बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में आँखों की समस्या – कारण और उपचार

जब आप अपने बच्चे की आँखों में देखती हैं, तो आपको प्यार का अहसास होता है। एक बच्चे की आँखें सब कुछ दर्शाती हैं – उसका दर्द, उसकी खुशी, सब कुछ उसकी आँखों से साफ जाहिर होता है। लेकिन अगर उसकी आँखों को कुछ हो जाता है तो आप घबराने लगती हैं और आपके घबराने की कई वजह हो सकती हैं। आँखें बेहद संवेदनशील होती हैं और बच्चों में किसी भी तरह की आँखों की समस्या को सावधानी से संभालना चाहिए। ऐसी कई स्थितियां हैं जो बच्चों की नजर को खराब कर सकती हैं और यदि आपको इनमें से किसी भी समस्या के होने का संदेह होता है, तो बच्चे को आगे की जांच और निदान के लिए डॉक्टर के पास तुरंत ले जाना चाहिए।

बच्चों में होने वाली आँखों की आम समस्याएं कौन सी हैं?

यहां बच्चों में कुछ सामान्य रूप से देखी जाने वाली आँखों की समस्याएं दी गई हैं:

1. एस्टिग्मेटिज्म

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कॉर्निया के अनुचित आकार के कारण बच्चे की दृष्टि प्रभावित होती है। यदि कोई बच्चा इस समस्या से पीड़ित है तो उसको दूर और पास दोनों जगह की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं।

कारण

आँख के सामने के हिस्से (कॉर्निया) में अनियमितता या फ्लैटनेस कर्व में फिजिकल डिफेक्ट होता है। जब लाइट आँखों पर पड़ती है, तो अनियमितताएं इसे रेटिना पर तेजी से ध्यान केंद्रित करने नहीं देती हैं, जिसकी वजह से आँखों से धुंधला दिखाई देने लगता है। यह अनियमित आकार के लेंस के कारण भी होता है।

इलाज

यदि आँखों से धुंधला दिखाई देता है, तो ऐसे में चश्मा लगाने की सलाह दी जाती है।

2. स्ट्रॉबिस्मस (भेंगापन)

इस स्थिति को आमतौर पर ‘क्रॉस आईज’ भी कहा जाता है। इसमें, एक या दोनों आँखें अंदर, बाहर, ऊपर या नीचे मुड़कर गलत तरीके से मिसअलाइन होती हैं। इसमें आँखें एक ही वस्तु पर लगातार ध्यान लगाने में असमर्थ होती हैं। यदि इस स्थिति को बिना इलाज के ऐसे ही छोड़ दिया जाता है और बच्चे की देखने की शक्ति पूरी तरह से परिपक्वता तक पहुंच जाती है, तो इसका इलाज करना असंभव होगा।

कारण

यह स्थिति जेनेटिक होती है लेकिन कभी-कभी यह आँखों या नर्व के मूवमेंट को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को पहुंचने वाले आघात के कारण भी होती है।

इलाज

स्ट्रॉबिस्मस अपने आप ठीक नहीं होता है। आई पैचिंग का उपयोग दिमाग को फाॅर्स करने का काम करता है जिससे आँखों को सही अलाइन किया जा सके। गंभीर मामलों में, सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है।

3. अदूरदर्शिता या मायोपिया

यह  आँख की एक रिफ्रैक्टिव समस्या है जहां बच्चा पास की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम होता है लेकिन, दूर की चीजें उसे धुंधली दिखाई देती हैं।

कारण

यह भी एक जेनेटिक समस्या है और व्यक्ति बहुत छोटी उम्र में भी इससे प्रभावित हो सकता है। मायोपिया का कारण यह है कि लाइट रेटिना पर ध्यान केंद्रित नहीं करने देती है और इसलिए दूरी पर रखी चीजें धुंधली दिखाई देती है। इस स्थिति में, लाइट रेज इमेज को रेटिना के सामने फोकस करती हैं, न कि रेटिना पर। यह आईबॉल्स के बहुत लंबे होने या कॉर्निया में बहुत अधिक वक्रता (कर्व) होने के कारण हो सकता है।

इलाज

इसमें बच्चे की देखने की क्षमता को प्रिसक्रिप्टिव लेंस से ठीक किया जाता है जिसे यह समस्या बढ़ने पर बदलने की जरूरत होती है।

4. दूरदृष्टि दोष या हाइपरोपिया

यह स्थिति मायोपिया से एक दम विपरीत है। यदि कोई बच्चा इससे प्रभावित होता है, तो दूर पर रखी हुई चीजें उसे स्पष्ट दिखाई देंगी लेकिन पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं।

कारण

हाइपरोपिया समस्या वाले व्यक्तियों में आईबॉल्स सामान्य रूप से थोड़े छोटे होते हैं और कॉर्निया में फ्लैट कर्व होता है। इसकी वजह से लाइट का फोकस पॉइंट होता है जो कि पास की चीजों को देखते समय रेटिना से परे होता है जब बच्चा चीजों को करीब से देता है। यह स्थिति भी जेनेटिक हो सकती है।

इलाज

रेटिना पर तेजी से फोकस लाने के लिए प्रिसक्रिप्टिव लेंस का इस्तेमाल किया जाता है।

5. लेजी आँखें (एम्ब्लियोपिया)

यह स्थिति तब विकसित होती है जब दोनों आँखों में से एक आँख सामान्य दिखने के बावजूद खराब तरीके से विकसित होती है। लेजी आइज या एम्ब्लियोपिया में प्रभावित आँख कम काम करती है और दिमाग इसके काम को बंद कर देता है और साथ ही इससे संकेत मिलना भी बंद हो जाता है।

कारण

यह अक्सर स्ट्रॉबिस्मस के कारण होता है या जब एक आँख दूसरे की तुलना में ज्यादा बेहतर काम करती है (ऐसे मामलों में जहां रिफ्रैक्टिव एरर में अंतर होता है)। लेजी आइज से होने वाला कमजोर स्टिम्युलेशन न्यूरोलॉजिकल मार्ग को पूरी क्षमता तक पहुंचने से पहले विकसित होने से रोकता है।

इलाज

इसके इलाज में न्यूरोलॉजिकल मार्गों को उत्तेजित करने के लिए लेजी आइज को अधिक मेहनत करनी होती है। मजबूत आँखों को ब्लॉक करने के लिए आई पैच और विशेष चश्मे का इस्तेमाल किया जाता है।

6. मोतियाबिंद (कैटरेक्ट)

मोतियाबिंद एक ऐसी समस्या है जहां आँखों के नॉर्मल साफ लेंस में धुंधलापन छा जाता है। मोतियाबिंद गंभीर रूप से लाइट को बाधित करता है, जिससे बच्चे में देखने की समस्या पैदा होती है या कभी-कभी बच्चा अंधा भी हो सकता है।

कारण

कभी-कभी ऐसी समस्या बच्चे को विरासत में ही मिली होती है, इसलिए कुछ बच्चे इस समस्या के साथ ही पैदा होते हैं। आँख का क्लियर लेंस धुंधला दिखाई देता है क्योंकि जो प्रोटीन लेंस को बनाता वह एक साथ गुत्था हो जाता है।

इलाज

यदि देखने की क्षमता गंभीर रूप से बाधित होती है, तो धुंधले हुए लेंस को हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। नेचुरल लेंस को इंट्राऑक्युलर लेंस से बदल दिया जाता है।

7. टोसिस

यह समस्या एक या दोनों ऊपरी पलकों के लटकने के कारण होती है। यह आँखों को थोड़ा ढक देता है और दृश्य को देखने से रोकता है। जिसकी वजह से लेजी आँखें होने का कारण बनता है।

कारण

यह समस्या भी बच्चे को विरासत में मिल सकती है और बच्चा इस समस्या के साथ पैदा ही होता है।

इलाज

इसमें समय के साथ सुधार नहीं होता है और दृष्टि में सुधार के लिए सर्जरी ही करानी होती है।

8. पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस

यह कंजंक्टिवा की वजह से होने वाली सूजन या रेडनेस होती है, जो आँखों के सफेद हिस्से को ढकने वाली क्लियर पतली म्यूकस मेम्ब्रेन होती है। पिंक आई स्कूल जाने वाले बच्चों में पाई जाने वाली एक आम संक्रामक बीमारी है और बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शन के कारण होती है।

कारण

कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर कंजंक्टिवा के बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। यह एलर्जी की वजह से भी हो सकता है। यह इंफेक्शन खेलते समय या किसी अन्य संक्रमित बच्चे की चीजों का उपयोग करने के दौरान शारीरिक संपर्क से फैलता है।

इलाज

इंफेक्शन को रोकने के लिए एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स दिए जाते हैं।

9. निस्टागमस

इस समस्या वाले लोगों में आँखों का अनैच्छिक, तेज और बार-बार मूवमेंट होता है। चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आँखें तेजी से एक ओर से दूसरी ओर घूमने लगती हैं। इसमें आँखें गोल- गोल या ऊपर और नीचे भी घूम सकती हैं।

कारण

निस्टागमस समस्या वाले बच्चे अक्सर जन्म से ही इस स्थिति के साथ पैदा होते हैं। मस्तिष्क का वह क्षेत्र जो आँखों के मूवमेंट के लिए जिम्मेदार होता है वो सामान्य रूप से काम नहीं करता है और इसलिए तेज मूवमेंट का कारण बनता है। इंजरी, ब्रेन ट्यूमर, कुछ दवाइयों और मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण भी आगे चलकर बच्चा इस समस्या से पीड़ित हो सकता है।

इलाज

निस्टागमस का इलाज करने के लिए, इसके कारण का पता करना जरूरी है।

10. कलेजियन (पलक में गांठ)

यह पलकों में होने वाली एक छोटी दर्द रहित सूजन है जो तब होती है जब ऊपरी या निचली पलक की ग्रंथि ब्लॉक हो जाती है। इससे पलकों पर लालिमा या सूजन होती है या कभी-कभी पीले रंग का मवाद भी निकलता है।

कारण 

पलकों पर ऑयल ग्लैंड के ब्लॉक होने के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है।

इलाज

यह समस्या अपने आप ठीक हो सकती है। इसमें आई ड्रॉप्स या गर्म सिकाई करने पर अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है। गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है।

बच्चों में आँखों की बीमारी की शुरुआत में ही पहचान क्यों जरूरी है

आँखों को और अधिक नुकसान पहुंचने से रोकने के लिए जल्द निदान और उपचार करना अहम है। खराब दृष्टि और ब्लैक बोर्ड देखने में असमर्थता बच्चों के लिए कुछ भी सीखना मुश्किल बना देती है और उन्हें स्कूल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बच्चों में आँखों की समस्याओं के अचानक संकेत दिमाग में अन्य कॉम्प्लिकेशन या टाइप 1 डायबिटीज की शुरुआत का भी संकेत हो सकते हैं।

बच्चों में आँखों की समस्याओं के इन सामान्य लक्षणों को देखें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसे जल्द से जल्द इलाज मिले। बच्चों में आँखों की समस्या के कुछ लक्षणों में शामिल हैं:

  • एक या दोनों प्यूपिल में सफेद रंग दिखना।
  • आँखों से लगातार पानी आना या पानी बहना।
  • एक आँख स्थिर होती है जबकि दूसरी बार-बार हिलती रहती है।
  • लाइट के प्रति आँखों का अधिक संवेदनशील होना।
  • बच्चा अक्सर एक तरफ सिर झुकाता है।
  • किताबें पढ़ने के लिए उसे बिलकुल नजदीक रख कर पड़ता है और टेलीविजन के करीब बैठता है ताकि उसे साफ दिखाई दे।
  • आँखें एक जैसी या सिमिट्रिकल नहीं दिखती हैं, या फिर एक दूसरे से बड़ी दिखती हैं।

बच्चों में आँखों की समस्याओं से कैसे बचें

बच्चों की लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आँखों की समस्याओं को रोकने के कई तरीके हैं।

  • बच्चे को पढ़ाई या टीवी या कंप्यूटर के सामने बैठने के दौरान अच्छा पोश्चर बनाए रखना सिखाएं।
  • बच्चे को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और वीडियो गेम के उपयोग को कम करवाएं। बच्चों के विकास के लिए बाहर खेलना बेहद जरूरी है। जब वे बाहर खेलते हैं, तो वे बार-बार इधर-उधर देखते हैं, इसलिए उनकी आँखें लगातार हिलती रहती हैं, जो उनकी आँखों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। साथ ही, कुछ स्टडीज के अनुसार, सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से मायोपिया विकसित होने से रोका जाता है।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां और प्रोटीन और अमीनो एसिड से भरपूर खाना आँखों के विकास और उसके रखरखाव के लिए जरूरी हैं। इनमें ‘ल्यूटिन’ भी होता है, जो अच्छी रौशनी के लिए आवश्यक एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करता है। इसलिए ध्यान रखें कि आपका बच्चा हरी सब्जियां खाता हो।
  • किसी भी समस्या का पता लगाने और उसके बिगड़ने से पहले उसे रोकने के लिए नियमित रूप से आँखों की जांच कराएं।
  • बच्चों को स्वस्थ आहार देना जरूरी है। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो बच्चे में इसकी शुरुआत को रोकने और आँखों की बीमारियों से बचने के लिए चीनी युक्त खाने का सेवन कम करना सही निर्णय माना जाता है।
  • जब आपको अपने बच्चे की किसी आँख में समस्या का संदेह हो, तो उसे अपने आप ठीक होने का इंतजार करने के बजाय तुरंत किसी आँखों के डॉक्टर के पास ले जाएं और इसकी जांच करवाएं।
  • अपने बच्चे से कहें कि वह जब भी बाहर से आए तो हाथ धोए। उसे अपनी आँखों को गंदे हाथों से न छूने दें।
  • अगर बच्चे को आँख में इंफेक्शन है जैसे कि कंजंक्टिवाइटिस, उसे तब तक स्कूल न भेजें जब तक कि इंफेक्शन पूरी तरह से कम न हो जाए।
  • यदि आपको अपने बच्चे में भेंगापन, सिरदर्द और बार-बार पलक झपकने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने बच्चे की आँखों की तुरंत जांच कराएं।

उम्र के अनुसार आँखों की जांच के सुझाव

बच्चों के लिए नजर की जाँच को अत्यधिक रिकमेंड किया जाता है क्योंकि यह जीवन के शुरूआती सालों में ही इलाज करने के लिए आँखों से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने में मदद करते हैं। यहां उम्र के अनुसार बच्चों के लिए आँखों की जाँच की रिकमेंडेशन की लिस्ट गई है।

आयु टेस्ट मानदंड (किस बच्चे को जरूरत है)
नवजात से 12 महीने तक विजन असेसमेंट

ऑक्युलर हिस्ट्री 

आँखों और पलकों का बाहरी निरीक्षण

प्यूपिल की जांच 

रेड रिफ्लेक्स टेस्ट 

बच्चे जो 3 महीने के बाद अच्छी तरह से ट्रैक नहीं कर पाते हैं

असामान्य रूप से रेड रिफ्लेक्स दिखाने वाले बच्चे 

माता-पिता या भाई-बहन में रेटिनोब्लास्टोमा होने का इतिहास 

1-3 साल प्यूपिल की जांच

ऑक्युलर हिस्ट्री 

विजुअल अक्यूइटी टेस्टिंग

ऑब्जेक्टिव स्क्रीनिंग डिवाइस

स्ट्रॉबिस्मस (भेंगापन) से पीड़ित बच्चे

बच्चे जो क्रोनिक टियरिंग और डिस्चार्ज से पीड़ित हैं 

फोटो स्क्रीनिंग में फेल होने वाले बच्चे

3-5 साल ऑक्युलर हिस्ट्री

विजन असेसमेंट

आँखों और पलकों का बाहरी निरीक्षण

वे बच्चे जो किसी भी आँख से कम से कम 20/40 नहीं पढ़ सकते हैं

बच्चे 20/40 लाइन पर ज्यादातर ऑप्टोटाइप की पहचान करने में सक्षम होने चाहिए

5 साल और उससे अधिक प्यूपिल की जांच

रेड रिफ्लेक्स टेस्ट 

विजुअल अक्यूइटी टेस्टिंग

फोटो-स्क्रीनिंग

ऑप्थल्मोस्कोपी

जो बच्चे ब्लैक बोर्ड पर लिखा नहीं पढ़ पाते हैं

सोर्स – https://www.aapos.org/terms/conditions/131

हालांकि आँखों की ये सभी समस्याएं हर किसी के लिए चिंता का कारण बनती हैं, लेकिन समय पर इलाज से किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चे में आँखों की समस्या के किसी भी लक्षण देखने पर और भविष्य में इस स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए उसे तुरंत डॉक्टर के पास इलाज के लिए ले जाएं।

यह भी पढ़ें:

बच्चों की आँखों के नीचे काले घेरे होना
बच्चों की आँखों की देखभाल के लिए सबसे प्रभावी टिप्स
बच्चों की आँखों की जांच – यह क्यों जरूरी है

समर नक़वी

Recent Posts

अमृता नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Amruta Name Meaning in Hindi

जब किसी घर में नए मेहमान के आने की खबर मिलती है, तो पूरा माहौल…

1 month ago

शंकर नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Shankar Name Meaning in Hindi

जब किसी घर में बच्चा जन्म लेता है, तो माता-पिता उसके लिए प्यार से एक…

1 month ago

अभिराम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhiram Name Meaning in Hindi

माता-पिता अपने बच्चों को हर चीज सबसे बेहतर देना चाहते हैं क्योंकि वे उनसे बहुत…

1 month ago

अभिनंदन नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhinandan Name Meaning in Hindi

कुछ नाम ऐसे होते हैं जो बहुत बार सुने जाते हैं, लेकिन फिर भी कभी…

1 month ago

ओम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Om Name Meaning in Hindi

हर माता-पिता के लिए अपने बच्चे का नाम रखना एक बहुत खास और यादगार पल…

1 month ago

रंजना नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Ranjana Name Meaning in Hindi

समय के साथ सब कुछ बदलता है, चाहे वो पहनावा हो, खाना-पीना हो या फिर…

1 month ago