शिशु

बच्चों के लिए डीप लैचिंग तकनीक – फायदे और करने का तरीका

यदि आपने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है और उसे ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो आपको इस बात की जानकारी होना चाहिए कि बच्चे को सही पोजीशन में रखते हुए उसे ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं। जिस तरह से आपका शिशु आपके स्तनों से दूध पीता है उसे लैचिंग कहा जाता है। जितने बेहतर तरीके से आपका बच्चा निप्पल से दूध पीएगा, उतने अच्छे से लैचिंग कर सकेगा। डीप लैचिंग तकनीक आपके बच्चे को आसानी से ब्रेस्टफीडिंग कराने में मदद कर सकती है। इससे आप ठीक तरह से बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाकर क्रैक या दर्दनाक निप्पल की समस्या को होने से रोक सकती हैं।

स्तनपान के समय डीप लैचिंग कैसे कराएं

स्तनपान कराते समय ठीक तरह से लैचिंग का कराने का लक्ष्य रखते हुए आप नीचे बताई गई बातों का पालन करें:

  • निप्पल के किनारे पर अपनी तर्जनी अंगुली और अंगूठे का उपयोग करके अपने स्तन को पकड़ें, इसे सी की तरह या यू तरह आकार दें। उन्हें एक साथ दबाएं ताकि आपके स्तन संकुचित हो जाएं। ध्यान रहे आपकी अंगुलियां साइड में होनी चाहिए जैसे आपने चुटकी में निप्पल पकड़ रखा हो।
  • अपने बच्चे के मुँह को स्तन तक लाते समय, उसके सिर को एक तरफ अपने अंगूठे से उसके एक कान के पास और दूसरे कान के पास आपकी तीसरी अंगुली का सपोर्ट दें। खयाल रखें कि आपकी हथेली और बाकि अंगुलियाँ उसकी गर्दन को सहारा दे रही हों। अपने हाथ की हील का उपयोग अपने बच्चे के कंधों के बीच करें, ताकि उसका सिर थोड़ा पीछे की ओर झुका हो।
  • उसका सिर पीछे की ओर झुका हुआ और ठुड्डी ऊपर की ओर उठी हुई रखने के साथ, बच्चे को अपने निप्पल तक उठाएं। निप्पल उसके ऊपरी होंठ के ठीक ऊपर होना चाहिए। जैसे ही बच्चे का मुँह  खुलता है, तो अपने स्तन को पहले अपने बच्चे के निचले जबड़े पर रखें। इसके बाद, अपने बच्चे के सिर को आगे की ओर झुकाएं और उसके ऊपरी जबड़े को अपने निप्पल के पीछे की ओर करें। जब आप ऐसा कर रही हों तो अपने अंगूठे से निप्पल को दबा उसे चपटा करें। इस तरह, आप अपने बच्चे के निचले जबड़े को ऊपरी जबड़े की तुलना में ज्यादा सुरक्षित रूप से रख सकती हैं।
  • थोड़ा इंतजार करें और फिर अपनी अंगुलियों  से अपने स्तन को छुड़ाएं। यदि आपके बच्चे की नाक आपके निप्पल के विरुद्ध दबती है, तो उसके सिर को हल्के से टिप करें, ताकि आप उसके नथुने देख सकें जबकि नाक अभी भी स्तन को छू रही होगी। अब आपको अपने स्तन को अपनी अंगुलियों  से दबाने की जरूरत नहीं है।

अगर आप इसी तरीके से बच्चे को दूध पिलाती हैं, तो वह जल्द ही सही ढंग से ब्रेस्टफीडिंग करना शुरू कर देगा और अच्छी तरह से लैचिंग कर सकेगा।

डीप लैचिंग के संकेत क्या हैं?

आपने ब्रेस्टफीडिंग की लैचिंग तकनीक में महारत हासिल करने के लिए सही स्टेप का पालन किया जाना बहुत जरूरी है, लेकिन आप कैसे समझ पाएंगी कि आपका बच्चा ठीक तरह से लैचिंग कर रहा है या नहीं और इसका पूरा फायदा मिल रहा है या नहीं? तो यहाँ आपको इसके कुछ संकेत बताए गए हैं:

  • आपको ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कोई भी दर्द महसूस नहीं होता है। (शुरुआती सप्ताह में, आपको ब्रेस्टफीडिंग करते समय दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन यह केवल दो मिनट तक ही रहता है)।
  • आपके बच्चे के निचले होंठ बाहर की ओर निकले होंगे।
  • बच्चा ज्यादा मुँह खोल कर निप्पल चूसेगा।
  • बच्चे के दूध निगलने को आप सुन सकेंगी।
  • आप देखेंगी की आपका निप्पल ज्यादातर बच्चे के निचले होंठ के बजाय ऊपरी होंठ की ओर होगा।

आपको डीप लैचिंग तकनीक आजमाने की कोशिश क्यों करनी चाहिए?

भले ही लैचिंग तकनीक को आमतौर पर आपके बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए उसे सही पोजीशन में लाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके और भी कई सारे लाभ हैं। इसीलिए आपको इस तकनीक को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए जब भी आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराएं: 

1. निपल्स में दर्द नहीं होगा

यदि आप अपने बच्चे को सूखे, दर्दनाक या क्रैक निपल्स के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराने की कोशिश करती हैं, तो इससे आपको बहुत दर्द होगा। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दर्द होने का कारण है बच्चे का सही पोजीशन में दूध न पीना। लैचिंग तकनीक से आपके निपल्स में दर्द नहीं होता है और आप आराम से अपने बच्चे को ब्रेस्फीडिंग करा सकती हैं।

2. दूध का उत्पादन बढ़ेगा

यदि आपका बच्चा डीप लैचिंग तकनीक करता है, तो ज्यादा दूध प्राप्त होगा, बजाय केवल निप्पल को मुँह में रखने से। यह बच्चे की हेल्थ के लिए भी अच्छा होता है।

3. स्तन वृद्धि को रोकता है

अगर आपका बच्चा डीप लैचिंग तकनीक का पालन करने लगता है, तो वह आपके ब्रेस्ट से अधिक दूध निकालेगा, इस प्रकार ब्रेस्टफीडिंग के कारण आपके ब्रेस्ट को बड़े होने से रोका जा सकता है।

4. दूध की सप्लाई बढ़ाता है

अगर आपको मिल्क सप्लाई में परेशानी हो रही है, तो आपके बच्चे के डीप लैचिंग से मिल्क सप्लाई भी बढती है, यदि रोजाना आपके स्तन पूरी तरह से खाली हो जाते हैं, तो मिल्क सप्लाई और भी बढ़ेगी।

5. बच्चे का वजन बढ़ने में मदद करता है

एक बेहतर डीप लैचिंग तकनीक का मतलब है कि आपके बच्चे को दूध की अधिक सप्लाई मिले, जिससे बेहतर तरीके से बच्चे का वजन बढ़ेगा। इसलिए डीप लैचिंग से बच्चा अधिक मात्रा में दूध पीता है।

6.बच्चे में थ्रश और बैक्टीरियल इन्फेक्शन को रोकता है

क्योंकि थ्रश, बैक्टीरिया से होने वाला एक इन्फेक्शन है, जो आपके निपल्स से दूध में पनपता है, क्रैक निपल्स होने से इसका खतरा और भी बढ़ सकता है। डीप लैचिंग कराने से और अच्छी तरह स्वच्छता बनाए रखने से ऐसा होने से रोका जा सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

आपको लैचिंग तकनीक अपनाने के दौरान कुछ बातें याद रखनी होंगी, विशेष रूप से यह कि बच्चे को किस तरीके से डीप लैचिंग कराएं:

  • बच्चों की ठुड्डी छोटी होती है। यदि आपके बच्चे का सिर आगे की ओर झुका हुआ है, तो वह अपने निचले जबड़े को ठीक से एरोला के नीचे लाने में सक्षम नहीं होगा। इसकी वजह से आपको क्रैक निप्पल की समस्या हो सकती है और दर्द , ब्लीडिंग का भी अनुभव हो सकता है, जिससे बच्चे को ठीक से दूध नहीं मिल पाएगा।
  • आप फुटबॉल, क्रॉस-क्रैडल या क्रैडल जैसी विभिन्न पोजीशन का उपयोग करके आप बच्चे को डीप लैचिंग की पोजीशन में ला सकती हैं। लेकिन हर पोजीशन आसान हो जाती है अगर आप सीधे बैठती हैं और खुद को व अपने बच्चे के सपोर्ट देने के लिए एक-दो तकिए का इस्तेमाल करती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको कभी भी दर्द का अनुभव नहीं होना चाहिए, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो आपको सही लैचिंग तकनीक का पालन करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए। यह तकनीक आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए हेल्दी है।

यह भी पढ़ें:

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समर नक़वी

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