बच्चों में पैदा होने वाला डर और फोबिया

बच्चों में पैदा होने वाला डर और फोबिया

बच्चे आसानी से डर जाते हैं, और उनका डर समय के साथ बदलता रहता है। बच्चों को किसी भी चीज से डर लग सकता है और यह नॉर्मल रिएक्शन है, यह उन्हें सिखाता है कि खुद को कैसे सेफ करना है। हालांकि, एक बच्चे के सिर्फ किसी चीज का डर होना और फोबिया हो जाने में बहुत अंतर होता है।

बचपन में महसूस होने वाले कॉमन डर क्या क्या हैं

यहाँ पर बच्चों को बचपन में महसूस होने वाले अलग-अलग डर के बारे में बताया गया है।

छोटे बच्चों और टॉडलर को महसूस होने वाला डर

  • अचानक तेज आवाज या बहुत ज्यादा हलचल होने से बच्चा डर सकता है।
  • किसी बड़ी वस्तु का अचानक से उनके सामने आ जाने से वह डर सकते हैं।
  • कोई भी अजनबी जो उनसे बात करने की कोशिश करता है वो उसे देख कर डर सकते हैं।
  • माता-पिता से अलग होना या अपने कमरे के आसपास की चीजों के बदल जाने से उन्हें अपना एंवायरमेंट बदला हुआ नजर आता है, जिससे वो डर जाते हैं।

प्रीस्कूलर्स में देखे जाने वाला डर

  • बच्चों को अंधेरे से डर लगता है। यहाँ तक कभी-कभी बड़ो को भी अंधेरे में अकेले रहने से डर लगता है।
  • रात के दौरान होने वाले शोर के कारण भी बच्चा डर सकता है।
  • डरावने मास्क और अजीब-अजीब डरावनी आवाजों से भी बच्चे डर सकते हैं।
  • ज्यादातर बच्चों को डॉग पसंद होते हैं लेकिन कुछ बच्चों को इनसे डर लगता है।

स्कूल जाने वाले बच्चों में पैदा होने वाले डर

  • इस दौरान बच्चों को बड़े कीड़ों, मकड़ियों और सांप से डर लगना शुरू हो जाता है।
  • आंधी या भूकंप से बच्चे बहुत ज्यादा डर सकते हैं।
  • घर पर अकेले रहना, खासतौर से रात में बच्चों को बहुत डरा सकता है।
  • जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं, तो टीचर के डांटने से, टेस्ट में फेल हो जाने से उनमें डर पैदा होने लगता है।
  • डरावने टीवी शो या किसी बड़े खतरे के होने की खबर सुनकर डर जाना।
  • चोट या बीमारी को देखना, डॉक्टरों और इंजेक्शन को देखकर डर महसूस होना, आमतौर पर बच्चे को महसूस होने वाले कॉमन डर में एक है।

अपने बच्चे के दिमाग से डर को कैसे निकालें  

आपको यहाँ कुछ टिप्स दी गई हैं, जो आपको बच्चों के दिमाग से उनके डर को दूर करने में मदद करेगा:

छोटे बच्चों और टॉडलर के लिए

  • माता-पिता की उपस्थिति और उनका सपोर्ट बच्चों को सेफ महसूस करवाता है खासकर अजीब स्थिति में उन्हें आपके होने से राहत मिलती है।
  • एक रूटीन सेट करने से उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि उन्हें कहाँ क्या और कब करना है।  
  • शुरुआती महीनों में, बच्चे की देखभाल करने वाले लोगों की संख्या को सीमित रखें ताकि वो अपने आप सुरक्षित महसूस कर सकें। 

प्रीस्कूलर के लिए

  • इस उम्र में ज्यादातर बच्चों की अपनी एक इमेजिनेशन होती है। इसलिए कभी-कभी बहुत छोटा डर भी उनकी इमेजिनेशन के कारण बड़े दर का रूप ले सकता है।
  • यदि आपके बच्चे को किसी विशेष जगह से डर लगता है, तो उनके साथ उस जगह पर जाएं, ताकि वे बिना किसी डर के उस जगह को ठीक से देख सकें।
  • अंधेरे से डरने के मामले में, अपने बच्चे को जोर से गिनती करते हुए दूसरे कमरे की ओर चलने के लिए कहें। आप चाहें तो उनके साथ भी गिनती कर सकती हैं ताकि वह जान सके कि वह अकेला नहीं है।
  • यदि वह किसी भी जानवर या कुत्ते से डरता है, तो ध्यान दें कि कुत्ते को बांध दें और पहले खुद उसके साथ खेले। एक बार जब कुत्ता थोड़ा शांत हो जाए, तो आप अपने बच्चे को करीब ला सकती हैं और उन्हें उसके साथ खेलने दे।

स्कूल के बच्चों के लिए

  • अपने बच्चे से उसके डर के बारे में बात करें क्योंकि वह उन्हें बेहतर तरीके से बता सकते हैं।
  • उससे पूछें कि उसे क्या लगता है कि उसके साथ क्या बुरा हो सकता है। फिर उसे कोई रियल लाइफ इंसिडेंट बताएं, जो उतना बुरा नहीं है जितना वो सोचते हैं। 
  • जब नेचुरल डिजास्टर की बात आती है, तो अपने बच्चे को प्रिकौशनरी मेजर वाली किताबें पढ़ने के लिए कहें। इससे उन्हें पता बचाव का तरीका जानने को मिलेगा। 
  • किसी अन्य प्रकार के डर को दूर करने के लिए आपको सही एक्शन लेने की जरूरत है। अगर बच्चा लगातार डर महसूस कर रहा है, तो उन्हें रिलैक्स करने दें और नींद लेने दें इससे काफी हद तक उन्हें राहत मिलेगी। 

फोबिया क्या है? 

जब डर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और बिना किसी कारण के और पर्मानेंट बना रहता है, तो इससे कुछ हद तक उन्हें एंग्जायटी होने लगती है, इस तरह की कंडीशन को फोबिया कहा जाता है। ज्यादातर कोई भी फोबिया होने पहले किसी भी चीज का डर कुछ महीनों या सालों तक बना रहता है और जब यह डर लगातार बना रहता है तो फोबिया का रूप ले लेता है। 

बच्चों में फोबिया कितना कॉमन है?

कई बच्चों को अलग-अलग प्रकार के फोबिया होने की संभावना होती है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया में लगभग 9-10 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार के फोबिया से पीड़ित हैं।

बच्चों में फोबिया होने का क्या कारण हो सकता है? 

बच्चों में फोबिया के कॉमन कारण इस प्रकार हैं:

1. जीवन में हुई घटनाओं से जुड़े फैक्टर

कोई भी बच्चे के समय में होने वाले हादसे या घटना का असर बच्चे पर गंभीर रूप से पड़ सकता है, जिससे उन्हें फोबिया हो सकता है। यह शुरुआत में नॉर्मल होता है, जैसे स्कूल में नए ग्रेड मिलना, किसी नई जगह शिफ्ट होना, परिवार में अचानक किसी की डेथ हो जाना, बहुत ज्यादा बीमार होना या माँ बाप का तलाक हो जाना आदि। 

2. परिवार से संबंधित 

कुछ मामलों में, देखा जाए तो फोबिया कुछ हद तक इनहेरिटेड हो सकता है, जो बच्चे को उनके माता-पिता से प्राप्त हो सकता है। हालांकि यह हमेशा जेनेटिक नही होता है, बच्चे हर चीज को महसूस करते हैं और देखते हैं। जब परिवार में कोई फोबिया से सफर कर रहा होता है, तो उन्हें लगता है कि उन्हें भी इससे डरना चाहिए।

3. बायोलॉजी से संबंधित फैक्टर 

दिमाग के अंदर न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो एक दूसरे के साथ संवाद करने में मदद करता है, जो इमोशन और फीलिंग को भी डेवलप करता है। यहाँ दो मेजर कंडीशन हैं सेरोटोनिन और डोपामाइन, जो इंसान को खुशी और शांति प्रदान करती है। अगर यह अपना बैलेंस खो देते हैं तो आपका अचानक डर महसूस करने लगता है।

बच्चों में होने वाले कॉमन टाइप के फोबिया  

यहाँ कुछ सामान्य प्रकार के फोबिया के बारे में बताया गया हैं:

1. स्पेसिफिक फोबिया

स्पेसिफिक फोबिया में, बच्चा किसी विशिष्ट चीज से बहुत ज्यादा डरने लगता है, यह ज्यादातर बिना किसी कारण होता है। यह कोई भी पर्टिकुलर जगह हो सकती है जैसे बंद कमरा या अलमीरा, कोई भी इंसान हो सकता है जैसे टीचर, या टैक्सी ड्राइवर।

संकेत और लक्षण

बच्चा फोबिया से बचने का प्रयास करता है या फिर यह अनुमान लगाने लगता है कि कुछ बुरा होने वाला है। कई बार, बच्चा जिस चीज से डरता है जब वो उसके सामने मौजूद होती है, तो बच्चा अजीब तरह से बर्ताव करने लगता है।

2. अगोराफोबिया

यह अपने कम्फर्ट जोन के बाहर कदम रखने के डर जैसा ही है, लेकिन यह डर इससे कई गुना बड़ा होता है। बच्चा बाहरी दुनिया और अनजान लोगों से बुरी तरह से डरने लगता है। वो किसी भी अजनबी को देखकर बहुत ज्यादा परेशान हो सकते हैं यहाँ तक कि उन्हें पैनिक अटैक भी आ सकता है, अचानक बच्चा बहुत रोने लग सकता है।

संकेत और लक्षण

बच्चे किसी भी हालत में अपने घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता है चाहे वो कोई भी कंडीशन हो और किसी भी बाहरी या घर में मेहमानों से बात नहीं करते हैं। अगर उन्हें फोर्स किया जाए तो वो पैनिक हो जाते है चिल्लाने लगते हैं।

3. सोशल फोबिया

सोशल फोबिया जिसका दूसरा नाम सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर है। इसमें लोगों से मिलने या भीड़ में रहने से फोबिया होता और कुछ केस में बच्चों से भी डर लगता है। इससे स्कूल जाने का भी फोबिया पैदा हो सकता है।

संकेत और लक्षण

बच्चों को खुद को इंट्रोड्यूस करने में, क्लास में सवाल करने में, स्टेज पर जाने से या फिर पब्लिक वॉशरूम जाने से जहाँ और भी लोग मौजूद हों ऐसी जगह पर जाने से डर लगता है। वे अपने आप को इस तरह की स्थिति से पूरी तरह बचाने का प्रयास करते हैं। या फिर इस तरह के इवेंट पर जाने के लिए झूट बोलते हैं या बीमारी का बहाना बना देते हैं। 

बच्चों में फोबिया का निदान कैसे किया जाता है? 

फोबिया का निदान आमतौर पर सायकाइट्रिस्ट द्वारा किया जाता है जो बच्चे की मेंटल हेल्थ चेक करते हैं। पहली विजिट में हो सकता है आपको बच्चे में किसी डिसऑर्डर के बारे में पता चले और फिर कई विजिट में टेस्ट के जरिए इसका निदान किया जाता है। 

अपने बच्चे में फोबिया का इलाज कैसे करें 

फोबिया का ट्रीटमेंट बच्चे की उम्र और उसे किस हद तक फोबिया है इस पर निर्भर करता है। ज्यादातर बच्चे की काउंसलिंग की जाती है और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से उनके फोबिया को कम करने का प्रयास किया जाता है। गंभीर मामलों में बच्चे को पैनिक अटैक भी आ सकता है। ऐसे में डॉक्टर बच्चे को शांत करने के लिए मेडिसिन दे सकते हैं। इस दौरान माता पिता का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है।

आप बच्चे में फोबिया होने से कैसे बचाएं? 

बच्चे को फोबिया और अलग-अलग तरह का डर होना, कुछ माता-पिता को अनावश्यक हो सकता है। साइकोलॉजी में बचपन का डर एक डेवलपिंग साइंस है और इसे समझने में कुछ समय लग सकता है। इसके बारे में सतर्क रहें और बच्चे से खुल कर बात करें। इससे बच्चे और आपके बीच एक अच्छा बांड बनेगा वो आपको ट्रस्ट कर सकेगा, इस प्रकार आप बैचे के डर को दूर कर सकेंगी और संभावना है कि ऐसा करने से उनमें फोबिया पैदा न हो।  इस तरह की कंडीशन में पैरेंट का बहुत अहम भूमिका होती है, इसलिए बच्चे को पूरा सपोर्ट करें और उनके फोबिया को इग्नोर न करें।

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