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यदि आपने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है और उसे ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो आपको इस बात की जानकारी होना चाहिए कि बच्चे को सही पोजीशन में रखते हुए उसे ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं। जिस तरह से आपका शिशु आपके स्तनों से दूध पीता है उसे लैचिंग कहा जाता है। जितने बेहतर तरीके से आपका बच्चा निप्पल से दूध पीएगा, उतने अच्छे से लैचिंग कर सकेगा। डीप लैचिंग तकनीक आपके बच्चे को आसानी से ब्रेस्टफीडिंग कराने में मदद कर सकती है। इससे आप ठीक तरह से बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाकर क्रैक या दर्दनाक निप्पल की समस्या को होने से रोक सकती हैं।
स्तनपान कराते समय ठीक तरह से लैचिंग का कराने का लक्ष्य रखते हुए आप नीचे बताई गई बातों का पालन करें:
अगर आप इसी तरीके से बच्चे को दूध पिलाती हैं, तो वह जल्द ही सही ढंग से ब्रेस्टफीडिंग करना शुरू कर देगा और अच्छी तरह से लैचिंग कर सकेगा।
आपने ब्रेस्टफीडिंग की लैचिंग तकनीक में महारत हासिल करने के लिए सही स्टेप का पालन किया जाना बहुत जरूरी है, लेकिन आप कैसे समझ पाएंगी कि आपका बच्चा ठीक तरह से लैचिंग कर रहा है या नहीं और इसका पूरा फायदा मिल रहा है या नहीं? तो यहाँ आपको इसके कुछ संकेत बताए गए हैं:
भले ही लैचिंग तकनीक को आमतौर पर आपके बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए उसे सही पोजीशन में लाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके और भी कई सारे लाभ हैं। इसीलिए आपको इस तकनीक को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए जब भी आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराएं:
यदि आप अपने बच्चे को सूखे, दर्दनाक या क्रैक निपल्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने की कोशिश करती हैं, तो इससे आपको बहुत दर्द होगा। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दर्द होने का कारण है बच्चे का सही पोजीशन में दूध न पीना। लैचिंग तकनीक से आपके निपल्स में दर्द नहीं होता है और आप आराम से अपने बच्चे को ब्रेस्फीडिंग करा सकती हैं।
यदि आपका बच्चा डीप लैचिंग तकनीक करता है, तो ज्यादा दूध प्राप्त होगा, बजाय केवल निप्पल को मुँह में रखने से। यह बच्चे की हेल्थ के लिए भी अच्छा होता है।
अगर आपका बच्चा डीप लैचिंग तकनीक का पालन करने लगता है, तो वह आपके ब्रेस्ट से अधिक दूध निकालेगा, इस प्रकार ब्रेस्टफीडिंग के कारण आपके ब्रेस्ट को बड़े होने से रोका जा सकता है।
अगर आपको मिल्क सप्लाई में परेशानी हो रही है, तो आपके बच्चे के डीप लैचिंग से मिल्क सप्लाई भी बढती है, यदि रोजाना आपके स्तन पूरी तरह से खाली हो जाते हैं, तो मिल्क सप्लाई और भी बढ़ेगी।
एक बेहतर डीप लैचिंग तकनीक का मतलब है कि आपके बच्चे को दूध की अधिक सप्लाई मिले, जिससे बेहतर तरीके से बच्चे का वजन बढ़ेगा। इसलिए डीप लैचिंग से बच्चा अधिक मात्रा में दूध पीता है।
क्योंकि थ्रश, बैक्टीरिया से होने वाला एक इन्फेक्शन है, जो आपके निपल्स से दूध में पनपता है, क्रैक निपल्स होने से इसका खतरा और भी बढ़ सकता है। डीप लैचिंग कराने से और अच्छी तरह स्वच्छता बनाए रखने से ऐसा होने से रोका जा सकता है।
आपको लैचिंग तकनीक अपनाने के दौरान कुछ बातें याद रखनी होंगी, विशेष रूप से यह कि बच्चे को किस तरीके से डीप लैचिंग कराएं:
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको कभी भी दर्द का अनुभव नहीं होना चाहिए, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो आपको सही लैचिंग तकनीक का पालन करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए। यह तकनीक आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए हेल्दी है।
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