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मेनिनजाइटिस मानवजाति के लिए विपत्ति पैदा करने वाली जानलेवा बीमारियों में से एक है। मेनिनजाइटिस सीधे तौर पर मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिसके कारण दौरे, ब्रेन डैमेज और मानसिक रूप से डैमेज करने वाले अन्य लॉन्ग टर्म प्रभाव देखे जाते हैं। यह स्थिति काफी घातक लगती है, लेकिन आज के समय में मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, कि मेनिनजाइटिस की पहचान समय पर हो सकती है, सुरक्षात्मक तरीके अपनाए जा सकते हैं और मेनिनजाइटिस का प्रभावी इलाज किया जा सकता है।
मेनिनजाइटिस एक बीमारी है, जो मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करती है। इन टिशूज पर अत्यधिक इन्फ्लेमेशन के रूप में इसके शुरुआती प्रभाव दिखते हैं, जो कि सीधे-सीधे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस क्षेत्र में मौजूद मेंब्रेन मेनिनजेस कहलाते हैं और उनका काम होता है मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को सुरक्षित रखना। वर्टेब्रल स्पाइन की मौजूदगी के बावजूद ये कॉर्ड को भारी झटकों से सुरक्षित रखते हैं।
छोटे और बड़े बच्चों के मामले में ऐसा देखा गया है, कि 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को मेनिनजाइटिस का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मेनिनजाइटिस के इंफेक्शन से लड़ने के लिए उनके शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है।
मुख्य रूप से मेनिनजाइटिस के दो प्रकार होते हैं:
वायरल मेनिनजाइटिस मुख्य रूप से एंटरोवायरस नाम के एक वायरस फैमिली के कारण होता है। जून से अक्टूबर के महीनों में इस संक्रमण का खतरा थोड़ा अधिक होता है। मल से किसी भी तरह के प्रत्यक्ष संपर्क, जैसे डायपर के द्वारा या फिर भोजन और पानी के द्वारा अप्रत्यक्ष संपर्क से या फिर ऐसे क्षेत्र जिनके वायरस से संक्रमित होने की संभावना हो, इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। अन्य वायरस फैमिली हवा के द्वारा या जानवरों और कीड़ों के काटने के द्वारा संक्रमण को फैलाते हैं।
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस वायरल मेनिनजाइटिस की तुलना में बदतर होता है। इस प्रकार में संक्रमण के पीछे कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं, क्योंकि इसके हर स्ट्रेन को किसी विशेष आयु के बच्चों, वैक्सीन और किसी यूनिक मेडिकल समस्या से लगाव होता है। अगर बच्चा बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस से ग्रस्त किसी व्यक्ति के संपर्क में आता है या कान या नाक के इंफेक्शन से जूझ रहा है या वह किसी अत्यधिक संदेहास्पद क्षेत्र से यात्रा करके लौटा है या उसके सिर पर चोट लगी है, तो बैक्टीरिया ऐसे बच्चों पर जल्दी हमला करता है, क्योंकि ये आसानी से संक्रमित हो जाते हैं।
बच्चों के मेनिनजाइटिस से ग्रस्त होने के पीछे कई तरह के कारण होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
ज्यादातर मेनिनजाइटिस इंफेक्शन तब होते हैं, जब ऑर्गेनिज्म सीधे संपर्क के द्वारा व्यक्ति को संक्रमित करता है। जब बच्चा किसी संक्रमित व्यक्ति या माइक्रोब्स के द्वारा संक्रमित सतहों या वस्तुओं के संपर्क में आता है, तब ये इनफेक्टर बच्चे के रेस्पिरेटरी हिस्से में अपना घर बना लेते हैं। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से शुरू होते हुए ये खून के द्वारा शरीर में फैलते हुए मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंच जाते हैं।
बच्चों में मेनिनजाइटिस के संकेतों को निम्नलिखित लक्षणों द्वारा पहचाना जा सकता है:
बच्चों में मेनिनजाइटिस के लक्षणों के बाद निम्नलिखित जांचों के द्वारा इन्फेक्शन को पहचाना जाता है:
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का सबसे गंभीर स्वरूप कई तरह की जटिलताओं का कारण बन सकता है, जो कि लंबे समय तक भी रह सकते हैं। इनमें ब्रेन डैमेज, बहरापन, दौरे और कुछ खास मामलों में विकलांगता भी शामिल है। अत्यधिक गंभीर मामलों में मेनिनजाइटिस जानलेवा भी हो सकता है।
मेनिनजाइटिस के इलाज के बाद आपका बच्चा अभी भी थकावट, सिर दर्द और सुस्ती का अनुभव कर सकता है और उसे चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। उनकी सुनने की क्षमताओं को चेक करने के लिए कुछ खास टेस्ट भी किए जा सकते हैं। अगर दुर्भाग्य से आपके बच्चे ने कुछ खास क्षेत्रों में लिम्बिक फंक्शन को खो दिया है, तो डॉक्टर आने वाली क्लीनिकल विजिट में इनकी जांच फिर से करेंगे।
मेनिनजाइटिस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है, चाइल्डहुड वैक्सीनेशन। ये किसी भी तरह के इंफेक्शन से बड़े पैमाने पर सुरक्षित रख सकते हैं। अगर बच्चे के आसपास कोई भी व्यक्ति मेनिनजाइटिस से ग्रस्त हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा है, क्योंकि वे इन्फेक्शन को दूर रखने के लिए एंटीबायोटिक प्रिसक्राइब कर सकते हैं, ताकि इससे बचाव हो सके।
मेनिनजाइटिस एक डरावनी और निर्बलता पैदा करने वाली बीमारी है, जिसके नतीजे काफी खतरनाक होते हैं। इसके बारे में पहले से ही तैयार रह कर, समय पर वैक्सीन लेकर और उनके साथ अपडेटेड रहकर और अपने बच्चे में किसी तरह के लक्षण दिखने पर उनसे बात करके, इस बीमारी को बिगड़ने से रोका जा सकता है और बच्चे को हर समय सुरक्षित और स्वस्थ रखा जा सकता है।
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