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बच्चे हमेशा जिज्ञासु होते हैं और हर वह चीज जो उनके हाथ लगती है वे उसे अपने मुंह में रख लेते हैं। हालांकि, अगर कोई बच्चा अक्सर खाने योग्य न होने वाली चीजों को खा लेता है, तो वह पिका (या पाइका) नामक ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित हो सकता है। पिका बच्चे में सेहत से जुड़ी गंभीर परेशानियां पैदा कर सकता है, जो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की हो सकती हैं। इस प्रकार, पिका को जल्द से जल्द रोकना या कम करना बहुत जरूरी है। ऐसे कई कारण हैं जो बच्चे में इस व्यवहार को जन्म दे सकते हैं। कुछ जगहों पर यह ‘कल्चर-बाउंड सिंड्रोम’ से संबंधित होता है, हालांकि, पिका ज्यादातर मिनरल्स और विटामिन की कमी या मानसिक स्वास्थ्य समस्या के कारण होता है।
आहार से संबंधित डिसऑर्डर जिसमें बच्चे लगातार या नियमित रूप से नॉन फूड आइटम का सेवन करते हैं, वो पिका कहलाता है। बच्चों का मिट्टी खाना इस डिसऑर्डर का उदाहरण है। नॉन फूड आइटम में गंदगी, रेत, कागज, पेंट, चॉक, बाल, लकड़ी आदि बहुत कुछ शामिल होता है। बच्चों में पिका विकार से डाइजेस्टिव सिस्टम में समस्या होती है और इससे बच्चे के विकास में भी देरी हो सकती है। चूंकि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है, इसलिए यह बच्चे और उसके डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकती है।
बच्चे अपनी टेस्ट बड के जरिए दुनिया भर की चीजों को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, जो उनके लिए बहुत आम बात है। खासतौर पर जब शिशु के नए दांत निकल रहे होते हैं, तो वह अक्सर चबाने के लिए नई चीजें खोजता है। हर बार जब कोई बच्चा अपने मुंह में कुछ भी डालता है, तो ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि उसे पिका है! पिका डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे के विकास के दौरान एक्सप्लोर करने का उसका नॉर्मल व्यवहार बढ़ जाता है। पिका को बच्चों में तब नोटिस किया जा सकता है जब वे 18 से 24 महीने के बीच होते हैं और नॉन फूड आइटम की क्रेविंग उन्हें महीनों तक बनी रह सकती है। कुछ मामलों में, पिका ऑटिज्म का भी संकेत हो सकता है। यह आमतौर पर शारीरिक या बौद्धिक विकास में अक्षम बच्चों में देखा जाता है।
बच्चों में पिका कई कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
तो, इन कारणों को जानने के बाद आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि कैसे पहचानें कि आपके बच्चे में पिका हुआ है? तो आपको बता दें कि इसे ज्यादातर लक्षणों को देखकर पहचाना जा सकता है, जो आपको नीचे दिए गए हैं। हालांकि, यदि आप को लगता है कि डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है, तो आप उनसे सलाह ले सकती हैं।
यहां पिका विकार के कुछ लक्षण दिए गए हैं जो बच्चों में देखे जा सकते हैं:
इस डिसऑर्डर का निदान करने के लिए कोई निश्चित टेस्ट नहीं है। डॉक्टर कई बातों के साथ बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर इसका निदान करते हैं। यह बहुत जरूरी है कि आप डॉक्टर को ईमानदारी से बताएं कि बच्चे ने कितना नॉन फूड आइटम खाया है और ऐसा कितने समय से कर रहा है। यदि ये आदत एक महीने से अधिक समय तक बनी रहती है, तो इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि बच्चे को पिका डिसऑर्डर है। ऐसे में समय पर इस डिसऑर्डर को रोकना जरूरी है, क्योंकि इससे सेहत को समस्याएं हो सकते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हमने नीचे बताया है। आयरन और जिंक लेवल की जांच करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करने को कह सकते हैं क्योंकि इनकी कमी से भी बच्चों को पिका हो सकता है। इसलिए, आपको यह सुझाव दिया जाता है कि कुपोषण का पता लगाने के लिए आप नियमित रूप से बच्चे की जांच कराती रहें।
पिका डिसऑर्डर बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है और कई कॉम्प्लिकेशन को जन्म दे सकता है जैसे:
जब न्यूट्रिएंट्स में कमी होती है तो पिका होने की संभावना बढ़ जाती है, तो ऐसे में डॉक्टर मिनरल और विटामिन सप्लीमेंट लिख सकते हैं। इसके अलावा, पिका के मामले में अपनाए जाने वाले कुछ आम उपचार इस प्रकार दिए गए हैं:
पिका को रोकना संभव नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा बर्ताव है जिसे विकसित किया गया है। शुरूआती स्टेज में इस डिसऑर्डर से बचने के लिए या इसे पहचानने के लिए नीचे बताई गई बातों पर आप ध्यान दे सकती हैं:
जब आपको संदेह होने लगे कि आपके बच्चे को पिका हो सकता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। पिका दांतों की समस्या, इंफेक्शन, डाइजेस्टिव समस्या और इंटॉक्सिकेशन के कारण हो सकता है। इन स्थितियों को नोटिस करते ही डॉक्टर से मिलें।
कुछ मामलों में पिका से छुटकारा पाना काफी आसान होता है, जबकि कुछ मामलों में आपको डॉक्टर की मदद लेने की जरूरत होती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको धैर्य बनाए रखना सबसे जरूरी है। किसी भी उपचार को असरदार बनाने के लिए बच्चे के साथ पॉजिटिव रहना महत्वपूर्ण है।
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