बच्चों की त्वचा वयस्कों की त्वचा से बहुत अलग होती है, क्योंकि वह बहुत ज्यादा पतली होती है। इसका सीधा अर्थ यह है, कि उनकी त्वचा अधिक नाजुक और सेंसिटिव होती है। यह नमी और तापमान में होने वाले बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। इसलिए इनमें एलर्जी, इंफेक्शन, रैशेज और इरिटेंट जैसी समस्याएं ज्यादा दिखती हैं।
बाहरी दुनिया से बचाव के लिए उनकी त्वचा ही उनकी सबसे पहली दीवार होती है। इसलिए बच्चे की त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए अधिक ध्यान और सुरक्षा की जरूरत होती है। हालांकि बच्चों की त्वचा की देखभाल करना बहुत जटिल लग सकता है, पर ध्यान रखने वाली बात यह है, कि इसे हर समय सही तरीके से नम और मॉइस्चराइज्ड रखना जरूरी है।
‘लेस इस सेफ’ यानि ‘जितना कम उतना सुरक्षित’ बच्चे की त्वचा की देखभाल के प्रति सबसे बेस्ट मंत्रा है। बच्चों के लिए बड़ों के स्किन केयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना सही नहीं होता है। बच्चों की त्वचा कठोर केमिकल्स युक्त प्रोडक्ट के इस्तेमाल से होने वाली एलर्जी के प्रति भी अत्यधिक संवेदनशील होती है। केमिकल युक्त साबुन और शैंपू, कठोर डिटर्जेंट और जरूरत से ज्यादा नहलाने से भी बचना चाहिए। तो आप अपने बच्चे की त्वचा की देखभाल कैसे कर सकते हैं, चलिए देखते हैं।
बच्चों की त्वचा की देखभाल कैसे करें, यह ऐसा सवाल है, जो कि बाजार में उपलब्ध प्रोडक्ट की विस्तृत वैरायटी और विभिन्न लोगों की विभिन्न सलाह के साथ बहुत ही जटिल और दुविधापूर्ण लगती है। यहां पर बच्चों के स्किन केयर टिप्स और होम रेमेडीज की एक सूची दी गई है, जो कि आपकी इस दुविधा को आसान कर सकती है।
एक न्यूबॉर्न बेबी की त्वचा आमतौर पर चिपचिपी होती है और एक सफेद मोम जैसी परत से ढकी होती है, जिसे वर्निक्स कहा जाता है। जो कि जन्म के शुरुआती कुछ हफ्तों के दौरान धीरे-धीरे उतर जाती है। इस प्राकृतिक पद्धति में त्वचा को रगड़ने या उस पर क्रीम जैसी कोई चीज लगाने की जरूरत नहीं होती है। जन्म के बाद शुरुआती हफ्तों के दौरान बच्चे को केवल गीले कपड़े से स्पंज करना ही काफी होता है और इस दौरान बच्चे के मुंह और डायपर वाले क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
बच्चे को अधिक नहलाने से उसकी त्वचा का प्राकृतिक तेल निकल सकता है और उसमें रूखापन आ सकता है। इसलिए बच्चे को सप्ताह में तीन से चार बार नहलाना काफी है। इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे को नहलाते समय गुनगुने पानी और सौम्य साबुन का इस्तेमाल करें। नहलाने के बाद बच्चे को जिस कमरे में सुखाना हो, उस कमरे का तापमान भी सही मात्रा में गर्म होना चाहिए, ताकि उसे ठंड या गर्मी से बचाया जा सके। इसके अलावा बच्चे को सुखाने के लिए मुलायम सूती तौलिए का इस्तेमाल करके थपथपा कर सुखाएं।
अगर बच्चों को नहलाने के बाद सुखाने के लिए उचित समय दिया जाए, तो उसे पाउडर लगाना अतिआवश्यक नहीं होता है। लेकिन अगर आप निश्चित रूप से बच्चे को पाउडर लगाना ही चाहते हैं, तो बेहतर होगा, कि एक बेबी टेलकम पाउडर का इस्तेमाल करें, जो कि उसकी नाजुक त्वचा पर सौम्य हो। केमिकल युक्त खुशबूदार पाउडर या दानेदार पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें, विशेषकर नैपी एरिया में, क्योंकि इससे बाद में त्वचा की अनचाही समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों की त्वचा बहुत ही नाजुक और सेंसिटव होती है। जन्म के बाद नए कठोर वातावरण और इसमें आने वाले नियमित बदलावों के साथ एडजस्ट करने में इन्हें थोड़ा समय लगता है। इसलिए रूखापन और रैशेज पैदा करने वाले खुशबूदार या कठोर एंटीबैक्टीरियल प्रोडक्ट के बजाय केमिकल रहित प्राकृतिक और ऑर्गेनिक बेबी प्रोडक्ट सुरक्षित विकल्प होते हैं। आपको सलाह दी जाएगी कि, बच्चों की त्वचा पर किसी नए प्रोडक्ट का इस्तेमाल ना करें। क्योंकि इससे कुछ संभव रिएक्शन हो सकते हैं। हम आपको बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए जाने वाले प्रोडक्ट, जैसे – माइल्ड बेबी सोप, टियर फ्री शैंपू और सौम्य लोशन आदि का इस्तेमाल करने की सलाह देंगे। इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल से आपके बच्चे को होने वाले किसी तरह के रिएक्शन के ऊपर नजर रखें और जरूरी पड़ने पर मेडिकल सलाह अवश्य लें।
अधिक देर तक गंदे डायपर को पहनने से, डायपर बहुत ज्यादा टाइट होने से या किसी विशेष ब्रांड के डायपर से एलर्जी होने की स्थिति में बच्चे को डायपर रैश हो सकता है। इसलिए रैशेज और स्किन इन्फेक्शन से बचने के लिए गंदे डायपर को तुरंत बदल देना अच्छा होता है। ऐसे डायपर का इस्तेमाल करें, जो मुलायम हो और अधिक मात्रा में अब्जोर्ब कर सकें। अधिकतर रैशेज सामान्य होते हैं और किसी गंभीर समस्या का संकेत नहीं होते हैं। लेकिन अगर बच्चे में रैशेज की समस्या लगातार बनी रहती है, तो बेहतर होगा कि आप इस संदर्भ में किसी अच्छे पीडियाट्रिशियन से बात करें।
कुछ बच्चों में एक्ने की समस्या हो सकती है, जो कि बड़ों को होने वाले एक्ने से अलग होते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना अच्छा होता है। कभी-कभी बच्चों में एग्जिमा या अटोपिक डर्मेटाइटिस की समस्या हो सकती है, जो कि एक तरह का स्किन रेश होता है। एग्जिमा के कारण त्वचा में रूखापन, खुजली, मोटापन या परतें हो सकती हैं और कभी-कभी इसमें लाल पैच भी हो सकते हैं। चूँकि एग्जिमा एक वंशानुगत त्वचा समस्या है, इसलिए इसका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन सही इलाज से इसे रोका जा सकता है। जिन बच्चों में एक्जिमा की समस्या होती है, वे धीरे-धीरे इस परिस्थिति से बाहर आ जाते हैं।
अपने बच्चे से मजबूत रिश्ता बनाने के लिए मसाज एक बेहतरीन तरीका है। प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल करके बच्चों की त्वचा का मसाज करने से उसे पोषण और नमी भी मिलती है। इसके लिए आमतौर पर नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है और आपको इसके लिए केमिकल और खुशबूदार तेलों के इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आपके बच्चे की त्वचा को नुकसान हो सकता है और रिएक्शन हो सकते हैं।
बच्चों की नाजुक त्वचा को सीधी धूप से बचाने की सलाह दी जाती है। विशेषकर जन्म के बाद शुरुआत के कुछ महीनों में इससे सनबर्न हो सकते हैं। धूप में बाहर जाते समय अच्छा यह होगा, कि बच्चे को पूरी बांह के कपड़े, पूरे ढके पैंट और टोपी से अच्छी तरह से ढका जाए। और खुली त्वचा पर बच्चों की त्वचा पर सुरक्षित सनस्क्रीन लगाकर बाहर लाया जाए।
बच्चों में पसीने के कारण घमौरियां होने की समस्या ज्यादा होती है। इसलिए सबसे अच्छा है, कि बच्चों को ढीले सूती कपड़े पहनाए जाएं। क्योंकि, ये मुलायम होते हैं और पसीना भी जल्दी सोख लेते हैं। सिंथेटिक कपड़ों के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इनसे बच्चों को असुविधा और एलर्जी हो सकती है। आप बाहरी मौसम के अनुसार उन्हें कम या ज्यादा कपड़े पहने सकते हैं।
बच्चों की त्वचा की देखभाल में उन्हें सही तरीके से मॉइस्चराइज करना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि, बच्चों की त्वचा रूखेपन का शिकार जल्दी हो जाती है। नहाने के बाद मॉइस्चराइजर के इस्तेमाल से त्वचा में नमी बनी रहती है। और इससे त्वचा मुलायम और लचीली भी बनी रहती है। विकल्प के रूप में क्रीम या बेबी लोशन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
हम आपको सलाह देंगे, कि बच्चों के नए खरीदे गए कपड़े और बेडिंग को इस्तेमाल करने से पहले धो लिया जाए। देखने से वे आपको साफ लग सकते हैं, पर समझदारी इसी में है, कि उन्हें इस्तेमाल से पहले एक सौम्य और खुशबू रहित क्लीनर से साफ कर लिया जाए। जिससे उनमें मौजूद किसी तरह के कीटाणु धुल जाएं और वह मुलायम हो जाए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें, कि बच्चों के कपड़ों को घर के बाकी के कपड़ों से अलग धोना चाहिए।
जब बच्चों की त्वचा की देखभाल की बात आती है, तो जो एक बात हमेशा याद रखी जानी चाहिए, वह यह है, कि इसमें अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें और अपने पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। अपने बच्चे की त्वचा को एक तितली के पंख के समान समझें। उसे भी उतनी ही सौम्यता और नरमी की जरूरत होती है।
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