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माता-पिता होने के नाते यह देखना आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आपके बच्चे की नजर या दृष्टि सामान्य है कि नहीं क्योंकि बच्चे की आँखों में कोई भी समस्या उसके जीवन को कई प्रकार से प्रभावित कर सकती है। इसलिए, यह अहम है कि आप अपने बच्चे की आँखों की नियमित जांच कराएं।
आँखों की जांच बेहद जरूरी है क्योंकि यह बच्चे की आँखों के स्वास्थ्य को सही करने के साथ यदि आँखों से जुड़ी कोई समस्या हो तो उसका पता लगाने में मदद करती है। यहां कुछ कारण दिए गए हैं कि आपको अपने बच्चे के लिए आँखों का टेस्ट क्यों करना चाहिए:
आपके बच्चे के पैदा होने के तुरंत बाद डॉक्टर सामान्य आई टेस्ट करते हैं। हालांकि, बच्चे की पहले आँखों की जांच तब होती है, जब वह छह महीने का होता है। इसके बाद, यह सलाह दी जाती है कि जब वह तीन साल का हो जाए तो आँखों का टेस्ट कराएं और बाद में यह बच्चे की औपचारिक तरीके से पढ़ाई शुरू करने से पहले की जानी चाहिए, जो लगभग पांच या छह साल की उम्र में होती है। यदि आपके बच्चे को आँखों में किसी तरह के सुधार की आवश्यकता नहीं है, तो हर दो साल में एक बार आँखों की जांच कराई जानी चाहिए। हालांकि, यदि बच्चा चश्मा पहनता है, तो हर साल या आई स्पेशलिस्ट द्वारा सुझाए गए समय के अनुसार टेस्ट की जरूरत होती है।
कभी-कभी किसी बच्चे को आँखों से जुड़ी समस्या हो सकती है और इसीलिए आपको अपने बच्चे को आँखों की जांच के लिए ले जाना चाहिए। यहां ऐसे लक्षण दिए गए हैं जो संकेत देते हैं कि आपके बच्चे को नजर संबंधी समस्या है:
ये लक्षण इस बात का संकेत देते हैं कि आपका बच्चा आँखों की समस्या से पीड़ित है, इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि आप जल्द से जल्द बच्चे की आँखों की जांच करवाएं।
यदि आप अपने बच्चे की आँखों की जांच कराने के लिए प्लान कर रही हैं, तो यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:
जब भी आप अपने बच्चे के आई चेकअप के लिए किसी नेत्र विशेषज्ञ के पास जाने का प्लान बनाती हैं, तो यह जरूरी है कि बच्चे से इसके बारे में पहले ही बात कर ले। उसे समझाएं कि वहां क्या करने की जरूरत होगी। बच्चे को बताएं कि उसे दीवार पर कई वस्तुओं, चित्रों, अक्षरों या लाइट के आकार की पहचान करनी पड़ेगी। डॉक्टर उसकी आँखों में कुछ आई ड्रॉप डालेंगे, जिससे थोड़ी झुनझुनी होती है, इसलिए बच्चे को इसके लिए पहले से तैयार कर लें। यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को जांच प्रक्रियाओं के बारे में खुलकर बताएं, जिससे उसे गुजरना पड़ेगा ताकि वह बेहतर तरीके से तैयार हो सके और यह भी जान सके कि आँखों के टेस्ट में क्या होता है।
6 महीने की उम्र तक बच्चे का कलर विजन बेहतर होता है, फोकस करना और बारीकी से चीजें देखने में वह सक्षम होता है। यह पता लगाने के लिए कि आपके बच्चे की आँखें सामान्य और सही तरीके से विकसित हो रही हैं या नहीं, इसके लिए डॉक्टर निम्नलिखित आई टेस्ट कर सकते हैं।
आपके बच्चे की आँखों की पुतली की प्रतिक्रिया की जांच के लिए, डॉक्टर लाइट का उपयोग करेंगे और देखेंगे कि पुतली कैसे फैलती और घटती है।
आपके बच्चे की देखने की क्षमताओं का आकलन करने के लिए, डॉक्टर दो कार्डों का उपयोग करेंगे, एक खाली और एक धारीदार। धारीदार कार्ड पर ध्यान आकर्षित करने के लिए डॉक्टर कार्ड को बच्चे की आँखों के सामने रखेंगे।
यह टेस्ट यह देखने के लिए किया जाता है कि बच्चे की आंखें ठीक होने में सक्षम हैं या नहीं। यह देखा गया है कि जन्म के तुरंत बाद एक बच्चा अपनी आँखों को ठीक करने में सक्षम होता है और वो भी तब तक जब तक वह तीन साल का नहीं हो जाता है, साथ ही वह किसी भी चीज फॉलो कर सकता है।
बच्चे को तीन साल की उम्र तक या प्रीस्कूलर होने तक आँखों की जांच के लिए आई निम्नलिखित टेस्ट की सलाह दी जाती है:
आपके बच्चे की स्पष्टता और दृष्टि की सीमा को जांचने के लिए, डॉक्टर यह टेस्ट कराते हैं। इस टेस्ट में उसे कुछ रैंडम लेकिन आसानी से पहचाने जाने वाले जैसे सेब, अंगूर या केले की फोटो दिखाई जाती है। इन तस्वीरों को डॉक्टर द्वारा उचित दूरी पर रखा जाता है।
इस टेस्ट में कई प्रकार के डॉटेड पैटर्न शामिल होते हैं। इन्हें बच्चे की दृष्टि की जांच करने के लिए और यह जांचने के लिए कि उसकी आंखें कितनी अच्छी तरह तालमेल करती हैं, इस्तेमाल किया जाता है। इस टेस्ट में एक 3डी ग्लास के जरिए देखना पड़ता है।
यह टेस्ट डॉक्टर को यह जांचने में मदद करता है कि बच्चे को चश्मे की जरूरत है या नहीं। इस टेस्ट में आंख के पीछे से रेफ्लेक्सशन की जांच करने के लिए बच्चे की आँखों पर प्रकाश डाला जाता है।
ऊपर बताए गए आँखों के टेस्ट के अलावा, डॉक्टर स्कूल जाने वाली उम्र के बच्चों के लिए निम्नलिखित आई टेस्ट कराने की सलाह देते हैं:
इस टेस्ट द्वारा यह पता लगाया जाता है कि बच्चे की आंखें कितनी कोऑर्डिनेटेड हैं यानी आंखें एक साथ कितनी अच्छी तरह काम करती हैं।
छोटे बच्चों और टीनएजर्स को चीजों पर फोकस करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इस प्रकार डॉक्टर यह चेक करने के लिए टेस्ट करते हैं कि उनकी आंखें अच्छी तरह फोकस करने में कितनी सक्षम हैं।
जिन बच्चों को अपने हाथों और आँखों के मूवमेंट को एक साथ करने में समस्या होती है, वे बेहद निराश महसूस करते हैं, और इससे पढ़ाई में उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ता है। इस समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर बच्चे की आँखों की जांच करते हैं।
ऊपर बताए सभी आँखों के टेस्ट के अलावा, डॉक्टर कई तरह की आँखों की समस्याओं को जानने के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए पेरीफेरल विजन, कलर विजन या ट्रैकिंग टेस्ट भी करते हैं।
यहां बच्चों में दृष्टि से जुड़ी कुछ समस्याओं के बारे में बताया गया है, जिन्हें आँखों के डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करते समय नोटिस करते हैं।
एक बच्चे के सीखने के क्षमता और उसकी दृष्टि आपस में जुड़े हुए हैं। यह देखा गया है कि लगभग 80 प्रतिशत जानकारी जो बच्चा स्कूल में हासिल करता है, वह केवल देखने की इंद्रियों के जरिए ही करता है। इसका मतलब है कि बच्चे को सीखने में मदद करने के लिए उसकी नजर अच्छी होनी चाहिए। इस तरह, किसी भी प्रकार की आँखों से जुड़ी समस्या बच्चे की सीखने की क्षमता पर डायरेक्ट प्रभाव डालती है।
आपके बच्चे की आँखों का स्वास्थ्य और दृष्टि उसके जरूरी विकास और वृद्धि का एक बहुत ही अहम पहलू है। यदि आप बच्चे की आँखों में किसी भी तरह की समस्या का कोई भी लक्षण देखती हैं, तो उसे तुरंत आँखों के डॉक्टर के पास ले जाएं।
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