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बच्चों का शारीरिक विकास उनकी बढ़ती उम्र के साथ-साथ बदलता जाता है। ऐसे में ये बात समझना कि बच्चे का वजन उसकी उम्र और शरीर के हिसाब से ज्यादा है या नहीं, इस बात का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को लाड-प्यार के कारण ओवर ईटिंग करने पर मजबूर करते हैं और ये समझने में विफल रहते हैं कि उनका बच्चा, जो कभी गोल-मटोल और प्यारा दिखता था, उसकी उम्र तो बढ़ रही है लेकिन उसका बेबी फैट कम नहीं हो रहा और दिन-प्रति दिन वो क्यूट दिखने के बजाय मोटा होते जा रहा है। एक्स्ट्रा फैट बच्चों में डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरे पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं जिन बच्चों का वजन बहुत ज्यादा हो जाता है उन्हें अपने दोस्तों के साथ कोई भी स्पोर्ट्स खेलने या एक्टिविटी करने में परेशानी का समाना करना पड़ता है, जो उन्हें भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में उन्हें दूसरे बच्चों के द्वारा बात-बात पर परेशान किया जाता है या फिर छेड़े जाने की अधिक संभावना होती है, जिससे बच्चों पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है और उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है, इस प्रकार वे डिप्रेशन में भी जा सकते हैं।
यह जानने के लिए कि आपके बच्चे का वजन अधिक है या वह हेल्दी है, डॉक्टर बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई स्केल का उपयोग करते हैं। किसी भी व्यक्ति का बीएमआई जानने के लिए उसकी लंबाई के हिसाब से शरीर का वजन कितना होना चाहिए उसके आधार पर मापा जाता है। ये जानने के लिए कि बच्चे का वजन कम, सामान्य, या अधिक है या फिर वो मोटापे से ग्रस्त है या नहीं इसके लिए एक फॉर्मूला इस्तेमाल किया जाता है। बच्चों के लिए उनकी उम्र और लिंग को देखते हुए एक स्पेशल स्केल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे ‘बीएमआई-फॉर-एज’ कहा जाता है। यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा बनाए गए बीएमआई-फॉर-एज ग्रोथ चार्ट का इस्तेमाल करते हैं जो कि बच्चे की उम्र के अनुसार उसके विकास को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। इस चार्ट से इस बात को समझना आसान हो जाता है कि आपके बच्चे का बीएमआई उसकी उम्र के अन्य बच्चों के मुकाबले कितने प्रतिशत बढ़ा या घटा है।
छोटे बच्चे और बड़े बच्चों के बीएमआई को इस तरह से बांटा गया है:
इन संख्याओं का मतलब यह है कि अगर कोई बच्चा 85 पर्सेंटाइल की स्टेज में है, तो वह अपनी उम्र के 85% बच्चों से भारी है और अधिक वजन का है। अगर वह 95 पर्सेंटाइल में आता है, तो वह मोटे बच्चों की श्रेणी में आएगा।
दरअसल पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली और मनोवैज्ञानिक कुछ ऐसे कारण है जो कम उम्र से ही बच्चों में मोटापे का कारण बन सकते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार अन्य सदस्य मोटे होते हैं, उन बच्चों में मोटापा या अधिक वजन होने की समस्या ज्यादा देखी जाती है। हालांकि, इसे लेकर हम ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते लेकिन हाँ, अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो बच्चे के वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
मोटे होने के कारण बच्चों में कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। जो उनके जीवन को प्रभावित कर सकता है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
डॉक्टर अन्य कारकों के साथ मोटापे को रोकने के लिए बीएमआई का इस्तेमाल करते हैं। बीएमआई मसल्स मास, सामान्य शरीर से अधिक वजन वाले शरीर या फिर बच्चों में विकास पैटर्न के बारे में नहीं बताता। इसीलिए इसके बारे में डॉक्टर्स भी जानकारी इकट्ठा करते हैं, जैसे-
इसके साथ ही डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर टेस्ट के साथ-साथ हार्मोन असंतुलन और मोटापे के साथ होने वाली अन्य स्थितियों की भी जांच करने के लिए भी कह सकते हैं।
पेरेंट्स होने के नाते आप यह तय कर सकते हैं कि आपको घर के राशन के लिए उन ही चीजों को चुनना है जो हेल्दी हों। इसी से संबंधित आपको यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं।
बचपन में होने वाले मोटापे को रोकने के लिए कुछ जरूरी उपाय इस प्रकार दिए गए हैं:
यहाँ कुछ ऐसे उपाय दिए गए हैं, जो आपके बच्चे का स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करेंगे।
बहुत से माता-पिता इस बात से अनजान होते हैं कि पोषण के मामले में क्या आवश्यक है और क्या नहीं और वे अक्सर विज्ञापनों में बताई गई जानकारी को ही सही मान लेते हैं। पोषण से संबंधित बेसिक चीजें जानने से उन्हें इन्हें चुनना आसान हो जाएगा। इस तरह आप अपने बच्चे को बेहतर आहार लेने में मदद कर सकती हैं।
घर में ही हेल्दी हैबिट बनाई जाती है। जब सभी लोग स्वस्थ भोजन खाते हैं और पर्याप्त मात्रा में फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो बच्चे भी बड़ों से यही सीखते हैं। क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता को देखकर ही चीजों को सीखते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे के लिए उदाहरण बनें।
अपने बच्चों को घर में खेलने के बजाय बाहर खेलने के लिए कहें। फिजिकल एक्टिविटी बच्चों के बढ़ने और विकास के लिए बहुत जरूरी है। अगर आप चाहें तो अपने बच्चों के साथ भाग ले सकते हैं और बच्चे के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं। साथ ही उन्हें खेलकूद और एक्टिविटीज जैसे डांस, स्विमिंग, स्केटिंग, फुटबॉल आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
आपको फूड पुलिस बनने और उन सभी खाद्य पदार्थों पर जबरस्ती रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है जो फैट युक्त होते हैं। इससे उनके खाने की इच्छा और बढ़ेगी। आप उन्हें सीमित मात्रा में ऐसी चीजें दे सकते हैं। जंक और फास्ट फूड को कम से कम रखें और घर बना खाना ही खिलाएं। यह बच्चों में आगे चलकर, खाने की स्वस्थ और अच्छी आदत स्थापित करता है।
यदि बच्चा मोटा है, तो जरूरत से ज्यादा खाने देने के बजाय उसकी भावनाओं को समझ कर इसे बेहतर ढंग से निपटने में उसकी मदद करें। उसे नकारात्मक बातें न बोलें, जो उसके लिए हानिकारक हो सकती हैं, भले ही यह नेक इरादे से ही क्यों न कही गई हों। जब वह कोई अच्छा प्रयास तो बच्चे की प्रशंसा करें।
हो सकता है कि आपके बच्चे में बड़े होने के साथ यह एक्स्ट्रा फैट कम न हो, लेकिन उसकी अच्छी हेल्थ के लिए आप उसे आहार के स्वस्थ विकल्प दें और एक्सरसाइज को उसके रूटीन में शामिल करें। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाएगा, एक्टिव रहने से उसमें वजन बढ़ने संभावना कम हो जाएगी। भले ही बच्चा नॉर्मल वजन हासिल न कर सके, लेकिन अच्छी आदतों को अपने रूटीन में लाने से वह हेल्दी जरूर रह सकता है।
बच्चे में मोटापा दूर करने के लिए माता पिता और बच्चे दोनों को ही प्रयास करना होगा। उसके रूटीन में पर्याप्त एक्सरसाइज और खाने की अच्छी आदतें शामिल करें, इस प्रकार आप अपने बच्चे को हेल्दी रखते हुए उसका मोटापा दूर कर सकती हैं।
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