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बच्चों की मोतियों जैसी सफेद दाँतों वाली मुस्कराहट माता–पिता के लिए एक आनंदमयी एहसास होता है। जब बच्चे के दूध के दाँत गिरना शुरू हो जाते हैं तो जबड़े में नए व स्थाई दाँतों के लिए जगह बनने लगते हैं। हालांकि, बच्चों में यह परिवर्तन एक विकास–चिन्ह है किंतु फिर भी यह प्रक्रिया कई माता–पिता को चिंतित कर सकती है। आपकी चिंता को खत्म करने के लिए इससे संबंधित आपके मन में कई सवाल होंगे, उन सभी का उत्तर जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
कई बच्चों के 5 से 7 साल की आयु में दूध के दाँत हिलने और गिरने लगते हैं।हालांकि यदि आपके 4 साल के बच्चे के दूध के दाँत गिरने लगे हैं तो यह भी कोई चिंता का विषय नहीं है। कुछ बच्चों के दाँत अन्य की तुलना में जल्दी गिरने शुरू हो जाते हैं। अक्सर समय के साथ 3 वर्षीय बच्चे के 20 दाँत निकल चुके होते हैं और उसके यह दाँत उसी क्रम से गिरने लगते हैं जिस क्रम से वे निकलना शुरू हुए थे।
नीचे दी हुई तालिका से आप यह पता लगा सकती हैं कि आपके बच्चे के दूध के दाँत लगभग किस आयु में निकलेंगे और किस आयु में गिरना शुरू होंगे, आइए जानते हैं;
ऊपर के दाँत | दाँत निकलने की आयु | दाँत गिरने की आयु |
कृन्तक (सेंट्रल इंसाइजर) – सामने के दो काटने वाले दाँत | 8-12 माह | 6-7 वर्ष |
पार्श्व कृन्तक (लेटरल इंसाइजर) – बगल वाले काटने के दाँत | 9-13 माह | 7-8 वर्ष |
भेदक (कैनाइन) – किनारे वाले फाड़ने के दाँत | 16-22 माह | 10-12 वर्ष |
आगे के चव (फर्स्ट मोलर) – आगे के चबाने के दाँत | 13-19 माह | 9-11 वर्ष |
पीछे की चव (सेकंड मोलर) – पीछे के चबाने के दाँत | 25-33 माह | 10-12 वर्ष |
नीचे के दाँत | दाँत निकलने की आयु | दाँत गिरने की आयु |
आगे के चव (फर्स्ट मोलर) – आगे के चबाने के दाँत | 14-18 माह | 9-11 वर्ष |
पीछे की चव (सेकंड मोलर) – पीछे के चबाने के दाँत | 23-31 माह | 10-12 वर्ष |
भेदक (कैनाइन) – किनारे वाले फाड़ने के दाँत | 17-23 माह | 9-12 वर्ष |
पार्श्व कृन्तक (लेटरल इंसाइजर) – बगल वाले काटने के दाँत | 10-16 माह | 7-8 वर्ष |
कृन्तक (सेंट्रल इंसाइजर) – सामने के दो काटने वाले दाँत | 6-101 माह | 6-7 वर्ष |
*ऊपर दी हुई तालिका में दूध के दाँत गिरने की आयु के बारे में एक सामान्य जानकारी दी हुई है। इसमें लिखी हुई आयु एक संभावित संख्या है सही आयु इससे कुछ अलग भी हो सकती है।
जबड़े में स्थाई दाँत आने के पहले ही बच्चों के दूध के दाँत गिरने शुरू हो जाते हैं। दूध के दाँत की जड़ें ही स्थाई दाँतों के निकलने की जगह होती है। यदि बच्चे का पहला दाँत 7 साल की उम्र में नहीं गिरना शुरू होता है तो दंत चिकित्सक से चर्चा करने और साथ ही एक्स–रे करवाने की भी सलाह दी जाती है। कभी–कभी दूध के दाँतों का अतिरिक्त विकास स्थायी दाँतों को अपना रास्ता बनाने के लिए बाधित करते हैं।
कई मामलों में दाँत बिना अधिक दर्द या असुविधा के निकल जाता है। तिरछे दाँतों में अधिक छेड़–छाड़ करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि वह मसूड़ों को तकलीफ पहुँचा सकता है और इसके कारण अत्यधिक दर्द भी हो सकता है। बच्चों के दूध के दाँत गिरने का बेहतरीन तरीका प्राकृतिक ही है। यदि आप अपने बच्चे के दाँत हिलते हुए देखती हैं तो उसे दिनभर में कई बार ब्रश करने के लिए कहें (लगभग 2 या 3 बार)। अत्यधिक बार ब्रश करने से बच्चों के हिलते हुए दूध के दाँत जल्दी ही गिर जाते हैं। आप अपने बच्चे को उसके हिलते हुए दाँतों में बार–बार जीभ लगाने को भी कह सकती हैं और यह करना उसे अच्छा भी लगेगा। यदि बच्चे का दाँत अत्यधिक हिल रहा है और बच्चा उसके कारण अत्यधिक परेशान हो रहा है तो आप एक मुलायम कपड़े से उसके दाँत को आराम से निकाल सकती हैं।
बच्चों के दाँतों की देखभाल करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनके लिए हर चरण में ब्रश करना आवश्यक है। बच्चों के गिरते हुए दाँतों में भी ब्रश करने के कुछ निम्नलिखित कारण दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;
दाँत निकलना शुरू होते ही आप अपने बच्चे को ब्रश करवाना शुरू कर सकती हैं, हालांकि आपको बच्चों के लिए टूथपेस्ट का उपयोग करने से बचना चाहिए। बच्चे के दाँतों में फंसे हुए भोजन को निकालने के लिए एक छोटा सा ब्रश भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। बच्चे को 2 वर्षीय आयु से ही ठीक से ब्रश करवाएं, जब वह अच्छी तरह से थूकना सीख जाता है।
अपने बच्चे के पहले जन्मदिन के बाद से आप उसे दंत चिकित्सक के पास लेकर जा सकती हैं। हालांकि यदि आपको लगता है कि डॉक्टर के पास जल्दी जाना चाहिए तो आप वह भी कर सकती हैं। यदि आपको दाँतों की कोई सामान्य समस्या समझ आती है, जैसे दूध के दाँत जल्दी गिरना या दाँत समय पर वापस नहीं निकल रहे हैं तो आप दंत चिकित्सक से चर्चा कर सकती हैं।
बच्चों के दाँतों की स्वच्छता व स्वास्थ्य को बनाए रखने की सलाह दी जाती है ताकि आपका बच्चा अपनी प्यारी सी मुस्कराहट को बरकरार रखे। यद्यपि दाँतों की ज्यादातर समस्याएं पूरी देखभाल और स्वच्छता से की जानी चाहिए और दाँतों से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए चिकित्सीय सलाह अवश्य लें।
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