बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में मलेरिया – कारण, लक्षण और उपचार

मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो छोटे बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करती है। यह एनाफिलीज नाम के मादा मच्छर के काटने से होता है। इस इंफेक्शन से शिशु और बच्चों में बुखार, ठंड लगना और फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। मलेरिया का इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसमें तुरंत एक्शन लेने की जरूरत होती है। अगर यह इंफेक्शन गंभीर हो जाए, तो इससे दौरे, किडनी फेलियर, कोमा और यहां तक कि मृत्यु जैसे कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं। 

यह सलाह दी जाती है, कि आप मलेरिया से बचाव के लिए ’एबीसीडी’ तरीके को फॉलो करें। ‘एबीसीडी’ में ‘ए’ का अर्थ है अवेयरनेस यानि जागरूकता, ‘बी’ का अर्थ है बाइट प्रीवेंशन यानि मच्छर के काटने से बचाव, ’सी’ का अर्थ है कीमोप्रॉफायलैक्सिस यानी एंटी मलेरिया दवा लेना और ‘डी’ का अर्थ है डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट यानी निदान और उपचार, जो कि तुरंत होने चाहिए। 

बच्चों में मलेरिया, इसके फैलाव, लक्षण, पहचान और इलाज आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए लेख को आगे पढ़ें। 

मलेरिया क्या है?

मलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो कि प्लाज्मोडियम नमक पैरासाइट के कारण होती है। यह पैरासाइट एनाफिलीज मच्छर को संक्रमित कर देता है, जो कि इंसानों पर हमला करता है। मादा मच्छर इस पैरासाइट के वाहक होते हैं। ये मच्छर अधिकतर शाम से सुबह के बीच काटते हैं। 

मलेरिया शरीर में इम्यून सिस्टम को तोड़ देता है और बच्चों के विकास को रोककर उन्हें प्रभावित करता है। यह बीमारी आमतौर पर ट्रॉपिकल यानी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। कुछ बच्चों में मलेरिया के कारण हल्की बीमारी के लक्षण दिखते हैं, वहीं कुछ बच्चों में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। 

मलेरिया पैदा करने वाले प्लाज्मोडियम मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं और इसमें एक नया रूप भी शामिल है जिसका पता हाल ही में चला है। वे इस प्रकार हैं:

1. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (पी.फाल्सीपेरम)

यह अधिकतर ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाया जाता है। मलेरिया से संबंधित गंभीर मामलों में ज्यादातर मामलों के पीछे यही कारण होता है।

2. प्लाज्मोडियम विवेक्स (पी.विवेक्स)

यह ज्यादातर एशिया और लैटिन अमेरिका में पाया जाता है। फाल्सीपेरम की तुलना में इसके लक्षण सौम्य होते हैं। यह निष्क्रिय अवस्था में कई वर्षों तक रह सकता है। इस कारण यह बार-बार दिख सकता है। 

3. प्लाज्मोडियम ओवेल (पी.ओवेल)

यह अधिक कॉमन नहीं है और ज्यादातर प्रशांत महासागर के द्वीपों और पश्चिमी अफ्रीका में पाया जाता है। 

4. प्लाज्मोडियम मलेरियाए (पी.मलेरियाए)

यह काफी दुर्लभ होता है। यह पश्चिमी अफ्रीका में पाया जाता है और इसके कारण क्रोनिक संक्रमण होते हैं। 

5. प्लाज्मोडियम नॉलेसी (पी.नॉलेसी)

हाल ही में सामने आने वाली यह स्पीशीज दुर्लभ है और यह दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। इसमें मामूली स्वरूप से गंभीर स्वरूप में तेजी से प्रगति करने की क्षमता होती है। 

छोटे बच्चों और टॉडलर के शरीर में मलेरिया कैसे फैलता है?

मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट के कारण होता है, जिसे एनाफिलीज नामक मादा मच्छर कैरी करती है। जब पैरासाइट से संक्रमित यह मादा मच्छर बच्चों और बड़ों को काटती है, तब यह फैलता है। 

मच्छरों के काटने के अलावा ब्लड ट्रांसफ्यूजन या सुई शेयर करने से भी मलेरिया फैल सकता है। मलेरिया संक्रमण के फैलने के विभिन्न माध्यम यहां पर दिए गए हैं:

1. मच्छर का काटना

  • जब एक असंक्रमित एनाफिलीज मच्छर मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटती है, तो यह मलेरिया के माइक्रोस्कोपिक पैरासाइट युक्त खून को चूसती है और संक्रमित हो जाती है।
  • जब यह संक्रमित मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटती है, तो यह संक्रमण उसके खून में चला जाता है।
  • पैरासाइट व्यक्ति के लिवर तक चला जाता है, जहां वह बढ़ता है और अपनी संख्या बढ़ाता है। अक्सर वह एक्टिव होने से पहले कई वर्षों तक निष्क्रिय अवस्था में यहीं पर रहता है।
  • जब ये पैरासाइट परिपक्व हो जाते हैं, तो ये लिवर को छोड़ देते हैं और व्यक्ति के खून में चले जाते हैं।
  • जब ये पैरासाइट खून में जाते हैं, तो ये लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। तब मलेरिया के लक्षण दिखने लगते हैं।

2. ब्लड ट्रांसफ्यूजन

चूंकि मलेरिया का कारण बनने वाले पैरासाइट लाल रक्त कोशिकाओं द्वारा कैरी किए जाते हैं, ऐसे में ये अंगों के ट्रांसप्लांट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन या संक्रमित सुई के माध्यम से भी फैल सकते हैं। 

3. अंगदान

ब्लड ट्रांसफ्यूजन की तरह मलेरिया अंगदान करने से भी हो सकता है। अगर अंगदान करने वाला व्यक्ति मलेरिया से संक्रमित हो, तो अंगदान लेने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। 

4. सुई शेयर करना

सुइयां शेयर करने से ब्लड ट्रांसफ्यूजन के द्वारा आपके शरीर को न केवल मलेरिया का, बल्कि अन्य बीमारियों का खतरा भी होता है। 

5. जन्मजात

मलेरिया से संक्रमित एक गर्भवती महिला के द्वारा यह संक्रमण डिलीवरी के दौरान या डिलीवरी के पहले भी गर्भ में पल रहे बच्चे तक जा सकता है और उसे संक्रमित कर सकता है। इसे जन्मजात मलेरिया कहते हैं। 

मलेरिया पैरासाइट का एक इनक्यूबेशन पीरियड होता है, जिसके दौरान यह व्यक्ति के शरीर में रहता है। यह समय मच्छर के काटने और लक्षणों के दिखने के बीच का होता है। यह अवधि संक्रमण के बाद 10 दिनों से लेकर 4 सप्ताह तक कुछ भी हो सकती है। मलेरिया का इनक्यूबेशन पीरियड माइक्रोब के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकता है और इसकी सूची नीचे दी गई है:

  • पी.फाल्सीपेरम: 9 से 14 दिन
  • पी.विवैक्स: 12 से 18 दिन, लेकिन कुछ स्ट्रेन 8 से 10 महीने या इससे अधिक समय तक भी इनक्यूबेशन में रह सकते हैं
  • पी.ओवेल: 12 से 18 दिन
  • पी.मलेरियाए: 18 से 40 दिन
  • पी.नॉलेसी: 9 से 12 दिन

बच्चों में मलेरिया के संकेत और लक्षण

मलेरिया से प्रभावित बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव दिख सकते हैं, जैसे उनींदापन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी और सुस्ती। कई बच्चे मतली या डायरिया की शिकायत भी कर सकते हैं। बच्चों में मलेरिया के कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं; 

1. तेज बुखार

तेज बुखार, सामान्य बुखार हो ऐसा जरूरी नहीं है। यह किसी गंभीर बीमारी या संक्रमण का एक संकेत भी हो सकता है। अगर बुखार के साथ-साथ कंपकपी और ठंड लगने के लक्षण दिखें तो यह अन्य बीमारियों के अलावा मलेरिया का एक शुरुआती संकेत भी हो सकता है। 

2. उल्टियां

मलेरिया से बच्चों में उल्टी की शिकायत हो सकती है। शरीर की प्रतिक्रिया इंफेक्शन और इसकी गंभीरता के प्रति बच्चे की संवेदनशीलता पर निर्भर करती है। 

3. सिर दर्द

बच्चों और बड़ों में सिर दर्द आम होता है, लेकिन अगर इसके साथ मलेरिया के लक्षण भी दिखते हैं, तो आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए। 

4. भूख की कमी

भूख की कमी कभी-कभी मलेरिया का एक संकेत हो सकती है, लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर आने से पहले आपको मलेरिया के अन्य लक्षणों की मौजूदगी पर भी ध्यान देना चाहिए। 

5. पेट में दर्द

कई बच्चे मलेरिया से संक्रमित होने पर पेट में दर्द और मतली की शिकायत करते हैं। चूंकि यह संक्रमण लीवर से शुरू होता है, इसलिए यह क्षेत्र सबसे पहले प्रभावित होता है। 

6. चिड़चिड़ापन और उनींदापन

बच्चे जब बीमार होते हैं या थके हुए होते हैं तब उनका चिड़चिड़ापन वाजिब है। लेकिन अगर वे लगातार चिड़चिड़े दिखें या उनींदे दिखें, तो यह किसी गंभीर समस्या का एक संकेत हो सकता है। 

7. खांसी और जुकाम

बच्चों में खांसी और जुकाम जैसी तकलीफें आम होती हैं। लेकिन आपको इनके साथ अन्य लक्षणों की मौजूदगी को भी जांचना चाहिए। अगर इनके साथ बुखार या अन्य लक्षण भी दिखते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ही सबसे अच्छा होता है 

8. नींद की कमी

हर बच्चे में मलेरिया के अलग लक्षण दिख सकते हैं। कुछ बच्चों को बहुत अधिक नींद आ सकती है, वहीं कुछ बच्चों को इनसोम्निया (नींद ना आना) भी हो सकता है। 

9. कमजोरी

अगर आपका बच्चा कमजोर महसूस कर रहा है, तो बेहतर होगा कि आप उसका चेकअप कराएं। बच्चे को मलेरिया है या नहीं, यह पता करने के लिए ब्लड टेस्ट कराना सबसे अच्छा होता है और जल्द जांच कराने से जल्द इलाज भी संभव हो पाता है। 

बच्चों में मलेरिया की संभावना को कम कैसे करें

मच्छर मलेरिया के सबसे प्रमुख कारण होते हैं। इसलिए यह जरूरी है, कि आप बच्चों को इनसे दूर रखें। शिशुओं को अपने जीवन के शुरुआती 3 महीनों में प्रभावित होने की संभावना बहुत कम होती है, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान मां के द्वारा बनाई गई इम्यूनिटी से वे सुरक्षित होते हैं। लेकिन जब वे बड़े होते जाते हैं, तब उनकी इम्यूनिटी बनने की शुरुआत दोबारा होती है, जिससे उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। यहां पर कुछ सावधानियां दी गई हैं, जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चे को मलेरिया के संक्रमण से बचा सकती हैं: 

1. अपने आसपास की जगह को मच्छरों से मुक्त रखें

अपने घर और आसपास की जगह में पानी जमने न दें, क्योंकि यहां मच्छरों के पनपने की संभावना सबसे अधिक होती है। आप एयर कूलर, छोटे तालाब, खुले नाले और पानी जमने वाली ऐसी ही अन्य जगहों पर केरोसिन ऑयल की कुछ बूंदे डाल सकती हैं। इससे मच्छर वहां पर अंडे नहीं दे पाएंगे। पानी में सिट्रोनेला तेल की कुछ बूंदे डालकर पोछा लगाने से भी मच्छर और मक्खियां दूर रहते हैं। 

2. मच्छरदानी का उपयोग

सोते समय आयु के अनुसार उचित मॉस्किटो रेपेलेंट और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। आप बच्चे की खुली त्वचा पर सिट्रोनेला ऑयल बेस्ड क्रीम भी लगा सकती हैं, क्योंकि इससे मच्छर दूर रहते हैं। 

3. मॉस्किटो मेश का इस्तेमाल

आप अपनी खिड़कियों और दरवाजों को ढकने के लिए जालियां लगवा सकती हैं। आप अलग होने वाले मॉस्किटो मेश या फिर वेल्क्रो लगे हुए मॉस्किटो मेश का चुनाव करें, इससे सफाई का काम आसान हो जाता है। 

4. बच्चे को सही रंग के कपड़े पहनाएं

ऐसा माना जाता है, कि गहरे रंग मच्छरों को आकर्षित करते हैं। इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है, कि अपने बच्चे को हल्के रंग के कपड़े पहनाएं जो कि उसे अच्छी तरह से ढक कर रखें। 

5. एयर कंडीशनर का इस्तेमाल

मच्छर आमतौर पर ठंडी जगह पर या कम तापमान पर फल फूल नहीं सकते हैं। इसलिए मच्छर के काटने की संभावना को कम करने के लिए, अपने बच्चे को ठंडी या फिर एयर कंडीशन जगह पर रखें। 

6. मच्छरों की जगह से दूर रहना

पार्क जाने के दौरान इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा झाड़ियों आदि से दूर रहे, क्योंकि ऐसी जगहों पर मच्छर बड़ी मात्रा में होते हैं। 

7. अपने आसपास की जगह पर नियमित रूप से धुआँ करें

आपको नियमित रूप से अपने घर और आसपास की जगह पर धुआँ करना चाहिए। इससे मच्छरों के खात्मे में मदद मिलती है। आप नारियल के छिलके, नारियल की छाल या नीम के पत्ते भी अपने घर के बाहर और आस पड़ोस में जला सकते हैं, इससे मच्छरों के पनपने से बचाव होगा। 

कभी-कभी इन सावधानियों के बावजूद आपका बच्चा संक्रमित हो सकता है। अगर आप ऊपर बताए गए किन्हीं लक्षणों को नोटिस करती हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जटिलताओं से बचा जा सके। मलेरिया के लिए निदान और इलाज पर चर्चा करने से पहले, आइए इसके कॉम्प्लिकेशंस पर एक नजर डालते हैं। 

मलेरिया की जटिलताएं

मलेरिया के इंफेक्शन से कई तरह के कॉम्प्लिकेशंस होने की संभावना होती है, जैसे कन्वल्जन, बेहोशी और डिहाइड्रेशन। ऐसे मामलों में प्रभावित बच्चे को तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराना जरूरी है। उन्हें सांस लेने के लिए असिस्टेंट और तरल पदार्थों पर रखने की जरूरत हो सकती है। मलेरिया के कारण शरीर को होने वाले हाई रिस्क जोखिम इस प्रकार हैं: 

1. ब्रेन टिशू इंजरी

कुछ मामलों में जब मलेरिया मस्तिष्क को प्रभावित करता है, तो इसके कारण मस्तिष्क में सूजन हो सकती है या फिर परमानेंट ब्रेन डैमेज या कोमा की स्थिति भी आ सकती है। 

2. दौरे (चेतना का क्षतिग्रस्त होना) या सेरेब्रल मलेरिया

सेरेब्रल मलेरिया गंभीर फाल्सीपेरम इंफेक्शन के मामले में मृत्यु का प्रमुख कारण है। इस जटिल इंफेक्शन के लक्षणों में अप्रत्याशित सीमा तक दौरे पड़ना शामिल है। 

3. रेनल इंपेयरमेंट

कुछ दुर्लभ मामलों में मलेरिया के कारण एक्यूट रेनल फेलियर (एआरएफ) हो सकता है, जो कि ज्यादातर पी.फाल्सीपेरम इन्फेक्शन के कारण होता है। कभी-कभी पी.विवेक्स और पी.मलेरियाए भी मलेरिया के मरीजों में रेनल इंपेयरमेंट यानि गुर्दे की खराबी का कारण बन सकते हैं। नॉन इम्यून एडल्ट और बड़े बच्चों में यह सबसे आम होता है। 

4. एनीमिया

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रेड ब्लड कॉरपसल्स शरीर के अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ले जाने में अक्षम होते हैं। इससे कमजोरी और उनींदेपन का एहसास होता है। मलेरिया पैरासाइट के द्वारा रेड ब्लड सेल्स के कम होने के कारण गंभीर एनीमिया हो सकता है। 

5. पलमोनरी एडिमा

कभी-कभी मलेरिया के कारण फेफड़ों में फ्लुइड रिटेंशन हो सकता है। इस स्थिति को पलमोनरी एडिमा कहते हैं और इसके कारण सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। 

6. ब्लड शुगर कम होना

यह एक गंभीर जटिलता है, जो कि अक्सर गंभीर इंफेक्शन के कारण होती है। इसके कारण कोमा की स्थिति भी आ सकती है। 

7. त्वचा का पीला पड़ जाना

मलेरिया के कारण जॉन्डिस हो सकता है, जिसकी पहचान त्वचा के पीले रंग के द्वारा की जाती है। अगर रेड ब्लड सेल्स खत्म हो जाएं या डैमेज हो जाएं तो ऐसा देखा जाता है। 

8. स्प्लेनिक रप्चर

मलेरिया में स्पलीन का बड़ा हो जाना आम है, लेकिन कुछ प्राणघातक स्थितियों में पी.विवेक्स के कारण गंभीर संक्रमण के कारण स्प्लेनिक रप्चर हो सकता है। 

9. हीमोग्लोबिन्यूरिया (ब्लैक वाटर फीवर)

इस स्थिति में फाल्सिपेरम के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की बड़ी संख्या फट जाती है। फिर इन कोशिकाओं से हिमोग्लोबिन यूरिन में चला जाता है, इसके कारण पेशाब का रंग गहरा लाल हो जाता है और कुछ मामलों में लगभग काला हो जाता है। 

10. हाइपोथर्मिया

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आपके बच्चे का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। इसके कारण खून के थक्के बन जाते हैं, जिससे टिशू डेथ या ऑर्गन फेलियर का खतरा हो सकता है। 

11. मल्टीपल ऑर्गन फेलियर

कुछ मामलों में गंभीर पी.फाल्सीपेरम के कारण मल्टीपल ऑर्गन फेलियर हो सकता है। इसमें किडनी, लिवर, मस्तिष्क या फेफड़ों का फेल होना शामिल हैं और यह जानलेवा हो सकता है। 

मलेरिया की पहचान

मलेरिया को तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. बिनाइन (सौम्य)
  2. मलिगनेंट (गंभीर)
  3. सेरेब्रल मलेरिया

इनका वर्णन यहां संक्षेप में किया गया है:

1. माइल्ड या सौम्य मलेरिया

माइल्ड मलेरिया को कम जटिल मलेरिया माना जाता है क्योंकि इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। अक्सर शिशुओं में इस प्रकार के मलेरिया को पहचानना कठिन होता है, क्योंकि इसके क्लिनिकल रिपोर्ट सेप्सिस जैसी अन्य बीमारियों के जैसे ही होते हैं। यह प्लाज्मोडियम पैरासाइट के सभी स्ट्रेंस के कारण हो सकता है। 

2. मालिगनेंट या गंभीर मलेरिया

मालिगनेंट मलेरिया बहुत ही तेज गति से गंभीर मलेरिया का रूप ले सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। इस तरह के मलेरिया के पीछे फाल्सीपेरम स्ट्रेन होता है। इसका खतरा बच्चों को सबसे अधिक होता है, क्योंकि उनमें पैरासाइट के प्रति इम्यूनिटी कम होती है। इस मलेरिया के लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, ब्लड शुगर का कम होना, और गंभीर एनीमिया शामिल है। 

इसकी पहचान के लिए डॉक्टर आपके बच्चे में फ्लू के लक्षणों की मौजूदगी की जांच कर सकते हैं और ब्लड स्मियर टेस्ट कर सकते हैं। यह टेस्ट मलेरिया पैरासाइट की मौजूदगी का निर्धारण करता है। 

अगर ब्लड स्मियर टेस्ट का परिणाम पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर लिवर टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट लिवर की फंक्शनिंग को चेक करता है और वह स्वस्थ है या नहीं इस बात का निर्धारण करता है। 

आपके बच्चे के कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) टेस्ट के द्वारा यह देखने में मदद मिलती है, कि क्या उसके रेड ब्लड सेल्स को कोई नुकसान पहुंचा है। 

3. सेरेब्रल मलेरिया

इस प्रकार का इन्फेक्शन केवल प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के द्वारा होता है। इस स्थिति में संक्रमित बच्चे के मस्तिष्क में सूजन आ सकती है। इसमें गंभीर लक्षण दिखते हैं और यह जानलेवा भी हो सकता है। 

बच्चों के लिए मलेरिया वैक्सीन

मलेरिया पैरासाइट के द्वारा होने वाले संक्रमण को ठीक करने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है। मलेरिया पैरासाइट प्लाज्मोडियम एक जटिल ऑर्गेनिज्म है और इसकी लाइफ साइकिल काफी जटिल होती है। इसके अलावा मलेरिया के खिलाफ इंसानों की रक्षा करने वाले जटिल इम्यून को भी अब तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है। पूरे विश्व के कई वैज्ञानिक मलेरिया के लिए एक प्रभावी वैक्सीन बनाने के लिए काम कर रहे हैं। अब तक आरटीएस, एस/एएस01 उपलब्ध सबसे एडवांस विकल्प है और इसे मलेरिया के लिए सबसे कारगर वैक्सीन माना जाता है। 

बच्चों में मलेरिया का इलाज

मलेरिया के लिए इलाज में मुख्य रूप से दवा देना और एक स्वस्थ आहार लेना शामिल है। आमतौर पर डॉक्टर क्विनाइन या क्लोरोक्वाइन बेस्ड एंटीमलेरियल दवाएं प्रिसक्राइब करते हैं, जो कि मलेरिया के प्रकार और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। इनके अलावा ऐसे कई मापदंड हैं, जिन्हें आप बच्चे में मलेरिया के लक्षण दिखने के साथ ही अपना सकते हैं और अपने बच्चे की मदद कर सकते हैं। इनमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं: 

1. पर्याप्त आराम

मलेरिया जैसी बीमारियों के कारण कमजोरी और गंभीर थकावट का अनुभव हो सकता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है, कि आपका बच्चा अगर संक्रमित है तो वह भरपूर आराम करे। 

2. भरपूर पौष्टिक भोजन और पानी देना

मलेरिया या ऐसी ही किसी अन्य बीमारी से लड़ते हुए यह जरूरी है, कि शरीर मजबूत और स्वस्थ हो। इसलिए आपको अपने बच्चे को हेल्दी खाना देने की जरूरत है। 

3. बुखार कम करने के लिए दवा और स्पंजिंग

आपको बच्चे के तापमान को मॉनिटर करने की सलाह दी जाती है। बुखार के मामले में इस बात का ध्यान रखें, कि आप नियमित रूप से उसके शरीर को स्पंज करें और शरीर के तापमान को कम करने का प्रयास करें। बच्चे को पेरासिटामोल या बुखार की कोई अन्य दवा देने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। 

4. एंटी मलेरियल दवाएं

गंभीर इंफेक्शन की स्थिति में बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती हैं। उसे एंटीमलेरियल दवाएं दी जा सकती हैं, जिन्हें या तो खाया जा सकता है या फिर इंजेक्शन के द्वारा दिया जा सकता है। यहां पर कुछ एंटीमलेरियल दवाएं दी गई हैं, जिन्हें डॉक्टर इंफेक्शन की गंभीरता और क्लोरोक्वाइन के प्रति शरीर की प्रतिरोधकता के आधार पर दे सकते हैं: 

  • क्लोरोक्वाइन (एरालेन)
  • मेफ्लोक्वाइन (लारिअम)
  • डॉक्सीसाइक्लिन (वायब्रामायसिन)
  • एटोवाक्योन (मेप्रीन)
  • प्रोग्वानिल (मेलारोन)
  • प्रायमक्वाइन
  • क्विनाइन
  • हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (प्लाक्वेनिल)
  • आर्टेमीदर एंड लूमफेंट्रिन (क्वार्टेम)
  • क्लिंडामाइसिन (क्लेओसिन)

मलेरिया के दूरगामी परिणाम और ठीक होने में लगने वाला समय

मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें अभी भी काफी रिसर्च करने की जरूरत है, ताकि इसका एक ठोस इलाज मिल सके और इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सके। मलेरियल पैरासाइट पी.ओवेल और पी.विवेक्स अक्सर लिवर में छिप जाते हैं और कई सप्ताह, महीनों या फिर वर्षों तक भी निष्क्रिय रह सकते हैं। इसका मतलब है, कि मलेरिया का संक्रमण दोबारा दिखना संभव है। यहां पर मलेरिया के लंबे समय में दिखने वाले कुछ असर दिए गए हैं:

  • अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन की रिव्यू सजेस्ट करते हैं, कि बच्चों में मलेरिया उनके सामान्य बोध ज्ञान और व्यावहारिक विकास को प्रभावित करता है।
  • एनसीबीआई साइट (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन यूएसए) पर पब्लिश डिटेल के अनुसार, सेरेब्रल मलेरिया बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी डिसऑर्डर का कारण बन सकता है, जो कि इस्केमिक न्यूरल इंजरी (टिशू की ओर जाने वाली ब्लड सप्लाई में रुकावट) के कारण हो सकता है।
  • मलेरिया इम्यून सिस्टम को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। इससे बच्चों को पूरे बचपन के दौरान बीमारियों का खतरा हो सकता है।

मलेरिया से ठीक होना

मलेरिया से रिकवरी कई तरह की बातों पर निर्भर करती है, जैसे मलेरिया का प्रकार, इलाज की शुरुआत का समय और मरीज की इम्यूनिटी। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिला और बच्चों में इम्यूनिटी कम होती है और इसलिए उन्हें लंबे समय तक इससे जूझना पड़ता है। इसके अलावा मलेरिया का प्रकार इसकी गंभीरता, संक्रमण की गंभीरता और इसकी अवधि का निर्धारण करता है। पी.मलेरियाए, जो कि धीमी गति से बढ़ता है, लंबे समय तक रह सकता है, लेकिन इसके कारण जानलेवा बीमारी नहीं होती है। कम गंभीर मलेरिया के लिए अगर तुरंत इलाज शुरू किया जाए, तो बच्चा 2 सप्ताह में ठीक हो सकता है। 

अगर आपको अपने बच्चे में मलेरिया के किसी संकेत का संदेह है, तो कृपया जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से परामर्श लें और इसका डायग्नोसिस और इलाज जल्द से जल्द शुरू करें। 

यह भी पढ़ें: 

बच्चों को चिकनगुनिया होना
बच्चों में डेंगू – संकेत, पहचान और इलाज
बच्चों में बुखार के दौरे (फेब्राइल सीजर) होना

पूजा ठाकुर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

4 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

4 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

4 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

6 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

6 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

6 days ago