बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों को नींद न आना (अनिद्रा) – स्लीप डिसऑर्डर

बच्चों की उचित वृद्धि और विकास के लिए हर रात उनका कम से कम 10 घंटे की नींद पूरा करना बेहद जरूरी है। बच्चे को जितनी देर सोना चाहिए जब उसे वो नींद नहीं मिलती है, तो उसके अंदर व्यवहार और सेहत से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए, अगर आपका बच्चा गहरा नींद में से अचानक बीच रात में जाग जाता है या लगातार कई दिनों तक सोने से इनकार करता है, तो आपको इसके लिए अपने डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।  

इन्सोमिया या अनिद्रा क्या है?

इन्सोमिया या अनिद्रा एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है जो बच्चे को रात में सोने से रोकता है। अनिद्रा से ग्रसित बच्चा अचानक या जल्दी उठ जाता है और फिर दोबारा नहीं सो पाता है।

बच्चों में यह कितना आम है?

अनिद्रा आमतौर पर वयस्कों में देखी जाने वाली समस्या है, लेकिन यह बच्चों में भी हो सकती है। लेकिन बड़ों में अनिद्रा का कारण बच्चों में होने वाली अनिद्रा से अलग होता है। बच्चों को आमतौर पर बिहेवरियल इंसोम्निया की समस्या होती है और 25% बच्चे अपने बचपन में कभी न कभी इसका अनुभव कर सकते हैं।

बच्चों में नींद की समस्या के प्रकार

बच्चों में, अनिद्रा आमतौर पर व्यवहार से संबंधित होती है। बच्चों में अनिद्रा के तीन प्रमुख प्रकार हैं:

  • स्लीप ऑनसेट एसोसिएशन: बेबी और टॉडलर में इस तरह की अनिद्रा का देखा जाना कॉमन है क्योंकि वे सोने के समय को एक निश्चित एक्टिविटी के साथ जोड़ते हैं जैसे डोलना या गले लगाना। जब उन्हें यह चीजें नहीं मिलती हैं, जिसके वो आदी हो चुके हैं, तो उन्हें सोने में परेशानी हो सकती है। कमरे में रोशनी, तापमान या किसी तरह का शोर जैसे अन्य कारक भी हैं जो बच्चों की नींद को प्रभावित करते हैं, इस प्रकार उन्हें जगाए रख सकते हैं। बड़े बच्चों में, अनिद्रा की समस्या आमतौर पर कमरे में मौजूद कुछ चीजों जैसे फोन, कंप्यूटर या टीवी के कारण हो सकती है। हो सकता है कि बच्चे सो न सकें क्योंकि इन उपकरणों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कंटेट बहुत दिलचस्प होते हैं और इन डिवाइस से निकलने वाली लाइट मेलाटोनिन को रिलीज होने से रोकती है, जो कि स्लीप हार्मोन है।
  • लिमिट सेटिंग इंसोम्निया: जब बच्चों, विशेष रूप से बड़े बच्चों को सख्ती से अपने समय पर सोने के लिए नहीं कहा जाता है, तो वे सोने से मना करने लगते हैं और अन्य एक्टिविटी में जबरदस्ती शामिल होने लगते हैं, क्योंकि उन्हें सोना नहीं होता है। वे देर से सो सकें इसके लिए एक्स्ट्रा बेडटाइम स्टोरी सुनते हैं या सोने के समय में देरी करने के लिए एक और कहानी सुनने या एक गिलास पानी की मांग कर सकते हैं। यह अनियमित नींद पैटर्न बच्चे में सर्कैडियन रिदम को भी प्रभावित कर सकता है।
  • स्लीप हाइजीन पर्याप्त न होना: सोते समय स्क्रीन से बचने या कैफीन प्रोडक्ट का सेवन न करना जैसी अच्छी आदतें नींद आने में मदद करती है। हालांकि, कई बच्चों, विशेष रूप से जो टीनएजर और एडोलसेंट हैं, उनकी स्लीप हाइजीन में कमी होती है जो उन्हें सोने से रोक सकती है।

कारण

बच्चों में अनिद्रा के कई कारण हो सकते हैं। यहाँ आपको बच्चों में अनिद्रा के कुछ कॉमन कारण बताए गए हैं:

1. तनाव

स्ट्रेस बच्चों में अनिद्रा का एक प्रमुख कारण हो सकता है। बच्चे अपने आसपास की घटनाओं से काफी हद तक प्रभावित होते हैं। घर में तनाव का माहौल, स्कूल में तंग किया जाना, दूसरे शहर में ट्रांसफर होना या कोई अन्य डर कई बच्चों में नींद की कमी का मुख्य कारण हो सकता है। माता-पिता के लिए तनाव के कारण की पहचान करना और बच्चों में तनाव और एंग्जायटी को कम करने के लिए मेंटल व इमोशनल सपोर्ट जरूरी है।

2. स्टीमुलेंट का उपयोग

बच्चे, ज्यादातर टीनएजर में रोजाना बड़ी मात्रा में सोडा का सेवन करने की आदत होती है। कॉफी की तरह सोडा में भी कैफीन होता है जो उन्हें रात में सोने से रोकता है। निकोटिन वाले प्रोडक्ट भी नींद को बाधित कर सकते हैं।

3. दवाएं

यदि आपका बच्चा डिप्रेशन या एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) की दवा ले रहा है, तो उसे सोने में परेशानी हो सकती है। ये दवाएं बच्चों में सोने के पैटर्न को बदलने और प्रभावित करने के लिए जानी जाती हैं। एलर्जी और अस्थमा के लिए इस्तेमाल होने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और दौरे के लिए इस्तेमाल होने वाले एंटीकॉन्वेलेंट्स भी बच्चों में अनिद्रा का कारण बन सकती हैं।

4. मेडिकल समस्या, मानसिक समस्या और अन्य स्लीप डिसऑर्डर

डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मेडिकल समस्या वाले बच्चों को सोने में समस्या होती है। अस्थमा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, फाइब्रोमायल्गिया, मसल्स क्रैम्प आदि जैसी अन्य परेशानियां भी बच्चों की नींद में खलल डाल सकते हैं।

एडीएचडी, ऑटिज्म और एस्पर्गर सिंड्रोम जैसी न्यूरो डेवलपमेंट कंडीशन को भी अनिद्रा का कारण माना जाता है।

5. पर्यावरणीय कारक

तापमान, रोशनी और शोर जैसी चीजें बच्चे की नींद को काफी प्रभावित कर सकती हैं। जिस गद्दे पर बच्चे को लिटाया गया है वो आरामदायक न होना भी बच्चे की नींद को खराब कर सकता है। फोन, वीडियो गेम और कंप्यूटर भी सोते समय बच्चों की नींद को प्रभावित करने का एक बड़ा कारण है।

लक्षण

बच्चों में अनिद्रा के देखे जाने वाले लक्षणों में शामिल हैं:

  • सोने में परेशानी होना
  • नींद में खलल पड़ना या आधी रात को नींद से जागना
  • जल्दी उठ जाना
  • एक बार जागने के बाद फिर से न सोना
  • सुबह सुस्त दिखना
  • किसी कार्य पर ध्यान न देना या जल्दी डिस्ट्रैक्ट होना
  • थकान
  • मूडी या अस्थिर व्यवहार जैसी व्यवहार संबंधी समस्याएं होना
  • स्कूल में खराब प्रदर्शन करना और अनुशासन से जुड़ी प्रॉब्लम होना
  • आक्रामकता
  • याददाश्त की समस्या
  • डिप्रेशन
  • हाइपरएक्टिविटी

निदान

बच्चों में अनिद्रा का निदान उनकी स्लीप हिस्ट्री के जरिए किया जाएगा। डॉक्टर आपके परिवार में किसी भी स्लीप डिसऑर्डर के बारे में भी पूछ कर सकते हैं। किसी भी मेडिकल समस्या, बच्चे में अनिद्रा का कारण हो सकती है, उसका पता लगाने के लिए डॉक्टर बच्चे का शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं।

बच्चे को होने वाले किसी भी स्लीप डिसऑर्डर के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर पॉली सेमिनोग्राम या स्लीप स्टडी कर सकते हैं। यह स्टडी रात भर स्लीप लैब में की जाती है, जिसमें बच्चे के ब्लड में ऑक्सीजन लेवल, आंखों की हलचल, हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, और ब्रेन एक्टिविटी आदि मॉनिटर की जाएगी।

अनिद्रा के साथ आने वाली चुनौतियां

बच्चे इतने बड़े नहीं होते हैं कि जिस समस्या का वे सामना कर रहे हैं, उसके बारे में खुद डॉक्टर से बात कर सकें। इसलिए ऑब्जरवेशन और बातचीत माता-पिता पर छोड़ दी जाती है। इसके अलावा, चूंकि अनिद्रा कई अलग-अलग स्थितियों की वजह से हो सकती हैं, इसलिए निदान की प्रक्रिया लंबी और थका देने वाली हो सकती है। बच्चे बड़ों की तरह खुद अनिद्रा से जुड़ी समस्या डॉक्टर को नहीं बता सकते हैं, इसलिए वे निदान के जरिए खुद ही इसका पता लगाने का प्रयास करते हैं। 

बच्चों में अनिद्रा का इलाज

निदान के आधार पर अनिद्रा का उपचार किया जाता है। बच्चों में अनिद्रा के लिए कुछ उपचार यहां बताए गए हैं, जो इस प्रकार शामिल हैं:

  1. बिहेवियरल थेरेपी: जब अनिद्रा व्यवहार संबंधी समस्याओं से संबंधित होती है या किसी मानसिक डिसऑर्डर के कारण होती है, तो आपको अपने बच्चे के लिए हिप्नोथेरपी के कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी की सदस्यता लेने की जरूरत है। स्लीप ऑनसेट एसोसिएशन इंसोम्निया और लिमिट सेटिंग इंसोम्निया का इलाज इस तरह से ही किया जा सकता है।
  2. लाइफस्टाइल में बदलाव: बच्चे को एक अच्छा आहार और सोने के लिए एक आरामदायक माहौल प्रदान करें। उसे किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन और डिवाइस से दूर रखें, जो शोर पैदा कर सकते हैं या उसे जगाए रख सकते हैं।
  3. एक रूटीन का पालन करें: फ्लेक्सिबल रूटीन की सुविधा होने से बच्चे सोने से इनकार कर सकते हैं। इसलिए एक सख्त बेड टाइम का पालन करें। आप बच्चे की नींद प्रेरित करने में के लिए उसे सोते समय कहानी पढ़ना या सोने से पहले उसे नहलाना आदि तरीकों को अपना सकती हैं।
  4. स्लीप हाइजीन को बढ़ावा दें: सोने से पहले बच्चे के फोन, टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन के संपर्क में आने को सीमित करें। अपने बच्चे को सोने से पहले किसी भी उत्तेजक पदार्थ जैसे चीनी या कैफीन का सेवन न करने दें।
  5. मेलाटोनिन: आप अपने पीडियाट्रिशन से जांच करा सकती हैं कि क्या बच्चे को नींद लाने के लिए मेलाटोनिन की खुराक दी जा सकती है। मेलाटोनिन एक स्लीप हार्मोन है, जिसे शरीर प्राकृतिक रूप से रिलीज करता है।
  6. दवाएं: बच्चों में होने वाली अनिद्रा की समस्या के लिए ज्यादातर डॉक्टर कोई दवा नहीं लिखते हैं। आप अपने डॉक्टर से इस विषय पर बात कर सकती हैं कि क्या इस समस्या के लिए दवा देना बच्चे के लिए सही विकल्प है। एंटीहिस्टामाइन जैसी ओवर द काउंटर दवाओं का उपयोग अनिद्रा वाले बच्चों में किया जा सकता है, लेकिन यह बच्चे को दिन में सुलाने के लिए जाना जाता है।
  7. आराम करें: कुछ आसान रिलैक्सेशन टेक्निक से बच्चे का स्ट्रेस कम करने में मदद करें, जब आप उसे सुलाने जा रही हों। बच्चे को अच्छी तरह नींद आए, उसके लिए यह एक अहम फैक्टर है।

प्राकृतिक उपचार

यदि आपका बच्चा अनिद्रा से पीड़ित है, तो दवाओं का विकल्प चुनने से पहले, अनिद्रा के लिए कुछ घरेलू उपचारों को आजमाना ज्यादातर बेहतर विकल्प है। ज्यादातर अनिद्रा का इलाज घरेलू उपायों की मदद से किया जा सकता है।

  1. फूलों और हर्ब की पोटली बांधकर बच्चे के बेड के पास रखें, जो आपके बच्चे के लिए एक सुखदायक वातावरण बनाने में मदद करेगी। आप लैवेंडर के फूल, कैमोमाइल के सूखे फूल, गुलाब की कली और लेमन बाम का इस्तेमाल कर सकती हैं।
  2. सोने से पहले बच्चे को चीनी के साथ एक कप कैमोमाइल चाय दें, ताकि उसे सोने के लिए प्रेरित किया जा सके।
  3. कैमोमाइल और लैवेंडर जैसे रिलैक्सिंग और सुगंधित तेलों के साथ गुनगुने पानी से बच्चे को नहलाना, उसकी नींद में मदद करेगा। जब आप बच्चे को स्नान कराएं तो इन तेलों की कुछ बूंदों को पानी में डाल दें।
  4. बादाम, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसी मैग्नीशियम से भरपूर चीजें दिमाग को शांत करने और नींद को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
  5. नींद प्रेरित करने के लिए वाइल्ड लेट्यूस भी दिया जा सकता है।
  6. बच्चों को वेलेरियन रूट की चाय या सप्लीमेंट के रूप में इसकी कम डोज दी जा सकती है। ये रूट एक नेचुरल सेडेटिव है, जो बच्चे को नींद के बीच में जागने से रोकती है।
  7. पैशन फ्लावर बच्चों में तनाव को दूर करने के लिए सप्लीमेंट के रूप में दिया जा सकता है।
  8. जॉन्स वॉर्ट एक नेचुरल डिप्रेशन सप्लीमेंट है, जो बच्चों अनिद्रा के कारण होने वाली एंग्जायटी और डिप्रेशन को दूर करने में मदद करता है।
  9. बच्चे को शांत करने के लिए उसे सोने से पहले एक गिलास गुनगुना दूध देने से भी काफी मदद मिलती है।
  10. एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी भी बच्चों में नींद को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका है।

नींद की कमी आपके बच्चे के विकास पर सच में गंभीर प्रभाव डाल सकती है। अगर बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार पर्याप्त रूप से नींद नहीं मिलती है, तो ठीक से आराम न कर पाने के कारण उसका कॉग्निटिव विकास धीमा हो सकता है। बच्चों में अनिद्रा होने का क्या कारण है और अनिद्रा से पीड़ित बच्चों की किस प्रकार से सहायता की जा सकती हैं आप इस लेख के अलावा अपने डॉक्टर से भी संपर्क कर सकती हैं। समय पर एक्शन लेना बहुत जरूरी ताकि आप बच्चे को इस समस्या से जल्दी उबरने में मदद कर सकें।

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समर नक़वी

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