जब बच्चे बढ़ रहे होते हैं, तो वे अक्सर इधर-उधर दौड़ते रहते हैं और बेपरवाह होकर दुनिया को देखते रहते हैं। इससे उन्हें चोट लगने का खतरा बना रहता है। ऐसे में सभी पेरेंट्स को बच्चों के लिए फर्स्ट एड की जानकारी होना जरूरी है। क्योंकि कभी न कभी ऐसी स्थिति पैदा होना निश्चित है, जिसमें आपके बच्चे को थोड़ी बहुत चोट लग जाए।
यहां पर बच्चों के लिए कुछ फर्स्ट एड टिप्स दिए गए हैं:
तुरंत क्या करें: आपको जो पहली चीज करनी चाहिए वह है, ब्लीडिंग को रोकना। इसके लिए कटे हुए हिस्से पर दबाव डाला जा सकता है। दूसरा, एंटीसेप्टिक लिक्विड मिले हुए गुनगुने पानी में भिगोई हुए रुई को घाव पर रखें, ताकि वह हिस्सा सैनिटाइज हो जाए और घाव पर पड़ी धूल-मिट्टी साफ हो जाए। तीसरा, एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं और एक ढीली पट्टी से घाव को ढकें।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: अगर पिछले 10 वर्षों में बच्चे को टिटनेस का इंजेक्शन नहीं लगा है, तो उसे लगवाएं। जब तक घाव ठीक न हो जाए, तब तक हर दिन पट्टी बदलें।
तुरंत क्या करें: जले हुए हिस्से को तुरंत लगभग 5 मिनट के लिए चालू ठंडे पानी के नीचे रखें। जलने का इलाज करने के दौरान लोग अक्सर दो तरह की गलतियां करते हैं। पहली, प्रभावित हिस्से पर बर्फ का इस्तेमाल न करें, इससे उस जगह पर ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है और चोट ठीक होने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। दूसरी, ग्रीस, मक्खन या ऐसे ही किसी पदार्थ के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इससे गर्माहट बाहर नहीं निकल पाती है और वह अच्छी तरह से ठीक नहीं हो पाती है।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: यह अनुभव दर्द भरा हो सकता है और इस इलाज से बहुत तकलीफ भी हो सकती है। अगर दर्द बहुत गंभीर हो या असहनीय हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खुद बच्चे को दवा न दें।
तुरंत क्या करें: बच्चे की नाक से खून आने पर उसे कुर्सी पर पीठ सीधी रखते हुए बिठाएं। नोज ब्रिज के दोनों ओर के सॉफ्ट टिशू को लगभग पांच 10 मिनट के लिए हल्के हाथों से पिंच करें। इससे ब्लीडिंग रुक जानी चाहिए। अगर ऐसा न हो, तो आप इस प्रक्रिया को तब तक दोहरा सकती हैं, जब तक ब्लीडिंग रुक न जाए। ऐसी स्थिति में दो बातों से बचना चाहिए, पहली, खून का बहाव रुका है या नहीं यह चेक करने से बचें, क्योंकि इससे यह जारी रहेगा। दूसरी बात, बच्चे के सिर को पीछे ले जाने से बचें, इससे खून पीछे की ओर जा सकता है और बच्चे को चोक हो सकता है।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा अगले 24 घंटों के लिए नाक साफ न करे या नाक में उंगली न डाले।
तुरंत क्या करें: हीट स्ट्रोक की स्थिति में सबसे पहले बच्चे के शरीर के तापमान को कम करना जरूरी है। अगर आप घर पर हैं, तो उसे बाथरूम में लेकर जाएं और ठंडे पानी से नहलाएं। ठंडा पानी उपलब्ध न हो, तो एक कपड़े में बर्फ लपेटें और उसकी गर्दन और बगलों में रखें।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: कई बार ऐसा होता है, कि तापमान में गिरावट आने पर बच्चा इसे सह नहीं पाता है और कांपने लगता है। इस बात का ध्यान रखें, कि तापमान गिरने पर बच्चे को गर्म रखें। अगर बच्चा अभी भी कांप रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
तुरंत क्या करें: सबसे पहले डंक निकालना जरूरी है। इसके लिए आप अपने नाखून या डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खुरच कर इसे सौम्यता से निकाल सकती हैं। ध्यान रखें, कि डंक को निकालने के लिए अगर आप अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करती हैं, तो बच्चे के खून में अधिक जहर जाएगा और इसलिए इसकी सलाह नहीं दी जाती है।
डंक निकालने के बाद,
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: अगर आपके बच्चे को रैश या थकावट हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह एक एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है।
तुरंत क्या करें: देखें कि आपके बच्चे में सिर की गंभीर चोट के कोई लक्षण दिख रहे हैं या नहीं। इसमें धुंधला दिखना, संतुलन न होना या याद न रहना शामिल है। इसके बाद किसी मौजूदा घाव को चेक करें। अगर कोई घाव हो, तो उस जगह को एंटीसेप्टिक लिक्विड मिले हुए गुनगुने पानी से साफ करें। अगर अधिक खून बह रहा हो, तो लगभग 10 मिनट के लिए कपड़े से दबाव डालें।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: हर 2 घंटे में चेक करें, कि आपके बच्चे में सिर की गंभीर चोट के कोई लक्षण दिख रहे हैं या नहीं। ऐसा होने पर उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएं। अगर गहरी चोट लगी हो तो टांके लगाने के लिए या आगे की देखभाल के लिए हॉस्पिटल लेकर जाएं।
तुरंत क्या करें: अगर खून बह रहा हो, तो जख्म वाली जगह पर कपड़े से दबाएं। सबसे पहले बच्चे को कंफर्टेबल करें या उसे लिटा दें, ताकि वह अधिक हिले-डुले नहीं। दूसरी बात, एक कपड़े में आइस क्यूब भरें और दर्द कम करने के लिए प्रभावित जगह पर हल्के-हल्के सिकाई करें। अंत में, पड़ोसियों, दोस्तों या अपने साथी की मदद लें और तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं। बच्चे को स्थिर रखने के लिए ऐसा जरूरी है और अकेले हॉस्पिटल ले जाने में ऐसा हो पाना कठिन है।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: हड्डी में आगे किसी नुकसान से बचाव के लिए, अति आवश्यक शारीरिक गतिविधि के अलावा अन्य गतिविधियों को नियंत्रित रखें।
तुरंत क्या करें: अपने बच्चे को खुद खांसने के लिए प्रेरित करें। अगर वह 3 सेकंड तक खुद ऐसा नहीं कर पाता है, तो तुरंत ‘हेमलिक मैनोवर’ नामक तरीका अपनाएं। इसके लिए सबसे पहले खुद बच्चे के पीछे खड़े हो जाएं। दूसरी बात, अपनी बाहों को उसके आसपास कुछ इस तरह से लपेटें, कि आपकी दोनों मुट्ठियाँ उसकी नाभि के नीचे हों और आपके अंगूठे थोड़े बाहर निकले हुए हों। अंत में छोटे-छोटे झटकों में दबाव डालें और जब तक अटका हुआ खाना बाहर निकल जाए, तब तक इसे जारी रखें। साथ ही, जितनी जल्दी हो सके पीडियाट्रिशियन से संपर्क करें।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: अपने बच्चे को ‘हेमलिक मैनोवर’ खुद करना सिखाएं। नाभि के पास टेबल या कुर्सी के किनारे से दबाव डालकर इसे अकेले भी किया जा सकता है।
तुरंत क्या करें: फर्श पर अगर कोई चोट लगने वाली चीज हो, तो उसे हटा दें और बच्चे को आराम से लिटा दें। इसके बाद उसके सिर के नीचे कोई तकिया या तौलिए को मोड़ कर रखें।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: जब वह ठीक हो जाए, तो आसान शब्दों में उसे बताएं कि उसे क्या हुआ था। अगर यह दौरा 5 मिनट से अधिक समय तक रहता है, तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
तुरंत क्या करें: सबसे पहले पानी से बच्चे के मुंह को अच्छी तरह से साफ करें, ताकि ब्लीच अच्छी तरह से धुल जाए। दूसरी बात, बच्चे के कपड़े बदल दें क्योंकि ब्लीच की महक से उसे मतली आ सकती है। तीसरी बात, ब्लीच को पतला करने के लिए उसे थोड़ा दूध दें। अंत में, उसे उल्टी करने से बचाएं, क्योंकि इससे फूड पाइप को आगे और नुकसान हो सकता है।
फर्स्ट एड के बाद आगे की देखभाल: ब्लीच के डिब्बे को अपने साथ हॉस्पिटल लेकर जाएं, ताकि डॉक्टर उचित इलाज कर सकें।
अब चूंकि आपको बच्चों के लिए कुछ बेसिक फर्स्ट एड की जानकारी हो गई है, तो आप किसी आकस्मिक और अनैच्छिक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति खड़ी होने पर खुद को तैयार महसूस कर सकती हैं। दिमाग को शांत और स्थिर रखने से न केवल आपके बच्चे को उचित देखभाल मिलेगी, बल्कि बिना घबराए आप उसकी चोट का इलाज भी कर पाएंगी।
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