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स्ट्रेप थ्रोट गले में होने वाला एक आम संक्रमण है जिससे शायद आप भी कभी पीड़ित हो चुके होंगे। इससे बच्चे और वयस्क, कोई भी प्रभावित हो सकता है। इसके कारण गले में दर्द, खाने पीने में तकलीफ और यहाँ तक कि बुखार भी हो सकता है। इस आर्टिकल के जरिए हम बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट के कारणों, लक्षणों और इलाज के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
स्ट्रेप थ्रोट एक बैक्टीरियल इंफेक्शन से होता है, जिसकी वजह स्ट्रेप्टोकॉकस नामक बैक्टीरिया होता है। यह संक्रमण एक हफ्ते तक रह सकता है और एंटीबायोटिक दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। सही दवाओं और आराम करने से, बच्चे के गले की तकलीफ जल्द ही ठीक हो जाती है।
स्ट्रेप थ्रोट संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा स्कूल जाने वाले बच्चों में होता है। इसके अलावा छोटे बच्चों यानी शिशुओं को भी स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन हो सकता है, यदि वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं। हालांकि, शिशुओं को स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन आसानी से नहीं होता है।
जी हाँ, संक्रमित लोगों की नाक और गले में इसके बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। तो ऐसे में यह संक्रमण छींकने, खांसने और संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से फैल सकता है।
बच्चों में गले का संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया अलग-अलग तरीकों से फैलते हैं:
जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं, जिसे बच्चा सांस के जरिए अंदर ले लेता है।
तौलिए, रूमाल, प्लेट, चम्मच आदि जैसी चीजें साझा करने से बच्चा संक्रमण की चपेट में आ सकता है। एक ही जगह को शेयर करने से भी बैक्टीरिया फैलने में मदद मिलती है।
शारीरिक संपर्क, जैसे किसी संक्रमित व्यक्ति को चूमना या गले लगाना, बच्चे को स्ट्रेप थ्रोट जैसी समस्या से प्रभावित करता है।
यहां स्ट्रेप थ्रोट के सामान्य लक्षणों और संकेतों के बारें में बताया गया है:
इसमें गले का पिछला भाग सूजने के साथ लाल हो जाता है।
ऐसे में गले के टॉन्सिल लाल होकर सूज जाते हैं।
इस सफेद धब्बे को पस पॉकेट कहा जाता है। इनमें हमारे शरीर के वाइट ब्लड सेल्स होते हैं जो बैक्टीरिया पर हमला करने और नष्ट करने के लिए संक्रमित जगह पर एकत्रित होते हैं।
ऐसी हालत में बच्चा मतली महसूस करता है और वह जो भी खाना खाता है उसे उल्टी में निकाल देता है।
बच्चे को 100.3 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बुखार होता है ।
कुछ भी खाने या पीने की चीजों को निगलते समय बच्चे को अत्यधिक दर्द होता है जिसके कारण भूख कम लगती है।
बैक्टीरिया बच्चे की आवाज को प्रभावित करता है, जिससे वह कर्कश हो जाती है।
संक्रमित बच्चे को सिरदर्द, पेट दर्द और पूरे शरीर में दर्द होता है।
जब संक्रमण बहुत गंभीर हो, तो बच्चे के शरीर पर लाल, खुरदरे चकत्ते, लाल गाल और जीभ पर लाल छाले होने लगते हैं।
यदि इस समस्या को बिना किसी इलाज के छोड़ दिया जाए या केवल थोड़ा ही इलाज किया जाए, तो स्ट्रेप थ्रोट बच्चों में नीचे बताई गई कई तरह की जटिलताओं को जन्म देता है:
स्ट्रेप थ्रोट का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
डॉक्टर बच्चे के कान, नाक और गले की जांच करते हैं। वह सूजे हुए टॉन्सिल, लाली, सफेद धब्बे आदि की जांच करते हैं।
यह डॉक्टर द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा टेस्ट है जहां वह क्यू-टिप के साथ गले के पिछले हिस्से का स्वैब लेते हैं और स्ट्रेप्टोकोकल एंटीजन की मौजूदगी की जांच के लिए इस बलगम का टेस्ट करते हैं। यह एक जल्दी होने वाला टेस्ट है और साथ ही मिनटों में परिणाम भी दे देता है।
यदि स्ट्रेप एंटीजन टेस्ट सही परिणाम नहीं दे रहा है, तो टॉन्सिल से बलगम लिया जाता है और पेट्री डिश पर कल्चरिंग के लिए लैब में भेजा जाता है। इस टेस्ट का परिणाम आने में 2 या उससे अधिक दिन लगते हैं।
स्ट्रेप थ्रोट की तकलीफ को दूर करने के लिए अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले इलाज के बारे में यहां बताया गया है:
संक्रमित बच्चे के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का दस दिन का कोर्स देना चाहिए।
डॉक्टर बच्चे को राहत दिलाने के लिए दर्द निवारक दवाएं जैसे आइबुप्रोफेन और बुखार को नियन्त्रण में रखने वाली दवा जैसे एसिटामिनोफेन लिखते हैं।
बच्चों में गले की खराश को सही करने के लिए अपनाएं यह घरेलू इलाज:
बच्चे को बार-बार स्ट्रेप थ्रोट होने की स्थिति में आप नीचे बताए गए उपाय आजमा सकती हैं:
हानिकारक बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए सैनिटाइजिंग साबुन या हैंडवाश का इस्तेमाल करें। यदि आप बाहर हैं और साबुन या पानी नहीं हैं तो एक सैनिटाइजर अपने पास जरूर रखें।
यदि आपका बच्चा बार-बार स्ट्रेप संक्रमण की चपेट में आता है तो उसे किसी के साथ खाना या पानी शेयर न करने दें।
ध्यान रखें कि परिवार का कोई संक्रमित सदस्य या भाई-बहन इस दौरान बच्चे से दूर रहे।
अपने बच्चे को स्ट्रेप थ्रोट संक्रमण से बचाने के लिए आप कुछ नुस्खें अपना सकती हैं:
बैक्टीरिया को फैलने को रोकने के लिए, संक्रमित व्यक्ति को कम से कम दो दिनों के लिए अलग कमरे में रहें दें, जब तक एंटीबायोटिक दवाएं चल रही हैं।
बार-बार साबुन से हाथ धोकर अच्छी साफ सफाई रखनी चाहिए, खासकर जब बच्चा खेलने के बाद या स्कूल से घर आता है।
संक्रमित बच्चे की बोतल से पानी पीने से बचाएं और एक ही प्लेट में खाना भी न खाने दें।
इंफेक्शन के बाद, बच्चे के टूथब्रश को बदल दें क्योंकि इसमें अभी भी बैक्टीरिया हो सकते हैं और संक्रमण फिर से फैल सकता है।
बच्चे को खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढंकना और रुमाल का इस्तेमाल करना सिखाएं।
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट बहुत ही आम बीमारी है। हालांकि निम्नलिखित स्थितियों में तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है:
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों और उनसे छोटे बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट की समस्या आम है, और इसे केवल एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है। बेहतर साफ-सफाई रखने से, संक्रमित बच्चों को अलग रखकर और संक्रमित व्यक्ति से जुड़ी व्यक्तिगत चीजों को साझा न करने से इसे रोका जा सकता है।
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