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शहद किसे पसंद नहीं होता? सदियों से शहद हमारे खाने में और खासकर विशिष्ट अवसरों पर शहद इस्तेमाल होता आ रहा है। यह मूड को अच्छा करता है और बच्चों और वयस्कों, दोनों को ही पसंद होता है । हालांकि आपके शिशु की उम्र और इम्युनिटी के आधार पर कभी-कभी इसकी छोटी सी मात्रा भी बहुत अधिक हो सकती है। यद्यपि शहद वयस्कों के लिए सुरक्षित होता है, किंतु आपके बच्चे को दिए जाने पर यह समस्या पैदा कर सकता है और गंभीर मामलों में मृत्यु का कारण बन सकता है।
शहद, जो कि विटामिन और खनिजों का एक भंडार है, उसका अगर सही उम्र के पहले सेवन किया जाए, तो एक छोटी खुराक भी एक बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है। छोटे और बड़े बच्चों के लिए शहद आदर्श होता है, हालांकि, यह उन शिशुओं को प्रभावित करता हैं जिनके दाँत निकल रहे हों। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर 3 से 6 महीने की उम्र के बच्चों को शहद देने की सलाह नहीं देते हैं।
शहद में कभी-कभी एक बैक्टीरिया का बीजाणु होता है जिसे क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम के रूप में जाना जाता हैं। यह शिशुओं में एक दुर्लभ रूप की भोजन-विषाक्तता (फूड पॉइज़निंग) का कारण बनता है, जिसके लक्षण इसके सेवन के लगभग आठ से छत्तीस घंटे बाद सामने आते हैं। शहद बच्चे के आने वाले दूध के दाँतों को भी नुकसान पहुँचा सकता है, यही कारण है कि किसी शिशु को शहद खिलाने से पहले विचार करने के लिए उसकी उम्र एक महत्वपूर्ण मानदंड है।
बोटुलिनम बैक्टीरिया मिट्टी में बहुतायत में पाया जाता है और उसमें अपने बीजाणुओं को छोड़ता है जो शहद और अन्य पदार्थों को दूषित करते हैं। गर्म करना, उबालना, प्रेशर कुकर में पकाना या पाश्चुरीकृत करना इन बीजाणुओं को समाप्त नहीं करता है क्योंकि वे इससे अप्रभावित रहते हैं शहद को दूषित करते हैं। यद्यपि वयस्कों और बड़े बच्चों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन 12 महीने और उससे कम उम्र के बच्चे इससे पीड़ित होते हैं क्योंकि उनकी इम्युनिटी इससे लड़ने में अक्षम होती है और अभी पूर्ण विकसित नहीं होती है।
इन्फेंट बोटुलिज्म या शिशु बोटुलिज्म एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों में मांसपेशियों की कमजोरी और सांस लेने की समस्याओं का कारण बनती है। खाद्य पदार्थों के माध्यम से शिशु के अंदर एक बार बैक्टीरिया के प्रवेश कर जाने के बाद, शरीर के अंदर पैदा होने वाले विषाक्त पदार्थों के परिणामस्वरूप शिशु बोटुलिज्म होता है। शिशु बोटुलिज्म का सबसे आम स्रोत शहद है, जिसमें बैक्टीरिया के बीजाणु होते हैं जिसके परिणामस्वरूप यह समस्या होती है। जिन खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया ने बोटुलिज्म विषाक्तता पैदा कर दी हो, ऐसे पदार्थों का सेवन कर लेने के बाद कोई शिशु, शिशु बोटुलिज्म से ग्रस्त हो जाता है। शिशु बोटुलिज्म शहद के अलावा अन्य पदार्थों से उत्पन्न हो सकता है क्योंकि बोटुलिनम बैक्टीरिया से बीजाणु अन्य खाद्य पदार्थों और वातावरण में पहुँच सकता है । शिशुओं को बाहर, खासकर मिट्टी के पास अधिक न ले जाने की सलाह दी जाती है।
दाँतों का पहला सेट एक बार पूरी तरह से आ जाने के बाद शिशु शहद का सेवन शुरू कर सकते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार शिशु के 12 महीने पूरे होने के बाद यानि आयु एक वर्ष से ऊपर होने पर उसे शहद खिलाया जा सकता है । शिशुओं को बैक्टीरिया के बीजाणुओं के कारण पैदा होने वाली बीमारियों से खतरा विशेषकर तीन से छह महीने की उम्र के बीच होता है, जो उनकी अविकसित इम्युनिटी के कारण उन्हें प्रभावित करता है। यद्यपि शहद का सेवन बड़े बच्चों और वयस्कों द्वारा किया जा सकता है, लेकिन शिशुओं की बात आने पर विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं और सबसे अच्छा यही होगा कि उन्हें तब तक शहद न दिया जाए जब तक कि उनकी इम्युनिटी पूरी तरह विकसित न हो जाए। 12 महीने और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए पाश्चुरीकृत शहद का सेवन भी करने की सलाह नहीं दी जाती है।
यद्यपि शिशु बोटुलिज्म 1 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को प्रभावित करता है, 18 महीने से अधिक उम्र के शिशुओं द्वारा सेवन के लिए शहद सुरक्षित होता है। 18 महीने और उससे अधिक उम्र के शिशुओं के लिए शहद के सबसे अच्छे लाभ निम्नलिखित हैं:
अगर आपके बच्चे को शहद गलती से दिया जाता है, तो:
बिल्कुल नहीं! शहद के बारे में बुनियादी तथ्य यहाँ भी लागू होता है, जो मूल रूप से यह संकेत देता है कि 12 महीने से कम उम्र के शिशु के लिए शहद की कोई भी मात्रा खतरनाक हो सकती है। चुसनी में मौजूद छोटे से छेद के माध्यम से शहद मुँह के अंदर जाने की संभावना होती है, जो आपके शिशु के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
खांसी और संक्रमण के इलाज के लिए शहद को औषधीय पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पाचन तंत्र को साफ करता है और शिशु को दलिया और फलों के साथ खिलाया जा सकता है। दस्त जैसी पेट की तकलीफ में शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है। शहद का उपयोग बेक किये हुए उत्पादों में किया जाता है और दो वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों को या पूरी तरह से विकसित इम्युनिटी वाले बच्चों को कच्चा भी खिलाया जा सकता है।
एहतियात के तौर पर, नवजात शिशु या 12 महीने या उससे कम उम्र के शिशुओं को शहद कभी न दें। 18 महीने से अधिक उम्र के शिशु आमतौर पर बोटुलिज्म बीजाणुओं के प्रभाव से सुरक्षित होते हैं और उन्हें किसी भी रूप में शहद दिया जा सकता हैं।
इसमें मौजूद पराग में एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के कारण शिशुओं और दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को शहद से एलर्जी हो सकती है। कमजोर पाचन तंत्र वाले बच्चों को भी इसका खतरा होता है, इसीलिए उनको देने से पहले प्रमाणित ब्रांड से ही पाश्चुरीकृत शहद खरीदना जरूरी है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं के लिए भोजन, बेक किये गए उत्पादों, या फार्म्युला के साथ शहद (कच्चा या पाश्चुरीकृत) नहीं देने की सलाह दी जाती है। इसलिए, शिशुओं को शहद से बने बेक किए गए उत्पादों को न खाने देना ही उचित है।
गुड़ और मक्के के सिरप में बोटुलिज्म बीजाणु हो सकते हैं जो शिशुओं के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए, 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं को ये देना उचित नहीं है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया अपने बालरोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
क्या शिशुओं को शहद दिया जा सकता है, यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर केवल उम्र के साथ दिया जाता है। भोजन में या पूरक के रूप में शहद देते समय, अपने शिशु की उम्र और उसकी इम्युनिटी की स्थिति पर विचार करें। एक शिशु के आहार में शहद को शामिल करने से पहले बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श करना सबसे अच्छा है। इसके बजाय, उन खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करें जिन्हें शहद के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है। कृपया अपने शिशु की आहार संबंधी आवश्यकताओं के बारे में प्रमाणित बालरोग विशेषज्ञ और आहार व पोषण विशेषज्ञ (न्यूट्रिशनिस्ट) से ही सलाह लें और उन खाद्य पदार्थों के बारे में अधिक जानें जो 1 वर्ष या उससे कम उम्र के शिशुओं को देने से बचना चाहिए।
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