नए माता-पिता होने के नाते आपको शुरुआत में अपने नन्हे-मुन्ने की चीजों को व उनकी जरूरतों को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है और इसलिए बच्चे को खाना खिलाना या उन्हें शांत कराना शुरुआत में थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आपको बच्चे की सभी जरूरतों को समझना होगा कि उन्हें कब भूख लगी है, वे किस कारण से रो रहे हैं, हालांकि यह उतना आसान नहीं जितने यह सुनने में लगता है, लेकिन जैसे जैसे आप बच्चे के साथ समय बिताएंगी आप उनकी जरूरतों को भी समझने लगेंगी । बच्चे सबसे ज्यादा बच्चे तब परेशान करते हैं जब उनकी नींद ठीक से पूरी नहीं होती है, बच्चे के लिए नींद पूरी करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जब बच्चा सो रहा होता है उस दौरान वो विकास की प्रक्रिया में होता है। इसलिए माता-पिता को यह कोशिश करनी चाहिए कि आपके बच्चे को उसके शुरुआती वर्षों में पर्याप्त नींद मिले।
यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे के सोने का तरीका, उसके लिए या आपके लिए परेशानी पैदा कर रहा है, तो हो सकता है कि यह बच्चे में नींद की समस्या से जुड़ा कोई संकेत हो। आइए नींद की कुछ सामान्य समस्याओं के बारे में जानते हैं जो माता-पिता होने के नाते आपको पता होनी चाहिए।
बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि क्या आपके बच्चे को नींद संबंधी कोई समस्या तो नहीं है। शुरुआती 6 महीनों तक, बच्चे का रात में कभी भी उठ जाना सामान्य बात है, संभवतः बच्चों को शुरुआती कुछ महीनों के दौरान खुद को सहज करने हेतु अपनी पोषण संबंधी आवश्यताओं को पूरा करने और अच्छे से आराम करने की आवश्यकता होती है, ये किसी समस्या का संकेत नहीं है। 6 महीने के बाद भी बच्चे की नींद लेने के तरीकों में बदलाव देखने को मिल सकता है, इसलिए माता-पिता स्पष्ट तौर पर यह नहीं कह सकते हैं कि बच्चे को नींद की समस्या है या नहीं।
यदि 6 महीने बाद भी बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप यह कह सकती हैं कि बच्चे को नींद संबंधी समस्या है:
यदि आप तय नहीं कर पा रही हैं कि आपके बच्चे को नींद संबंधी समस्या है या नहीं, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
यदि आपको अपने बच्चे में नींद संबंधी समस्याएं नजर आती हैं, तो इसके लिए आपको यहाँ कुछ समाधान बताए गए हैं।
यह माओं के लिए एक आम समस्या है, विशेष रूप से शुरुआती चरणों में। इसका कारण यह हो सकता है कि बच्चे ने स्तनपान को नींद से जोड़ लिया है, इसलिए वह केवल तभी सोता है जब उसे स्तनपान कराया जाता है।
समाधान:
इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका यह है कि बच्चे के दिमाग से धीरे-धीरे स्तनपान के साथ सोने के संबंध को दूर किया जाए। आप बच्चे के स्तनपान और उसके सोने के समय में अंतर को बढ़ाकर ऐसा कर सकती हैं, ताकि जब बच्चा दूध पी रहा हो तो वह आसानी से न सोए। इसे रूटीन में शामिल करें ताकि आपके बच्चे को स्तनपान के दौरान नींद न लेने की आदत पड़ जाए।
यह भी ऊपर बताई गई समस्या जैसा ही है, क्योंकि बच्चे को एक गति में सोने की आदत पड़ जाती है। बच्चे को झूले या पालने में धीरे-धीरे झुलाए जाने को वो अपनी नींद से जोड़ लेते हैं और इस तरह वह झूले में जल्दी सोने की आदत डाल लेते हैं।
समाधान:
पहली समस्या की तरह ही इसका भी एकमात्र समाधान यह है कि बच्चे को यह आदत धीरे-धीरे छुड़ाई जाए। अर्थात आप बच्चे को कुछ दिनों तक अपनी बाहों में लेकर थोड़ा कम झुलाएं और उन्हें सुलाने का प्रयास करें।
यह भी बच्चे में आदत पड़ने की वजह से होता है और ये 6 महीने के किसी भी बच्चे में नींद की एक आम समस्या होती है। आपका बच्चा केवल तभी सो पाएगा, जब अपने उसे कसकर पकड़ रखा हो, या फिर उसे लपेट कर रखा हो।
समाधान:
इस समस्या का हल तभी निकलेगा जब आप उसको इस आदत के बैगर सुलाएंगी, इसके लिए आप बच्चे को अपनी बाहों में लिए बिना उसे सुलाने की कोशिश करें, इस तरह से उसे अपनी माँ के बगैर सोने की आदत लगेगी। आप अपने साथी से कहें कि बच्चे को तब तक पकड़ें जब तक कि वह खुद सो ना जाए, आप परिवार के किसी अन्य सदस्य की मदद भी ले सकती हैं। आप बच्चे को खुद से सोना सिखाने के लिए उन्हें उठाकर अलग सुलाने का तरीका भी अपना सकती हैं, इससे धीरे-धीरे उन्हें खुद सोने की आदत पड़ने लगेगी।
यह भी एक अन्य गति संबंध समस्या है और ये उन बच्चों में अधिक होता है जिनके माता-पिता बहुत यात्रा करते हैं। नींद की इस समस्या को आमतौर पर 12 महीने के बच्चे में देखा जाता है। यह रिफ्लेक्स या जीइआरडी जैसे गैस्ट्रिक रोगों का संकेत भी हो सकता है जिसकी वजह से बच्चे के लिए कार की सीट विशेष रूप से आरामदायक होती है।
समाधान:
यदि यह मामला गैस्ट्रिक समस्या का है, तो आपको अपने बच्चे का ध्यान रखना चाहिए और जल्द से जल्द उसे उपचार के लिए ले जाना चाहिए। बाकि आदतों की तरह ही आप बच्चे की इस आदत को छुड़ाने का प्रयास करें।
बच्चे के बड़े हो जाने के बाद भी यह समस्या उनमें देखी जाती है, क्योंकि ऐसे सोना उसकी आदत का हिस्सा बन चूका होता है। बच्चे कहीं और नहीं सो सकते हैं, क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता के बगल में सोने की आदत पड़ जाती है।
समाधान:
बच्चे का माता-पिता के साथ सोना एक आम बात है, इसलिए अच्छा यही होगा कि बच्चे को धीरे-धीरे खुद से दूर करने की आदत डालें। कई अन्य विकल्प भी हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को बहुत अधिक रुलाएं बिना इस आदत को छुड़ा सकती हैं।
आप देखती हैं कि आपका बच्चा रात में तो ठीक से सोता है, लेकिन उसे दिन के समय सोने में परेशानी होती है। इसका कारण यह है कि दिन में सोने और रात में सोने के समय को मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों द्वारा संचालित किया जाता है, इसलिए किसी एक समय में अच्छे नींद लेने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा कभी भी सो सकता है।
समाधान:
यदि आपके बच्चे को नींद की समस्या है, तो नैप प्रशिक्षण ही इसका एकमात्र विकल्प है।
यदि आप देखती हैं कि बच्चा अपने सोने के समय पर तो सहजता से सो जाता है, लेकिन देर रात में कई बार जाग जाता है, तो यह नींद की समस्या का संकेत हो सकता है।
समाधान:
आपको पहले यह पता करना होगा कि आपका बच्चा रात में क्यों जागता है और फिर उसी हिसाब से अगला कदम उठाएं। यदि वह भूख के कारण जागता है, तो उसके फीड शेड्यूल में बदलाव करें, ये नींद से जुड़ी कोई अन्य समस्या हो सकती है, जिसका आपको उपचार करना चाहिए ।
एक और आम समस्या, जो किसी भी नवजात में नींद की एक आम समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे दिन में आवश्यकता से अधिक सोते हैं और फिर रात में एक झपकी लेने के बाद स्तनपान के लिए उठ जाते हैं।
समाधान:
आपको धीरे-धीरे दिन में उसकी नींद की मात्रा को कम करना चाहिए और दिन में अधिकाधिक बार उसे दूध पिलाना चाहिए ताकि वह रात में कम जागे।
यह तीन में से किसी एक समस्या के कारण हो सकता है – बच्चा बहुत जल्दी सो जाता हो, बहुत देर से सोता हो या फिर वह दिन में बहुत अधिक सोता हो। बहुत देर तक सोते रहने से बच्चे को थकान हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप वह माँ के जागने से पहले ही उठ जाता है।
समाधान:
सबसे पहले आपको पता करना चाहिए कि बच्चा आपसे पहले क्यों उठ जाता है। फिर धीरे-धीरे उसकी नींद के शेड्यूल में बदलाव करें ताकि वह आपसे पहले ना जागे। जो बच्चे दिन में सो लेते हैं, उनमें यह समस्या ज्यादा होती है, इसलिए संभवतः आपको उसकी झपकी लेने के समय को कम कर देना चाहिए या पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए।
यह बहुत सारी समस्याओं के कारण हो सकता है और किसी भी समय हो सकता है – 7 महीने के बच्चे को होने वाली नींद की समस्या भी इसका एक हिस्सा है। दाँत निकलना, बीमार होना या नींद की आम समस्या से भी आपके बच्चे की नींद के समय में भारी बदलाव आ सकता है।
समाधान:
आपको यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि ऐसा क्यों होता है – यह पर्यावरण में बदलाव के कारण भी हो सकता है, या पॉटी प्रशिक्षण शुरू करने की वजह से भी हो सकता है।
आपके बच्चे को नींद की समस्या क्यों होती है, इसके कई कारण हो सकते हैं और इसका ठीक-ठीक अनुमान लगा पाना मुश्किल हो सकता है। अगर आपको लगता है कि आप खुद इसका समाधान नहीं निकाल सकती हैं, तो आपको किसी डॉक्टर से मिलकर उनकी सलाह लेनी चाहिए।
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