बच्चों से अपनी बात कैसे मनवाएं – 12 बेहतरीन टिप्स

बच्चों से अपनी बात कैसे मनवाएं - 12 बेहतरीन टिप्स

आपके पास बहुत सारे काम होते हैं जिन्हें दिन के आखिर तक आपको खत्म करना होता है। अगर आपका बच्चा भी है, तो आपके ऊपर तो काम की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है, साथ ही इसमें बच्चे को समय से सुलाना, उठाना, खाना देना, कपड़े पहनाना और स्कूल भेजना आदि काम शामिल हो जाते हैं जिसे आपको समय से पूरा करना होता है। इतनी सारी चीजों के साथ आप दिनभर घर में चारों ओर भागती दौड़ती रहती हैं, ऐसे में बच्चे से किसी काम को पूरा करवाने के लिए आपको बहुत धैर्य बनाए रखने की जरूरत है।

यदि आपका बच्चा एक बार में आपकी बात नहीं सुनता है और उसे कई बार कहना पड़ता है, तो अब समय आ गया है कि आप उसकी एक बार में आपकी बात न सुनने की आदत को बदलें। इसके लिए यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं, आइए एक नजर डालते हैं।

आपका बच्चा आपकी बात सुने इसके लिए ये 12 तरीके अपनाएं 

यदि आपका बच्चा आपकी बात नहीं सुनता है, तो यहाँ कुछ टिप्स दी गई हैं, जिनका पालन करके आप उसे अपनी बात सुनने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, ताकि वह आपके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करे।

1. ध्यान दें कि आपको उसका सारा अटेंशन मिले

पूरे घर में चिल्लाने से बच्चा आपकी बात नहीं सुन लेगा। इसलिए यह जरूरी है कि आप उसके सामने जाकर ही उसका नाम पुकारें और उसे कोई काम करने के लिए कहने से पहले उसकी आँखों में देखें। अपने बच्चे को डराएं नहीं क्योंकि इससे केवल डर पैदा होगा। इसके बजाय, आपको उसे डिस्ट्रैक्ट करने वाली चीजों को दूर रखना चाहिए, जैसे टीवी या वीडियो गेम। बच्चे को सिखाएं कि जब आप उससे बात कर रही हों, तो वह आपकी ओर देखे। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सही उदाहरण स्थापित करें। जब आपका बच्चा आपसे कुछ कह रहा हो तो आप उसकी आँखों में देखें।

2. स्पष्ट रहें

आप बच्चे को जो भी काम करने को दें उसे बहुत ज्यादा उलझाएं नहीं। जब आप निर्देश दें तो अपनी भाषा बिलकुल सरल और आसान रखें। बहुत ज्यादा इंस्ट्रक्शन भी न दें, क्योंकि इससे बच्चा कंफ्यूज हो सकता है। अगर बच्चा बात नहीं सुन रहा है तो अपने इंस्ट्रक्शन को बार-बार न दोहराएं। बार-बार अपनी बात बच्चे के सामने दोहराने से उसे लगने लगता है कि आपके दिए गए निर्देशों को अनदेखा करना ठीक है, क्योंकि उसे पता है कि एक बार न सुनने पर आप फिर से निर्देश देंगी। इसलिए सुनिश्चित करें कि जब आप कुछ कह रही हों तो बच्चे का पूरा ध्यान आपकी ओर हो।

3. ये समझें कि वह जानबूझकर आपको अनदेखा नहीं कर रहा है

14 साल से कम उम्र के बच्चों में पेरीफेरल अवेयरनेस (परिधीय जागरूकता) की कमी होती है, जिसका मतलब है कि वे आसानी से डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं और आमतौर पर अपने आसपास की एक्टिविटी पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए, यदि बच्चा खेल रहा है, पढ़ रहा है या किसी अन्य एक्टिविटी में लगा हुआ है, तो संभावना है कि उसने आपको काफी करीब होने पर भी नहीं सुना होगा। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि स्टेप को दोहराने के लिए आपको धैर्य रखना होगा, जब तक कि उसका सारा ध्यान आपकी ओर न आ जाए।

ये समझें कि वह जानबूझकर आपको अनदेखा नहीं कर रहा है

4. विस्तार में समझाएं

बच्चे को यह बताना कि उसे क्या काम करना है और क्यों करना है, उसके लिए काम के मकसद को जानने में मदद करेगा और उसे समझ भी आएगा कि आप उसे ऐसा करने के लिए क्यों कह रही हैं। इसलिए बच्चे को यह जरूर बताएं कि आप उसे कोई काम किस वजह से करने के लिए बोल रही  बच्चे को बताएं ‘अपने दाँतों को ब्रश करो, क्योंकि ऐसा करने से वे हेल्दी और मजबूत रहते हैं’ बजाय यह कहने कि मैं कह रही हूँ इसलिए तुम्हें ब्रश करना होगा।

5. उसे पूछें नहीं बल्कि बताएं 

जब आप अपने बच्चे को यह सिखा रही हों कि वो आपकी बात सुने, तो आप यह भी चाहेंगी कि वह आपकी बात माने। इसका मतलब है कि आपको बच्चे की हाँ या ना कुछ नहीं सुनना है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए और इसके बजाय बच्चे को ठीक-ठीक बताएं कि उसे क्या करना है। ‘प्लीज अपनी जैकेट पहन लो’ या ‘मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी जैकेट पहनो’ बच्चों से ऐसी टोन में बात करने से वे जल्दी आपकी बात सुनेंगे।

6. जानकारी मिलने के बाद प्रक्रिया के लिए कुछ समय दें

आपने जो कहा है उसे प्रोसेस में लाने के लिए बच्चों को लगभग तीन से सात सेकंड या उससे ज्यादा समय भी लग सकता है। इसलिए उसका रिप्लाई आने का कुछ सेकंड के लिए इंतजार करें। आपको यह भी चेक करना चाहिए कि क्या आपने जो कहा वो उसे समझ आया है या नहीं। ऐसा करना काफी मददगार होगा कि आपको क्या चीज दोबारा रिपीट करने की आवश्यकता है। यदि बच्चा प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में असमर्थ है या अपने इंस्ट्रक्शन रिपीट नहीं कर पा रहा है, तो इस बात की संभावना हो सकती है कि आप उसे जो समझा रही हैं वो उसके लिए काफी कॉम्प्लिकेटेड या बहुत लंबा है और इसलिए अच्छा यही होगा कि आप आसान शब्दों में अपनी बात उसे समझाएं।

जानकारी मिलने के बाद प्रक्रिया के लिए कुछ समय दें

7. नियम बनाएं 

यह बहुत जरूरी है कि बच्चों के लिए नियम बनाए जाएं। इसे उनके विशेषाधिकार प्राप्त करने के अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है। उन्हें यह स्पष्ट कर दें कि यदि वे आपका बताया हुआ कोई कार्य करते हैं तो उन्हें उस एक्टिविटी में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी जो उन्हें करना पसंद है। जैसे होमवर्क पूरा करने के बाद खेलने के लिए भेजना। इन नियमों का हर हाल में पालन करें और किसी प्रकार का कोई बदलाव न करें । यदि वे अपना दिया हुआ कार्य पूरा नहीं करते हैं, तो उसके बाद इसका क्या परिणाम होगा आप उसकी चेतावनी भी दे सकती हैं।

8. सकारात्मक रहें

‘घर के अंदर मत दौड़ो’ कहने के बजाय, आप ये कहें कि ‘प्लीज घर दौड़ भाग मत करो’। इसके अलावा, सीधे वाक्यों का प्रयोग करें जो कि स्टेटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, न कि प्रश्न के रूप में। उदाहरण के लिए, ऐसा मत कहें कि ‘क्या आप घर में चल सकते हैं?’

पॉजिटिव स्टेटमेंट इस बात पर फोकस करता है कि हमें क्या करना चाहिए बजाय इसके कि हमें क्या नहीं करना चाहिए। बच्चे डायरेक्ट इंस्ट्रक्शन का बेहतर जवाब देते हैं जो उन्हें बताते हैं कि उन्हें क्या करना है।

9. सहानुभूति जताएं 

इस बात को समझें कि आपके बच्चे का अपना दिमाग है। उन्हें फटकारने के बजाय यह जरूरी है कि आप उनकी बात सुनें, समझें कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और फिर उनसे बात करें। इससे उन्हें विश्वास होता है कि उनकी बात सुनी जाएगी और आपको उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि उनकी गलती क्या थी। अपने छोटे भाई या बहन के द्वारा उसका खिलौने छीनने पर बच्चे के छोटे भाई को मारने पर आप बच्चे पर चिल्लाने के बजाय, उसे बता सकती हैं कि आप समझती हैं कि उसके छोटे भाई को आपसे ऐसे खिलौने नहीं छीनने चाहिए थे, लेकिन मारना इस बात का कोई समाधान नहीं है, इसलिए छोटा भाई/बहन जब भी कुछ ऐसा करे आप मुझे बताएं।

सहानुभूति जताएं 

10. उन्हें विकल्प दें

अपने बच्चे को इस बात पर विश्वास करने का कि वे क्या करते हैं या कैसे व्यवहार रखते हैं, उसका बहुत फायदा होता है। ‘अपना होमवर्क समाप्त करो’ कहने के बजाय आप कह सकती हैं ‘क्या आप अपना मैथ का होमवर्क खत्म करना चाहते हैं या अपना अंग्रेजी का होमवर्क पूरा करना चाहते हैं?’ यह प्रोसेस बड़े बच्चों पर भी बहुत काम करती है, खासकर तब जब उनमें विद्रोही भावना पैदा होने लगती है।

11. शांत रहे 

यदि बच्चे उनकी बात नहीं मानते हैं तो माता-पिता के लिए अपना आपा खोना आम बात है। लेकिन ऐसा केवल आपके बच्चे पर एक नकारात्मक प्रभाव डालता है जो उसे और अधिक उद्दंड बना देगा। अपने बच्चे से वह सब कुछ करवा पाना जो आप चाहती हैं, वो मुश्किल हो सकता है। लेकिन जब चीजें थोड़ी अराजक हों तो निराश न हों और बिना चिल्लाए उस पर नेविगेट करना आपके बच्चे के लिए एक बेहतरीन उदाहरण स्थापित कर सकता है। आपका बच्चा यह समझने लगेगा कि चीजें बिना फिट हुए भी की जा सकती हैं, इसलिए थोड़ी शांति के साथ स्थिति से निपटें।

12. अपने बच्चे से जुड़ने का प्रयास करें 

बच्चे के साथ जुड़ने के लिए अपने बचपन के बारे में बातें करें और उसे ऐसी दिलचस्प बातें बताएं जो आपके और उसके बीच के बांड को मजबूत कर सकें। बच्चे अपने माता-पिता के साथ अच्छा संबंध बनाना चाहते हैं, क्योंकि उनके सबसे ज्यादा आप ही करीबी होते हैं। इसलिए एक ऐसा रिश्ता बनाएं जो दोस्त की तरह हो। यदि आपका बच्चा आपको अपने करीब महसूस करता है, तो संभावना है कि वह आपकी बात ज्यादा सुनेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आपको खुश करना चाहेंगे और वे कभी भी आपको दुखी करना नहीं चाहेंगे।

अपने बच्चे से जुड़ने का प्रयास करें 

बच्चों को सही और गलत की दिशा में गाइड करने के लिए एक पॉजिटिव रवैये की आवश्यकता होती है। उन पर चिल्लाना और चीखना, केवल उन्हें उद्दंड बना सकता है और वे कहीं ज्यादा जिद्दी हो जाएंगे। यह जरूरी है कि आप उनकी बात सुनें, उस पर ध्यान दें कि वो क्या कह रहे हैं। जब उनके पास आपसे कहने के लिए कुछ हो तो उनकी सुनें और जब उन्होंने कुछ अच्छा किया हो तो उनके प्रयासों की सराहना करना बहुत जरूरी है, ये उनकी हिम्मत बनाए रखता है और अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही यह उन्हें सिखाने का एक शानदार तरीका भी है जब कोई किसी से बात कर रहा हो तो उसकी बात सुननी चाहिए और उसे सम्मान देना चाहिए है।

इसके अलावा, अपने बच्चे को क्रिएटिव होने के लिए प्रोत्साहित करें और अपने बच्चे के साथ खेलने या मजेदार एक्टिविटी करने के लिए समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। यह आपके और आपके बच्चे के बीच एक मजबूत बांड बनाने में मदद करता है।

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