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नवजात शिशुओं में गलत सोने की मुद्रा कभी–कभी एस.आई.डी.एस (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) का कारण बन सकती है। बच्चों में दम घुटने या गला घुटने के कारण एस.आई.डी.एस होता है। यदि आपके घर में नवजात शिशु है, तो यह आवश्यक है कि आप नवजात शिशु के सोने की मुद्राओं के बारे में जानें और साथ ही यह भी जानें कि कैसे कुछ सोने की मुद्राओं में नवजात शिशु की अचानक मृत्यु हो सकती है।
किन सोने की आदतों से अचानक अनपेक्षित नवजात शिशु की मृत्यु (एस.यू.डी.आई ) का खतरा बढ़ जाता है?
आपने विभिन् अवस्थाओं में सो रहे शिशुओं को देखा होगा, उन नींद की स्थितियों में से कुछ स्थितियों के कारण अचानक अनपेक्षित नवजात शिशु की मृत्यु (एस.यू.डी.आई.) होने का खतरा बढ़ता है । एस.यू.डी.आई. एक व्यापक शब्द है, जिसमें एस.आई.डी.एस. सहित शिशुओं में अचानक होने वाली मौतों को शामिल किया गया है, जो आमतौर पर नवजात शिशु में घुटन के कारण होती है ।
सुरक्षित और असुरक्षित शिशु के सोने की अवस्थाएं
यहाँ कुछ सुरक्षित और असुरक्षित शिशु के सोने की अवस्थाएं हैं, जिनके बारे में सभी माता–पिता और शिशु देखभाल कर्ताओं को अवश्य पता होना चाहिए।
1. पेट के बल सोना
जोखिम
शिशुओं के लिए पेट के बल सोने की स्थिति निम्न कारणों से अत्यधिक असुरक्षित है:
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यह स्थिति शिशु के जबड़े पर कुछ दबाव डाल सकती है और वायुमार्ग बाधित कर सकती है जिससे शिशु को सांस लेने में मुश्किल होती है।
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पेट के बल सोने से शिशु अपने चेहरे के साथ चादर के बहुत करीब लेट जाता है, जिससे वह उसी हवा में सांस लेता है। इसके परिणामस्वरूप शिशु पुनर्नवीनीकृत हवा में सांस लेता है जिसमें ऑक्सीजन कम हो जाती है।
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बहुत नर्म गद्दे पर पेट के बल सोने से शिशुओं में घुटन हो सकती है, नर्म गद्दे पर लेटने के दौरान सांस छोड़ने वाली हवा को पुन: उत्पन्न करने का खतरा अधिक होता है क्योंकि शिशु का चेहरा गद्दे के नर्म कपड़े में गहराई तक दब जाता है, यह बच्चे के वायुमार्ग को चारों ओर से अवरुद्ध कर सकता है।
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इसके अलावा इस स्थिति में गद्दे के बहुत करीब रखे जाने के कारण, शिशु गद्दे को कवर करने वाली शीट में मौजूद रोगाणुओं में सांस लेना शुरु कर देता है और इससे एलर्जी हो सकती है।
हालांकि, कभी–कभी कुछ चिकित्सीय स्थितियों के मामले में डॉक्टर माता–पिता को शिशु का पेट के बल सोने की सलाह दे सकते हैं। आमतौर पर, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स या कुछ ऊपरी–वायुमार्ग विकृतियों, जैसे पियर रॉबिन सिंड्रोम वाले बच्चों को इस स्थिति में सोने की सलाह दी जाती है लेकिन हाल के अध्ययन, इस तर्क का समर्थन नहीं करते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि बच्चे को उसके पेट के बल सुलाने से पहले चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें ।
2. पीठ के बल सोने की अवस्था
पीठ के बल सोना सबसे सुरक्षित और शिशु के लिए सबसे अच्छी मुद्रा है। शिशुओं के लिए यह नींद की स्थिति सबसे बेहतर होती है क्योंकि यह मुद्रा वायुमार्ग को खुली रखती है। यू.एस. एन.आई.सी.एच.डी. (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट) बच्चों को रात भर सोने के साथ–साथ थोड़ा सा पीठ के बल की स्थिति में सोने की सलाह देता है।
जोखिम
लंबे समय तक पीठ के बल सोए रहने वाले बच्चे ‘पोजिशनल प्लैगियोसेफली‘ से पीड़ित हो सकते हैं। इस रोग के कारण बच्चे का सिर चपटा हो सकता है या बच्चा ‘ब्राचीसेफली‘ से पीड़ित हो सकता है। लेकिन यह अस्थायी स्थितियाँ हैं, जैसे ही बच्चा एक साल का हो जाता है तब उसका सिर और पीठ दोनों ही सामान्य हो जाती हैं और शायद ही उसे किसी उपचार की आवश्यकता होती है। कुछ तकनीक इन स्थितियों से पूरी तरह बचने में मदद कर सकती हैं।
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शिशु के जागने पर उसे पेट के बल रहने दें
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जागते हुए बच्चे को करवट में सुलाएं
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वाहन या कार–सीट में कम से कम समय बिताना
3. एक तरफ मुंह करके सोना
एक तरफा मोड़ कर सुलाना, शिशु की नींद की अनुशंसित स्थिति नहीं है क्योंकि एक शिशु सोते समय अंततः अपने पेट के बल आ जाता है और इससे एस.आई.डी.एस. का खतरा बढ़ जाता है।
शिशु की सुरक्षित नींद के लिए सलाह
यहाँ यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आपके बच्चे को रात में अच्छी नींद मिले।
1. बच्चे के बिस्तर के लिए एक स्थिर गद्दे का उपयोग करें
कई माता–पिता शिशुओं के लिए नर्म गद्दे चुनने की गलती करते हैं, इससे बचना चाहिए। शिशु को स्थिर बिस्तर पर सुलाएं । इसके अलावा, शिशु के पालने के अंदर बम्पर पैड, तकिए, या मुलायम–खिलौनों को रखने से बचें क्योंकि यह गलती से बच्चे के सिर को ढक सकता है।
2. रजाइयों और कम्फर्टरों से बचें
बिस्तर को मुलायम बनाने के लिए गद्दे के ऊपर रजाई और कम्फर्टर जैसी चीजों का उपयोग न करें । यह शिशु को बिस्तर के नीचे दबा सकता है जो शिशु के मामले में खतरे से भरा हो सकता है। पालने के अंदर बस एक साफ़, फिटिंग वाला गद्दा रखें और उसे एक साफ चादर से ढक दें, यह आपके बच्चे के लिए आरामदायक नींद के लिए पर्याप्त है।
3. कंबल को सही तरीके से रखे
कंबल केवल शिशु की छाती तक रहना चाहिए, उसके हाथों को कंबल के बाहर रखें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंबल सिर तक न चला जाए जिससे बच्चे का दम घुट सकता है । फिट गले और हाथों के लिए छिद्र वाली स्लीपिंग बैग बाज़ार में उपलब्ध हैं और अत्यधिक अनुशंसित भी, वे बच्चे के लिए सुरक्षित हैं और बच्चे को गर्म भी रखते हैं।
4 बच्चे को रात में हल्के कपड़े पहनाएं
रात की अच्छी नींद के लिए बच्चे को हल्के कपड़े पहनना जरूरी है।
5. रात में कमरे को ठन्डा रखें
यह भी सुझाव दिया गया है कि बच्चों को ठंडे वातावरण में सोना चाहिए, लगभग 20 डिग्री सेंटीग्रेड में ।
6. यदि आवश्यक हो तो पैसिफायर्स का उपयोग करें
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (ए.ए.पी) का सुझाव है कि शिशु को नींद के समय से ठीक पहले पैसिफायर दिया जा सकता है। हालांकि, नवजात को शांत करने के लिए पैसिफायर्स ज़रूरी हो, ऐसा सही नहीं है। इनका उपयोग करने से पहले शिशु को लगभग 4 सप्ताह का हो जाने दें।
7. बच्चे के साथ सोने से बचें
माता–पिता, भाई–बहनों के साथ या यहाँ तक कि उसके जुड़वा के साथ भी बिस्तर पर सोना उचित नहीं है। बच्चे के साथ सोने से एस.आई.डी.एस. की संभावना बढ़ सकती है। नींद में होने पर, आपके हाथ या स्तन या आकस्मिक रूप से आपके कपड़े बच्चे के चेहरे को ढक सकते हैं और अंत में बच्चे का दम घुट सकता है। भारत में, बच्चे के साथ सोना एक सामान्य नियम है क्योंकि रात में बच्चे को खिलाना आसान होता है। लेकिन अब आप जानते हैं कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए!
8. शिशु के साथ एक कमरे में रहें
यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे का पालना माता–पिता के कमरे में ही रहे, यह स्तनपान को सुविधाजनक बनाता है और माता–पिता के लिए बच्चे के सोने की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखना आसान होता है।ए.ए.पी द्वारा बेबी–स्लीप सेफ्टी गाइडलाइन के रूप में रूम–शेयरिंग की सलाह दी जाती है, बेड–शेयरिंग की नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या शिशु अपने पेट के बल सो सकते हैं?
जैसा कि पहले चर्चा की गई है, शिशुओं को अपने पेट के बल सोना उचित नहीं है। लेकिन जैसे ही शिशु 4 से 5 महीने के हो जाते हैं, वे अपनी पीठ से पेट तक रोल करना सीख जाते हैं जो बिल्कुल सामान्य है। इस समय तक बच्चों में एस. आई. डी. एस. का खतरा कम हो जाता है और इसलिए उसे अपनी आरामदायक स्थिति खोजने की अनुमति देना ठीक होता है। 5 महीने का शिशु अपने सिर को बगल की तरफ करने में सक्षम होता है और सांस लेने के लिए मुंह और नाक को मुक्त रख़ सकता है हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि सोते समय शिशु की निगरानी रखें और उसे पीठ के बल ही सुलाएं ।
कृपया ध्यान दें कि पेट के बल सोने वाले बच्चों को केवल 4 महीने की उम्र तक ही एस.आई.डी.एस. का अधिक खतरा होता है लेकिन यह खतरा लगभग 12 महीने की उम्र तक बना रहता है।
2. क्या शिशु एक तरफ मुंह के बल सो सकते हैं?
शिशुओं के लिए साइड स्लीपिंग (एक तरफ मुंह करके सोना) स्थिति विशेष रूप से खतरनाक नहीं है लेकिन हाल के शोध से पता चलता है कि जो शिशु बाजू के बल सोते हैं, वे अंततः अपने पेट के बल आ जाते हैं और इससे एस.आई.डी.एस. का खतरा बढ़ जाता है। शिशु छह महीने की उम्र तक पलटना सीख जाते हैं और पीछे से आगे की तरफ़ पलट सकते हैं। यदि यह स्थिति है तो आप बच्चे को बाजू के बल सोए रहने दें क्योंकि शिशु का एक तरफ से दूसरी तरफ पलटना आंतरिक अंगों की मजबूती दर्शाता है और इससे दम घुटने का खतरा भी कम रहता है। हालांकि, अगर शिशु छह महीने की उम्र से पहले एक तरफ से दूसरी तरफ पलटना शुरू कर देता है, तो सुनिश्चित करें कि आप उन्हें पीठ के बल ही लिटाएं ।
3. पीठ के बल सोते समय शिशु फेंसिंग रिफ्लेक्स में क्यों सोता है?
फेंसिंग रिफ्लेक्स को टॉनिक नेक रिफ्लेक्स के रूप में भी जाना जाता है, यह सोते समय शिशुओं द्वारा प्रदर्शित अनेक अनैच्छिक प्रकारो में से एक है। इस मामले में, जब एक बच्चे को उसकी पीठ के बल सोने के लिए रखा जाता है तो उसका सिर एक बाजू से उसी तरफ बढ़े हुए हाथों और पैरों की ओर होता है। यह शिशु को उनकी पीठ की स्थिति से पेट के बल पलटने से रोकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह स्व–बचाव की गतिविधि 3 से 6 महीने की उम्र के बीच कभी भी गायब हो जाएगी।
4.क्या होगा अगर मेरे बच्चे को पीठ के बल सोना मुश्किल लगता है?
कई मामलों में, शिशु अपनी पीठ के बल सोने में सहज नहीं हो पाते हैं और उनमें नींद की कमी हो सकती है। लेकिन माता–पिता के लिए ज़रूरी है कि वे बच्चों को एस.आई.डी.एस. से बचने के लिए पीठ के बल सोने की आदत डालें और धीरे–धीरे उनको आदत पड़ जाएगी और वे सो जाएंगे।
इसके अलावा, बंद नाक से पीड़ित शिशुओं को अपनी पीठ के बल सोने में आराम महसूस नहीं हो पाता है, ऐसे में आप अपने बच्चे के कमरे में एक ह्यूमिडिफायर रख सकती हैं । यह हवा को नम करेगा और हवा के जमाव को ढीला करेगा।
5. क्या होगा अगर मेरे बच्चे का पीठ के बल सोते हुए दम घुटे ?
स्वस्थ बच्चों का आमतौर पर पीठ के बल सोते समय दम नहीं घुटता है। यह बताया गया है कि यहाँ तक कि गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी से ग्रसित बच्चे का दम भी पीठ के बल सोने से नहीं घुटता है। केवल इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को बोतल से दूध पीते हुए न सोने दें , यह घुटन के साथ–साथ कान के संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
6. समय से पहले जन्में शिशुओं के लिए सोने की सर्वश्रेष्ठ मुद्राएं कौन सी हैं?
समय से पहले जन्में शिशुओं को एस.आई.डी.एस. का बहुत अधिक खतरा होता है, यह सलाह दी जाती है कि समय से पहले जन्में शिशुओं को भी पीठ के बल सुलाना चाहिए। लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में, यदि शिशु तीव्र श्वसन रोग से पीड़ित है तो उसे कड़ी निगरानी में पेट के बल सोने के लिए लिटाया जा सकता है। वास्तव में, यह केवल अत्यधिक निगरानी वाले इनपेशंट सेटिंग में ही उचित है।
7. क्या स्लीप पॉजिशनर्स मेरे बच्चे को पीठ के बल सोने और एस.आई.डी.एस. के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं?
एफ.डी.ए. (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन), संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग की एक संघीय एजेंसी, शिशुओं को सोने के लिए, स्लीप पोजिशनर्स को मंजूरी नहीं देती है। एक स्लीप पोजिशनर का उपयोग करके बच्चे को पीठ के बल सोने में मदद करना खतरनाक है और इससे बचा जाना चाहिए।
नवजात शिशुओं को गलत नींद की स्थिति के कारण एस.आई.डी.एस. और एस.यू.डी.आई हो सकता है इसलिए यह आवश्यक है कि विभिन्न सोने की मुद्राओं से नवजात शिशुओं के लिए पैदा होने वाले खतरों के बारे में जानें। इस आवश्यक जानकारी को पाने के लिए समय निकालने से आपको अपने नवजात शिशु को सुरक्षित और स्वस्थ रखने में काफी मदद मिलेगी।