हेपेटाइटिस मूल रूप से लीवर की सूजन होती है। शिशुओं और बच्चों की तुलना में हेपेटाइटिस वयस्कों को अपना शिकार अधिक बनाती है। इस बीमारी के कई प्रकार होते हैं, जिनके नाम हैं, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई। वैसे तो यह एक वायरस के कारण होता है, लेकिन यह दूसरे स्रोतों से भी हो सकता है। इस बीमारी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें। 

हेपेटाइटिस क्या होता है?

हेपेटाइटिस एक वायरल बीमारी है। प्रकृति से यह संक्रामक होती है और यह माँ से बच्चे को हो सकती है। अगर हेपेटाइटिस का पता ना चले, तो इससे बाद में वयस्कों को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें लिवर की खराबी और लिवर सिरोसिस से लेकर मृत्यु तक शामिल है। बच्चे आमतौर पर कुछ विशेष दवाओं, वंशानुगत बीमारियों या संक्रामक पदार्थों के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस से इन्फेक्टेड हो सकते हैं। 

शिशुओं और बच्चों में हेपेटाइटिस कितना आम है?

हेपेटाइटिस ए शिशुओं और बच्चों में आम होता है। यह इन्फेक्टेड सी फूड से होता है, इसलिए यह जरूरी है, कि सेवन किया जाने वाला सी फूड स्वच्छ स्रोतों से प्राप्त किया जाए। मल में भी वायरस हो सकते हैं, यही कारण है कि शिशुओं और बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए अच्छी सफाई और हेल्थ केयर रूटीन को अपनाना जरूरी होता है। 

हेपेटाइटिस का खतरा किन बच्चों को होता है?

अगर सावधानी न बरती जाए, तो नीचे दिए गए बच्चों को हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है: 

  • जिन बच्चों की माँओं को हेपेटाइटिस हो
  • वैसे बच्चे जो हेपेटाइटिस से इन्फेक्टेड व्यक्ति के मल के संपर्क में आते हैं। ऐसा भोजन करते हैं, जिसे पकाने से पहले हाथ न धोए गए हों।
  • दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और चीन जैसी जगहों में रहने वाले बच्चे जहाँ भारी संख्या में लोग हेपेटाइटिस से इन्फेक्टेड हों।
  • वैसे बच्चे जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन से गुजरते हैं या ब्लड प्रोडक्ट इनजेस्ट कर लेते हैं।
  • वैसे बच्चे जिन्हें हिमोफीलिया जैसी खून के थक्के बनने की बीमारी होती है।
  • वैसे डे केयर सेंटर में रहने वाले बच्चे जहाँ साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है और उन्हें लंबे समय तक गंदे डायपर और गंदे कपड़े पहनाए जाते हैं या संपर्क में रखा जाता है।
  • किडनी फेल्योर से प्रभावित बच्चे जिन्हें डायलिसिस की जरूरत हो, कम इम्युनिटी के कारण इसके शिकार हो सकते हैं।
  • जो बच्चे इन्फेक्टेड सुई से अवैध ड्रग्स लेते हों।
  • मल से इन्फेक्टेड पानी पीने वाले बच्चे।
  • वैसे टीनएजर बच्चे जो असुरक्षित यौन संबंध बनाते हैं।

विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस

वायरस के प्रकार के अनुसार हेपेटाइटिस को इसके अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया  है। विभिन्न प्रकार के वायरस में ए, बी, सी, डी और ई शामिल हैं। 

1. बच्चों में हेपेटाइटिस ए

लक्षण

बच्चों में हेपेटाइटिस ए को निम्नलिखित लक्षणों से पहचाना जाता है: 

  • बुखार
  • मतली
  • उल्टी
  • भूख न लगना
  • हमेशा रहने वाली थकान
  • त्वचा और आँखों का पीलापन

कारण

बच्चों में हेपेटाइटिस ए का इन्फेक्शन निम्नलिखित स्रोतों से होता है: 

  • इन्फेक्टेड फल, सब्जियां, सीफूड और दूसरे खाद्य पदार्थ
  • बिना हाथ धोए बनाए गए खाने का सेवन
  • एक माँ जो कि पहले से ही हेपेटाइटिस ए से इन्फेक्टेड हो

यह कैसे फैलता है?

बच्चों में हेपेटाइटिस ए निम्नलिखित कारणों से फैलता है: 

  • हेपेटाइटिस ए से इन्फेक्टेड स्रोत या पदार्थ को छूना, जैसे मल या गंदे डायपर
  • दूषित पानी पीना
  • हेपेटाइटिस ए से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आना

खतरे

अगर हेपेटाइटिस ए का इलाज न किया जाए तो यह कई महीनों तक रह सकता है। इसके खतरों में भूख की कमी, पेट में दर्द, थकान और कमजोरी शामिल हैं। हेपिटाइटिस ए वैक्सीन लगाने के बाद साइड इफेक्ट सुई के कारण बाँह में होने वाला दर्द और थकान होता है, जो कि आमतौर पर 1 से 2 दिन के बीच ठीक हो जाता है। 

पहचान

इस बीमारी की पहचान एचएवी आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट के द्वारा की जाती है, जो कि इन्फेक्शन के शुरुआती स्तर की पहचान करता है। यह जांच हालिया इन्फेक्शन के साथ-साथ गंभीर हेपेटाइटिस की पहचान करने के लिए भी की जाती है। यह एचएवी आईजीजी टेस्ट एक अनुक्रमिक पहचान टेस्ट होती है, जो कि एचएवी आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट के साथ मिलाकर की जाती है। एचएवी आईजीजी टेस्ट इस बीमारी के बाद के स्तरों के दौरान पैदा होने वाले एंटीबॉडीज का पता लगाती है। 

शिशुओं और बच्चों में प्रचलित हेपेटाइटिस ए की विस्तृत पहचान के लिए वायरल हेपिटाइटिस टेस्ट के साथ-साथ बिलीरुबिन, लिवर पैनल, एएलटी, और एएसटी से संबंधित जांच भी किए जाते हैं। 

इलाज

इस बीमारी के पूरे इलाज के लिए कोई विशेष थेरेपी उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज सपोर्टिव होता है और यह बीमारी एक शॉर्ट-टर्म कंडीशन होती है, जो कि कुछ सप्ताह से कुछ महीनों में अपने आप ही चली जाती है। 

बचाव

समुदायों में हेपेटाइटिस ए की रोकथाम और इससे बचाव के लिए बच्चों को हेपिटाइटिस ए वैक्सीन लगाने की सलाह दी जाती है। जिसके अनुसार 12 से 23 महीने की आयु में पहली खुराक और उसके 6 से 18 महीने के बाद दूसरी खुराक दी जाती है। यह वैक्सीन उन टीनएजर बच्चों और कम उम्र के वयस्कों को भी देने की सलाह दी जाती है, जो कि हेपेटाइटिस ए के संक्रमण से प्रभावित इलाकों में रहते हैं। 

2. बच्चों में हेपेटाइटिस बी

लक्षण

इन्फेक्टेड बच्चों में नीचे दिए गए लक्षण दिखते हैं, जो कि वायरस से इन्फेक्टेड होने के 3 से 4 महीने के बाद दिखते हैं: 

  • जोड़ों, मांसपेशियों और पेट में दर्द
  • मतली
  • डायरिया
  • उल्टी
  • जौंडिस
  • रैश
  • एनर्जी में कमी
  • थकान
  • पेशाब का रंग गहरा होना
  • बुखार
  • आँखों और त्वचा का पीलापन

कारण

बच्चों में हेपेटाइटिस बी नीचे दिए गए कारणों से होता है: 

  • अगर माँ प्रेगनेंसी के दौरान साथी के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाती है
  • हेपेटाइटिस बी से इन्फेक्टेड खून के संपर्क में आने से
  • हेपेटाइटिस बी से इन्फेक्टेड लोगों के संपर्क में आने से
  • दवा, सुई या अन्य घरेलू वस्तुओं को हेपेटाइटिस बी से इन्फेक्टेड व्यक्ति के साथ शेयर करने से

यह कैसे फैलता है?

हेपेटाइटिस बी संक्रामक होता है और यह शरीर के तरल पदार्थों द्वारा एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैल सकता है या फिर इन्फेक्टेड व्यक्ति के तरल पदार्थ जिसमें खून की थोड़ी मात्रा हो, उससे भी यह फैल सकता है। बच्चे इस वायरस से निम्नलिखित स्रोतों से इन्फेक्टेड हो सकते हैं : 

  • जिनकी माँएं पहले से ही हेपेटाइटिस बी से इन्फेक्टेड हों और इस बीमारी की वाहक हों
  • एक इन्फेक्टेड व्यक्ति के खुले घावों को हाथ लगाने से
  • अनजाने में एक इन्फेक्टेड व्यक्ति के रेजर, टूथब्रश, नेल क्लिपर्स, बॉडी ज्वेलरी और अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं, जिन पर थोड़ा-सा भी खून लगा हो, को छूने से।
  • हेपेटाइटिस बी छींकने, खाँसी, गले लगने या स्तनपान से नहीं फैलता है। हालांकि वायरस लार में पाया जा सकता है, पर यह किस करने या बर्तन साझा करने से फैलता नहीं है।

खतरे

अगर हेपेटाइटिस बी का इलाज न किया जाए, तो इससे बच्चों में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं और आगे जाकर जान को खतरा हो सकता है। हेपेटाइटिस बी की स्थिति अगर इसी तरह बनी रहे, तो लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर भी हो सकता है। 

पहचान

मुख्य रूप से हेपेटाइटिस बी की पहचान रूटीन टेस्ट और स्टैंडर्ड ब्लड टेस्ट द्वारा की जाती है, जिसमें इस वायरस से जुड़े हुए एंटीबॉडीज और एंटीजेन की उपस्थिति की जांच की जाती है। जो लोग एक्यूट हेपिटाइटिस बी से ग्रसित होते हैं, उनमें लिवर एंजाइम टेस्ट और लिवर बायोप्सी टेस्ट किया जाता है। 

इलाज

कम उम्र के दौरान बच्चों में किया जाने वाला वैक्सीनेशन, हेपेटाइटिस बी के खिलाफ एक असरदार इलाज और बचाव है। जो बच्चे विश्व में हेपेटाइटिस बी से प्रभावित स्थानों की यात्रा करते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस बी के टीके जरूर लगाने चाहिए। 

बचाव

कम उम्र में शिशुओं और छोटे बच्चों का वैक्सीनेशन हेपेटाइटिस बी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। भविष्य में हेपेटाइटिस बी के खतरे से बचने के लिए बच्चों को जन्म के बाद शुरुआती जीवन काल में वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए। 

3. बच्चों में हेपेटाइटिस सी

लक्षण

बच्चों में हेपेटाइटिस सी के आम लक्षण इस प्रकार हैं

  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
  • थकावट
  • लगातार तेज बुखार
  • आँखों और त्वचा का पीलापन
  • गहरे रंग का पेशाब

कारण

बच्चों में हेपेटाइटिस सी उन माँओं से होता है, जो पहले से ही इस वायरस से इन्फेक्टेड होती हैं और गर्भावस्था के दौरान यह इन्फेक्शन बच्चे तक पहुँच जाता है। जिन बच्चों में हिमोफीलिया जैसी खून के थक्के बनने की समस्या होती है और किडनी फंक्शन के फेल होने के कारण डायलिसिस की जरूरत होती है, उन्हें हेपेटाइटिस सी का ज्यादा खतरा होता है। 

यह कैसे फैलता है

अगर एक माँ गर्भावस्था के दौरान हेपिटाइटिस सी से प्रभावित होती है, तो यह वायरस माँ से बच्चे में फैल जाता है। यह इन्फेक्शन स्वभाव से संक्रामक होता है और यह शरीर के तरल पदार्थों और पर्सनल वस्तुओं का इस्तेमाल करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल जाता है। 

खतरे

क्रॉनिक हेपिटाइटिस सी का अगर इलाज न किया जाए, तो इससे लिवर सिरोसिस या फिर मृत्यु भी हो सकती है। हैपेटिक एन्सेफेलोपैथी नामक एक स्थिति के कारण बोध प्रक्रिया से संबंधित दुर्बलता हो सकती है, जिसमें लिवर की खराबी के कारण दिमाग में टॉक्सिन बनने लगते हैं। 

पहचान

आपके डॉक्टर आपके बच्चे के लिवर के क्षेत्र की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन कर सकते हैं। लिवर एंजाइम, लिवर फंक्शन, ब्लड सेल काउंट और कोएगुलेशन टेस्ट के लिए रूटीन ब्लड टेस्ट किए जाते हैं, ताकि बच्चों में हेपेटाइटिस सी की पहचान हो सके। 

इलाज

एंटीवायरल कुछ दवाओं के साथ मदद कर सकते हैं, लेकिन हेपेटाइटिस सी को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है समय के साथ खराब रोग का निदान होता है।

बचाव

इसके दूसरे वायरल प्रकारों की तरह ही, इन्फेक्टेड स्रोतों के संपर्क में आने से बचना ही, इसके बचाव का बेहतरीन तरीका है। बच्चों को इस बीमारी से बचाने के सबसे प्रभावी तरीके हैं, इन्फेक्टेड भोजन और पानी से बचना और वायरस से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना। 

4. बच्चों में हेपेटाइटिस डी

लक्षण

हेपेटाइटिस डी के लक्षण हेपेटाइटिस बी के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं। यहां पर इसके कुछ लक्षण दिए गए हैं: 

  • जोड़ों का दर्द
  • भूख में कमी
  • लगातार थकान
  • पेशाब का गहरा रंग
  • मतली
  • उल्टी
  • पेट का असामान्य दर्द

कारण

हेपेटाइटिस डी अपने आप नहीं होता है, यह हेपेटाइटिस बी संक्रमण से ही होता है। 

यह कैसे फैलता है?

यह शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से या हेपेटाइटिस डी से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है। हेपेटाइटिस डी से इन्फेक्टेड बलगम के संपर्क में आने से यह बीमारी दूसरों को भी हो सकती है। 

खतरे

हेपेटाइटिस डी के इन्फेक्शन के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है और इससे बचने के लिए जन्म के बाद आपके बच्चे का वैक्सीनेशन करवाना ही एकमात्र तरीका है। यदि हेपेटाइटिस डी इन्फेक्शन छह महीने से अधिक समय तक रहता है, तो इसे क्रोनिक हेपेटाइटिस डी के रूप में जाना जाता है। ऐसे मामलों में कॉम्प्लीकेशंस की अधिक संभावना होती है, जैसे सिरोसिस, या लिवर का गंभीर रूप से खराब होना।

पहचान

हेपेटाइटिस डी की पहचान ब्लड टेस्ट द्वारा की जाती है, जिसके द्वारा हेपेटाइटिस डी के लिए एंटीबॉडी की पहचान की जाती है। इस बीमारी के संकेतों की जांच के लिए ब्लड टेस्ट के साथ-साथ एक लिवर फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है। 

इलाज

हेपेटाइटिस डी के इलाज के लिए, अलग से कोई वैक्सीनेशन उपलब्ध नहीं है। शुरुआती वैक्सीनेशन के द्वारा हेपिटाइटिस बी से बचाव करके ही हेपेटाइटिस डी से बचा जा सकता है। 

बचाव

असुरक्षित सेक्स से बचाव या बच्चों को हेपेटाइटिस बी से इन्फेक्टेड शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से बचाकर ही हेपेटाइटिस डी की संभावना से बचा जा सकता है। 

5. बच्चों में हेपेटाइटिस ई

लक्षण

हेपेटाइटिस ई के लक्षण हेपेटाइटिस के दूसरे प्रकारों के लक्षणों जैसे ही होते हैं। बच्चों में हेपेटाइटिस ई के जाने-माने लक्षण नीचे दिए गए हैं: 

  • मतली
  • उल्टी
  • डायरिया
  • पेट में दर्द
  • हल्का बुखार
  • जौंडिस (त्वचा और आँखों का पीलापन)
  • थकावट
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

कारण

औद्योगीकरण के क्षेत्रों में कच्चे इन्फेक्टेड मीट के द्वारा हेपेटाइटिस ई फैलता है। हेपेटाइटिस ई गर्भावस्था के दौरान इन्फेक्टेड माँओं से बच्चों में फैलता है, इसलिए हेपेटाइटिस ई के संपर्क में आने से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। 

यह कैसे फैलता है?

खाना पकाने या परोसने से पहले और बाद हाथों को अच्छी तरह से न धोना, हेपेटाइटिस ई से इन्फेक्टेड मल के संपर्क में आना, इस इन्फेक्शन के फैलने के प्रमुख कारण हैं। 

खतरे

हेपेटाइटिस के दूरगामी खतरे नहीं होते हैं, सिवाय लिवर फेलियर के, जिसमें तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करने और इलाज शुरू करने की जरूरत होती है। आमतौर पर हेपेटाइटिस ई इन्फेक्शन 4 से 6 सप्ताह के बीच के अंतराल जैसे छोटे समय तक रहता है। 

पहचान

हेपेटाइटिस ई की पहचान के लिए डॉक्टर कई ब्लड टेस्ट करते हैं, जिसमें खून में किसी खास एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच की जाती है। 

इलाज

इस बीमारी के इलाज के लिए कोई वैक्सीन या इलाज का तरीका उपलब्ध नहीं है। 

बचाव

उचित साफ-सफाई और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर हेपेटाइटिस ई से बचा जा सकता है। सफाई की आदतें, जैसे अच्छी तरह हाथ धोना, साफ पानी का इस्तेमाल करना जो कि इन्फेक्शन से मुक्त हो और परोसने से पहले खाने की चीजों और उनकी क्वालिटी की जांच करना, हेपेटाइटिस ई से बचने के कारगर तरीके हैं। 

हालांकि हेपेटाइटिस के कारण बच्चों में लिवर फेलियर और लिवर की खराबी जैसी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इससे बचाव के लिए उचित सावधानियां और सही कदम उठाकर इससे बचा जा सकता है। अपने बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए उसके खानपान का ध्यान रखें और समय पर वैक्सीन लगवाएं। 

यह भी पढ़ें: 

बच्चों में टीबी (क्षय रोग) – कारण, निदान और उपचार
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज – कारण, लक्षण और उपचार
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज – कारण, लक्षण और उपचार

पूजा ठाकुर

Recent Posts

सारिका नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sarika Name Meaning in Hindi

क्या आप अपनी बेटी के लिए एक ऐसा नाम ढूंढ रहे हैं जो सुनते ही…

1 day ago

जया नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jaya Name Meaning in Hindi

हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनकी बेटी जिंदगी में खूब तरक्की करे और उसका…

1 day ago

35+ पत्नी के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Wife in Hindi

यह बात तो बिलकुल सत्य है कि पति के जीवन में पत्नी की भूमिका ऐसी…

1 day ago

35+ माँ और बेटे के बंधन पर कोट्स, स्टेटस और मैसेज | Mother And Son Bonding Quotes, Status And Messages In Hindi

माँ और बच्चे का रिश्ता दुनिया के सबसे खूबसूरत और गहरे रिश्तों में से एक…

1 day ago

बांझपन के उपचार में हल्दी के फायदे l Banjhpan Ke Liye Haldi ke Fayde

जो शादीशुदा जोड़े बच्चा करने के बारे में निर्णय लेते हैं उन्हें यह मालूम होना…

1 day ago

तेजस्वी नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Tejasvi Name Meaning in Hindi

हर मम्मी-पापा का सपना होता है कि जब उनका बच्चा इस दुनिया में आए, तो…

1 day ago