर्श ले सकते हैं। किसी भी तरह कॉम्प्लीकेशंस की संभावना से बचने के लिए आपको नियमित रूप से अपने बच्चे की आँखों की जांच करवाने की सलाह दी जाती है।
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