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6 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए माँ का दूध ही बेस्ट है क्योंकि अभी उनका इम्यून सिस्टम डेवलप हो रहा होता है, और बच्चे को माँ का दूध पचाने में कठिनाई भी नहीं होती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) भी 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को माँ का दूध पिलाने की सलाह देती है, क्योंकि इससे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन मिलता है। हालांकि, यदि आपका बच्चा एक साल का हो गया है और फीड कराना संभव नहीं है या बच्चे का पेट नहीं भर पाता है तो आप उसे काऊ मिल्क या बफैलो मिल्क भी दे सकती हैं।
छोटे बच्चों का डेवलपिंग इम्यून सिस्टम उतना मजबूत नहीं होता है। इसलिए उन्हें गाय या भैंस का दूध पचाने के कठिनाई हो सकती है। यद्यपि गाय और भैंस दोनों के दूध में मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं पर यह छोटे बच्चों के लिए सही नहीं है क्योंकि यदि बच्चे को एक साल की उम्र से पहले यह दूध पिलाया गया तो उनकी किडनी पर इफ्फेक्ट पड़ सकता है। इसलिए अपने बच्चे को एक साल का होने के बाद ही गाय या भैंस का दूध दें।
गाय के दूध में भैंस के दूध से कम फैट होता है। इसलिए यह देखने में भैंस के दूध से थोड़ा पतला दिखता है और 1 साल का बच्चा गाय का दूध आसानी से पचा सकता है।
भैंस के दूध में गाय के दूध से ज्यादा प्रोटीन होता है (लगभग 11% ज्यादा)। प्रोटीन की ज्यादा मात्रा से बच्चे में हीट रेसिस्टेन्स पैदा होती है और वह दूध को पचा नहीं पाता है। इसलिए बच्चे के लिए गाय का दूध ज्यादा सही है। यदि फिर भी आप अपने बच्चे को भैंस का दूध पिलाना चाहती हैं तो उसे थोड़ी कम मात्रा में दें।
भैंस के दूध में कैल्शियम भरपूर होता है जो बच्चे की हड्डियों के लिए बहुत अच्छा है। बच्चे को पूरी ग्रोथ और स्ट्रेंथ व हाइट डेवलप करने के लिए कैल्शियम की जरूरत पड़ती है। इसलिए एक साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए भैंस का दूध ही बेहतर है।
गाय के दूध में भैंस के दूध से कम कैलोरी होती है इसलिए एक साल से ज्यादा के बच्चों के लिए भैंस का दूध अच्छा है।
गाय के दूध में भैंस के दूध से ज्यादा पानी होता है। इसलिए गाय का दूध ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि यह बच्चे को हाइड्रेटेड भी रखने में मदद करता है। .
भैंस के दूध में अधिक पेरोक्सिडेज एक्टिविटी होती है जिसके कारण इसे ज्यादा दिनों तक प्राकृतिक रूप से प्रिजर्व करके रखा जा सकता है और दूसरी तरफ गाय के दूध को 1-2 दो दिनों में खत्म कर देना चाहिए।
हर बच्चा अलग होता है और उनमें पाचन शक्ति भी अलग-अलग होती है। बच्चों के लिए भैंस का दूध अच्छा हो सकता है और इसमें मौजूद फैट, प्रोटीन, कैल्शियम और कैलोरिफिक वैल्यू इसे गाय के दूध से ज्यादा फायदेमंद बनाती है। हालांकि, इम्युनिटी कमजोर होने के कारण बच्चे इस दूध को पचा नहीं सकते हैं। गाय का दूध पचाने में आसान होता है और इससे आपका बच्चा हाइड्रेटेड रहता है। आप अपने बच्चे को दोनों दूध थोड़ा-थोड़ा दें और देखें कि बच्चे के लिए कौन सा दूध सही है।
बच्चों को फैट से भरपूर दूध देने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे उन्हें फैट मिलता है इससे हाइट बढ़ने में मदद मिलती है। यह विटामिन ‘ए’ और ‘डी’ को एब्सॉर्ब करने में भी मदद करता है। कम फैट वाले दूध या बिना फैट वाले दूध में प्रोटीन और मिनरल्स होते हैं और बच्चों के लिए इसे पचा पाना मुश्किल होता है और यह उनकी किडनी को भी प्रभावित कर सकते हैं। बच्चे को 2 साल का होने के बाद ही आप उसे कम फैट वाला दूध और बिना फैट का दूध देना शुरू करें।
इसका कोई भी एविडेंस नहीं है कि बच्चों के लिए ऑर्गैनिक दूध अच्छा होता है या हॉर्मोन-फ्री दूध अच्छा होता है। हालांकि, यदि आप अपने बच्चे को गाय का दूध देना चाहती हैं तो उसे ऑर्गेनिक दूध ही दें – यह थोड़ा सा ज्यादा महंगा हो सकता है। पर इससे ज्यादा जरूरी यह है कि दूध पाश्चुरीकृत होना चाहिए क्योंकि यदि दूध पाश्चुरीकृत नहीं हुआ तो इसमें कई सारे बैक्टीरिया और पैरासाइट्स हो सकते हैं जिससे बच्चे की हेल्थ पर असर पड़ सकता है। ऐसे दूध पीने से बच्चे बीमार पड़ सकते हैं और यहाँ तक कि उनके जान को खतरा हो सकता है।
1 साल से कम उम्र के बच्चे को माँ का दूध पिलाना ही सबसे अच्छा होता है। 1 साल के बाद ही आप बच्चे को गाय या भैंस का दूध देना शुरू कर सकती हैं। बच्चे को गाय या भैंस का दूध पिलाना शुरू करते समय कुछ जरूरी बातें ध्यान रखें, जैसे इस बात पर ध्यान दें कि बच्चे की किडनी पर दूध का क्या असर होता है, दूध पाश्चुरीकृत है या नहीं, आप बच्चे की फीडिंग बोतल को दिनभर में कितनी बार धोती हैं। दूध में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है इसलिए इसे बच्चे की डाइट में जरूर शामिल करें। यद्यपि न्यूबॉर्न बेबी के लिए भी गाय या भैंस का दूध अच्छा हो सकता है पर इसे अपने बच्चे की डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
संसाधन और संदर्भ:
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