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हर साल 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से प्रभावित होते हैं, और जिसके कारण लगभग 27 लाख लोग मृत्यु का शिकार होते हैं। मलेरिया, जीका वायरस, चिकनगुनिया, येलो फीवर और डेंगू फीवर इनमें से सबसे अधिक खतरनाक माने जाते हैं। भारत में डेंगू की बीमारी आमतौर पर काफी देखी जाती है और इसके मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। अच्छी बात यह है, कि इस बीमारी का इलाज संभव है और इसमें मृत्यु दर भी कम है। यह लेख आपको डेंगू बुखार के लक्षण, इलाज और बचाव के तरीकों को समझने में मदद करेगा।
डेंगू बुखार एडीस नामक मादा मच्छर के द्वारा फैलता है। मच्छर की इस प्रजाति को उनके पेट पर स्पष्ट धारियों के द्वारा पहचाना जा सकता है, जिसके कारण मच्छर की इस प्रजाति को टाइगर मॉस्किटो का नाम भी दिया गया है। आमतौर पर, गर्म, ट्रॉपिकल और नमी युक्त वातावरण में पाए जाने वाले ये मच्छर रुके हुए पानी की मौजूदगी में फलते-फूलते हैं। इस कारण, जब मानसून तीव्र होता है, तब डेंगू के फैलने की संभावना बहुत अधिक होती है। बीमारी फैलाने वाले अन्य मच्छरों की तुलना में, एडीस मच्छर दिन के समय काटते हैं, जो कि बहुत ही अनोखी बात है। ये मच्छर आमतौर पर सुबह-सवेरे और सूर्यास्त से ठीक पहले शाम के समय काटते हैं।
यह याद रखना जरूरी है, कि ये मच्छर केवल एक वाहक होता है, जिसे डिजीज वेक्टर कहा जाता है। बच्चों एवं वयस्कों में डेंगू का कारण खुद यह मच्छर नहीं होता है, बल्कि डेंगू वायरस नामक एक वायरल पैथोजन होता है। डेंगू वायरस पांच प्रकार के होते हैं, जिनमें से किसी से भी बीमारी हो सकती है। लेकिन किसी एक स्ट्रेन के कारण डेंगू होने पर, उस विशेष स्ट्रेन से होने वाली बीमारी के प्रति पूरी इम्यूनिटी मिल जाती है और अन्य प्रकार के वायरस से केवल आंशिक इम्यूनिटी मिलती है।
डेंगू के प्रसार का हिसाब लगाना कठिन होता है, क्योंकि इस बीमारी के ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल लगभग 30 लाख लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं। लेकिन इसकी वास्तविक संख्या 40 करोड़ से भी अधिक हो सकती है। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तब बीमारी फैलती है, जिसमें डेंगू का वायरस खून में ट्रांसफर हो जाता है। फिर यह वायरस वाइट ब्लड सेल्स से जुड़ते हुए उनमें घुस जाता है। वाइट ब्लड सेल्स के अंदर जाने के बाद ये फैलते हैं और लिवर, बोन मैरो, त्वचा और ऐसे ही अन्य अंगों को संक्रमित करते हैं। आमतौर पर यह बीमारी 2 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है, क्योंकि शरीर एक इम्यून प्रतिक्रिया देता है, जो कि वायरस को मार देती है। लेकिन लगभग 5% मामलों में डेंगू बुखार का एक अधिक खतरनाक रूप दिखा सकता है, जिसे डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहते हैं। इस मामले में बहुत अधिक जटिलताएं होती है और तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
वैसे तो नवजात शिशु में आमतौर पर डेंगू नहीं होता है, लेकिन अगर मां को यह बीमारी हो तो लेबर के दौरान यह संक्रमण बच्चे तक पहुंच सकता है। यह वायरस ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के द्वारा भी फैल सकता है। अच्छी बात यह है, कि ज्यादातर मामलों में डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।
आमतौर पर लगभग 80% मामलों में डेंगू बुखार के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, यहां तक कि शिशुओं और छोटे बच्चों में भी। लेकिन बच्चे की उम्र जितनी कम होगी, लक्षण उतने ही गंभीर होंगे, जो कि इंफेक्शन के लगभग 4 दिनों के बाद नजर आ सकते हैं। यहां पर बच्चों में डेंगू के लक्षणों की एक सूची दी गई है, जिन पर आप नजर रख सकती हैं:
ज्यादातर मामलों में बच्चों में डेंगू बुखार वायरल इनफ्लुएंजा से जुड़े लक्षणों की तरह शुरू होता है, जैसे तेज बुखार, बहती हुई नाक, खांसी और थकावट।
आपके बच्चे में सामान्य से अधिक चिड़चिड़ापन और उत्तेजना दिख सकती है, वह भी बिना किसी कारण। यह भी हो सकता है, कि वह बार-बार रोए और गुस्सा दिखाए, उसकी भूख कम हो जाएगी और सोने का पैटर्न भी बड़े पैमाने पर बदलेगा। यह बच्चे को अनुभव होने वाले फ्लू जैसे लक्षणों और बुखार के कारण होता है।
प्रभावित बच्चों को मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का अनुभव हो सकता है। आंखों के पीछे दर्द हो सकता है, पीठ में दर्द हो सकता है, सिर दर्द और ऐसे ही अन्य कई लक्षण दिख सकते हैं। इसमें होने वाला दर्द हड्डियों के टूटने जैसा महसूस होता है, इसलिए डेंगू को ब्रेकबोन फीवर भी कहते हैं।
आपका बच्चा पेट में तेज दर्द की शिकायत कर सकता है और इसके साथ ही उसे उल्टी, मतली या डायरिया भी हो सकता है, जिसे अक्सर गैस्ट्रोएन्टराइटिस समझने की गलती हो जाती है। उल्टी इस बात का शुरुआती संकेत है, कि बच्चे को जटिलताओं का अनुभव हो सकता है। इसलिए उस पर नजर रखना बहुत जरूरी है।
त्वचा में खुजली वाले रैश होना डेंगू का एक आम लक्षण है, जो कि पैच के रूप में नजर आता है। इसे मीजल्स जैसे रैश के रूप में समझा जा सकता है। तलवों में होने वाली लगातार खुजली भी इसका एक अन्य लक्षण है, लेकिन यह रैश थोड़े समय के लिए ही रहता है और हो सकता है, कि आपको इसका पता चलने से पहले ही यह गायब हो जाए।
बच्चों के मसूड़ों या नाक से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है, जो कि प्लेटलेट काउंट में आने वाली गिरावट के कारण होता है। वायरस खून के थक्के बनने की गति को धीमा कर देता है, जिसके कारण ब्लीडिंग होती है। कभी-कभी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में भी ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन यह केवल जटिल मामलों में होता है और डेंगू से ग्रस्त हर व्यक्ति को इसका अनुभव नहीं होता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, दुर्लभ मामलों में डेंगू कहीं अधिक खतरनाक स्वरूप में बदल सकता है, जैसे कि डेंगू हेमोरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम। इन बीमारियों से जुड़े लक्षण नीचे दिए गए हैं:
अगर आपके बच्चे में ये सभी या इनमें से कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो जितनी जल्दी हो सके आपको उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।
अगर आपके बच्चे में डेंगू के लक्षण दिख रहे हैं, तो आप नीचे दी गई बातों का ध्यान रख सकती हैं:
डॉक्टर से परामर्श लेने पर आपके बच्चे की पूरी जांच की जाएगी और संकेतों के आधार पर डेंगू का पता लगाया जाएगा। यहां पर डेंगू की पहचान का तरीका दिया गया है।
जैसा कि पहले बताया गया है, अगर आपको लगता है, कि आपके बच्चे में ऊपर दिए गए संकेत और लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलना चाहिए। अगर आपके बच्चे में थकावट, बुखार, जोड़ों का दर्द और रैश जैसे लक्षण दिख रहे हैं, तब यह और भी अधिक जरूरी हो जाता है। डॉक्टर लक्षणों की पहचान के लिए शारीरिक जांच करेंगे। वे आपके बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री और उसके वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा पीडियाट्रिशियन आपसे यह भी पूछ सकते हैं, कि आप अपने बच्चे को लेकर कहां गई थीं। क्योंकि देश और दुनिया के बहुत से क्षेत्र डेंगू से बुरी तरह से प्रभावित हैं, अगर आपके बच्चे ने इन जगहों की यात्रा की है, तो पीडियाट्रिशियन परिस्थिति को बेहतर रूप से समझ पाएंगे। इसके अलावा आपके बच्चे के ब्लड सैंपल को डायग्नोस्टिक लैब भेजा जाएगा, ताकि डेंगू वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जा सके।
अगर डेंगू की पुष्टि हो जाती है, तो डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया को शुरू करेंगे, जिसके बारे में हम अगले हिस्से में बात करेंगे।
वर्तमान में डेंगू बुखार का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन डेंगू की मृत्यु दर बहुत कम होती है और यह कुछ दिनों से लेकर एक महीने के अंदर ठीक हो जाता है। केवल जटिल मामलों में मृत्यु दर अधिक होती है। हालांकि ऐसे कुछ तरीके हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को डेंगू के कारण होने वाली असुविधा से राहत दिला सकती हैं और इस बीमारी को ठीक होने की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं:
जहां ज्यादातर बच्चे डेंगू की पहचान के बाद ठीक हो जाते हैं, वहीं कुछ मामलों में बच्चों को जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, खासकर डेंगू हेमोरेजिक फीवर के कारण।
अगर सही समय पर डेंगू का सही इलाज नहीं किया गया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है और डेंगू हेमोरेजिक फीवर हो सकता है, जिससे आगे चलकर कई तरह की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जैसे:
स्पष्ट है, कि डेंगू विनाश का कारण बन सकता है, खासकर जब यह एक बच्चे को प्रभावित करे। लेकिन ऐसे कई तरीके हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को इस बीमारी के संपर्क में आने से बचा सकते हैं। अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।
डेंगू बुखार के मामले में सावधानी इलाज से बेहतर होती है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को डेंगू वायरस फैलाने वाले मच्छरों के काटने से बचा सकती हैं। यहां पर ऐसे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप खुद को और अपने परिवार को इस बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं:
गरम और नमीयुक्त क्षेत्रों में डेंगू आम है, जहां का वातावरण मच्छरों के फलने-फूलने के लिए बेहतरीन होता है। यह महामारी उन जगहों में अधिक फैलती है, जहां सार्वजनिक साफ-सफाई को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। इसलिए यह जरूरी है, कि आप अपने बच्चे को इस बीमारी के संपर्क में आने से बचाने के लिए जरूरी सावधानियां बरतें, खासकर इसके इलाज की कमी के कारण। एक विशेष बात यह है, कि कुछ दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों और लैटिन अमेरिकी देशों में डेंगू बुखार के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, पर यह केवल आंशिक रूप से ही सुरक्षा देत पाती है। सभी पांच प्रकार के डेंगू वायरस के लिए वैक्सीन बनाने के लिए रिसर्च अभी भी जारी है।
स्रोत 1: Who.int
स्रोत 2: Healthline
स्रोत 3: Mayoclinic
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