शिशु

बच्चों को दूध से एलर्जी होना

जब आप बच्चे की डाइट में कोई भी नई चीज शामिल करती हैं तीन-दिन वाला रूल जरूर अपनाएं, इस तरह से बच्चे को कोई खाना देते समय आप समझ पाएंगी कि उसे खाने से एलर्जी हो रही है या नहीं। अब जब आपका बच्चा ठोस (या सेमी सॉलिड फूड) लेना शुरू कर चुका है, तो आप उन्हें सप्ताह में दो बार नया खाना देने की कोशिश करके और अलग अलग टेस्ट से परिचित कराएं, लेकिन आप कभी भी यह अनुमान नहीं लगा सकती हैं कि उनके शरीर पर किस तरह के भोजन का एलर्जिक इफेक्ट पड़ेगा। इसलिए सावधान रहें और किसी भी भोजन का बच्चे पर बुरा रिएक्शन देखने पर या एलर्जी का संकेत मिलने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हैरानी की बात है कि दूध भी ऐसे खानों में शामिल होता है, जिससे बच्चों को एलर्जी होने का खतरा हो सकता है। तो आइए बच्चों में मिल्क एलर्जी होने से जुड़े कारण, लक्षण और उपचार इस लेख के जरिए से जानते हैं।

दूध से एलर्जी होना क्या है?

मिल्क एलर्जी एक ऐसी कंडीशन है, जहाँ इम्यून सिस्टम गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन कंटेंट को खतरा मानता है और उसे बच्चे के शरीर के साथ एडजस्ट नहीं कर पाता है, जो ज्यादातर बच्चे के दूध पाउडर प्रोडक्ट का बेस होता है और इसलिए यह ओवर रिएक्ट कर जाता है। इस खतरे से लड़ने के लिए बच्चे के इम्यून सिस्टम का यह प्रयास एलर्जी रिएक्शन का कारण बनता है और हिस्टामाइन जैसे केमिकल को रिलीज करता है।

बच्चों में दूध से एलर्जी होना कितना कॉमन है?

बच्चों में दूध एलर्जी होना बहुत कॉमन नहीं है। एक वर्ष से कम उम्र के केवल दो से आठ प्रतिशत बच्चों में दूध से एलर्जी होने की समस्या देखी गई है। जब बच्चा तीन साल का हो जाता है, तो ज्यादातर एलर्जी के केस खुद ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन यह कुछ मामलों में यह एलर्जी छह से आठ साल तक रह सकती है। शायद ही कभी, यह एलर्जी बड़े होने तक जारी रहती है।

क्या स्तनपान करने वाले बच्चों को भी दूध से एलर्जी हो सकती है?

एक बच्चे को माँ के दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी रिएक्शन हो सकता है, जो माँ के आहार से उसके दूध में मौजूद होता है। माँ के दूध से बच्चे में एलर्जी रिएक्शन होने का सबसे बड़ा कारण है कि माँ खुद गाय के दूध का सेवन करती हो। हालांकि, इस तरीके से एलर्जी डेवलप होने के चांसेस बच्चे को डायरेक्ट गाय का दूध देने की तुलना में कम है।

बच्चों में दूध से एलर्जी होने का क्या कारण है

बच्चों में दूध से एलर्जी होने का प्रमुख कारण है उन्हें फार्मूला बेस्ड दूध दिए जाना, जिसमें गाय के दूध का प्रोटीन मौजूद होता है। बच्चों में मिल्क एलर्जी के अन्य कारण भी शामिल हैं, जो इस प्रकार:

  • एलर्जी का पारिवारिक इतिहास (फैमिली हिस्ट्री) होना
  • ब्रेस्ट मिल्क के बजाय बच्चे को फार्मूला-बेस्ड सप्लीमेंट देना
  • बच्चे को दिए जाने वाले कुछ टीकों से एलर्जी भी हो सकती है
  • जन्म के समय की कंडीशन, जन्म का तरीका, डाइट प्लान और नूट्रीयंट और माइक्रोबाओम चेंजेस में (एक विशेष एनवायरमेंट में माइक्रोऑर्गेनाइज्म भी एलर्जी का कारण बन सकते हैं

बच्चों में दूध से एलर्जी होने के लक्षण क्या हैं

मिल्क एलर्जी के लक्षण ब्रेस्टफीडिंग के पहले कुछ दिनों के अंदर दिखाई दे सकते हैं। आपके बच्चे को फार्मूला-बेस्ड दूध देने के बाद भी ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं। बच्चों में एलर्जी के लक्षण कुछ इस प्रकार दिए गए हैं:

  • खांसी और सांस लेने में परेशानी
  • उल्टी और डायरिया
  • सांस लेने में घरघराहट होना
  • खून के साथ पतला मल होने की संभावना
  • त्वचा पर चकत्ते और लाल धब्बे
  • ब्लड प्रेशर में कमी होना जिसके कारण सिर में भारीपन और होश खोना
  • गले में अकड़न और जकड़न
  • गैगिंग और दूध पीने से इनकार करना

कुछ मामलों में, एलर्जी सीवियर एलर्जी रिएक्शन में भी बदल जाती है, जिसे एनाफिलेक्सिस के रूप में जाना जाता है जो बच्चे के ब्लड प्रेशर को इफेक्ट करती है, स्किन और ब्रीदिंग पैटर्न पर भी बुरा प्रभाव डालती है।

मिल्क एलर्जी और मिल्क इनटॉलरेंस के बीच अंतर

हालांकि अक्सर लोग दोनों चीजों को एक समझने की गलती करते हैं, लेकिन मिल्क एलर्जी और मिल्क इनटॉलरेंस के बीच अंतर।

मिल्क एलर्जी, के दौरान बच्चे का इम्यून सिस्टम दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति रिएक्शन देने के कारण होता है। दूसरी ओर, इनटॉलरेंस (असहिष्णुता), एक ऐसी कंडीशन है जहाँ बच्चे का डाइजेस्टिव सिस्टम दूध में चीनी (लैक्टोज) को पचाने में असमर्थ होता है।

मिल्क एलर्जी के लक्षणों में उल्टी, दस्त, चकत्ते, खांसी और घरघराहट शामिल हैं, जबकि मिल्क इनटॉलरेंस के लक्षणों में गैस बनना, फूला हुआ पेट, चिड़चिड़ापन और वजन बढ़ना आदि शामिल है। कंजेनिटल लैक्टोज इनटॉलरेंस बहुत ही रेयर केस में होता है। लैक्टोज से इनटोलरेंस की समस्या बड़ों में होने की ज्यादा संभावना होती है, जबकि बच्चे के बड़े होने पर दूध से होने वाली एलर्जी खुद ही ठीक हो जाती है।

दूध से होने वाली एलर्जी का निदान कैसे करें

यदि आपको बच्चे में दूध से होने वाली एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। लक्षणों को समझने और  बच्चे की जांच करने के बाद, डॉक्टर प्रॉब्लम का कारण जानने के लिए ब्लड टेस्ट या स्टूल टेस्ट कर सकते हैं। दूध की एलर्जी का निदान करने के लिए, डॉक्टर स्किन टेस्ट भी कर सकते हैं जिसमें वो थोड़ा सा दूध गिराकर, हल्का सा स्क्रैच कर के देखते हैं कि यह बच्चे की स्किन पर कैसे रिएक्ट कर रहा है। इससे डॉक्टर को यह बताने में मदद मिलेगी कि आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है या नहीं।

दूध से होने वाली एलर्जी का इलाज कैसे करें

दूध से होने वाली एलर्जी की संभावना को खत्म करने के लिए, डॉक्टर आपके बच्चे को फीड करने के लिए कोई दूसरे ऑप्शन बता सकते हैं:

1. फॉर्मूला-फीडिंग

एक हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला, जहाँ इम्यून सिस्टम के रिएक्शन से बचने के लिए मिल्क प्रोटीन ब्रेक डाउन हो जाता है, जिसकी वजह से बच्चे को फॉर्मूला बेस्ड दूध देने का सुझाव दिया जाता है।

2. ब्रेस्टफीडिंग वाले बच्चों के लिए

डॉक्टर आपको सुझाव दे सकते हैं कि आप अपनी डाइट से डेयरी प्रोडक्ट को हटा दें, ताकि ब्रेस्ट मिल्क के जरिए यह बच्चे तक न पहुँचे।

3. उन बच्चों के लिए जो एक साल की उम्र से ऊपर हैं

ऐसे मामलों में जहाँ एलर्जी एक वर्ष की आयु से ऊपर वाले बच्चों में होती है, डॉक्टर आपको बच्चे को दूध पिलाने या रोकने के लिए कह सकते हैं, ताकि बच्चे को निगरानी में रखा जा सके कि उसमें एलर्जी इम्प्रूव हो रही है या नहीं।

बच्चे को दूध देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

एलर्जी के खतरे को कम करने या खत्म करने के लिए, आपको कुछ सावधानियां बरतने के लिए कहा गया है, जिसे आपको ध्यान में रखना चाहिए:

  • देखा जाए तो हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला भी असुरक्षित हो सकता है क्योंकि उसमें भी प्रोटीन होता है। बड़े पैमाने पर हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला दिए जाने के मामले में, प्रोटीन कंटेंट को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। ऐसा तब किया जाता है जब बच्चा प्रोटीन के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होता है।
  • बच्चे को बकरी का दूध, बादाम का दूध या चावल का दूध देने से बचें, क्योंकि ये भी उसके लिए असुरक्षित हो सकता है।
  • ध्यान रखें कि यदि आप फॉर्मूला बदलती हैं, तो एलर्जी दो से चार सप्ताह में खत्म हो जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें।
  • डॉक्टर सुझाव दे सकते हैं कि जब तक बच्चा एक साल का न हो जाए तब तक आप उसके लिए हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला का उपयोग करें और फिर धीरे-धीरे गाय के दूध को डाइट प्लान में शामिल करें।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

यदि आपको बच्चे में एलर्जी के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो आपको तुरंत डॉक्टर को फोन करना चाहिए। अपने आप ठीक होने का इंतजार न करें और डॉक्टर से परामर्श करने से पहले कोई भी घरेलू उपचार आजमाने की कोशिश न करें। बच्चे की डाइट में कुछ भी चेंज करने से डॉक्टर की सलाह लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या होगा अगर डॉक्टर मुझे ब्रेस्टफीडिंग रोकने के लिए कहते हैं?

कभी-कभी, डॉक्टर आपको यह सुझाव दे सकते हैं कि बच्चे को मॉडिफाइड फॉर्मूला मिल्क दें ताकि उसे एलर्जी होने से बचाया जा सके। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह आप्शन माँ के दूध से ज्यादा इफेक्टिव और बेहतर है, एक अच्छी डाइट बच्चे को उतना ही पोषण देने में मदद कर सकता है जितना उन्हें माँ के दूध से मिलता है।

2. क्या मैं प्रोबायोटिक्स का उपयोग कर सकती हूँ?

हालांकि इस टॉपिक को लेकर और भी साइंटिफिक रिसर्च की आवश्यकता है, प्रोबायोटिक्स को पॉजिटिव हेल्थ बेनिफिट के लिए जाना जाता है और इससे दूध से होने एलर्जी को कम करने में मदद मिलती है।

यदि आपका बच्चा एलर्जी से पीड़ित है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए। डॉक्टर के दिए प्रिस्क्रिप्शन को ठीक से फॉलो करें। कोई भी भोजन जिससे बच्चे को एलर्जी होने का खतरा है वो उसे देने से बचें।

बच्चे को दिए जाने वाले खाने से होने वाले रिएक्शन पर पूरा ध्यान दें, यदि उसे किसी भोजन से एलर्जी रिएक्शन होता है तो उस भोजन को बच्चे के मील प्लान से हटा दें, ताकि आपको और बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

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समर नक़वी

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