In this Article
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देना हर माता-पिता के लिए उन जरूरी कामों में से एक है जो उनके द्वारा बच्चे को सिखाई जानी चाहिए। शुरुआत में हर बच्चा डायपर में पॉटी और टॉयलेट करता है इसलिए अपने बच्चे को अब सीट या पॉट में टॉयलेट कराना आपके लिए काफी चैलेंजिंग हो सकता है। बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग के दौरान आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपको शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है। इसलिए आपको यह सुझाव दिया जाता है कि बच्चे को जल्द से जल्द पॉटी के लिए ट्रेन करना जरूरी है और इसे बिलकुल हल्के में न लें।
पॉटी ट्रेनिंग एक ऐसा पहलू है जो हर बच्चे में अलग-अलग होता है। कुछ बच्चे डेढ़ साल की उम्र तक पॉटी ट्रेनिंग कर लेते हैं। जबकि अन्य अपना समय लेते हैं और 3 या 4 साल की उम्र तक पॉट पर बैठना शुरू करते हैं।
कई माता-पिता ऐसे होते हैं जो अपने बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग की तुलना आर्मी रेजिमेंट से करते हैं। हालांकि इस तुलना का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है, लेकिन हाँ यह बात जरूर है कि आपको इसके लिए अनुशासन की जरूरत होती है। कई तरह की समस्याओं के कारण आपको बच्चे को पॉट का उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग देने पड़ती है।
कुछ पेरेंट्स लकी होते हैं जिनके बच्चे कहीं भी पॉट का उपयोग करने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन ये बच्चे ऐसा करने के लिए तभी राजी होते हैं जब उनके माता-पिता उनके साथ हों, न कि किसी अन्य व्यक्ति की सामने।
लोगों के बीच बच्चे को पॉट का उपयोग करने में सहज बनाने के बजाय, धीरे-धीरे आप अपनी मौजूदगी को इस दौरान कम करती जाएं। एक बार जब आपका बच्चा पॉट पर बैठ जाए, तो हल्के से दरवाजा बंद कर दें और उसे बताएं कि आप बाहर इंतजार कर रही हैं।
यह ज्यादातर सभी माता-पिता की सबसे पहले शिकायत होती है। एक बच्चे का ब्लैडर इतना मैच्योर नहीं होता कि वह रात भर या सामान्य तौर पर वो जितने देर पेशाब रोक सकते हैं उससे ज्यादा रोक पाएं, इसलिए वे सोते समय बिस्तर गीला कर देते हैं।
अगर आप चाहती हैं कि बच्चे की यह आदत छूट जाए तो उसे सोने से पहले पेशाब करने की आदत डालना सबसे अच्छा तरीका है। यदि आपका बच्चा आधी रात को पेशाब करना चाहता है, तो बाथरूम की लाइट को जलाए रखें, ताकि उसे अकेले बाथरूम जाने में डर न लगे।
कई बच्चे ऐसे होते हैं जो पॉट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन जब वे पॉटी करनी होती हैं तो वे अपने माता-पिता से डायपर के लिए कहते हैं। आपका बच्चा घर के एक कोने में जाकर अकेले पॉटी कर सकता है जब तक कि वह पूरी तरह से कर न लें।
बच्चे को बताएं कि डायपर पहनकर ही टॉयलेट में पॉटी करने की कोशिश करें। एक बार जब वह जगह के साथ सहज हो जाए, तो आप उसे डायपर के बजाय पॉट का उपयोग करने के लिए कह सकती हैं।
बच्चा आपकी बात सुनता है और पेशाब या पॉटी करने के लिए पॉट पर बैठ जाता है। लेकिन वह ऐसा करने में विफल हो सकता है, पॉट से नीचे उतरने के ठीक बाद उसमें पॉटी कर सकता है या अपनी पैंट में ही टॉयलेट कर सकता है।
इसका एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी हो सकता है लेकिन यह बच्चों की कम उम्र में अपनी उत्सर्जन (एक्सक्रेटरी) मांसपेशियों को नियंत्रित करने में असमर्थता के कारण भी होता है। पॉटी ट्रेनिंग के दौरान मल त्याग की समस्या कब्ज के कारण भी होती है। हालांकि, आपको उसे थोड़ी देर के लिए बैठाना चाहिए, भले ही वह बैठने से मना कर दे। वह कभी-कभार नखरे कर सकता है, लेकिन धीरे-धीरे उसे इसकी आदत हो जाएगी और वह पॉट में पेशाब करना और पॉटी करना शुरू कर देगा।
कुछ बच्चे जब वे अपनी पॉटी को फ्लश करते हैं तो दुखी हो जाते हैं या रोना शुरू कर देते हैं। क्योंकि वो स्ट्रांग अटैचमेंट महसूस करते हैं जिसकी वजह से वो पॉट में ठीक तरह से पॉटी नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में आप मल की तुलना थूक या नाक की गंदगी या यहां तक कि पेशाब से करें और उसे बताएं कि पॉटी करने के बाद उसे ठीक से फ्लश क्यों करना जरूरी होता है।
हो सकता है कि जब बच्चे को ठीक से टॉयलेट सीट पर बैठने की आदत हो जाती है, तभी दुर्घटनावश वह ऐसे में पॉट से फिसल सकता है और खुद को चोट पहुंचा सकता है, जिससे वह पॉट के उपयोग से कतराता है।
ऐसी दुर्घटनाओं को दुर्घटना की तरह ही समझें। इसके लिए अपने बच्चे को सजा न दें। उसे शांत कराएं और मामले को हल्का कर दें ताकि वो पॉट का इस्तेमाल करने से घबराएं नहीं। और कुछ दिनों के बाद उसे फिर से ट्रेन करें।
शुरूआती स्टेज में, आपका बेटा पेशाब करते समय पॉट पर बैठना चाहेगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह गलती से पॉटी करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता और खड़े होकर पेशाब करने में सहज नहीं महसूस करता है।
उसे उसी तरह पेशाब करने दें और आदत पड़ने पर उसे खड़े होकर पेशाब करना सिखाएं। अगर आप बाहर हैं, तो यूरिनल में साथ जाएं और उसे देखने दें कि खड़े रहते हुए हर कोई कैसे पेशाब करता है।
पॉट की चौड़ाई को देखकर आपके बच्चे को लगता है कि वह उसमें गिर जाएगा या गलती से उसे फ्लश करने पर उसके बट पॉट में चले जाएंगे। कुछ बच्चे तो टॉयलेट के फ्लश की आवाज से भी डर सकते हैं।
कागज के टुकड़ों को फ्लश करने से शुरू करें और उसे दिखाएं कि टॉयलेट सही में कैसे काम करता है। कुछ दिन इसका उपयोग करने के बाद उसे सहज महसूस होने लगेगा।
कुछ बच्चे अपनी जिज्ञासा के चलते पॉटी के साथ खेलने लगते हैं। यह हरकत आपके हाथों से निकल सकती है यदि वह ऐसे में आपकी बात मानने से इनकार करते हैं।
अपने बच्चे को डांटे बिना इसे तुरंत रोकें और सख्त तरीके से न बोलें।
जब बच्चे को पॉटी आती है तब वो आपको बताता है और जल्दी वाशरूम में जाने के लिए कहता है। हालांकि, पेशाब लगने के दौरान ऐसा नहीं होता है, जिससे उसकी पैंट और बिस्तर भी गीला हो जाता है।
क्योंकि बच्चे का शुरूआत में ब्लैडर पर कंट्रोल नहीं होता और जब तक बहुत देर न हो जाए तब तक उसे नहीं महसूस होता कि उसे पेशाब लगी है। ऐसे में चिंता न करें। पॉटी ट्रेनिंग को वैसे ही जारी रहने दें, यह फेज भी निकल जाएगा।
कई पॉटी ट्रेनिंग समस्याओं में से, इसे रोक कर रखना उनमें से सबसे ज्यादा खतरनाक है। लेकिन ट्रेनिंग में देर करने के बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। यदि आप पॉटी ट्रेनिंग में देरी करती हैं तो यहां कुछ समस्याएं दी गई हैं जो उत्पन्न हो सकती हैं।
4 साल के बच्चों और कई अन्य लोगों में टॉयलेट ट्रेनिंग की समस्याओं को रोकने के लिए, कुछ टिप्स यहां दिए गए हैं जिनका आप उपयोग कर सकती हैं।
यदि आपको अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग के दौरान समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो मदद मांगने में कोई बुराई नहीं है। आपको बच्चे के पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए, वह आपको बेहतर टिप्स दे सकते हैं। यदि आपके बच्चे के विकास में देरी हो रही है, तो थेरेपिस्ट की सलाह लेना या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेना भी मददगार साबित होता है।
चाइल्ड पॉटी ट्रेनिंग की समस्याएं काफी हैं। जब आप अपने बच्चे को ट्रेनिंग देना शुरू करेंगी तो आपके सामने कई नई चुनौतियां आएंगी। इस दौरान आपमें धैर्य और समझ होना बेहद अहम है और आपका बच्चा जल्द ही पॉट का उपयोग करना शुरू कर देगा।
यह भी पढ़ें:
पॉटी करने के दौरान छोटे बच्चे क्यों रोते हैं
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने की सही उम्र क्या है?
टॉडलर (1 से 3 साल) की वृद्धि और विकास के चरण
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…